इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि देश में कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन शोषण और उत्पीड़न पांव पसारे हुए है। जिनमें अश्लील टिप्पणियों से लेकर यौन अनुग्रह की सीधी मांग तक सम्मिलित है। इसमें पाया गया कि अधिकांश महिलाओं ने लांछन, बदले की कार्रवाई के डर, शर्मिंदगी, रिपोर्ट दर्ज कराने संबंधी नीतियों के बारे में जागरूकता का अभाव या शिकायत तंत्र में भरोसे की कमी के कारण यौन शोषण और उत्पीड़न की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई। इसके बावजूद भी अगर कोई महिला हिम्मत करके घटना को दर्ज कराती है तो उसे न्याय के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। देवभूमि उत्तराखण्ड में ऐसा ही एक मामला पिछले साल सामने आया था। यहां के एक सरकारी संस्थान में सीनियर ऑफिसर का अपने अधीनस्थ महिला कर्मचारी के साथ किया गया यौन शोषण सुर्खियों में है। ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली सरकार के एक कैबिनेट मंत्री का आरोपी अधिकारी को बचाने और पूरे प्रकरण को मामूली करार देना गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार के लचीलेपन का फायदा उठाकर न केवल आरोप पत्र पेश करने में जान-बूझकर देरी की जा रही है बल्कि आरोपी विभागीय अधिकारियों की काहिली का लाभ उठा उच्च न्यायालय जा पहुंचा है। साथ ही सबूतों के साथ छेड़छाड़ के उसके प्रयास भी स्पष्ट नजर आ रहे हैं। बहरहाल, मामला संवेदनशील इसलिए भी है कि जिस औद्योगिक विभाग के अंतर्गत यह घटना घटी है वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन है
13 जुलाई 2021
श्री गुप्ता महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेद और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 की धारा (1) (6) एवं राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली, 2002 के नियम 3 (3) के उल्लेखित प्रावधान के दोषी प्रतीत होते हैं। तद्नुसार आरोप पत्र का आलेख तैयार कर श्री सर्वेश कुमार गुप्ता, अपर निदेशक, राजकीय मुद्रणालय, रुड़की के विरुद्ध आरोप पत्र दिए जाने के संबंध में सचिव महोदय के माध्यम से माननीय मंत्री जी का अनुमोदन प्राप्त करना चाहेंगे
(औद्योगिक विकास विभाग के द्वारा मंत्री गणेश जोशी के सामने रखी गई रिपोर्ट)
9 अगस्त 2021
पत्रावली का अवलोकन किया गया। पत्रावली के अवलोकन उपरांत उपरोक्त अपचारी अधिकारी की जांच में जिलाधिकारी/ जांच अधिकारी के स्तर पर गठित समिति द्वारा मात्र अभिकथन सिद्ध किए गए हैं, स्पष्ट संस्तुति/सिफारिश नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में अपचारी अधिकारी के निलंबन पर पुनः परीक्षण कर बहाल करते हुए लघु दंड दिया जाना न्यायोचित होगा।
गणेश जोशी, तत्कालीन औद्योगिक विकास मंत्री
20 नवंबर 2021
इस मामले में मैं अपने पीएस से बात करूंगा। कभी-कभी हम जल्दी में ही किसी फाइल पर साइन कर देते हैं। फाइल का पुनः निरीक्षण करेंगे। लघु दंड नहीं ऐसे लोगों को बड़ा दंड मिलना चाहिए।
गणेश जोशी, कैबिनेट मंत्री (‘दि संडे पोस्ट’ को पूर्व में दिया गया बयान)
पॅरे देश में कार्यस्थल पर यौन शोषण को गंभीर अपराध माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलों में कई बार सख्त फैसले दे चुका है। लेकिन उपरोक्त कथन से स्पष्ट हो रहा है कि देवभूमि कहलाए जाने वाले उत्तराखण्ड में पुष्कर सिंह धामी सरकार के केबिनेट मंत्री गणेश जोशी यौन उत्पीड़न को मामूली मानते हैं और लघु दंड की अनुसंशा करते हैं। पहली धामी सरकार में वे जिस औद्योगिक विभाग के मंत्री रहे उस विभाग ने ही राजकीय मुद्रणालय, रुड़की के अपर निदेशक सर्वेश कुमार