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पीओके में जोर पकड़ती आजादी की मांग

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की जनता एक बार फिर सड़कों पर है। पाकिस्तान सरकार के रवैये से बेहद खफा लोगों का आक्रोश प्रचंड प्रदर्शन के रूप में दिखाई दे रहा है। आक्रोश की मुख्य वजह यह है कि जहां एक ओर पाकिस्तान यहां के निवासियों पर जुल्म कर रहा है वहीं दूसरी तरफ आतंकी अड्डे भी बना रहा है जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। लोग पाक विरोधी नारे लगाते हुए अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं।
पीओके के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आतंकी गतिविधियों के लिए सीधे-सीधे इस्लामाबाद की सरकार जिम्मेदार है, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्‍मद जैसे आंतकी संगठनों को प्रशिक्षण देती है और उन्हें शह देती है।
राजनीतिक कार्यकर्ताओं का यहां तक आरोप है कि पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकियों के इशारे पर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। उन्हें चुनाव में भागीदारी तक नहीं निभाने दी जा रही है। उम्मीदवारों को डरा-धमकाकर नाम वापसी के लिए बाध्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले भी पाकिस्तान सेना के जुल्मों के खिलाफ 17 मार्च, 2018 को पीओके में लोगों ने प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने उन पर गोलियां और आंसू गैस के गोले दागे थे। जनता का आरोप है कि पाक सेना बिना वजह लोगों को घरों से उठा लेती है और बाद में उन्हें मार देती है।
पीओके में 26 अप्रैल, 2018 को जेकेएलएफ कार्यकर्ता नईम बट्ट को इंसाफ दिलाने को लेकर भी जनता ने विरोध प्रदर्शन किया था।  प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) कार्यकर्ता नईम बट्ट की हत्या में संलिप्त आरोपियों को दंडित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान सरकार के जबरन टैक्स वसूलने के फरमान के खिलाफ भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने 30 दिसंबर 2017 को प्रदर्शन किया था। लाहौर प्रेस क्लब के बाहर इकट्ठे होकर ‘हम लेकर रहेंगे आजादी’ के नारे लगाए थे। उनका कहना था कि ‘हम इंसान हैं, हमारे साथ जानवरों जैसा व्यवहार न करो, हमें अन्य नागरिकों के तरह ही बुनियादी अधिकार और सुविधाएं दी जानी चाहिए।’ पीओके की जनता अपनी आजादी की मांग को लेकर एक बार फिर सडकों पर है।

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