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Uttarakhand

चक्के जाम, वाहन स्वामियों की चिंता बरकरार

  •        गोपाल बोरा

हल्द्वानी से लेकर शांतिपुरी तक गौला प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष तौर पर करीब एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाती है। यही वजह है कि गौला के खनन कारोबार से हल्द्वानी बाजार की रौनक बनी रहती है। लेकिन इस बार स्थिति उलट नजर आ रही है। ‘एक राज्य एक रॉयल्टी’ की मांग को लेकर खनन व्यवसाय से जुड़े वाहन स्वामी और खनन कारोबारियों का पिछले 3 महीने से धरना प्रदर्शन चल रहा था। जिसमें 12 जनवरी को धामी सरकार द्वारा रॉयल्टी की दरें कम करने के साथ ही एक पक्ष जिनमें खनन कारोबारी थे, ने आंदोलन से अपने हाथ खींच लिए हैं। स्टोन क्रेशर की लाइफ लाइन डंपर एसोसिशन के बैनर तले सैकड़ों वाहन स्वामी अभी भी धरने पर बैठे हैं। वाहन स्वामियों ने खनन कारोबारियों से आरबीएम ढुलाई 35 रुपए प्रति क्विंटल की मांग की है। खनन कारोबारियों और वाहन (डंपर) स्वामियों के विरोध से प्रशासन की दिक्कत बढ़ गई है। गौला नदी में कुल 7450 वाहन हर साल चलते हैं। गौला में खनन नहीं हुआ तो सरकार को एक दिन में करीब डेढ़ करोड़ तक के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। अभी भी प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों वाहन स्वामियों का कहना है कि 7000 वाहन और 1100 घोड़ा बग्गी गोला नदी में पंजीकृत हैं 3000 से अधिक वाहन स्वामी नंधौर नदी में पंजीकृत हैं। 25000 मजदूर दोनों नदियों में काम करते हैं 500 करोड़ का व्यापार इन नदियों के चलने से होता है। कई हाथों को रोजगार नहीं है। ऐसे में इस बार वाहन स्वामियों के घरों में चूल्हे न। जलने की नौबत पैदा हो रही है। लेकिन इस ओर गंभीरता से कोई ध्यान नहीं दे रहा। वाहन स्वामियों का कहना है कि गौला के खुले रहने के सिर्फ चार महीने बचे हैं। 31 मई को गौला की निकासी बंद हो जाती है। 7 दिसंबर 2022 को प्रशासन आंवलाचौकी, गोरापड़ाव, बेरीपड़ाव और लालकुआं गेट को खनन निकासी के लिए खोल दिया था। वन क्षेत्राधिकारी गौला चंदन सिंह अधिकारी, डीएलएम खनन हल्द्वानी वाईके श्रीवास्तव ने विधिवत शुभारंभ किया था। लेकिन वाहन स्वामियों के विरोध के चलते पहले दिन एक भी वाहन खनन को नहीं पहुंचा।

रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट से मिले समिति के सदस्य

बताया जा रहा है कि गौला में चलने वाले 90 प्रतिशत वाहन 15 साल से पुराने हैं। ग्रीन टैक्स की वजह से फिटनेस शुल्क काफी बढ़ चुका है। जीपीएस, बीमा, परमिट, टैक्स, नंबर प्लेट बदलवाने समेत अन्य खर्चे मिलाकर करीब 90 हजार रुपए लग रहे हैं। दूसरी तरफ परिवहन विभाग ने ग्रीन टैक्स को दस गुना बढ़ा दिया है। पहले 1440 रुपए फिटनेस शुल्क था इस बार ग्रीन टैक्स की आड़ में इसे 10 गुना बढ़ाकर 14,400 रुपए कर दिया है। इसके अलावा आरटीओ विभाग की ओर से जीपीएस 7,500 रुपए में लगाया जा रहा है यही जीपीएस सिस्टम बाजार में 1850 रुपए में लग रहा है इस तरह नदी में उतरने से पहले ही वाहन स्वामियों को हजारों रुपए का आर्थिक नुकसान है। वहीं, नदी में खनन के लिए उतरने के बाद इस बात की भी गारंटी नहीं है कि स्टोन क्रशर वाले माल खरीदेंगे भी या नहीं।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गौला में जनवरी 2013 में मिली 10 साल की खनन अनुमति 22 जनवरी 2023 में खत्म हो चुकी थी। ऐसे में वाहन स्वामियों के बीच असमंजस और बढ़ गया था। गौला नदी में 22 जनवरी से लीज अवधि खत्म होने के बाद से खनन बंद था। हालांकि लीज अवधि 28 फरवरी तक विस्तारीकरण को लेकर सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद सरकार की तरफ से खनन शुरू हो गया है। लेकिन बहुत कम स्तर पर खनन शुरू हुआ। इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि कई दिन बीत जाने के बाद भी 28 जनवरी तक गौला के शीश महल गेट से महज 336 वाहनों से खनिज निकासी हुई है। अभी भी गौला के दस गेट बंद हैं। बताया जा रहा है कि राजपुरा गेट से कुछ वाहनों की निकासी की बात थी लेकिन वहां भी खनन नहीं हो सका है।

बात अपनी-अपनी
डंपर एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी एक प्रदेश एक रॉयल्टी नियम को प्रदेश में लागू करने को लेकर डंपर एसोसिएशन के नेतृत्व में 2 विधायकों, कालाढूंगी के विधायक बंशीधर भगत और रामनगर के विधायक दीवान सिंह बिष्ट के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे। जहां रॉयल्टी की दरें कम करने समेत कई महत्वपूर्ण खनन से जुड़ी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा तथा समस्या का त्वरित गति से निराकरण की मांग की थी। जिस पर मुख्यमंत्री ने न केवल उन्हें सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया बल्कि उनकी मांग भी मांग ली थी। लेकिन वाहन स्वामियों की मांग अभी भी बरकरार है। परिवहन विभाग द्वारा जीपीएस सिस्टम लगाने के लिए मोटी रकम साढ़े 7 हजार रुपए निर्धारित कर दी है, जबकि बाजार में जीपीएस सिस्टम 12 से 15 सौ तक का लगाया जा रहा है। इसके अलावा परिवहन विभाग द्वारा पूर्व में गाड़ियों की फिटनेस 14 सौ रुपए में की जा रही थी, वही फिटनेस अब 14 हजार 5 सौ रुपए में की जा रही है। हालांकि डंपर स्वामियों की इन मांगों का परिवहन विभाग को छोड़कर सरकार से सीधा संबंध नहीं है। यह मांग स्टोन क्रेशर मालिकों से है कि वे उनके डंपर की आरबीएम ढुलाई की कीमत 35 रुपए प्रति कुंतल दे। इसी 35 रुपए में वाहन स्वामी लेबर, डीजल और ड्राइवर का खर्च भी शामिल है। पिछली बार इस मामले में नैनीताल के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में वाहन स्वामियों और स्टोन क्रेशर मालिकों के बीच आरबीएम ढुलाई की कीमत 31 रुपए प्रति कुंतल तय हुई थी। लेकिन उन्हें 26 से 28 रुपए प्रति कुंतल दी गई थी। अबकी बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
इंद्र सिंह बिष्ट, अध्यक्ष, डंपर एसोसिएशन उत्तराखण्ड

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