गुप्ता को यौन शोषण मामले में दोषी माना है। यही नहीं बल्कि विभाग ने मंत्री से आरोपी अधिकारी गुप्ता के मामले में आरोप पत्र दिए जाने का अनुमोदन भी मांगा था। लेकिन कैबिनेट मंत्री इस मामले पर पीड़िता को न्याय दिलाने की बजाय रफा-दफा करने की कोशिशों में जुटे हैं। शायद यही वजह रही कि मंत्री अपने कार्यकाल में इस मामले पर आरोप पत्र का अनुमोदन देने की बजाय रहस्यमय चुप्पी साधकर बैठ गए। कहा जा रहा है कि इस मामले में मंत्री द्वारा अपने विभाग को आरोपी अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र की अनुमति न देकर फाइल लटकाने का काम किया है। मंत्री के इस लचीलेपन का फायदा उठाकर आरोपी अधिकारी आरोप पत्र पेश करने की समयावधि पूरी होने के बाद हाईकोर्ट की शरण में चला गया है। आरोपी ने अपने निलंबन को तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाने की गुहार इस आधार पर लगाई है कि निलंबन के छह माह बीतने के बाद भी उसको चार्जशीट नहीं दी गई है। राज्य सरकार की सेवा नियमावली के अनुसार किसी भी आरोप में निलंबित किए गए सरकारी कर्मचारी को छह माह के भीतर- भीतर चार्जशीट दिया जाना जरूरी है। यदि इस छह माह की समय सीमा के तहत चार्जशीट नहीं दी जाती है तो आरोपी का निलंबन समाप्त किया जाना चाहिए। औद्योगिक विकास विभाग द्वारा तय सीमा पर चार्जशीट न दिए जाने की गलती का लाभ उठा इस मामले में आरोपी अधिकारी ने हाईकोर्ट नैनीताल में रिट् पेटिशन दाखिल की जिसको संज्ञान में लेते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता के निलंबन पर तत्काल निर्णय ले साथ ही दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के रोके गए वेतन एवं अन्य भुगतान जारी करे।
फ्लैश बैक
एक युवती के साथ पिछले कई महीनों से यह अधिकारी यौन शोषण का प्रयास कर रहा था। उक्त अधिकारी द्वारा युवती के साथ न केवल अश्लील हरकतें की गई बल्कि पोर्न वीडियो भी दिखाई गई और प्यार का झूठा दिखावा कर उसे प्रताड़ित किया गया। यही नहीं बल्कि आरोपी अधिकारी द्वारा युवती को घंटों तक अपने ऑफिस में जबरन बिठाए रखना और अश्लील हरकतें करने के साथ ही निजी अंगों को छूने की नापाक कोशिश करने का मामला सुर्खियों में रहा। ‘दि संडे पोस्ट’ के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार महीनों तक युवती के साथ उक्त आरोपी अधिकारी उत्पीड़न करता रहा। यहां तक कि पीड़िता को उसने अपने कमरे में अकेले बुलाकर न केवल उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की, बल्कि उसे धमकाते हुए कहा कि उसको उसके साथ कहीं बाहर चलना पड़ेगा। आज नहीं तो 6 महीने बाद। यही नहीं बल्कि वह पीड़िता पर जबरन हां कराने को
धमकाने लगा। इस पर जब पीड़िता ने हामी नहीं भरी तो उसने यह कहकर डराने की कोशिश की कि उसकी बात मानोगे तो उसको इस कार्यालय में कोई भी परेशान नहीं करेगा अन्यथा वह उसका नौकरी करना दुश्वार कर देगा। पीड़िता ने अपने इस सीनियर अधिकारी की करतूतों से तंग आकर 17 फरवरी 2021 को इस मामले की शिकायत अपने विभाग के सभी अधिकारियों से की। विशाखा गाइडलाइन के अनुसार कार्यस्थल पर किसी कर्मचारी का उत्पीड़न होने का मामला गंभीर माना जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने देश के सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी तथा असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों खासकर महिलाओं के यौन उत्पीड़न संबंधी शिकायतों के निपटारे के लिए विशाखा गाइड लाइन बनाई थी। 16 बरस बाद इन गाइड लाइन पर आधारित कानून 2013 में ‘महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेद्य एवं निदान) अधिनियम संसद में पारित किया गया। हालांकि जिस तरह से इस मामले में शिकायत होने के डेढ़ साल बाद भी मामले को लटकाया जा रहा था उससे लगता नहीं है कि यहां विशाखा गाइड लाइन का पालन किया गया।
