- भारती पाण्डेय
कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल की पूर्व की लापरवाहियों के कारण छात्रों को बिना एक दिन की पढ़ाई के परीक्षाएं देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया था और पूरे देश में मध्यमवर्गीय छात्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुए थे। अन्य कई राज्यों की ही तरह उत्तराखण्ड में भी महामारी और लॉकडाउन के समय बिना हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कर अगली कक्षा में प्रोन्नत कर दिया था। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटीज ने ऑनलाइन माध्यम से पठन-पाठन का कार्य सुचारू रखने के बाद ऑनलाइन माध्यम से ही परीक्षाएं आयोजित करवाईं और कई यूनिवर्सिटीज ने असाइनमेंट्स के आधार पर छात्रों को अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत कर दिया। कुमाऊं यूनिवर्सिटी में भी ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर अंतिम सेमेस्टर के छात्रों को छोड़कर अन्य सभी सेमेस्टर के छात्रों को असाइनमेंट्स के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत कर दिया था। लेकिन कुमाऊं यूनिवर्सिटी ने प्रोन्नत किए जाने के निर्णय लेने में काफी समय लिया। पहले परीक्षाएं स्थगित कर कुछ समय बाद आयोजित कराने का निर्णय लिया गया और परीक्षाओं की तिथि भी जारी कर दी गई लेकिन कोरोना केस में लगातार हो रही वृद्धि और लॉकडाउन के कारण परीक्षाएं आयोजित नहीं हो सकीं। फिर एक लंबी अवधि व्यर्थ जाने के बाद अंततः यूनिवर्सिटी ने अंतिम सेमेस्टर के छात्रों को छोड़कर अन्य सभी सेमेस्टर के छात्रों को असाइनमेंट जमा कर प्रोन्नत किया गया।
प्रोन्नत किए जाने के बाद अगले सेमेस्टर में प्रवेश प्रदान किया गया और ऑनलाइन माध्यम से ही अगले सेमेस्टर की कक्षाएं आयोजित कराई जाने लगीं। इसके बाद कुमाऊं यूनिवर्सिटी ने लॉकडाउन के बाद परीक्षाओं की तिथि घोषित की और अधिकतम परीक्षाएं संपन्न करा दी गई लेकिन परीक्षाओं के दौरान पुनः महामारी की दूसरी लहर आने से शेष परीक्षाएं पहले स्थगित की गई और फिर रद्द कर छात्रों को प्रोन्नत कर दिया गया। अगले सेमेस्टर में पुनः स्थितियां दोहराई गई और काफी समय व्यर्थ होने के बाद एक बार पुनः छात्रों को असाइनमेंट्स के आधार पर अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत कर दिया गया। परीक्षाओं और प्रोन्नत किए जाने के संदर्भ में यूनिवर्सिटी में भारी असमंजस की स्थिति बनी रही जिस कारण छात्रों के समय की एक लंबी अवधि व्यर्थ चली गई।
लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं से बड़ी संख्या में छात्र वंचित रहे और इसके बाद भी लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी कुमाऊं यूनिवर्सिटी के सोबन सिंह जीना कैंपस अल्मोड़ा जैसे महाविद्यालय भी ऑफलाइन कक्षाओं को नियमित रूप से सुचारू नहीं चला सके। हालांकि अल्मोड़ा महाविद्यालय 2019 में एक अलग विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया है परन्तु कुमाऊं यूनिवर्सिटी से संबद्ध एक सेमेस्टर के छात्र यहां अभी अध्ययनरत हैं। अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के अंतर्गत पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत के महाविद्यालय शामिल हैं। परंतु अल्मोड़ा समेत इन सभी महाविद्यालयों में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के एक सेमेस्टर के छात्र अभी भी अध्ययनरत हैं। सामान्यतः सभी विश्वविद्यालयों में मई अथवा जून में परीक्षाफल जारी होकर जून और जुलाई के माह में नए प्रवेश की प्रक्रियाएं आरम्भ हो जाती हैं परंतु कुमाऊं विश्वविद्यालय इसमें असफल हुआ है। जब सभी विश्वविद्यालयों में नए प्रवेश आरम्भ हो चुके हैं तब कुमाऊं विश्वविद्यालय ग्रेजुएशन के अंतिम अर्थात् छठे सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करा रहा है जिस कारण छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा छठे सेमेस्टर के विद्यार्थियों को बिना एक दिन की भी पढ़ाई करवाए परीक्षाएं देने पर बाधित किया है। कुमाऊं यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन माध्यम से 22 जून 2022 को पांचवें सेमेस्टर का परीक्षाफल घोषित किया था और उसके बाद 9 जुलाई तक छठे सेमेस्टर में प्रवेश प्रक्रिया संचालित की थी। छात्रों को प्रवेश लेते ही परीक्षा के लिए आवेदन करना पड़ा क्योंकि कुमाऊं यूनिवर्सिटी ने जब 22 जून को पंचम सेमेस्टर का परीक्षाफल जारी किया था उसके ठीक अगले दिन अर्थात् 23 जून को षष्टम सेमेस्टर की परीक्षा तिथि भी घोषित कर दी। घोषित तिथि के अनुसार षष्टम सेमेस्टर की परीक्षाएं 11 जुलाई से आरंभ करने की घोषणा की गई। बिना एक दिन की भी कक्षाएं संचालित किए परीक्षा कराए जाने से छात्रों तथा शिक्षकों में आक्रोश था जिस कारण यूनिवर्सिटी ने एक बार पुनः संज्ञान लेकर परीक्षाओं को 45 दिनों तक स्थगित करने की घोषणा की थी। परीक्षाएं स्थगित होने के बाद उन छात्रों के समक्ष संकट आ गया जिन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए किसी अन्य विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। एक बार पुनः विरोध गर्माने लगा और यूनिवर्सिटी ने तिथि को लेकर एक बार पुनः घोषणा की और तय किया कि जो छात्र 11 जुलाई से आयोजित हो रही परीक्षाओं में शामिल होना चाहें वे परीक्षाएं दे सकते हैं और शेष 45 दिनों बाद आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
कुमाऊं यूनिवर्सिटी द्वारा ऐसे निर्णयों को देखते हुए छात्र निराश हैं क्योंकि महामारी, लॉकडाउन आदि के चलते पूरा समय व्यवधान में रहा। उत्तराखण्ड छात्र संगठन ने इस विषय पर यूनिवर्सिटी पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी की लापरवाहियों का दुष्परिणाम विद्यार्थियों को झेलना पड़ रहा है और यूनिवर्सिटी ने अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कोई गंभीरता नहीं रखी है। कुमाऊं यूनिवर्सिटी, सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा के छात्र लोकेश मेहता का कहना है कि बिना पढ़ाई के परीक्षाएं आयोजित कराने से वे भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कुमाऊं यूनिवर्सिटी, सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा की एक अन्य छात्रा निशा का कहना है कि विश्वविद्यालय ने कोविड के दौरान परीक्षाओं को लेकर समय पर कोई निर्णय नहीं लिया और अब बिना पढ़ाई के हम लोग परीक्षाएं देने के लिए बाध्य हैं क्योंकि यदि अभी परीक्षाएं नहीं दी तो आगे की पढ़ाई बाधित होगी और एक साल बर्बाद होगा।