भारत -चीन के बीच पिछले कुछ महीनों से चले आ रहे सीमा विवाद के कारण एशियाई देशों में भी तनाव की स्थिति है। भारत के खिलाफ नियंत्रण रेखा (LAC) पर लगातार नापाक हरकतें करने वाले चालबाज चीन के संबंध अब अन्य देशों के साथ भी खत्म होने लगे हैं। कोरोना वायरस महामारी को लेकर कई देशों में उसके खिलाफ भारी नाराजगी है। ऐसे में ये देश उसके खिलाफ खड़े हो रहे हैं।
भारत के अलावा चीन कई अन्य देशों के लिए भी परेशानी बना हुआ है। दक्षिण चीन सागर पर उसकी हरकतों से ऑस्ट्रेलिया और जापान भी परेशान हैं। अब ईयू और नाटो की तरह चीन के खिलाफ भी एक मोर्चा बनाए जाने को लेकर आवाज उठने लगी है।
इस सब के बीच अब भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया द क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग को चीन के खिलाफ मजबूत हथियार मानकर इसे सशक्त करने की कोशिश कर रहे हैं। जापान के टोक्यो में इस महागठबंधन को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए कल छह अक्टूबर को इन देशों के प्रतिनिधि बैठक करेंगे। इसके लिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी जापान पहुंच गए हैं।
ये सभी देश चीन से इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि वह अपनी विस्तारवादी नीति को सिर्फ भारत के खिलाफ ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के खिलाफ भी अपनाता है। सीमा विवाद की बात करें तो भारत के अलावा जापान के साथ भी चीन ऐसा ही कर रहा है। लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर पिछले करीब पांच -छह महीनों से भारत-चीन की सेनाएं तैनात हैं। दोनों देशों के सैनिकों में कई बार हिंसक झड़पें भी हुई हैं। चीन का अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ ट्रेड वॉर चल रहा है। जापान के टोक्यों में होने वाली इस बैठक में 5G और 5G प्लस तकनीक पर भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
माना जाता है कि द क्वॉड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) की शुरुआत 2007 में हुई। वहीं यह भी माना जाता है कि क्वाड की शुरुआत 2004-05 के बीच हो गई थी। उस दौरान भारत ने सुनामी में तबाह हुए दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों की मदद की थी। क्वाड में चार देश अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। मार्च में कोरोना वायरस को लेकर भी क्वॉड की भी बैठक हुई थी। जिसमें पहली बार न्यूजीलैंड, द. कोरिया और वियतनाम भी शामिल हुए थे।
वहीं पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाये जाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने के एक विशिष्ट एजेंडे के साथ भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को प्रस्तावित है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक वार्ता के दौरान दोनों पक्षों द्वारा जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखने तथा क्षेत्र में तनाव उत्पन्न करने वाली कार्रवाई से बचने के लिए और कदमों पर गौर किये जाने की उम्मीद है।
वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई भारतीय सेना के लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे और विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। सातवें दौर की सैन्य वार्ता में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।