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भारत-अमेरिका सम्बंध : दोस्त-दोस्त न रहा…

डोनाल्ड ट्रम्प के ‘अमेरिका फर्स्ट’ अभियान ने भारत-अमेरिका व्यापार सम्बंधों में गहरा तनाव पैदा करने का काम किया है। अब ट्रम्प ने एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में आईफोन निर्माण न करने की सलाह दे डाली, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बड़ा झटका लगना तय है। इसके अलावा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ट्रम्प के युद्धविराम वाले ट्वीट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा किया है। इतिहास में, निक्सन के दौर में भारत और अमेरिका के सम्बंध सबसे खराब रहे, जब इंदिरा गांधी ने अमेरिकी दबाव को नकारते हुए पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की थी। लेकिन तब पूरे विश्व में यही संदेश गया था कि गरीब देश होने के बावजूद भारत सर्व शक्तिमान अमेरिका के आगे झुका नहीं

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक सम्बंध लम्बे समय से द्विपक्षीय नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। पिछले एक दशक में इन सम्बंधों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। विशेषकर, डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) के मुद्दे पर तनाव बढ़ा, जिसके चलते दोनों देशों के बीच व्यापारिक खाई गहरी होती गई है। ट्रम्प ने एप्पल जैसी बड़ी कम्पनियों को भारत में निर्माण न करने की सलाह दी है, जिसने विवाद को और बढ़ावा दे डाला है।

गौरतलब है कि 2015 से 2025 के बीच भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक सम्बंधों ने एक नया मोड़ लिया। नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा के नेतृत्व में दोनों देशों ने व्यापार और रक्षा सहयोग को प्राथमिकता दी। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों ने अमेरिकी कम्पनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया। 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद, अमेरिका की व्यापार नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिला। ट्रम्प ने ‘अमेरिका फस्र्ट’ नीति के तहत विदेशी व्यापार पर कड़े निर्णय लिए, जिसमें भारत के साथ व्यापार संतुलन भी एक बड़ा मुद्दा बना।

अमेरिका फर्स्ट नीति और भारत पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति को और सख्ती से लागू किया गया है। इसके तहत अमेरिकी कम्पनियों को विदेश में उत्पादन कम करके अमेरिका में निर्माण बढ़ाने का दबाव डाला जाने लगा है। एप्पल, फोर्ड, हार्ले, डेविडसन जैसी कम्पनियों को अमेरिका में उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में आईफोन निर्माण न करने की सलाह दे डाली है। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल के खिलाफ है और भारत-अमेरिका व्यापार में तनाव का कारण बन चुका है। 16 मई 2025 को ट्रम्प ने एक व्यापारिक कार्यक्रम के दौरान एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलने से मना किया। उन्होंने कहा ‘मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में निर्माण करो। अगर तुम भारत का ख्याल रखना चाहते हो तो तुम भारत में निर्माण कर सकते हो, क्योंकि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ वाले देशों में से एक है। भारत में बिक्री करना बहुत मुश्किल है।’ ट्रम्प ने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका को ‘शून्य टैरिफ के साथ एक व्यापार समझौता करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन ट्रम्प ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक सम्बंध और अधिक तनावपूर्ण हो चले हैं।

ऑपरेशन सिंदूर और ट्रम्प का विवादास्पद ट्वीट

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब भारत ने पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्विटर पर अचानक युद्धविराम की अपील की। इस ट्वीट ने भारत की आक्रामक रणनीति को एक प्रकार से चुनौती दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहज स्थिति में डाल दिया। भारत के कूटनीतिक प्रयासों पर इसका सीधा असर पड़ा और आलोचना भी हुई।

भारत-अमेरिका सम्बंध सबसे अच्छे दौर में बराक ओबामा के समय में रहे, जब दोनों देशों ने रक्षा, तकनीकी और व्यापारिक सहयोग को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। सबसे खराब दौर रिचर्ड निक्सन के समय में माना जाता है। 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया। उन्होंने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने
अमेरिकी दबाव को नकारते हुए पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। इंदिरा गांधी ने अपनी स्पष्ट और दृढ़ नीतियों से यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी सम्प्रभुता और रणनीतिक निर्णयों में स्वतंत्र है। यह कदम भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी की एक सशक्त नेता की छवि को और मजबूत करता है। 2021 में जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-अमेरिका सम्बंधों में एक नया चरण शुरू हुआ। बाइडन प्रशासन ने व्यापारिक नीतियों में संतुलन बनाने का प्रयास किया और उच्च शुल्क से जुड़े विवादों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की कोशिश की। ट्रम्प के दूसरे शासनकाल में लेकिन हालात खासे गम्भीर हो चले हैं। उच्च शुल्क के विवाद के चलते भारतीय और अमेरिकी कम्पनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ा। अमेरिकी कम्पनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश करना कठिन हो रहा है तो वहीं भारतीय कम्पनियों के निर्यात पर भी प्रभाव देखा गया। विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनों देश व्यापारिक नीतियों में लचीलापन लाते हैं तो रिश्ते बेहतर हो सकते हैं। हाल-फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी के मित्र कहलाए जाने वाले ट्रम्प स्पष्ट रूप से भारतीय हितों के खिलाफ काम करते नजर आ रहे हैं।

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