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म्यांमार : 8 नवंबर को होगी आंग सान सू के नेतृत्व की परीक्षा

म्यांमार में 8 नवंबर को राष्ट्रीय एवं राज्य के चुनाव होने हैं जिसमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची की ‘पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ सत्ता में फिर से आने की कोशिश कर रही है। इस बार के चुनाव को आंग सान सू के नेतृत्व का इम्तिहान माना जा रहा है।

आंग सान सू की के नेतृत्व में नैशनल लीग ऑफ डिमॉक्रसी को पिछले 2015 के चुनावों में एकतरफा विजय हासिल हुआ था। हालांकि, इस बीच रोहिंग्या संकट और कोविड-19 महामारी ने म्यांमार में बहुत कुछ बदल दिया है।

पर अब सवाल यह है कि क्या म्यांमार में आंग सान सू की का नेतृत्व कमजोर पड़ रहा है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए रोहिंग्या शरणार्थी मामले को समझना पड़ेगा।

म्यांमार आर्मी ने 2017 में रखाइन प्रांत के आतंकवादी समहूों को ध्वस्त करना शुरू किया तो सात से आठ लाख रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए। सेना की कार्रवाई को आंग सान सू की और उनकी सरकार का समर्थन प्राप्त था। अभी रोहिंग्या शरणार्थी कथित तौर पर दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी कैंप कॉक्स बाजार में रह रहे हैं। बांग्लादेश चाहता है कि म्यांमार रोहिंग्याओं को वापस ले, लेकिन म्यांमार का कहना है कि रोहिंग्या उसके अपने लोग नहीं बल्कि बंगाली हैं। इस कारण वह रोहिंग्याओं को वापस लेने पर राजी नहीं है।

पिछले चुनावों में रोहिंग्याओं ने मतदान किया था, लेकिन इस बार वो नदारद हैं। कई रोहिंग्या उम्मीदवारों का नामांकन रद्द किया जा चुका है। पिछले महीने म्यांमार के चुनाव आयोग ने कहा था कि सुरक्षा कारणों से रखाइन प्रांत के कई इलाकों में चुनाव नहीं करवाए जाएंगे।। यानी, म्यांमार में बच गए छह लाख रोहिग्या मतदान में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। उनके साथ ही रखाइन प्रांत के बौद्ध भी मतदान नहीं कर पाएंगे जो सू की के विरोधी हैं और जिनका मानना है कि राजनीतिक मकसदों से चुनाव रद्द किया गया है।

म्यांमार में 2015 में हुये चुनाव में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की जबरदस्त जीत के साथ देश से 50 साल के सैन्य अथवा सैन्य निर्देशित शासन का अंत हुआ था। उन चुनावों को बहुत हद तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष माना गया था लेकिन उसमें एक अपवाद था।

सेना ने 2008 में संविधान तैयार किया था जिसके अनुसार संसद की 25 फीसदी सीट स्वत: सेना को मिल जाती हैं जो संवैधानिक बदलाव को अवरूद्ध करने के लिये पर्याप्त हैं।

इस बार के चुनाव में म्यांमार के पांच करोड़ 60 लाख लोगों में से तीन करोड़ 70 लाख से अधिक लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल कर सकेंगे। देश की 90 से अधिक पार्टियों ने संसद के ऊपरी और निचले सदन के लिये उम्मीदवार उतारे हैं।

सू ची देश में अब तक की सबसे लोकप्रिय नेता हैं और उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी का देश भर में मजबूत नेटवर्क है। हालांकि एनएलडी की आलोचना होती है कि उसके पास दृष्टिकोण नहीं है और यह कि वह सैन्य शासन की ही भांति अपने आलोचकों से निपटने के लिए अदालत का सहारा लेती है।

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