[gtranslate]
Uttarakhand

गरीब जनता के मालदार मेयर

हाकम सिंह का नाम भर्ती घोटाले में आने के बाद भाजपा के एक और बड़े नेता सुनील उनियाल गामा को लेकर विपक्ष हमलावर है। गामा पर देहरादून नगर निगम का मेयर रहते आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं। गामा को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का चहेता नेता बताया जाता है। हाकम सिंह के बाद गामा ऐसे दूसरे नेता हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भाजपा का संकट बढ़ गया है

देहरादून नगर निगम के मेयर सुनील उनियाल जिनका उपनाम गामा है आजकल चर्चाओं में हैं। कहा जा रहा है कि मेयर बनने के बाद उन्होंने अपने और परिजनों के नाम से करोड़ों की बेहताशा संपत्तियां अर्जित की है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किए गए प्रमाणों में यह मामला सामने आने के बाद विजिलेंस विभाग में शिकायत तक दर्ज की जा चुकी है। इसके चलते मेयर और भाजपा संगठन सकते में आ गया है। अब भाजपा और मेयर के समर्थक इसे मेयर की लोकप्रियता से घबरा कर विरोधियों का षड्यंत्र बता मामले को राजनीतिक आरोप बता रहे हैं। कांग्रेस लंबे समय से नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर मुखर रही है। आने वाले समय में नगर निगम के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा मानकर भाजपा सरकार और नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने प्रेस वार्ता करके मेयर पर गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार से कार्यवाही करने की मांग की है। उक्रांद ने मेयर का पुतला फूंक सरकार पर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

गौरतलब है कि देहरादून के अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता विकेश सिंह नेगी ने इस मामले को उठाते हुए देहरादून नगर निगम के मेयर गामा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए हैं। आरोप की प्रमाणिकता के लिए उनके द्वारा गामा मेयर बनने के तुरंत बाद अपने और अपनी पत्नी तथा अपने पुत्र के नाम पर करोड़ों रुपए की 11 संपत्तियों की खरीद के प्रमाणों को सामने रखते हुए इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी है। मेयर सुनील उनियाल गामा पर आरोप है कि उन्होंने महज साढ़े चार साल के कार्यकाल में जमकर भ्रष्टाचार किए। करोड़ों की संपत्तियां खरीदीं। यहां तक कि स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए उनकी कीमत कम दर्शाई गई। इन संपत्तियों का बाजार मूल्य 20 करोड़ से भी अधिक है।

जानकारी के अनुसार नगर निगम मेयर के पद के चुनाव के समय निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथ पत्र में गामा की वार्षिक आय महज दस लाख सालाना बताई गई थी जिसमें 9 हजार 113 रुपए का आयकर दिए जाने का उल्लेख किया गया है। साथ ही शपथ पत्र में तत्कालीन समय में कई संपत्तियों का भी विवरण दिया गया है। गामा के शपथ पत्र के अनुसार विकास नगर तहसील के छरबा गांव में 12600 वर्ग गज तथा 4500 वर्ग गज के भूखंडों का उल्लेख किया गया है। जिनका मूल्य 63 लाख बताया गया है। इसी तरह देहरादून के बंजारावाला में 260 वर्ग गज, काला गांव 200 वर्ग गज तथा डोभालवाला में 200 और 333 वर्ग गज के भूखंडों का उल्लेख किया गया है। इन सभी भूखंडों की कुल कीमत शपथ पत्र में लगभग सवा दो करोड़ रुपए बताई गई।

मेयर बनने के चार वर्ष भीतर ही गामा ने अपने और अपने परिजनों के नाम कुल 11 संपत्तियां खरीदी है जिनकी कीमत 5 करोड़ 32 लाख बताई गई है जबकि इन सभी संपत्तियों का बाजार मूल्य 20 करोड़ से भी ज्यादा बताया जा रहा है। 22 सितबंर 2018 सुनील उनियाल ने रीता बहुगुणा पत्नी देवी प्रसाद बहुगुणा से 12 लाख की लागत से भूखंड खरीदा। इसमें गोर करने वाली बात यह हे कि 22 अक्टूबर 2018 को निर्वाचन आयोग को शपथ पत्र दिया गया जिसमें इस संपत्ति का उल्लेख नहीं किया गया। आरोप है कि मेयर द्वारा निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथ पत्र में इस संपत्ति को छुपाया गया है जबकि शपथ पत्र से एक माह पूर्व ही इस संपत्ति को खरीदा गया था।

