पाकिस्तान जल्द ही अवैध शरणार्थियों को मुल्क से निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने देश में रह रहे अवैध अफगानी शरणार्थियों को 31 अक्टूबर तक समय दिया था कि वो पाकिस्तान से खुद चले जाए। एक नवंबर से पाकिस्तान स्वयं अवैध अफगानी शरणार्थियों को निकालने की कवायद करेगा।
अफगानिस्तानी शरणार्थियों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा उठाए जा रहे इस कदम को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने आपत्ति जताई है। हालांकि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए कहा है कि अफगानी नागरिकों का निर्वासन अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों के तहत ही किया जा रहा है।
पाकिस्तानी संप्रभुता के लिए किया जाएगा शरणार्थियों को निर्वासित
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच के अनुसार ‘पाकिस्तान सरकार सभी अवैध शरणार्थियों को निर्वासित करेगी फिर चाहे वो किसी भी देश या राष्ट्रीयता के हो। यह फैसला पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए लिया गया है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त ) ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान ने अगर दस लाख से ज्यादा अवैध अफगानियों को निर्वासित किया तो इससे मानवीय आपदा आ सकती है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने पाकिस्तान से अवैध शरणार्थियों का निर्वासन रोकने की अपील की थी।
बढ़ सकता है मानव संकट
यूएनएचसीआर की प्रवक्ता रवीना शमदासानी के कहने अनुसार वे पाकिस्तान द्वारा उठाए गए इस कदम को लेकर चिंतित है। उनका कहना है कि निर्वासित किए जाने वाले शरणार्थियों को शोषण ,गिरफ्तारी और भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त उन्हें आर्थिक और समाजिक जरूरतों की भी कमी होगी। निर्वासित करने से गंभीर मानव अधिकारों का संकट उत्पन्न हो सकता है।’ यूएनएचसीआर के अनुसार पाकिस्तान में अभी 37 लाख से ज्यादा अफगान शरणार्थी रहते हैं।
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इन शरणार्थियों में से करीब सात लाख शरणार्थी साल 2021 में तालिबान द्वारा सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान पहुंचे थे। वहीं यूएनएचसीआर के मुताबिक पाकिस्तान में करीब 17 लाख अवैध अफगानी शरणार्थी हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अवैध शरणार्थियों को वापस भेजने के ऐलान के बाद से करीब 60 हजार अफगानी पहले ही अफगानिस्तान लौट चुके हैं। इनमें से 78 प्रतिशत पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि जो शरणार्थी पाकिस्तान में वैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें निर्वासित नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान ने क्यों उठाया शरणार्थियों को निर्वासित करने का कदम
पाकिस्तान अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है। इसके अतिरिक्त यह मुल्क बढ़ती कट्टरता से परेशान है। कुछ सालों में ही पाकिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथियों के कई हमले हुए हैं। इस साल पाकिस्तान में हुए 24 आत्मघाती हमलों में 14 अफगान नागरिकों द्वारा किए गए थे। पाकिस्तान -अफगानिस्तान की सीमा, कट्टरपंथियों का गढ़ बन गई है। आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान के उभार में भी पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथियों ने अहम भूमिका निभाई। इसी वजह से अब पाकिस्तान सरकार अवैध अफगानियों से छुटकारा पाना चाहती है।