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  •     संतोष सिंह

सड़कें किसी भी प्रदेश की आर्थिक विकास की रीढ़ होती हैं, लेकिन जब ये ही सड़कें खून से लथपथ होने लगती हैं तो वह सरकार और लोगों को सोचने पर भी मजबूर कर देती है। प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसे और उनमें होती युवाओं की मौत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सीएम धामी ने सड़कों पर हो रहे हादसों की वजह गड्ढ़ों को मानते हुए उन्हें दीपावली पर सभी जिलाधिकारियों को दो सप्ताह में सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने के आदेश दिए थे। लेकिन ये आदेश अभी तक जमीन पर नहीं उतरे हैं

उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं से हर कोई चिंतित और दुःखी है। आए-दिन पहाड़ की सड़कों पर हादसों में दर्जनों लोग अकाल मौत के मुंह में समा रहे हैं। सड़कों की अच्छी स्थिति और डेंजर जोन में पैराफिट, क्रैश बैरियर और साइन बोर्ड न होने के चलते भी सड़क दुघर्टना में बढ़ोतरी हो रही है। शासन-प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जिससे नागरिकों की जान बचाई जा सके। चमोली जिले में एक सप्ताह में आधा दर्जन से अधिक दुर्घटना हो चुकी है। जिसमें 15 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीपावली के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारियों को दो सप्ताह में गड्ढे मुक्त सड़क के निर्देश दिए थे जिससे नागरिकों को सुरक्षित यातायात की सुविधा मिल सके। लेकिन सीमांत जिलों की सड़कों की स्थिति में एक माह बाद भी कोई खास सुधार नहीं आया है। जिसके चलते नेशनल हाईवे के साथ ही ग्रामीण सड़कों की स्थिति अब भी कई जगहों पर जानलेवा बनी हुई है। जो बड़ी सड़क दुघर्टनाओं को निमंत्रण दे रही है।

सीमांत चमोली जिले में जिस तरह से सड़क दुर्घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं वह लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है। पिछले एक माह में दर्जनभर से अधिक वाहन दुर्घटनाओं में दो दर्जन से अधिक लोग असमय ही मौत के मुंह में समा गए हैं। बदरीनाथ हाईवे नंदप्रयाग के पास तेज गति से आ रहे ट्रक ने 12 नवंबर को एक बाइक को टक्कर मारी जिसमें दिलबर (37 वर्ष) पुत्र गुंदरू लाल निवासी भटियाणा की मौके पर ही मौत हो गई। दूसरे ही दिन गैरसैंण मोटर हाईवे पर एक बाइक सवार की ट्रक के चपेट में आने से मौत हो गई। 16 नवंबर को आदिबदरी-सिलपाटा मार्ग पर सुगड गांव के पास शिक्षकों की कार खाई में जा गिरी। जिसमें प्रधानाचार्य समेत दो की मौत हुई, एक शिक्षक घायल हो गया था। जिसका उपचार चल रहा है। वहीं 18 नवंबर को जोशीमठ ब्लॉक के उर्गम-पल्ला जखोला मोटर मार्ग पर बड़ी वाहन दुर्घटना में 11 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। इस वाहन में 16 लोग सवार थे। जिनमें से छत पर बैठे पांच लोगों ने छलांग लगा कर जान बचाई। इस सड़क हादसे में कई घरों के चिराग बुझ गए हैं। जिससे क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में मातम पसरा हुआ है।

चमोली जिले की एक बदहाल सड़क

सीमांत पहाड़ी जिलों में कोई दिन ऐसा नहीं होगा जिस दिन कोई दुर्घटना न हो रही हो। बावजूद इन दुर्घटनाओं से कोई सबक नहीं ले रहा है। वहीं 28 अक्टूबर को बदरीनाथ हाईवे हनुमान चट्टी के पास स्कूटी दुर्घटना में दो युवक लापता चल रहे हैं। 30 अक्टूबर को मातवर सिंह पंवार ने कोतवाली बदरीनाथ में तहरीर दी कि 28 अक्टूबर को उनका पुत्र रघुवीर सिंह निवासी गणांई, जोशीमठ अपने दोस्त लोकेश कुमार पुत्र रतन लाल निवासी पीपलकोटी बदरीनाथ धाम गए थे जो वापस नहीं लौटे। बताया जा रहा है कि स्कूटी सवार दोनों युवक हनुमान चट्टी के पास अलकनंदा में गिर गए हैं। जिनकी खोजबीन को लेकर उनके परिजनों द्वारा
पीपलकोटी में नेशनल हाईवे को जाम तक करना पड़ा। गुस्साए ग्रामीणों ने 4 घंटे बदरीनाथ हाईवे जाम रखा। इसके बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा सर्च अभियान चलाया गया लेकिन अभी तक उनका कोई पता नहीं चल पाया है। इस तरह हो रही निरंतर पहाड़ में सड़क दुर्घटना में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद भी सिस्टम गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। जिसके चलते सड़क हादसा लगातार बढ़ रहा है।

उत्तराखण्ड में सड़क दुर्घटनाओं में मौत हर साल लाखों की संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने वाली देवभूमि अब अपने बेतहाशा सड़क हादसों के लिए बदनाम हो रही है। जोशीमठ में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद उत्तराखण्ड की सड़क सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। परिवहन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले छह साल में उत्तराखण्ड में 7993 हादसे हो चुके हैं, जिनमें 5028 लोगों की जान जा चुकी है। 6 साल का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में हर वर्ष औसतन 1500 के करीब सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर वर्ष 900 लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। उत्तराखण्ड में साल दर साल सड़क हादसे बढ़ते जा रहे हैं। यहां 2016 में 1591 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 962 लोग मारे गए। वहीं 2017 में 1603 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 942 लोग मारे गए, 2018 में 1468 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1047 लोग मरे, 2019 में 1353 दुर्घटनाओं में 886 लोगों की मौत हुई। 2020 में 1041 सड़क दुर्घटना में 674 की जान गई जबकि 2021 में 876 सड़क दुर्घटनाओं में 517 लोगों की मौत हुई। इस साल राज्य में 500 सड़क दुर्घटनाओं में अब तक 300 लोगों की जान जा चुकी है। उत्तराखण्ड के ये आंकड़े इसलिए भी भयावाह हैं क्योंकि जनसंख्या के लिहाज से हादसों और उसमें होने वाली मौतें यहां देश में सबसे ज्यादा हैं।

सड़क दुघर्टनाओं को रोकने के लिए पुलिस सघन चेकिंग अभियान के साथ ही डेंजर जोनों पर साइन बोर्ड लगा रही है। साथ ही सुरक्षित यातायात के लिए जागरूकता अभियान भी चला रही है। जिससे नागरिकों की जान बचाई जा सके।
प्रमेंद्र डोबाल, पुलिस, अधीक्षक चमोली

 

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