देहरादून से सटी विकासनगर विधानसभा सीट पिछले पौने पांच वर्षों से विकास की राह तक रही है। यहां से विधायक रहे कांग्रेसी नेता नवप्रभात ने अपने कार्यकाल में जिन विकासपरक योजनाओं की नींव रखी थी वे सभी सरकार बदलने के साथ ही कहीं गहरे दफन कर दी गईं। वर्तमान विधायक मुन्ना सिंह चौहान जन अपेक्षाओं में खरे नहीं उतर पाये हैं। सत्तारूढ़ दल के विधायक रहते हुए भी चौहान का परफॉर्म न कर पाना जनता की नाराजगी का बड़ा कारण बन चुका है। इस सीट पर इस बार भी मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता नजर तो आ रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी की अति सक्रियता के चलते चुनाव आते-आते मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है
कभी चकराता विधानसभा का क्षेत्र रहा विकास नगर चुहड़पुर के नाम से जाना जाता था। कांग्रेस की इंदिरा सरकार में पेट्रोलियम राज्य मंत्री रहे स्वर्गीय ब्रह्मदत्त के प्रयासों से इस क्षेत्र का नाम विकास नगर किया गया। विकास नगर और हरबर्टपुर नगर पालिका क्षेत्र में विकास नगर विधानसभा फैली हुई है। सबसे ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में है। विकास नगर विकास खण्ड का पूरा क्षेत्र तथा कुछ हिस्से सहसपुर तथा थोड़ा हिस्सा कालसी ब्लॉक को भी छूता है। तकरीबन ढाई लाख की आबादी और 1 लाख 5 हजार मतदाताओं वाली विकास नगर विधानसभा उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद वजूद में आई। 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नव प्रभात ने इस सीट पर अपना कब्जा किया। पूर्व में यह क्षेत्र नव प्रभात के पिता स्वर्गीय ब्रह्मदत्त की राजनीतिक कर्मभूमि और जन्म भूमि रही है। 2007 में भाजपा के टिकट पर मुन्ना सिंह चौहान ने नव प्रभात से इस सीट को छीना और पहली बार इस क्षेत्र में भाजपा का खाता खोला। 2009 में मुन्ना सिंह चौहान भाजपा को छोड़कर बसपा में शामिल हुए तो उप चुनाव में भाजपा के कुलदीप कुमार विधायक निर्वाचित हुए। 2012 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के नव प्रभात ने भाजपा के कुलदीप कुमार को बड़े मतांे के अंतर से हराकर वापसी की। 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े मुन्ना सिंह चौहान नव प्रभात को हराकर यहां से विधायक चुने गए।
अपने नाम के अनुरूप विकास नगर विधानसभा विकास से कोसों दूर नजरआती है। हैरत की बात यह हैे कि देहरादून से महज 45 किलो मीटर दूर विकास नगर को रेल मार्ग से नहीं जोड़ा जा सका है। जबकि उत्तराखण्ड में पहाड़ांे पर रेल पहुंचाने का काम पर चल रहा है। यहां तक कि चारधाम के लिए भी रेल मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव पास हो चुका है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए कभी मांग नहीं उठी है। वर्षों से विकास नगर को देहरादून और सहारनपुर रेल मार्ग से जोड़ने के लिए मांग उठती रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के समय धर्मावाला सहारनपुर रेल मार्ग के लिए प्रस्ताव भी बनाया गया था। इस के लिए पूर्व विधायक नव प्रभात द्वारा बड़े प्रयास किए गए। रेलवे के तत्कालीन जीएम पूर्व विधायक नव प्रभात के नजदीकी रिश्तेदार थे। उनके कहने पर रेलवे की एक टीम ने इस मार्ग का अनौपचारिक प्राइमरी सर्वे भी किया। सर्वे में रेलमार्ग को बनाए जाने पर सहमति होने की बात भी सामने आई थी। यानी प्राइमरी सर्वे में रेलमार्ग का निर्माण होने की सहमति हो चुकी थीे लेकिन यह सर्वे अनौपचारिक या अन ऑफिसियल होने के चलते आगे नहीं बढ़ पाया।
अब इस योजना का कोई प्रस्ताव तक नहीं है और न ही मौजूदा सरकार ने इसके बारे कोई योजना बनाई है। जबकि विकास नगर जौेनसार क्षेत्र के अलावा हिमाचल प्रदेश को उत्तराखण्ड से जोड़ता है। पूर्व विधायक नव प्रभात का कहना हेै कि ‘विकास नगर को रेल मार्ग हिमाचल के अलावा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से जोड़े जाने से क्षेत्र की जनता का बेहद फायदा हो सकता है।
