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Uttarakhand

किसका खेल बिगाड़ेंगे बॉबी

 

उत्तराखण्ड में बेरोजगार युवाओं की पहली पसंद बने बॉबी पंवार निकाय चुनाव के मैदान में उतर चुके हैं। पंवार ने बेरोजगार संघ के बैनर पर अपने उम्मीदवार उतारने की बजाय निर्दलीय को समर्थन देकर सियासी माहौल को गर्मा दिया है। पूर्व में टिहरी लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर रिकॉर्ड वोट पाने के बाद बॉबी पंवार ने केदारनाथ के उपचुनाव में उस समय खासी सुर्खियां बटोरी थी जब वहां कांग्रेस की हार हुई। कांग्रेस ने अपनी हार का कारण बॉबी पंवार को बताया था। कहा गया कि अगर बॉबी पंवार निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान को समर्थन नहीं देते तो भाजपा की जीत आसान नहीं होती। केदारनाथ की तर्ज पर ही ऋषिकेश में भी बॉबी ने कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी मास्टर दिनेश चंद्र को समर्थन देकर एक बार फिर उत्तराखण्ड की राजनीति में घमासान मचा दिया है। देखना यह होगा कि योग नगरी में इस बार बॉबी पंवार किसका खेल बिगाड़ते हैं

उत्तराखण्ड में बेरोजगारों के लोकप्रिय नेताओं में शुमार हुए बॉबी पंवार निकाय चुनाव में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। हालांकि उन्होंने बेरोजगार संघ के बैनर पर अपने कैंडिडेट नहीं उतरे हैं। लेकिन कई जगह वह निर्दलीयों को समर्थन देकर प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस की धड़कन बढ़ा रहे हैं। धड़कन बढ़ना लाजमी भी है। क्योंकि यह वही बॉबी पंवार हैं जिन्होंने उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर डेढ़ लाख वोटांे का आंकड़ा पार किया था। टिहरी लोकसभा से पहली बार कोई निर्दलीय प्रत्याशी इतनी मजबूती से चुनाव लड़ा कि राष्ट्रीय सुर्खियां बन गया।

इसके अलावा पिछले दिनों केदारनाथ उपचुनाव में जब भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर हो रही थी तब ऐसे में बॉबी पंवार ने निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान को अपना समर्थन देकर सियासत में उलट फेर कर दिया था। हालांकि जब शुरू में बॉबी पंवार ने निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान को अपना समर्थन दिया तो भाजपा और कांग्रेस ने उनको हल्के में लिया। लेकिन जैसे ही चुनाव परिणाम आए तो दोनों ही दलों को बॉबी पंवार की शक्ति का एहसास हुआ। बॉबी पंवार के निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान के समर्थन में उतरने के बाद चुनाव न केवल त्रिकोणीय हो गया, बल्कि कांग्रेस ने अपनी हार की वजह बॉबी पंवार को बता डाला। काफी हद तक यह सही भी था क्योंकि बॉबी पंवार ने जिस त्रिभुवन सिंह चौहान को समर्थन देकर मजबूत स्थिति में पहुंचाया वह करीब दस हजार वोट लेकर आए। राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि यह वोट भाजपा के विरोध का था जो कांग्रेस को जाना था। लेकिन बॉबी पंवार की बदौलत त्रिभुवन सिंह चौहान ने इन्हें अपने पाले में खींच लिया। जिसके चलते भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार हुई। बहरहाल, कुछ ऐसी ही स्थिति ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में हो चली है। जहां बॉबी पंवार ने कांग्रेस के बागी उम्मीदवार मास्टर दिनेश चंद को समर्थन देकर एक बार फिर सियासत को गरमा दिया है।