हरिद्वार के एसपी ने भी माना यौन शोषण
यह मामला हरिद्वार के नगर पुलिस अधीक्षक के पास 14 अप्रैल 2021 को पहुंचा। इसके बाद पुलिस के नगर अधीक्षक ने एक रिपोर्ट रुड़की के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को सौंपी है। जिसमें पुलिस अधीक्षक ने कहां है कि रुड़की के राजकीय मुद्रणालय में
कर्मचारियों और अधिकारियों के बयान ले लिए गए हैं। यहां साक्ष्य मिलने के बाद कार्यालय विभाग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार गुप्ता द्वारा पीड़िता को अपने कार्यालय में बुलाना और देर तक बैठाया जाना तथा कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के साथ उनका आचरण प्रथम दृष्टा उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। जिसकी पुष्टि वह मुद्रणालय के कर्मचारियों के बयान के आधार पर कर रहे हैं। इस प्रकरण में पीड़िता द्वारा एक स्पाई कैमरा के द्वारा बनाई गई ऑडियो तथा वीडियो की रिकॉर्डिंग की प्रमाणिकता को लेकर पुलिस स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई बल्कि उन्होंने इस स्पाई कैमरा के ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की प्रमाणिकता को एफएसएल कराए जाने की बात कह दी। यह ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग एक पेन ड्राइव में सुरक्षित रख दिए।
विशेषज्ञ अधिकारियों ने दी जांच रिपोर्ट
यौन शोषण के इस गंभीर मामले की आधा दर्जनों से अधिक लोगों से कराई गई। जांच में सीनियर ऑफिसर को आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई। यह जांच 27 मई 2021 को रुड़की उपजिलाधिकारी ने हरिद्वार जिलाधिकारी को भेज दी थी जिसमें अधिकतर जांचकर्ताओं ने पीड़िता के पक्ष में अपनी राय दी है तथा आरोपी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। ‘दि संडे पोस्ट’ के पास इस मामले में की गई जांच के दस्तावेज मौजूद हैं जिसमें कुल नौ अधिकारियों ने अपनी जांच में जो विवरण दिया है उसके अनुसार राजकीय मुद्रणालय रुड़की के डायरेक्टर सर्वेश कुमार गुप्ता पर पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीर माना गया है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से सर्वेश गुप्ता को दुराचरण का दोषी करार दिया गया। पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने अपनी संस्तुति में लिखा ‘‘जांच के दौरान प्रकरण के संबंध में राजकीय मुद्रणालय रुड़की के कतिपय अधिकारियों/कर्मचारियों के कथन अंकित किए गए हैं, जिनके साक्ष्य अवलोकन से पाया कि कार्यालय विभागाध्यक्ष श्री सर्वेश कुमार गुप्ता द्वारा अकारण ही उक्त महिलाकर्मी को अपने कार्यालय में बुलाना एवं देर तक बैठाया जाता था एवं उनके कार्यालय में अधीनस्थों के साथ आचरण एवं व्यवहार प्रथम दृष्टया उचित प्रतीत नहीं होती है। जिसकी पुष्टि उक्त संबंधित कतिपय कर्मियों के कथनों से हुई है।’’
आरोपी अधिकारी सस्पेंड
11 जून, 2021 का दिन था जब प्रदेश के सचिव औद्योगिक विकास सचिन कुर्वे ने राजकीय मुद्रणालय के अपर निदेशक सर्वेश कुमार गुप्ता को रुड़की स्थित अपने कार्यालय के अधीनस्थ काम करने वाली युवती के योन शोषण मामले में आरोपी मानते हुए सस्पेंड कर दिया था। हालांकि जांच रिपोर्ट में उनको बर्खास्त किए जाने की बात कही गई लेकिन राज्य सरकार किसी के दबाव में ऐसा करने से बचती रही है। प्रदेश के सचिव औद्योगिक विकास सचिन कुर्वे ने युवती द्वारा प्रमाण के बतौर समिति को दिए गए वीडियो क्लिपिंग और पेन ड्राइव को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया।