इसके अलावा गामा ने 29 अप्रैल 2019 को दीप्ती बनर्जी से 1 करोड़ 62 लाख 38 हजार की संपत्ति अपने नाम से खरीदी। 3 अगस्त 2019 को अमित भाटिया से 68 लाख की संपत्ति खरीदी तो 30 नवंबर 2022 को कमल दुरेजा से 74 लाख की संपत्ति खरीदी। मेयर सुनील उनियाल गामा ने पत्नी शोभा उनियाल के नाम से 24 जनवरी 2022 को शीला बहुगुणा पत्नी देवी प्रसाद बहुगुणा से एक बार फिर 31 लाख की संपत्ति खरीदी गई।
यही नहीं सुनील उनियाल गामा के सुपुत्र शाश्वत उनियाल के नाम से 17 अगस्त 2020 से लेकर 17 फरवरी 2022 तक 6 संपत्तियां खरीदी गईं। जिनमें मदन लाल गुल्हाटी, सरला देवी पत्नी गोबिंद सिंह से दो संपत्तियां खरीदी गई। जिनकी कुल कीमत 53 लाख है। 17 फरवरी 2022 को जगदीश प्रसाद से एक साथ चार संपत्तियां को खरीदा गया। इन चारों संपत्तियों की कुल कीमत 94 लाख दर्शाई गई है। एक ही दिन में एक साथ चार-चार संपत्तियां को गामा ने अपने पुत्र के नाम खरीदा। इनमें एक संपत्ति का साझेदार गौरव जैन भी है। 17 अगस्त 2020 को मदन लाल गुल्हाटी से खरीदी गई संपत्ति में भी संजीव वार्ष्णेय को साझेदार बनाया गया है। इन सभी संपत्तियों की कुल कीमत 4 करोड़ 94 लाख 93 हजार दर्शाई गई है।

आरोप यह भी है कि मेयर द्वारा अपने पुत्र को लीज पट्टा दिलवाने के लिए पद का दुरुपयोग किया है। 16 मार्च 2019 को 29 वर्ष तथा 18 अक्टूबर 2019 को 29 वर्ष की की अवधि के लिए दो संपत्तियों को लीज पट्टा दिए जाने का भी उल्लेख है। साथ ही 19 फरवरी 2020 को फिर से गुरू रामराय दरबार द्वारा गामा के पुत्र को 99 वर्ष की लीज पर पट्टा दिया गया है। आरोप है कि इन पट्टों की शर्तों में यह उल्लेख किया गया है कि पट्टां की अवधि पूरी होने क बाद स्वतः ही लीज अवधि बढ़ जाएगी। इसी तरह से 99 वर्ष की अवधि का लीज पट्टा भी दिया गया है। अधिवक्ता नेगी का आरोप है कि गुरुराम राय दरबार द्वारा नगर निगम में संपत्ति कर नहीं चुकाया गया है जिसके लिए मेयर द्वारा अपने पुत्र के नाम तीन-तीन संपत्तियों का पट्टा दरबार साहिब से लिया गया है और शर्तें भी अपने अनुरूप रखी गई है, जो कि सरासर पद का दुरुपयोग का मामला बनता है।
ऐसा नहीं है कि मेयर पर यह आरोप पहली बार लगे हैं, बल्कि इससे पहले भी अपनी पत्नी को विधानसभा सचिवालय में बैक डोर से भर्ती करवाने तो अपनी पुत्री को पीआरडी के तहत सरकारी विभाग में अधिकारी के पद पर भी तैनात करवाने के आरोप लग चुके हैं।

त्रिवेंद्र के चहेते नेता
भाजपा और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मजबूत चुनावी रणनीति के चलते गामा ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे दिनेश अग्रवाल को मतों के बड़े भारी अंतर से हराया और मेयर बने। मेयर बनने के बाद गामा का राजनीतिक कद और भाजपा में असर और भी बढ़ने लगा। त्रिवेंद्र सरकार के दौरान गामा की राजनीतिक ताकत बेहद मजबूत मानी जाने लगी। लेकिन जिस तरह से राजनीतिक ताकत बढ़ी उससे नगर निगम की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होते रहे। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में बेहद धीमी गति से चल रहे थे। तब मेयर साहब ने इस पर कभी एक शब्द भी नहीं कहा। लेकिन जैसे ही नेतृत्व परिवर्तन हुआ और प्रदेश में पुष्कर सिंह धामी की सरकार बनी तो मेयर भी नई सरकार और नए निजाम को अपनी आंख दिखाने लगे। तब वे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के धीमी गति और ठेकेदारों पर सवाल खड़े करने लगे। इसके बाद नए निजाम ने बड़ा बदलाव किया और स्मार्ट सिटी के कार्यों के लिए एक सीमा तय कर दी गई। जिसके बाद कार्यों में तेजी आई। इस वर्ष राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं और ऐसे समय में भाजपा के मेयर पर आय से अधिक संपत्तियों के खरीदने के आरोप लगने से भाजपा संगठन और सरकार दोनों ही सकते में हैं।

