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फिर अमेरिका के सहारे पाकिस्तान

पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। प्रधानमंत्री इमरान समस्या से उबरने के लिए अमेरिका और चीन जैसे देशों का मुंह ताकने को विवश हैं। दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को सुधारने में वे जो दिलचस्पी ले रहे हैं, उसे कोई महत्व नहीं दे रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को फिर से पटरी पर लाने के लिए पीएम इमरान खान हर तरह की कवायद कर रहे हैं। इस महीने के आखिर में उनकी अमेरिकी यात्रा के दौरान ज्यादा खर्च न हो, इसके लिए उन्होंने होटल के बजाय पाक राजदूत के घर पर रुकने की इच्छा जाहिर की है।

अमेरिका में सभी गणमान्य व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्था ‘यूएस सीक्रेट सर्विस’ ने इमरान के विचारों को फिलहाल अनदेखा कर दिया है। इसके अलावा अमेरिका में ट्रैफिक व्यवस्था के लिए जिम्मेदार स्थानीय अधिकारियों ने भी अभी तक पीएम इमरान की इस इच्छा पर अपनी कोई भी टिप्पणी नहीं की है।

इमरान खान इसी महीने के अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे जहां वे व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात करेंगे। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि व्हाइट हाउस ने अभी तक इमरान खान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली मुलाकात की पुष्टि नहीं की है। लेकिन ताजा खबरों के मुताबिक अमेरिकी व्हाइट हाउस ने इस खबर की पुष्टि कर दी है।

ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता होगी। ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। ट्रंप सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि पाकिस्तान ने झूठ और फरेब के अलावा कुछ नहीं दिया। उन्होंने आतंकी संगठनों का समर्थन करने के कारण इस्लामाबाद को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद भी रोक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 22 जुलाई को व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का स्वागत करेंगे। पाक पीएम इमरान खान के इस अमेरिकी यात्रा को दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों में सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। इससे दोनों देशों के बीच शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

पाकिस्तान पहले ही इमरान की अमेरिका यात्रा की घोषणा कर चुका है। इमरान खान ट्रंप के निमंत्रण पर पहली बार अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे। व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी के द्वारा जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का 22 जुलाई को व्हाइट हाउस में स्वागत करेंगे। इस मुलाकात में प्रधानमंत्री इमरान खान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करेंगे जिसमें आतंकवाद, रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, दक्षिणी एशिया की शांति के लिए दोनों की भागीदारी में सभी जरुरी मुद्दों पर बातचीत होगी।

इमरान खान ने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को बचाने के लिए पिछले साल सत्ता संभालते ही सरकारी खर्चों में कटौती से जुडी कई बड़ी घोषणाएं की थीं। जिनमें उन्होंने सरकारी लग्जरी वाहनों की नीलामी का फैसला लिया। उन्होंने पीएम आवास की 100 से अधिक लग्जरी कारों की नीलामी की। पाक सरकार ने चार हेलीकॉप्टरों को भी नीलामी के लिए रखा था। इन्हीं आर्थिक तंगी के चलते हाल ही में अमेरिका गए इमरान खान वहां महंगे होटलों में नहीं रुके बल्कि वाशिंगटन में देश के राजदूत के आधिकारिक निवास पर ठहरना पड़ा।

आतंकवाद पर कड़े कदम उठाने में असफल रहने पर फायनांशियल एक्शन टास्क फोर्स ब्लैक लिस्ट में डाल देगा। आतंकवाद पर नियंत्रण पाने के लिए जून 2018 में जिस एक्शन प्लान पर सहमति बनी थी पाकिस्तान उस पर खरा उतरने में नाकाम साबित हुआ है। इसके बाद उसे एक बार फिर से मई 2019 तक का समय दिया गया था लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार भी एफएटीएफ के पैमानों पर खरा उतरने में वह नाकाम साबित हुआ। अब आखिरी बार पाकिस्तान को सितंबर तक का समय दिया गया है। अगर इस तय समय सीमा तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाता है को एजेंसी ने ये संकेत दिया है कि उसे ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। ऐसे देश जो आतंकवादियों गतिविधियों के लिए मनीलान्ड्रिंग एवं टेरर फंडिंग पर रोक नहीं लगाते, उन देशों पर एफएटीएफ प्रतिबंध लगाता है। किसी देश का ‘ग्रे लिस्ट’ में जाने से उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।

इमरान खान को देश की आय बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए और ज्यादा उद्योगों को स्थापित करने की जरूरत है जिसके लिए पाकिस्तान को स्थानीय और विदेशी निवेश की आवश्यकता है। खबरों के मुताबिक कराची में देश के व्यापारियों और उद्योगपतियों के साथ बैठक करने के बाद मीडियाकर्मियों से अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री ने अपने विचार रखे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, हमने औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए ऋण लेने की अपेक्षा निवेश की मूल नीति को अपनाया है क्योंकि हमें लगता है कि आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे देश की इसी तरह सहायता की जा सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार निवेशकों को हर संभव सुविधा देने की कोशिश कर रही है। सरकार देश में निवेशकों को लाकर, तंत्र में सुधार लाकर उनके सामने आने वाली रुकावटों को हटाकर, उन्हें सस्ती बिजली और गैस उपलब्ध कराकर प्रोत्साहन देकर ‘व्यापार करने में आसानी’ की नीति को बढ़ावा दे रही है।

इमरान खान ने माना कि औद्योगीकरण का विस्तार करने से निर्यात और व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे अंतर्राष्ट्रीय ऋणदाताओं से और ज्यादा ऋण मांग रहे पाकिस्तान को मदद मिलेगी। खान ने पाकिस्तान से निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण मदद करने के लिए विशेष रूप से चीन की प्रशंसा करते हुए कहा कि चीन ने पिछले साल के दौरान बड़े आर्थिक संकट की संभावना को दरकिनार करने में पाकिस्तान की वास्तव में बहुत सहायता की है।

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