पेन ड्राइव पाया गया ब्लैंक
पेन ड्राइव को जांच अधिकारियों के समक्ष पेश किया गया। उन्होंने उसको चलाकर देखा। यौन शोषण के गंभीर आरोप उस पेन ड्राइव में स्पष्ट दिखे। इसके बाद पेन ड्राइव को फॉरेंसिक लैब में भेज दिया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिस पेन ड्राइव को सील करके लैब भेजा गया, लेकिन जब वह चंडीगढ़ स्थित लैब में सील से बाहर करके कम्प्यूटर में चलाया गया तो वह ब्लैंक निकला। हो सकता था कि वह करप्ट हो जाता तो इसे तकनीकी खामी मान सकते थे। लेकिन पेन ड्राइव का ब्लैंक पाया जाना किसी साजिश की तरफ इशारा करता है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पेन ड्राइव से डाटा गायब हो जाने वाले प्रकरण में अनु सचिव महावीर सिंह परमार द्वारा अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा को स्पष्टीकरण लेटर जारी किया गया था कि पेन ड्राइव में से डाटा गायब कैसे कर दिया गया। पिछले दिनों इस मामले की राज्य महिला आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान औद्योगिक विकास विभाग के अपर सचिव उमेश नारायण पाण्डे ने आयोग को बताया है कि उन्होंने साक्ष्य तत्कालीन सचिव महोदय के ऑफिस में देखे थे और पेन ड्राइव को भेजने से पूर्व उन्होंने वह अच्छी तरह देखें तथा पेन ड्राइव उन्होंने ही डिस्पैच की। लेकिन साक्ष्य कहां गायब हो गए यह उन्हें पता नहीं। अगर इस दृष्टि से देखें तो अपर सचिव उमेश नारायण पाण्डे और अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा जिनकी अभिरक्षा में समस्त फाइलें रहती हैं और उप सचिव राजेंद्र बिष्ट तीनों ही दोषी हैं। इसकी जांच की जानी जरूरी है।
आख्या उपलब्ध क्यों नहीं करा रहे डीएम
विभागीय अधिकारियों ने आयोग के कड़े रुख के बाद हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पाण्डे को एक पत्र लिखा था जिसमें स्पष्ट आख्या मांगी थी। उसको लगभग 2 महीने बीत चुके हैं। लेकिन हरिद्वार डीएम ने उसमें कोई आख्या शासन को अभी तक उपलब्ध नहीं कराई है। पीड़िता के परिजनों को हरिद्वार डीएम विनय शंकर पाण्डे पर भी इस मामले में निष्पक्ष जांच कराने का संदेह है, वह इसलिए क्योंकि वह पहले विभाग के अपर सचिव और राजकीय मुद्रणालय रुड़की के निदेशक रह चुके हैं।
आरोप पत्र में देरी क्यों
गौरतलब है कि कर्मचारी सेवा नियमावली 2003 के अनुसार अधिकारियों को सस्पेंड करने के 6 महीने के अंदर आरोप पत्र दाखिल करना जरूरी होता है। इस दौरान सस्पेंड अधिकारी को 50 प्रतिशत वेतन दिया जाता है। अगर छह महीने बाद भी आरोप पत्र दाखिल न हो तो फिर 75 प्रतिशत वेतन दिए जाने का नियम है। लेकिन रुड़की यौन शोषण प्रकरण में आरोपी अधिकारी सर्वेश कुमार गुप्ता को सस्पेंड हुए एक साल पांच महीने हो गए हैं। इस दौरान आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल न कर उसे अपरोक्ष रूप से फायदा पहुंचाया जा रहा है। यह तब है जब 9 विभागों के विशेषज्ञ अधिकारियों ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट दे दी है। यह जांच रिपोर्ट दिए भी एक साल से अधिक का समय हो गया है। आरोप पत्र में देरी का प्रमुख कारण तत्कालीन विभागीय मंत्री गणेश जोशी द्वारा अनुमोदन न देना रहा है।
एक्सटेंशन की टेंशन
