आज अमेरिका में 9/11 के हमले की 20वीं बरसी है। आज ही के दिन अमेरिका पर 9/11 के हमले ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। 9/11 अमेरिकी इतिहास में काले दिन के रूप जाना जाता है। इसी दिन दुनिया के महाशक्ति देश पर दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था। सबसे बड़े अल-कायदा के आतंकवादियों ने चार विमानों का अपहरण कर लिया था और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन पर हमला कर दिया था। इस हमले में लगभग 3,000 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। मरने वालों की संख्या दुनिया में अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने का मुद्दा उठाया। लेकिन यह देखना अहम होगा कि पिछले 20 सालों में अमेरिका के फैसले का कितना असर पड़ा है।
जिसने 2996 लोगों की जान ले ली। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस घटना को अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन करार दिया था। 11 सितंबर 2001 की उस सुबह को कोई भी भूला नहीं है जब रोज़ की तरह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर में भी करीब 18 हजार कर्मचारी रोजमर्रा का काम निपटाने में जुटे थे, लेकिन सुबह 8:46 मिनट पर कुछ ऐसा हुआ कि अब तक सामान्य सी मालुम पड़ रही यह सुबह खौफनाक हो उठी।
11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका में क्या हुआ था?
न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले हजारों लोग भी मारे गए। हमला जिन विमानों से किया गया उनकी रफ्तार 987.6 किमी/घंटा से ज्यादा थी। दोनों इमारतें दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बच सका।
अलकायदा के 19 आतंकियों ने 11 सितंबर को चार विमानों को हाईजैक कर लिया था। अमेरिका पर हमला करने की उसकी मंशा साफ थी। न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के सामने सुबह 8:46 बजे के तुरंत बाद जानबूझकर आतंकियों ने ट्विन टावर से विमान टकरा दिया था। ठीक 17 मिनट बाद, यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 के माध्यम से साउथ टॉवर पर हमला किया गया। जिसके बाद अमेरिकी प्रणाली तेजी से काम करने लगी। सुबह 9:37 बजे हाई अलर्ट पर रहने के बावजूद यूएस एयरलाइंस की फ्लाइट 77 वाशिंगटन के पेंटागन से टकरा गई। चौथे अपहृत विमान का उद्देश्य यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93 के माध्यम से व्हाइट हाउस या यूएस कैपिटल को निशाना बनाना था। हालांकि, यात्रियों के आतंकवादियों से टकराने के बाद आतंकवादियों ने विमान से नियंत्रण खो दिया और पेन्सिलवेनिया के शैंक्सविले के मैदानी इलाकों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 9/11 के आतंकवादी हमलों में कुल 2,977 लोग मारे गए थे। इसमें 19 आतंकवादी भी शामिल हैं। चारों विमानों में कुल 246 लोग सवार थे। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और उसके आसपास कम से कम 2,606 लोग मारे गए। पेंटागन में कम से कम 125 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर अमेरिकी नागरिक थे। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 344 गार्ड, 71 पुलिसकर्मी और 55 जवान शहीद हुए थे।
आतंकी हमले के बाद क्या हुआ?
