भाजपा की सत्ता में दोबारा वापसी के पीछे एक बड़ा कारण महिला मतदाता हैं जिनका झुकाव कांग्रेस की बनिस्पत भाजपा की तरफ रहता आया है। इस बार 70 सदस्यीय सदन भीतर भी महिला विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। आठ महिला विधायकों में से छह भाजपा तो दो कांग्रेस से हैं
प्रदेश की आधी आबादी ने न सिर्फ चुनाव में अपनी धाक कायम रखी बल्कि भाजपा की दूसरी बार प्रंचड बहुमत की जीत दिलवाने में भी इस आधी आबादी की बड़ी भूमिका रही है। इस बार भी महिलाओं ने पुरूषां से ज्यादा मतदान किया है। राजनीतिक जानकारां की मानें तो प्रदेश में महिलाओं का वोट प्रतिशत भाजपा के लिए हमेशा से ही फायदेमंद रहा है। इस बार भी इन महिला मतदाताओं के चलते भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी कर पाई है। साथ ही भाजपा की 6 महिला विधायक एक साथ इतनी संख्या में सदन में पहुंची हैं। प्रदेश की राजनीति में महिलाओं की भूमिका खासी महत्वपूर्ण है। 2012 के चुनाव में जब मोदी लहर का नाम तक नही था तब भी महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा और हारती हुई भाजपा एक तरह से सरकार बनाने के मुहाने तक पहुंच गई थी। 2017 में महिलाओं का मत प्रतिशत बढ़ा तो भाजपा पहली बार 57 सीटों के प्रंचड बहुमत के साथ सत्ता में आई। इसी तरह 2022 के चुनाव में भी महिलाओं का मत प्रतिशत बढ़ा तो भाजपा 47 सीटां के साथ सत्ता में दूसरी बार काबिज हुई है। आंकड़ों की बात करें तो 2017 के चुनाव में 29 लाख 33 हजार 564 पुरुष मतदाताओं में से 24 लाख 44 हजार 759 ने वोट किया था जो कि 62.60 प्रतिशत रहा, जबकि 24 लाख 80 हजार 218 ने वोट डाला था जो कि 69.30 प्रतिशत रहा था। यानी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने 7.5 प्रतिशत ज्यादा वोट किया था। 2022 में 26 लाख 42 हजार 930 ने वोट किया है जो कि पुरुष से 4.6 प्रतिशत ज्यादा है।
महिला वोटरों के चलते भाजपा की आसान जीत के पीछे तमाम तर्क दिए जा रहे हैं, जिनमें एमवाई यानी महिला और योजना का फैक्टर को सबसे ज्यादा वोट खींचने वाला माना जा रहा है। प्रदेश में भाजपा द्वारा ऐसी तमाम योजनाएं जो कि खास तौर पर महिलाओं को सीधे प्रभावित करती है, को महिला वोटरों ने हाथों हाथ लिया और भाजपा के पक्ष में जमकर वोट किया। इसका प्रमाण है गढ़वाल मंडल जहां की 30 सीटों में से 26 सीटां पर भाजपा की न सिर्फ जीत हुई है, जीत का आंकड़ा भी 3 हजार से 30 हजार तक रहा है। राज्य आंदोलनकरियों की पेंशन में भारी वृद्धि, तीलू रौतेली एवं आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की पुरस्कार राशि को 51 हजार करने से भी महिला मतदाता का रुझान भाजपा की ओर गया है। पिछली सरकार में नंदा, गौरा योजना से वंचित 33,216 बालिकाओं को लाभ देने के लिए 49 करोड़ 42 लाख की धनराशि अवमुक्त करने से भाजपा को चुनाव में बड़ा फायदा मिलता दिखाई दिया है। कोरोना काल में मुफ्त राशन के साथ कोरोना से लड़ने के लिए मुफ्त वैक्सीनेशन कार्यक्रम भी सरकार के पक्ष में रहा। इसके अलावा उज्जवला योजना, घस्यारी किट योजना और महिला शक्ति केन्द्रां की स्थापना योजना और पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए 33 फीसदी पद रखने जैसी घोषणाओं ने महिला मतदाताओं को लुभाने का काम किया।
यह भी गौर करने वाली बात हे कि आज भी प्रदेश के मतदताओं में खास तौर पर महिला मतदाताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सबसे ज्यादा रूझान बना हुआ है। ‘दि संडे पोस्ट’ के तमाम सर्वेक्षणों में भी मोदी को सबसे ज्यादा पंसद करने वाला प्रधानमंत्री के तौर पर देखा गया है। स्वयं प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं की बेहतरी के लिए कई वादे और घोषणाएं की थी। राज्य के राजनीतिक इतिहास में पहली बार 8 महिला विधायक सदन में पहुंची हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि देहरादून शहर की कैंट सीट पर सात दशक बाद पहली बार महिला विधायक निर्वाचित हुई है। इसके अलावा पौड़ी जिले की यमकेश्वर सीट पर लगातार चार बार महिला प्रतिनिधित्व की परम्परा बरकरार रही है, जबकि यमकेश्वर सीट आज तक अधिकृत तौर पर महिला सीट नहीं रही है बावजूद इसके भाजपा ने इस सीट पर चौथी बार भी बड़े अंतर से जीत हासिल की है। विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या 63 थी जिसमें भाजपा ने 8 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतरा था, जबकि कांग्रेस ने 5 महिलाओं को ही टिकट दिया। भाजपा को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई है। कांग्रेस की सिर्फ दो ही उम्मीदवार जीत हासिल कर पाईं।
वर्ष 2002 में 72 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ी थी। जिसमें सिर्फ 4 ही जीत पाईं। 2007 में 56 मैदान में थी लेकिन 4 को ही जीत हासिल हुई थी। इसी तरह से 2012 में 63 महिला उम्मीदवार थी जिनमें 5 विजयी हुई। 2017 में 62 सीटां पर महिलाओं ने अपनी किस्मत को आजमाया लेकिन महज 5 सीटां पर ही महिला उम्मीदवार जीत पाई। 2022 में 63 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरी जिसमें 8 सीटों पर जीत हासिल हुई। जिसमें भाजपा के प्रत्याशी सबसे ज्यादा जीते हैं। भाजपा की कोटद्वार से ऋतु खण्डूड़ी, यमकेश्वर से रेणु बिष्ट, केदारनाथ से शैलारानी रावत तथा सोमेश्वर से रेखा आर्या और नैनीताल से सरिता आर्या चुनाव जीती हैं। देहरादून कैंट से भाजपा के दिवंगत नेता हरवंश कपूर की धर्मपत्नी सविता कपूर तो 20938 वोटों के अंतर से चुनाव जीती हैं। इसी तरह हरिद्वार ग्रामीण सीट से कांग्रेस की अनुपमा रावत भी 12278 मतां के बड़े अंतर से चुनाव जीती हैं तो भगवानपुर सीट से कांग्रेस की ममता राकेश लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब रही हैं।