पीड़िता का पिछला एक्सटेंशन दिसंबर 2021 में समाप्त हो गया था। उसके बाद फरवरी में तत्कालीन सचिव अमित नेगी के माध्यम से एक्सटेंशन आगे बढ़ाने के लिए अपर सचिव को पत्र भेजा गया। लेकिन उन्होंने फाइल बढ़ाने के बजाय आयोग में जवाब दिया कि आचार संहिता चल रही थी उसके चलते इनका एक्सटेंशन नहीं बनाया जा सका। इस बहाने के साथ ही दिसंबर 2021 से लेकर मई 2022 तक पीड़िता का एक्सटेंशन नहीं बढ़ाया गया। यही नहीं बल्कि उन्हें 5 महीने तक वेतन भी नहीं दिया गया। इसको लेकर पीड़िता ने महिला आयोग में अपील की। उसके तुरंत बाद महिला आयोग ने विभागीय अधिकारियों को जवाब तलब किया। लेकिन आयोग के सामने प्रस्तुत होने से पहले ही पीड़िता के एक्सटेंशन भी कर दिए गए और वेतन भी आहरित हो गया। गत 23 मई को अपर सचिव उमेश नारायण पाण्डे, उप सचिव राजेंद्र बिष्ट, अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा और सर्वेश कुमार गुप्ता आयोग के सामने प्रस्तुत हुए। जहां अपर सचिव उमेश नारायण पाण्डे ने कहा कि हमने एक्सटेंशन कर दिया है जबकि एक्सटेंशन आयोग के नोटिस जाने के बाद किया गया। विभागीय अधिकारियों ने गत महीने मई में जो एक्सटेंशन आदेश किए वह जनवरी से 30 जून तक के लिए किए थे। इसके बाद जब महिला आयोग की अध्यक्ष ने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा और पूछा कि इस मामले में क्या प्रगति हुई है तथा इस पर कार्यवाही जानने के लिए 13 जुलाई 2022 को आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा तो जून 30 जून तक जो एक्सटेंशन ऑर्डर था उसे 22 जून को ही 3 महीने या फिर इस केस को फाइनल करने तक जो भी पहले होगा तब तक के लिए कर दिया गया है।
महिला आयोग हुआ सख्त
महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस प्रकरण पर 30 मई को अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वेश कुमार गुप्ता के खिलाफ आरोप सिद्ध होने के बाद भी वर्तमान समय तक शासन स्तर पर कार्यवाही चल रही है। साथ ही उन्होंने पीड़िता और आरोपी का वेतन आहरित न करने की बात पर सवाल खड़े किए। इसके बाद उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी हरिद्वार का ध्यान भी इस तरफ दिलाया कि सचिव स्तर से जो जांच आख्या का पुन निरीक्षण करने के लिए पत्र लिखा जा चुका है उस पर जल्द कार्यवाही हो। पीड़िता की संबद्धता अवधि बढ़ाने के साथ ही उन्होंने महिला आयोग के समक्ष प्रदेश के संबंधित विभाग के सचिव की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जताई। सचिव द्वारा आयोग में अनुपस्थित न होने संबंधी कोई लिखित सूचना न देने को भी कुसुम कंडवाल ने अत्यंत निंदनीय और अशोभनीय माना है।
सवालों के घेरे में औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारी
सचिव पंकज पांडेय
- इस प्रकरण पर महिला आयोग से नोटिस आने पर ही आप लोगों द्वारा कार्यवाही क्यों की गई, उससे पहले विभागीय सचिव होने के नाते इस प्रकार के गंभीर प्रकरणों पर आपने स्वत संज्ञान क्यों नहीं लिया
- आपके विभाग के अपर सचिव, अनुभाग अधिकारी, उपसचिव सभी अधिकारियों के तार सर्वेश गुप्ता को बचाने के लिए जुड़ रहे हैं उसके बाद भी आप मूकदर्शक क्यों बने हुए हैं।
- क्या यह सच नहीं है कि सर्वेश गुप्ता ने आपके ऊपर भी दबाव बनाने के लिए आप को अप्रोच किया था
- इतना गंभीर प्रकरण होने के बाद भी आपके अपर सचिव और अन्य अधिकारियों द्वारा
जिलाधिकारी हरिद्वार से स्पष्ट राय मांगने का एक पत्र जारी कर दिया जबकि जिलाधिकारी हरिद्वार के निर्देशों पर ही गठित 9 सदस्य कमेटी ने पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है - राजकीय मुद्रणालय रुड़की के कर्मचारियों ने भी सर्वेश कुमार गुप्ता के विपक्ष में सारे कथन दिए हैं आपके इस प्रकार हाथ पर हाथ रखे रहने से क्या विभाग में कई प्रकार के प्रकरण नहीं होंगे
