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72 साल पुराने दुश्मन बने दोस्त 

पश्चिम एशिया की  दो महाशक्तियों  इजरायल और सयुंक्त अरब अमीरात ने  लगभग 72 वर्षों  से चली आ रही अपनी  दुश्मनी को दरकिनार करते हुए अब दोस्ती का हाथ मिलाया है। इन दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौता किया है। इसके तहत इजरायल  फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक इलाके में अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार हो गया है, वहीं यूएई, इजरायल से पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल करने को राजी हो गया। ऐसा करने वाला वह पहला खाड़ी देश बन गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कल गुरुवार 13 अगस्त  को  इसकी घोषणा की। ओवल ऑफिस से ट्रंप ने कहा,वर्षों के बाद इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात अपने राजनयिक संबंधों को पूरी तरह से सामान्य करेंगे। अब जब बर्फ टूट गई है, तो मैं उम्मीद करता हूं कि अरब के और मुस्लिम देश भी यूएई का अनुसरण करेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस डील के बाद कहा कि दोनों ही देशों ने इस ऐतिहासिक समझौता और शांति की दिशा में बढ़ते इस कदम की प्रशंसा की  है। अब तक इजरायल का किसी भी खाड़ी देश के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं रहा है। हालांकि ईरान को लेकर खाड़ी के कई देश जैसे सऊदी अरब, यूएई इजरायल के साथ गैर आधिकारिक संपर्क में बने रहते हैं।इस समझौते के बाद फलस्तीन के नेता आश्चर्यचकित  हैं।फ़लस्तीन के राष्ट्रपति  महमूद अब्बास  के प्रवक्ता ने कहा कि यह डील उनके साथ एक ‘धोखा’ है। यही नहीं फलीस्तान ने विरोध किया है और यूएई से अपना राजदूत वापस बुला लिया है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति  ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन  नेतन्याहू  और अबूधाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद  अल नहयान के बीच हुए इस समझौते  को ‘एक  ऐतिहासिक मौका’ करार दिया है।

वर्ष 1948 में आजादी  के बाद इजरायल की यह अरब देशों के साथ तीसरी डील है। इससे पहले इजरायल ने मिस्र और जॉर्डन के साथ समझौता किया था। ट्रंप ने कहा, ‘अब रश्तों  पर जमी बर्फ पिघल गई है। मैं आशा करता हूं कि और ज्यादा  अरब और मुस्लिम देश यूएई के रास्ते  पर चलेंगे।’ अमेरिकी राष्ट्रपति  ने कहा कि इस समझौते पर आने वाले कुछ हफ्तों  में वाइट हाउस में हस्ताक्षर  होंगे।

इस समझौते के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने  कहा कि उन्होंने वेस्ट बैंक पर कब्जे  की योजना में ‘देरी’ कर दी है। हालांकि अभी इजरायल ने इसे छोड़ा नहीं है। इस कब्जे  के बाद वेस्ट  बैंक का कुछ हिस्सा  आधिकारिक रूप से इजरायल का हिस्सा हो जाएगा। और इस संबंध में अमेरिका के साथ पूरा समन्वय चल रहा है। हालांकि इजरायल ने यह भी कहा कि वह यूएई की कोरोना वैक्सीन  बनाने में मदद करेगा। इसके अलावा ऊर्जा, पानी, पर्यावरण संरक्षण और कई  क्षेत्रों में सहयोग करेगा।
इसके अलावा दोनों देश अबुधाबी से तेल अवीव तक फ्लाइट की शुरुआत भी करेंगे। इससे यूएई के मुसलमान यरुशलम के ओल्ड सिटी में अल-अक्सा मस्जिद जा सकेंगे।

हालांकि इस डील के बाद यूएई को इजरायल से आर्थिक, सुरक्षा और साइंस के क्षेत्र में बड़ा फायदा हो सकता है। वह भी तब जब दोनों के साझा दुश्मन  ईरान की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। इस डील से फलस्तीनी  लोगों को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि उनकी निराशा और बढ़ सकती है। उन्हें  यह महसूस हो सकता है कि वे एक बार फिर से अलग-थलग हो गए हैं।

मध्य-पूर्व के देशों के साथ इजरायल बहुत पहले से संबंधों को सुधारने के लिए काम कर रहा था। इस समझौते से ईरान, चीन और पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि ईरान और पाकिस्तान ने सीधे तौर पर इजरायल को न तो मान्यता दी है और न ही कोई राजनयिक संबंध रखे हैं। वहीं, चीन को झटका इसलिए है क्योंकि पश्चिम एशिया के देशों में उसकी मजबूत होती पकड़ अब कमजोर हो गई है।


इजरायल और सऊदी के बीच हाल के कुछ साल में द्विपक्षीय संबंध बेहतर हुए हैं। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ईरान के परमाणु हथियार बनाने का विरोध करते हैं। इसके अलावा ये दोनों देश यमन, सीरिया, ईराक और लेबनान में ईरान की आकांक्षाओं के विस्तार को लेकर भी चिंतित हैं। हिजबुल्लाह को लेकर भी इजरायल और सऊदी अरब एक रुख रखते हैं। माना जा रहा है कि सऊदी और इजरायल खुफिया जानकारी, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख अपने सऊदी समकक्षों और अन्य सऊदी नेताओं के साथ गुप्त रूप से मिलते रहे हैं।

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