सफाई में नहीं सच्चाई!
देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है जिसमें वह बार-बार यह कहते सुनाई देते हैं कि मैंने चुनावी शपथ पत्र में अपनी संपत्तियां दो-ढाई करोड़ दिखाई है। उनकी यह सफाई ही सवालों के घेरे में आ गई है। लोगों का कहना है कि जो जनप्रतिनिधि बार-बार यह कह रहा है कि उसने अपनी संपत्ति दो-ढाई करोड़ की दिखाई तो क्या यह समझा जाए कि दिखाने और असल में भी कुछ गोलमाल हुआ है। लोग मेयर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के फेसबुक लाइव पर भी उनकी घेराबंदी करते दिख रहे हैं। अधिकतर का कहना है कि संवाददाता सम्मेलन में जो उनके द्वारा अपनी सफाई में बात कही गई है उनमें सच्चाई नहीं है, उनकी कथनी और करनी में अंतर है।

बात अपनी-अपनी
मेयर सुनील उनियाल ने मेयर बनते ही अपने और अपने परिवार के लोगों के लिए जो संपत्ति खरीदी है उसकी कीमत बाजार मूल्य से कम दिखाई गई है। इसमें स्टाम्प ड्यूटी को बचाने के लिए किया गया प्रतीत होता है। मेयर ने गुरु रामराय दरबार से अपने पुत्र के लिए तीन पट्टे लिए हैं जिनमें शर्तें इस तरह से रखी गई हैं कि वह संपत्ति आजीवन मेयर के पुत्र और उसके परिजनों के ही स्वामित्व में रहेगी। गुरु रामराय दरबार ने संपत्ति कर नहीं चुकाया है जिसकी एवज में मेयर ने अपने पुत्र के लिए पट्टे लिखवाए हैं इसकी भी जांच होनी चाहिए। निर्वाचन आयोग में दिए गए शपथ पत्र में एक संपत्ति को भी छुपाया गया है जो कि निर्वाचन आयोग के अनुसार गलत जानकारी के तहत आता है। मैंने विजिलेंस को सभी प्रमाणों के साथ शिकायत की है।
विकेश नेगी, अधिवक्ता और आईटीआई कार्यकर्ता

जब मेयर साहब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे तो मैंने सोचा था कि वह अपनी सफाई में कुछ एवीडेंस देंगे। जब उन्होंने चाऊमीन बेची इतने कारोबार किए तो कहीं आयकर रिटर्न तो भरी होगी। लेकिन ऐसा कोई एवीडेंस वे नहीं दे पाए। मीडिया के सवालों के भी जवाब उनसे नहीं दिए गए।
करण माहरा, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस

यह निजता का मामला है। कांग्रेस अपना जनाधार सिमटता देखकर ऐसा आरोप लगा रही है। कांग्रेस भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र करके झूठे आरोप लगा रही है जबकि ऐसा कुछ नहीं है।
मनवीर सिंह चौहान, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

यह कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं भाजपा का चाल-चरित्र और चेहरा आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त है। सुनील उनियाल गामा मेयर बनते ही करोड़ों की संपत्तियां खरीदने में जुट जाते हैं जबकि उनकी इनकम इतनी नहीं है। भ्रष्ट सरकार का भ्रष्ट शासन और भ्रष्ट भाजपा का भ्रष्ट मेयर। जब तक सरकार अपने इस भ्रष्ट मेयर और नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं करेगी तब तक कांग्रेस चुप नहीं रहने वाली।
गरिमा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

नगर निगम पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। इसका पूरा प्रशासन भी घोटालों और अनियमितताओं से चार सालों तक चर्चाओं में रहा है। मेयर सबसे बड़े भ्रष्टाचारी हैं। इसकी संपत्तियों की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
शिव प्रसाद सेमवाल, प्रवक्ता, उक्रांद

नगर निगम कमीशनखोरी का अड्डा बना हुआ है। हर काम में कमीशन खोरी इसका सिद्धांत बन गया है। मेयर की सभी संपत्तियों की जांच होनी चाहिए। मेयर बनने से पहले भी किस तरह से इतनी संपत्तियां खरीदी गईं। इसकी भी निष्पक्ष जांच होगी तो बहुत बड़ा मामला सामने आ सकता है।
हरजिंदर सिंह, प्रदेश मीडिया को-ऑर्डिनेटर जेडीएस, उत्तराखण्ड

जब चुनाव से पूर्व शपथ पत्र दिया तो वहां भी सभी संपत्तियां मेरे द्वारा दर्शाई गई हैं। मैंने अपनी हर संपत्ति का टैक्स भरा है। कुछ लोगों के नगर निगम में गलत काम नहीं होने दिए गए इसलिए मेरे खिलाफ यह साजिश रची जा रही है।
सुनील उनियाल गामा, मेयर देहरादून नगर निगम

You may also like

MERA DDDD DDD DD