देहरादून तक अगर रेल मार्ग का निर्माण हो जाए तो इस क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। विकास नगर में चिकित्सा और स्वास्थ्य के हालात भी कुछ खास नहीं सुधारे जा सके हैं। कांग्रेस सरकार के समय में अस्पतालों के लिए बनाई गई योजना पर मौजूदा सरकार के समय काम नहीं होने से जनता को फायदा नहीं हुआ है।
कोरोना महामारी में इसका दुष्परिणाम देखने को मिल चुका है। कांग्रेस सरकार के समय जिला चिकित्सालय स्तर का एक अस्पताल पूर्व विधायक नवप्रभात अपने कार्यकाल में स्वीकृत करवा चुके थे। लेकिन भाजपा सरकार ने इस विषय को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके अलावा डाक पत्थर स्थित सिंचाई विभाग का अस्पताल कांग्रेस सरकार के समय विकास नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नाम हस्तांतरित हो चुका था लेकिन मौजूदा सरकार के समय में इसके उच्चीकरण का काम रोक दिया गया। ढकरानी में बालिकाओं के लिए बनाया गया आईटीआई का भव्य भवन का निर्माण कांग्रेस सरकार के समय में हो चुका था यहां तक कि स्टाफ की तैनाती भी हो चुकी थी लेकिन आज तक उसमें पाठन का काम आरंभ नहीं हो पाया।
विकास नगर की सीवरेज और पेयजल योजना कांग्रेस सरकार ने जेएनयूआरएम से पास करवाई थी, उस पर भी अभी तक काम नहीं हो पा रहा है। इसी तरह से तथा हरबर्टपुर के लिए भी सीवरेज और पेयजल योजना पुनर्गठन भी जेएनयूआरएम से स्वीकृत की गई थी, उस पर भी कोई प्रगति नहीं हो पाई है। जबकि विकास नगर और हरबर्टपुर दोनों ही नगर पालिका क्षेत्र हैं। सड़कों एवं महत्वपूर्ण पुलांे की योजनाएं भी लंबित पड़ी हुई है। कांग्रेस सरकार के समय कई सड़कों और पुलों को स्वीकृत किया गया था जिन पर मौजूदा सरकार के समय कोई काम नहीं हो पा रहा है। भीमावाला मोटर पुल जो उत्तराखण्ड और हिमाचल को जोड़ता है पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में स्वीकृत हुआ था।
इसके लिए धनराशि भी स्वीकृत हो चुकी थी। वह आज भी नहीं बन पाया है। यमुना और आसन नदी के तटबंधों को बाढ़ सुरक्षा येाजना के तहत कांग्रेस सरकार ने स्वीकृत कर एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव पर कोई काम नहीं किया जबकि यह योजना केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय से आसानी से स्वीकृत हो सकती थी। लांघा मार्ग पर शीतला नदी पर प्रस्तावित पुल भी आज तक लंबित ही पड़ा हुआ है जबकि इसकी धनराशी तक स्वीकृत हो चुकी थी। लांघा बढ़वा कोटला के लिए सड़क का
प्रस्ताव भी कांग्रेस सरकार के समय पास हुआ। इसके लिए जरूरी वन भूमि भी हस्तांतरित की जा चुकी थी। इस पर भी कोई काम नहीं हो पाया है।
पूर्व विधायक और कांग्रेस सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे नव प्रभात का कहना है कि ‘‘विकासनगर और हरबर्टपुर के लिए उनके द्वारा कई योजनाएं स्वीकृत करवाई गई थी और कई योजनाओं के प्रस्तावांे को केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया था। मौजूदा भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार के प्रस्तावों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया जिससे केंद्र सरकार ने इस प्रस्तावों को स्वीकृत नहीं किया है। राज्य सरकार अगर चाहती तो प्रदेश के विकास के लिए आसानी से इन प्रस्तावों को स्वीकृत करवा सकती थी। कांग्रेस सरकार की परियोजनाओं को जनबूझ कर अनदेखा किया जा रहा है। यह तो अभी केवल स्वीकृत योजनाओं की बात है। इस सरकार ने कोई भी नई योजना अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र को नहीं दी है। जब चुनाव सिर पर आ गए हेैं तो अब काम करने का दिखावा किया जा रहा है।’’

नव प्रभात की बात में कितना दम है यह तो कांग्रेस सरकार के समय में स्वीकृत और प्रस्तवित योजनाओं के लंबित कामांे से देखा जा सकता है लेकिन यह भी तय हैे कि मौजूदा सरकार के समय में इस क्षेत्र में अनेक योजनाओं पर काम नहीं हुआ है। विकास नगर के लिए कांग्रेस सरकार के समय में ही एक क्रीड़ा भवन स्वीकृत किया गया जिसका पेैसा भी स्वीकृत हो चका था। इसका काम चुनाव को देखते हुए अब आरम्भ हुआ है। राजनीतिक दृष्टि से विकास नगर भाजपा और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस- भाजपा ने इन बीस वर्षों में इस सीट पर बराबर कब्जा किया है। हालांकि बसपा और सपा भी इस क्षेत्र में राजनीतिक दल के तौर पर मौजूद रहे हैं लेकिन विगत बीस वर्षों के इतिहास को देखें तो सपा-बसपा का वोट प्रतिशत बेहद कम रहा है। कांग्रेस नेता नवप्रभात यहां से पार्टी के एक मात्र उम्मीदवार नजर आ रहे हैं।
