अमेरिका में इस साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की उम्मीदवारी खतरे में दिख रही है। ट्रम्प से प्रेसिडेंशियल बहस में कमजोर पड़ने के बाद उन पर लगातार इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि वे उम्मीदवारी से पीछे हट जाएं। चर्चा हो रही है कि लगातार बढ़ती उम्र के साथ उनकी याददाश्त कमजोर होती जा रही है। ऐसे में बाइडेन से पद छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए जानलेवा हमले ने अमेरिका में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। हमले की वजह से अमेरिकी लोगों का वोट सहानुभूति के तौर पर उनकी झोली में गिर सकता है। यही वजह है कि खुद जो बाइडेन को अपने प्रतिद्वंदी से बात करनी पड़ी तथा इस हमले की आलोचना की है
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब महज चार महीने शेष हैं। ऐसे में एक ओर जहां डेमोक्रेटिक पार्टी से वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन का गिरता स्वास्थ्य और उम्र चर्चा का विषय बनी हुई है। जो बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। उनकी पार्टी के दर्जनों सांसद उनसे अपील कर रहे हैं कि वो राष्ट्रपति का चुनाव न लड़े। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डेमोक्रेट पार्टी के भीतर जो बाइडन के विकल्पों पर विचार शुरू हो गया है। एक रिपोर्ट में टकर कार्लसन नाम के एक अंग्रेजी पत्रकार ने दावा किया है कि जो बाइडेन डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। पत्रकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेताओं ने सुझाव दिया है कि बाइडेन का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है उन्हें इस चुनाव से हटाना होगा। हालांकि बाइडेन ने एक बार फिर दोहराया है कि वे रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प को टक्कर देने के लिए काफी काबिल उम्मीदवार हैं।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर हुए जानलेवा हमले ने अमेरिका में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। सीक्रेट सर्विस की सिक्योरिटी व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पूर्व राष्ट्रपति की रैली से महज 200 मीटर के अंदर की इमारत कैसे सुरक्षा एजेंसियों के दायरे में नहीं आई। इस जानलेवा हमले के कई निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं। चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि क्या इसका असर चुनाव में भी पड़ेगा। क्या ट्रम्प को इससे चुनाव में फायदा मिलेगा। क्या इस घटना के बाद चुनावी प्रचार की दिशा बदल जाएगी।
अमेरिकी राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प पर हुआ जानलेवा हमला अमेरिकी चुनावी प्रचार को नई दिशा दे सकता है। बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर घिरे डेमोक्रेट्स प्रशासन के ऊपर ये हमला सवालों को और तेज कर सकता है। जिस प्रकार विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब इतना अहम नेता अमेरिका में सुरक्षित नहीं है तो फिर कौन सुरक्षित है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिस तरह हमले के तुरंत बाद खून से लथपथ चेहरे वाली ट्रम्प की तस्वीर को उनके बेटे एरिक ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा-‘This is the fighter America needs’ इससे साफ है कि अब अमेरिका में सियासी मुद्दा क्या होने वाला है। ट्रम्प पर हुई गोलीबारी की घटना खतरनाक तो है, राष्ट्रपति चुनाव के वर्तमान अभियान के संदर्भ में भी पूरी तरह से हैरान करने वाली नहीं है।
जानकार कहते हैं कि अमेरिका में राजनीतिक पार्टियों की ओर से जिस तरह की बयानबाजी देखने को मिल रही है उसका असर आम लोगों पर भी पड़ सकता है। अमेरिका में देखा गया है कि मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट देने के बजाय अक्सर दूसरी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ वोट करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं। ऐसे में जब राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं तो दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता मतदाताओं की भावनाओं को भड़का कर गोलीबारी की इस घटना का फायदा उठाने की कोशिश करते हुए नजर आएंगे। गन कल्चर भी अब चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
बाइडेन की यादाश्त पर उठने लगे हैं सवाल
गौरतलब है कि अमेरिका में इस साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन की उम्मीदवारी खतरे में दिख रही है। ट्रम्प से प्रेसिडेंशियल बहस में कमजोर पड़ने में बाद उन पर लगातार इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि वे उम्मीदवारी से पीछे हट जाएं। प्रेसिडेंशियल बहस में खराब प्रदर्शन होने के कारण अब बाइडेन की हर उपस्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। कई डेमोक्रेटिक मतदाता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या बाइडेन अगले चार साल तक पद पर रह कर काम कर पाएंगे? या उनकी पार्टी उनसे पद छोड़ने के लिए कहेगी।
