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रूस की मोर्चेबंदी में जुटा-जी-7 समूह

चार महीनों से भी ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जर्मनी के म्यूनिख में जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में रूस पर बड़े पैमाने पर कुछ नए प्रतिबंध लगा, जी-7 समूह ने रूस की मोर्चेबंदी में अहम कदम उठाए गए हैं

पिछले चार महीनों से भी ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जर्मनी के म्यूनिख में जी-7 देशों के सम्मेलन का समापन हो गया है। दुनिया के सात विकसित देश इसका हिस्सा हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी गए थे। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मची उथल-पुथल के बीच जी-7 समूह ने रूस पर बड़े पैमाने पर कुछ नए प्रतिबंध लगाने का फैसला कर रूस की मोर्चेबंदी में अहम कदम उठाए गए हैं।


दरअसल, जी-7 समूह के लीडर्स ने कहा कि वे रूस के खिलाफ लगाए गए व्यक्तिगत प्रतिबंध जारी रखना चाहते हैं। विनाशकारी रूस-यूक्रेन युद्ध की निंदा करते हुए जी-7 लीडर्स ने यूक्रेन को 29.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने का ऐलान किया है। इस मदद से संकटग्रस्त यूक्रेन को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी और यूक्रेनी लोगों को बुनियादी सेवाएं मुहैया की जा सकेंगी।


इस दौरान इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के साथ एक सत्र के दौरान नेताओं से कहा रूस के साथ युद्ध के मुद्दे पर हम यूक्रेन के साथ हैं। रूस के खिलाफ युद्ध में हार सभी लोकतंत्रों की हार होगी।
रूस से सोने के आयात पर प्रतिबंधः इसके साथ ही अमेरिका और सात प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह रूस से सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाएगा। यह युद्ध के बाद से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों में नवीनतम प्रतिबंध है। सोना रूस का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात किया जाने वाला आइटम है और सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाने से रूस के लिए वैश्विक बाजारों में भाग लेना कठिन हो जाएगा। ऐसे में सोने के बाजार में भागीदारी को रोककर रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग कर दिया जाएगा।


इन देशों ने लगाया रुसी सोने पर बैन रूस पट्रोलियम पदार्थों के बाद सबसे अधिक सोने का निर्यात करता है। साल 2021 में रूस से 12.6 विलियन पाउंड्स के सोने का निर्यात किया गया था। लेकिन अब ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और जापान ने रूस से सोने का आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इन देशों में रूस से सोने का आयात नहीं किया जा सकेगा। जी-7 देशों की बैठक के दौरान कड़े प्रावधानों को लागू करने पर इन देशों के बीच सहमति बन गई है। इस प्रतिबंध का उद्देश्य यूक्रेन पर वॉर थोपने वाले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाना है।


तेल के आयात पर पहले ही प्रतिबंधः जी-7 देशों ने कहा कि वे रूसी ऊर्जा पर निर्भरता को और कम करने के लिए उचित कदम उठाकर रूस का निर्यात राजस्व और कम करने की कोशिश करेंगे। और हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में सर्विस और टेक्नोलॉजी तक रूस की पहुंच को और सीमित करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि पश्चिमी देशों ने पहले ही रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।


गौरतलब है कि जर्मनी के एलमौ में शिखर सम्मेलन के के दौरान जी 7 देशों के प्रमुख नेताओं का फोकस युद्धग्रस्त यूक्रेन को समर्थन प्रदान करने पर रहा। वहीं शिखर सम्मेलन के पहले दिन जी-7 लीडर्स ने वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने एक साझा बयान में कहा, ‘सभी जी-7 देश उन संकटों को लेकर चिंतित हैं जिन्हें वर्तमान में दूर किया जाना है। कुछ देशों में विकास दर गिरना, बढ़ती महंगाई, कच्चे माल की कमी और सप्लाई चेन में व्यवधान जैसी समस्याएं आ रही हैं। ये कोई छोटी चुनौतियां नहीं हैं इसलिए इनके निदान के लिए सामूहिक प्रयास करना जरूरी है।’


क्या है जी-7 समूह
प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है जी 7। जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इस समूह में वे देश शामिल हैं जो आजादी, ह्यूमन राइट्स, डेमोक्रेसी और डेवलपमेंट के सिद्धांत पर चलते हैं।


क्या है जी-7 का उद्देश्य
हर साल यह समूह शिखर सम्मेलन का आयोजन करता है जिसके दौरान मानव हितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती हैं। इस सम्मेलन में अलग-अलग वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं और उसका समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं। अगर इतिहास की बात हो तो जी-7 की समूह की स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी और इसी वर्ष इस समूह की पहली बैठक आयोजित की गई।

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