अमेरिका में आतंकवादी हमलों के बाद दुनिया में एक ही चिल्लाहट मची कि अब कई देशों में हमले हो सकते हैं। जब अमेरिका पर हमला किया गया था, तब तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश फ्लोरिडा में थे। इस खबर ने उन्हें भी झकझोर दिया। तब तक अमेरिकी सुरक्षा बलों ने सुरक्षा कड़ी कर दी थी। व्हाइट हाउस को सुरक्षित घोषित किए जाने के बाद राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने रात 9 बजे ओवल ऑफिस से राष्ट्र को संबोधित किया। इसके बाद लेबनान से इराक में हुए आतंकी हमलों की जानकारी जुटाई गई। अमेरिका ने कहा है कि जो हमला हुआ है उसे अल-कायदा ने अंजाम दिया था। अमेरिका ने कहा है कि वह अफगानिस्तान पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है, जब रिपोर्टें सामने आईं कि अल-कायदा को तालिबान द्वारा समर्थन प्राप्त था। अमेरिकी ऑपरेशन 7 अक्टूबर, 2001 को शुरू हुआ। अमेरिकी ऑपरेशन को ब्रिटेन सहित नाटो देशों का समर्थन प्राप्त था। 25 नवंबर, 2002 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के निर्माण पर कानून पर हस्ताक्षर किए। विभाग को केवल आतंकवादी हमलों, सीमा सुरक्षा और आव्रजन से संबंधित समस्याओं को हल करने का काम सौंपा गया था। अतीत में ये सभी मामले एफबीआई और सीआईए के हाथों में थे। लेकिन इतनी बड़ी नाकामी के बाद अमेरिकी सरकार ने अपनी सुरक्षा के लिए बिल्कुल नया विभाग बनाया।
अमेरिका ने हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को मार गिराया
9/11 हमलों के मास्टरमाइंड और अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन के लापता होने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में एक गुप्त ऑपरेशन पर एक नेवी सील टीम भेजी। ओसामा बिन लादेन 2 मई, 2011 को मारा गया था। ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद टीम ने उसके शव को जब्त कर लिया और उसे अज्ञात स्थान पर दफना दिया।
नाटो ने युद्ध की समाप्ति की घोषणा की
28 दिसंबर, 2014 को नाटो ने युद्ध की समाप्ति की घोषणा की। इसने सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अफगान सरकार को सौंपी। नाटो ने अफगान सरकार की स्थापना और तालिबान के खिलाफ मदद के लिए ऑपरेशन प्रस्ताव का समर्थन किया। ऑपरेशन का उद्देश्य तालिबान आतंकवादियों को पश्चिमी ताकतों के खिलाफ हथियार उठाना और अफगानिस्तान को आगे के खतरों से बचाना था।
अफगानिस्तान में तालिबान के साथ अमेरिकी समझौता
अमेरिका ने 29 फरवरी, 2020 को तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोहा, कतर में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। कहा जाता है कि अमेरिका ने 2018 में तालिबान के साथ गुप्त वार्ता शुरू की थी। दोहा में हुए समझौते के अनुसार अमेरिकी सैनिकों को 14 महीने में वापस लौटना था। इस बार तालिबान ने आतंकवादी संगठनों को अफगान क्षेत्र का उपयोग नहीं करने देने का वादा किया। अगले 18 महीनों में अमेरिका ने धीरे-धीरे अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस ले लिया है।
अमेरिकी सैनिकों के हटने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। उसने 15 अगस्त को काबुल पर भी आक्रमण किया और विजय की घोषणा की। दूसरी ओर अमेरिका को नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए काबुल हवाई अड्डे को सुरक्षित करने के लिए 6,000 सैनिकों को तैनात करना पड़ा।
तालिबान सरकार की स्थापना
तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में एक कार्यवाहक सरकार की घोषणा की गई है। मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के प्रधान मंत्री हैं। मुल्ला बरादर को उप प्रधानमंत्री, सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृह मंत्री, मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री और अमीर मुत्ताकी को विदेश मंत्री का पद दिया गया है। खेरुल्लाह खैरख्वा को सूचना एवं प्रसारण मंत्री का पद दिया गया है। अब्दुल हकीम को कानून मंत्री, शेर अब्बास स्टानिकजई को उप विदेश मंत्री और जबीउल्लाह मुजाहिद को उप सूचना मंत्री का पद दिया गया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने इसे “कार्यवाहक सरकार” कहा है। उन्होंने कहा, “हमारे देश के नागरिक नई सरकार का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।” अफगान में तालिबान की इस सरकार में सभी आतंकी शामिल हैं। गृह मंत्री सेराजुद्दीन हक्कानी यूएस मोस्ट वांटेड लिस्ट में हैं। एफबीआई ने उसे पकड़ने के लिए सूचना देने के लिए 5 मिलियन तक का इनाम देने की पेशकश तक की है।