असल में व्हाइट हाउस में 4 जुलाई को वार्षिक अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया था जिसकी मेजबानी बाइडेन कर रहे थे। बाइडेन ने अपने भाषण की शुरुआत जोरदार अंदाज में की और टेलीप्रॉम्प्टर से पढ़ते हुए उन्होंने भाषण देने में कोई बड़ी गलती नहीं की, लेकिन इस दौरान वह अचानक से रुक गए। उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिस वजह से उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले भी एक रेडियो चैनल को दिए साक्षात्कार में बाइडेन ने खुद को अश्वेत महिला बता दिया था। जिसके बाद उनकी काफी किरकिरी हुई थी। इसके अलावा बहस के बाद हुए एक सर्वे में बाइडेन को झटका लगा है। एक सर्वे में 59 फीसदी लोगों ने कहा कि बाइडेन सरकार में काम करने के लिए बहुत बूढ़े हो गए हैं। यही नहीं नाटो के 75 साल पूरे होने पर अमेरिका में 9 से 11 जुलाई के बीच एक सम्मेलन में बाइडेन द्वारा एक प्रमुख यूरोपीय देश के राष्ट्रपति को उसके दुश्मन देश के राष्ट्रपति के नाम से संबोधित किया गया। इसके समापन कार्यक्रम के दौरान कई देशों के नेताओं के सामने उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को रूस के राष्ट्रपति पुतिन के नाम से संबोधित किया तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को ट्रम्प कह कर संबोधित किया। इन कारणों चलते चर्चा हो रही है कि लगातार बढ़ती उम्र के साथ उनकी यादाश्त कमजोर होती जा रही है। ऐसे में बाइडेन से पद छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। पार्टी के समर्थकों का कहना है कि चुनाव सिर्फ चार महीने बचे हैं इसलिए जल्द ही कोई फैसला लिए जाने की जरूरत है।
इससे पहले भी बाइडेन को कई मौकों पर लोगों के नाम भूलते हुए देखा गया है। पिछले साल भी उनसे मौखिक चूक हुई थी। उस दौरान उन्होंने यूक्रेन में चल रहे युद्ध को इराक में चल रहा युद्ध बताया था। खबरों के अनुसार एक चुनावी भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि वो हाल में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फांसुआ मितरां से मिलकर आ रहे हैं। जबकि मितरां की 30 साल पहले मत्यु हो चुकी है।
लगातार बाइडेन से हो रही इन गलतियों को लेकर पक्ष और विपक्ष के नेता उनकी उम्मीदवारी को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडेन के सबसे बड़े समर्थक फिल्म स्टार जॉर्ज क्लूनी ने भी इन्हीं सबको देखते हुए राष्ट्रपति उम्मीदवारी से नाम वापस लेने की अपील की है। क्लूनी के अनुसार वे बाइडेन को पसंद करते हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर डेमोक्रेटिक पार्टी अमेरिकी संसद में अपना बहुमत खो देगी। वहीं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और नैंसी पेलोसी ने भी बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर चिंता जाहिर की है। ओबामा और पेलोसी डेमोक्रेटिक पार्टी के वे दो नेता हैं, जिन्होंने ट्रम्प से प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद हारने पर बाइडेन का समर्थन किया था। अब दोनों ने बाइडेन की दावेदारी पर चिंता जाहिर की है। ऐसे में बाइडेन अगर दोबारा चुने जाते हैं तो दूसरे कार्यकाल के अंत में उनकी उम्र 86 साल हो जाएगी। इसलिए बाइडेन से पद छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर हमले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है। राजनीति जानकारों का मानना है कि ट्रम्प को इसका राजनीतिक फायदा भी मिल सकता है क्योंकि ट्रम्प कई बार अपनी चुनावी रैलियों में क्राइम का मुद्दा उठा चुके हैं। ऐसे में उनके ऊपर हुई गोलीबारी ने इस मसले को हवा देने का काम किया है।
ट्रम्प का बढ़ेगा राजनीतिक आधार
अभी तक ट्रम्प और बाइडेन में कांटे की टक्कर बताई जाती थी लेकिन प्रेसिडेंशियल डिबेट और अब उन पर हमले के बाद ट्रम्प खुद को नायक और पीड़ित दोनों के रूप में स्थापित करने में कामयाब रहे हैं। इस घटना के बाद उनका राजनीतिक आधार और बढ़ सकता है। ट्रम्प को अब तक डेमोक्रेटिक नेता राजनीतिक हिंसा करवाने वाले के तौर पर पेश करते रहे, लेकिन पेनसिल्वेनिया में हुई गोलीबारी के बाद रिपब्लिकन पार्टी बाइडेन को टारगेट कर रही है। इससे कई राज्यों में ट्रम्प के प्रति सहानुभूति और सम्मान बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
हमले का फायदा उठाएंगे ट्रम्प
इस हमले का रिपब्लिकन पार्टी के नेता पूरा फायदा उठाना चाहेंगे क्योंकि जो बाइडेन के खिलाफ पहले से ही डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर आवाज उठ रही है। उनके स्वास्थ्य को लेकर भी चुनाव नहीं लड़वाने की कई नेता मांग भी कर रहे हैं। इससे समर्थकों के बीच मनोबल कमजोर नजर आ रहा है। ऐसी स्थिति में ट्रम्प को बड़ा फायदा मिल सकता है।
ट्रम्प को मिल सकती है सहानुभूति
ट्रम्प पर हमले की वजह से अमेरिकी लोगों का वोट सहानुभूति के तौर उनकी झोली में गिर सकता है। यही वजह है कि खुद जो बाइडेन को अपने प्रतिद्वंदी से बात करनी पड़ी और उन्होंने इस हमले की आलोचना की है। भारतीय-अमेरिकी लोगों ने तो इसे अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास का एक ‘काला अध्याय’ करार दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं न कहीं इसका असर चुनाव पर पड़ना तय है।