नव प्रभात उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय में नव प्रभात पहली बार मसूरी विधानसभा से चुनाव लड़े चुके थे। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद विकास नगर से विधायक का चुनाव जीत कर पहली बार विधायक बने और तत्कालीन कांग्रेस की तिवारी सरकार में वन एवं शहरी विकास मंत्री बने। 2012 में फिर से विकास नगर से चुनाव जीते लेकिन तत्कालीन बहुगुणा ओैर हरीश रावत सरकार के समय में राजनीतिक समीकरणों के चलते मंत्री नहीं बन पाए। वर्तमान में नव प्रभात कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष के पद पर है और विकास नगर से कांग्रेस के एक मात्र दावेदार हैैं। माना जाता है कि 2022 के चुनाव में नव प्रभात कंाग्रेस पार्टी के उम्मदवार हांेगे। नवप्रभात का जनाधार इस क्षेत्र में बेहद मजबूत रहा है। विकास नगर के अलावा सहसपुर क्षेत्र में भी नव प्रभात का बोलबाला हैे जिसके चलते नव प्रभात का टिकट तय माना जा रहा है।
2002 के चुनाव में बसपा एक मजबूत पार्टी के तौर पर उभरती दिखाई दी। बसपा के उम्मीदवार रहे वाहिद हुसैन जाफरी ने 12 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट पाकर राजनीतिक
पंडितों को चौंका दिया था। जबकि सपा के डॉ अंतरिक्ष सैनी सिर्फ 2 प्रतिशत मत ही पा सके। 2007 में बसपा के मजूर मोहमद कादिर हुसैन को 77 सौ से भी ज्यादा मत मिले थे।
2012 के चुनाव बाद से बसपा का जनाधार बेहद कम होता चला गया। हालांकि इस चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पर आई थी। लेकिन 2017 के चुनाव में उसके प्रत्याक्षी को मात्र 594 मत मिले, जिससे जमानत भी नहीं बच पाई। मौजूदा समय में बसपा की कोई चर्चा नहीं है।
आम आदमी पार्टी विकास नगर सीट पर जरूर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में अन्य सभी दलों से आगे दिखाई दे रही है। आम आदमी पार्टी का जनाधार इस क्षेत्र में बढ़ रहा है। इस सीट पर आप के कई दावेदार हैं जो 2022 के चुनाव में अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं। जिनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी अनंतराम चौहान और गुरमेल सिंह राठौड प्रमुख है। माना जाता है कि चौहान को आम आदमी पार्टी विकास नगर सीट से उम्मीदवार बनाएगी। भाजपा में दो मजबूत दावेदार इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं पार्टी के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार 2002 में विकास नगर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं। 2008 में विकास नगर सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया था।
कुलदीप को जीत हासिल हुई और वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। 2012 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर फिर से चुनाव में उतरे लेकिन कांग्रेस के नव प्रभात से 9 हजार से भी ज्यादा मतांे से हार गए। 2022 में कुलदीप कुमार विकास नगर सीट से भाजपा के बड़े दावेदार है। उनके अलावा मुन्ना सिंह चौहान का विकास नगर सीट पर बड़ा प्रभाव रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में मुन्ना सिंह अपनी उत्तराखण्ड जनवादी पार्टी से चुनाव लड़े ओर महज 58 वोटों से कांग्रेस के नव प्रभात से चुनाव हार गए। 2007 में भाजपा के टिकट पर विकास नगर से चुनाव लड़े और नव प्रभात को 5 हजार से भी ज्यादा मतांे से हराया। हालांकि 2008 में भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल होकर 2009 का टिहरी लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन बुरी तरह से हार गए। इसके बाद फिर से मुन्ना सिंह चौहान की भाजपा में वापसी हुई और 2017 में पार्टी ने विकास नगर से मुन्ना को टिकट दिया।