जवाब : इस मामले में हमने जिलाधिकारी हरिद्वार को फिर से एक पत्र भेजा है। जिसमे हमने उनकी इस संबंध में स्पष्ट आख्या मांगी है। उन्होंने पूर्व में 9 सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट पर कोई डिसीजन नहीं लिया है कि आरोपी पर आरोप सिद्ध होते हैं या नहीं। जब तक वह इस पर स्पष्ट आख्या नहीं देंगे तब तक कोई डिसीजन नहीं लिया जा सकता है। जैसे ही जिलाधिकारी जी की आख्या आ जाएगी हम कार्यवाही कर देंगे)
अपर सचिव उमेश नारायण - क्या आपने बतौर डायरेक्टर राजकीय मुद्रणालय का दौरा किया
- इससे पूर्व भी एक लड़की ने सर्वेश गुप्ता पर आरोप लगाए थे उस प्रकरण में आपने क्या कार्यवाही की
- पीड़िता के महिला आयोग जाने से पहले आपने उसकी देहरादून में संबद्धीकरण अवधि का विस्तार क्यों नहीं किया
- आपने महिला आयोग में बयान दर्ज कराए हैं कि जो पेन ड्राइव जिसमें सबूतों को छेड़ा गया है उसे आपने देखा आपने ही डिस्पैच किया इसका क्या मतलब समझा जाए? यह कि आपने ही उसके साथ छेड़खानी की है या वह कोई और है जो पीड़िता के सबूतों को नष्ट करना चाहता है
- पेन ड्राइव से डाटा ब्लैंक करने वाले मामले में अनु सचिव ने आपके अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा को स्पष्टीकरण का नोटिस दिया है, इसका अभिप्राय क्या है
- आपको ऐसा नहीं लगता है कि आप अपने अधीनस्थ उपसचिव राजेंद्र बिष्ट और अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा को बचाने का प्रयास कर रहे हैं
जवाब : हम मीटिंग में है, बात नहीं कर पाएंगे
उपसचिव राजेंद्र सिंह बिष्ट
- जब आपको ज्ञात था कि पीड़िता जिला उद्योग केंद्र देहरादून में संबद्ध है तब भी आपने राजकीय मुद्रणालय रुड़की के संयुक्त
निदेशक और जिला उद्योग केंद्र के महा प्रबंधक से पीड़िता की वर्तमान स्थिति क्या है पूछा था, ऐसा क्यों
- पीड़िता कहां पर तैनात है और इनकी समृद्धिकरण की अवधि समाप्त कब हुई है यह जानने के लिए आपने पत्राचार किया, क्या यह पत्राचार आपने मानसिक उत्पीड़न करने के लिए और पीड़िता के ऊपर दबाव बनाने के लिए नहीं किया
- तत्कालीन उद्योग सचिव राधिका झा द्वारा उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल को पीड़ितों का संबंधीकरण स्थाई रूप से जिला उद्योग केंद्र देहरादून में करने के लिए निर्देशित किया था, उस पर आपका क्या एक्शन रहा
- जिला उद्योग केंद्र देहरादून और निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल के कार्यालय से उक्त प्रकरण में समृद्धिकरण हेतु आपको संबोधित पत्र भेजा गया था उस पर आप ने क्या
कार्रवाई की
- आरोपी सर्वेश कुमार गुप्ता ने 19 फरवरी 2021 को अपने वीआरएस (स्वैच्छिक
सेवानिवृत्ति) के लिए पत्र दिया और 23 फरवरी 2021 यानी चार दिन बाद ही आपके द्वारा गवर्मेंट प्रेस रुड़की को पत्र लिखकर गुप्ता का सरकार के ऊपर कोई देय तथा उनसे संबंधित कोई कार्यवाही प्रचलित नहीं है, का पत्र कैसे जारी कर दिया गया
जवाब : अभी जांच चल रही है, हम कुछ नहीं बता पाएंगे। सचिव साहब से ही बात कीजिए)
अनुभाग अधिकारी आशीष मिश्रा - आरोपी सर्वेश कुमार गुप्ता की फाइल आपके वहां तत्काल प्रभाव से चलती है और पीड़ितों की फाइल को चलाने में आप लोग समय लगाते हैं ऐसा क्यों
- जो पेन ड्राइव सचिव सचिन कुर्वे के ऑफिस से आपको दी गई थी उसमें से डाटा गायब कैसे हुआ
- फॉरेंसिक लैब चंडीगढ़ द्वारा यह कहां जाना कि इस पेन ड्राइव में कुछ भी डाटा नहीं मिला इसका मतलब क्या है
- अनुभाग अधिकारी होने के नाते समस्त
फाइलें और दस्तावेज आपकी अभिरक्षा में संरक्षित होते हैं तो क्या ऐसे में यह आप की नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि आप उस दस्तावेज को सुरक्षित रखें संभाल कर रखते
जवाब : मैं इस मामले में कुछ नहीं कहूंगा। क्योंकि अगर कल को कुछ हो गया तो मैं क्या जवाब दूंगा। इस संबंध में हमारे सचिव साहब पंकज पांडेय ही जवाब दे सकते हैं)