ऋषिकेश में नगर निगम की सीट एससी-एसटी के लिए आरक्षित है। यहां कांग्रेस ने दीपक जाटव को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने शम्भू पासवान पर भरोसा जताया है। दोनों ही नेता पहली बार मेयर का चुनाव लड़ रहे हैं, लिहाजा मुकाबला दिलचस्प होने के आसार हैं। बताया जा रहा है कि शम्भू पासवान पर मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और सुबोध उनियाल, दोनों की मेहरबानी है जिसकी बदौलत वह टिकट पा गए। क्योंकि प्रेमचंद अग्रवाल ऋषिकेश से विधायक हैं ऐसे में शंभू पासवान का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। पिछली बार ऋषिकेश में भाजपा से अनीता ममगाईं मेयर बनीं थी। लेकिन इस बार उनकी इस चुनाव में सक्रियता बहुत कम देखने को मिल रही है। इसका कारण यह भी है कि अनीता को एंटी प्रेमचंद गुट का माना जाता है। ऋषिकेश से कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार रहे मास्टर दिनेश चंद्र को टिकट नहीं मिला तो वह बागी हो गए। फिलहाल वह निर्दलीय ही चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में मास्टर दिनेश चंद को बॉबी पंवार ने अपना समर्थन देकर योग नगरी की राजनीति में अपना दखल दे दिया है। वह पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। ऋषिकेश में जब वह मास्टर दिनेश चंद के समर्थन में मतदाताओं से रूबरू हुए और नुक्कड़ सभा कर रहे थे तो युवाओं का जोश देखने लायक था।

बॉबी पंवार उत्तराखण्ड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष हैं और बेरोजगार आंदोलन के दौरान चर्चाओं में आए। वे चकराता क्षेत्र के रहने वाले हैं। बॉबी पंवार आज से करीब 7 साल पहले चर्चा में आए। तब प्रदेश में 2017 में कोई भर्ती नहीं निकलने पर उन्होंने इस तरफ बेरोजगारों का ध्यान आकर्षित करना शुरू किया। साल 2018 में बॉबी बेरोजगार संघ से जुड़े और भर्ती निकालने के लिए आंदोलन करने लगे थे। बॉबी के कड़े तेवरों को देखते हुए उनको बेरोजगार महासंघ का अध्यक्ष भी घोषित किया गया। जिसके बाद बॉबी ने 2018 में ही सचिवालय कूच भी किया। यहां पुलिस ने युवाओं पर लाठीचार्ज भी किया। इसके कुछ समय बाद ही उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भर्तियों की विज्ञप्ति जारी कर दी। इसके बाद बॉबी पंवार तब ज्यादा उभरकर सामने आए जब उनके नेतृत्व में परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ बेरोजगारों के प्रदर्शन हुए। परीक्षाओं में धांधली की जांच को लेकर बॉबी ने साल 2020 से लेकर 2023 तक लगातार आंदोलन किए। इसके बाद 2023 में बॉबी पंवार को जेल भेजा गया, जिसके खिलाफ देहरादून में युवाओं ने उग्र प्रदर्शन भी किया था तब पुलिस द्वारा युवाओं पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया था। युवाओं के आंदोलन से निकले बॉबी पंवार ने टिहरी लोकसभा सीट से चुनावी समर में अपना कदम रख सियासी माहौल को खासा गर्म बना दिया था। इसके बाद भाजपा और कांग्रेस ने टिहरी में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। बावजूद इसके बॉबी पंवार इस चुनाव में एक लाख 68 हजार 81 मत लेकर तीसरे नम्बर पर रहे।

मास्टर जी का ‘मास्टर स्ट्रोक’
निर्दलीय उम्मीदवार मास्टर दिनेश चंद्र कभी अखबार बांटा करते थे। वे एक निर्बल परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन मास्टर जी का मास्टर स्ट्रोक यह है कि उन्हें बेरोजगार संघ के बॉबी पंवार के साथ ही भू-कानून की लड़ाई लड़ रहे मोहित डिमरी का भी समर्थन मिल रहा है। देखा जाए तो ऋषिकेश भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है। पिछले चार बार के विधानसभा चुनावों में यहां से प्रेमचंद अग्रवाल विधायक बनते आ रहे हैं। जबकि यहां 2018 में मेयर भी भाजपा की अनीता ममगांई ही बनी थी। भाजपा ने जिस बाहरी मूल के व्यक्ति शम्भू पासवान पर दांव लगाया है वह बिहार मूल के हैं। इस चलते भी यहां चुनाव बाहरी और पहाड़ी में परिवर्तित हो गया है। जिसमें मास्टर दिनेश चंद्र को फायदा मिलता दिख रहा है। साथ ही यहां नशे का कारोबार, अंकिता भंडारी हत्याकांड और पत्रकार योगेश डिमरी की पिटाई प्रकरण भी मास्टर जी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।

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