6 हजार से भी ज्याद मतों से मुन्ना सिंह चौहान नव प्रभात को हराकर फिर से विधायक बने। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रह चुके मुन्ना सिंह चौहान विकास नगर विधानसभा के साथ ही चकराता एवं सहसपुर विधानसभा सीटों पर अपना दमखम रखते हैं। इसके चलते मुन्ना सिंह को विकास नगर सीट से भाजपा का सबसे बड़ा और प्रमुख दावेदार मान जा रहा है। हालांकि चर्चा यह भी है कि भाजपा मुन्ना सिंह को चकराता से चुनाव लड़वाने की रणनीति पर काम कर रही है लेकिन इससे विकास नगर सीट का समीकरण बिगड़ने के चलते पार्टी अनिश्चय की स्थिति में है। अगर मुन्ना सिंह को विकास नगर से चकराता भेजा जाता है तो विकास नगर के अलावा सहपुर सीट पर भी इसका असर पड़ सकता है। इसलिए यह माना जा रहा हेै कि 2022 में मुन्ना सिंह चौहान विकास नगर से ही भाजपा के उम्मीदवार होंगे।
जौनसार के धोईरा गांव के मूल निवासी अनंत राम चौहान पिछले वर्ष दिसम्बर 2020 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। चौहान पुलिस सेवा में आईजी के पद से सेवानिवृत होकर समाज सेवा से जुड़े हैं। इनके भाई दयाराम चोैहान कालसी ब्लॉक के वरिष्ठ उप प्रमुख के पर पर हैं। वर्ष 1989 में चौहान पुलिस सेवा में आए और पहली पोस्टिंग मुरादाबाद के डीएसपी के पद पर मिली। उत्तर प्रदेश के कई जिलांे में तैनाती बाद उत्तराखण्ड राज्य बनने पर उत्तराखण्ड कैेडर मिला तो प्रदेश के तीनों मुख्यमंत्री नित्यानंद, भगत सिंह कोश्यारी और नारायण दत्त तिवारी के सुरक्षा अधिकारी रहे उत्तरकाशी, हरिद्वार नैनीताल ओैर ऊधमसिंह नगर के पुलिस अधीक्षक के पद पर काम कर चुके अनंत राम आईजी पद से सेवानिवृत होकर आम आदमी पार्टी से जुड़ गए हैं। चौहान आम आदमी पार्टी में गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो विकास नगर सीट से चौहान को आम आदमी पार्टी मैदान में उतार सकती है।
वकालत के पेशे से जुड़े गुरमेल सिंह राठौड़ 2003 में ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ चुके हैं। 2008 में इनकी पत्नी ग्राम प्रधान का चुनाव जीत चुकी हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में विकास नगर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े जिसमें 2877 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। 2007 में फिर से निर्दलीय चुनाव लड़े तो महज 323 ही वोट हासिल कर पाए। वर्तमान में आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष के पर पर कार्यरत हैं। 2022 के चुनाव में विकास नगर सीट से आप के दूसरे दावेदार हैं।
मैं विकास नगर सीट से पहले भी चुनाव जीत चुका हूं। भाजपा में प्रदेश संगठन में काम कर रहा हूं। मैं 2022 के चुनाव में विकास नगर सीट से अपनी दावेवारी कर रहा हूं।
कुलदीप कुमार, प्रदेश महामंत्री भाजपा
मैंने 2020 में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली। पार्टी ने अभी तक जितने भी कैंपेन चलाए मैंने सभी में बढ़-चढ़कर भागीदारी की है। कोरोना महामारी में मैैंने विधानसभा के प्रत्येक घर में सैनिटाइज करवाया, मास्क और सैनिटाइजर वितरित किए। मैं दो बार विकास नगर सीट से चुनाव लड़ चुका हूं। मैं आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ना चाहता हूं। आम आदमी पार्टी जो लाइन में सबसे पीछे खड़ा होता है उसे आगे लाने का काम करती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी पार्टी एक आंदोलन है।
गुरमेल सिंह राठौड़, जिलाध्यक्ष आम आदमी पार्टी
मैंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र के लिए जितने काम किए उतने कोई नहीं करवा सकता। कई बड़ी-बड़ी योजनाओं को हमने स्वीकृत करवाया। उसका पैसा भी स्वीकृत करवाया लेकिन इस सरकार ने किसी भी योजना पर काम नहीं किया। जानबूझ कर योजनाओं को रोक गया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि विकास नगर विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी नया काम इस सरकार के इन साढे़ चार सालों में नहीं हुआ है। जो भी काम हो रहे हैं वे सभी मेरे कार्यकाल में स्वीकृत किए गए थे। उन्हीं पर काम किया जा रहा है। 2022 में विकास नगर की जनता बदलाव करने वाली है। जनता बातांे के बजाय विकास को आगे रखने वाली है। कांग्रेस की बड़ी जीत होगी इतना तय है।
नव प्रभात, पूर्व विधायक