उत्तराखण्ड में बढ़ता शहरीकरण, पहाड़ों से पलायन के चलते मैदानी क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और उससे बढ़ते यातायात से कोई भी शहर अछूता नहीं है। खासकर हल्द्वानी, रुद्रपुर, देहरादून, हरिद्वार सरीखे शहर अपनी क्षमता से अधिक जनसंख्या का भार ढो रहे हैं। समय के साथ इन शहरों से सटे ग्रामीण इलाकों में आबादी का धनत्व तो बढ़ा लेकिन उसके सापेक्ष जिन मूलभूत सुविधाओं की दरकार थी उनमें से गति से इजाफा नहीं हुआ जिस गति से नए मकान बने और जनसंख्या बढ़ी। पर्यटन के विकास ने पर्यटकों की संख्या में हर वर्ष इजाफा तो किया लेकिन मूलभूत संरचनाओं के अभाव ने हल्द्वानी जैसे शहरों में इसका दबाव ज्यादा पड़ा। खासकर यातायात के मामलों में संकुचित सड़कों में जाम की समस्या पैदा कर यातायात के साथ हल्द्वानी की चाल को भी धीमा कर दिया है। सड़कों पर बढ़ते अतिक्रमण और सरकारी तंत्र की नजरअंदाज करने की पुरानी आदत कभी शहरों पर भारी पड़ जाती है। हल्द्वानी में वैसे तो कई जगह सड़कें अतिक्रमण की शिकार हैं लेकिन हल्द्वानी की मुख्य सड़क नैनीताल रोड अतिक्रमण की शिकार है। समय के साथ इसके चौड़ीकरण की जरूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। तीन पानी से काठगोदाम तक का गौलापार होते हुए बना बाइपास भी हल्द्वानी की सड़कों में यातायात का बोझ कम नहीं कर पाया। अब जिलाधिकारी वंदना सिंह ने नैनीताल रोड के चौड़ीकरण पर जिस प्रकार के तेवर अख्तियार किए हुए हैं उससे लगता जरूर है कि नैनीताल रोड नए स्वरूप में जल्द दिखेगी। पूर्व में नैनीताल के जिलाधिकारी रहे डॉ. सूर्यप्रताप सिंह के बाद अब देखने में आ रहा है कि अधिकारी नियमपूर्वक चलें तो भी समाधान के रास्ते निकाले जा सकते हैं। खासकर राजनीतिक दबावों को दरकिनार कर काम करने की क्षमता हर अधिकारी दिखा नहीं पाता जैसा कि वंदना सिंह ने दिखाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की गुड बुक में शुमार वंदन सिंह पर शायद भाजपाई भी दबाव बना पाने में नाकाम रहे हैं। नैनीताल रोड के चौड़ीकरण के प्रशासनिक पहलू के साथ-साथ राजनीतिक पहलू भी हैं जहां प्रशासन हावी है और राजनीतिक चेहरे खासकर भाजपाई चाहे तो विधायक हों या सांसद या फिर अन्य जनप्रतिनिधि सब खामोश हैं। हां, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश जरूर उन व्यापारियों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं जिनके प्रतिष्ठान टूटने की कगार पर हैं।आज हल्द्वानी की नैनीताल रोड और कालाढूंगी चौराहे से कालाढूंगी रोड का जो स्वरूप नजर आता है उसका पूरा श्रेय 1992 में नैनीताल के जिलाधिकारी रहे सूर्यप्रताप सिंह को जाता है। बताया जाता है कि आजादी से पहले सरकारी जमीनों पर किए गए अतिक्रमण को उन्होंने हटवा कर सड़कों के चौड़ीकरण की पहल करते हुए सारे राजनीतिक दबावों को दरकिनार कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया था। उस वक्त हल्द्वानी के राजनीतिक हल्कों में सूर्यप्रताप सिंह ने हड़कम्प मचा दिया था। ऐसा नहीं है कि उस वक्त सूर्यप्रताप सिंह पर राजनीतिक दबाव नहीं था। उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहते हुए तब यहां के राजनेताओं का अपना एक रसूख हुआ करता था। शायद इस मामले में नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह भाग्यशाली हैं क्योंकि इस वक्त 90 के दशक जैसे राजनीतिक रसूख वाले राजनेता रह नहीं गए हैं। भले ही वो सांसद, विधायक और राज्यमंत्री का दर्जा पा गए हों। वंदना सिंह ने सेफ्टी ऑडिट समिति के अनुमोदन पर जो 1423.6 लाख के जंक्शन सुधार कार्य स्वीकृत हुए थे उन्हें पूरा करा यह दर्शा दिया है कि इच्छाशक्ति हो तो तमाम राजनीतिक दबाव को दर-किनार कर अधिकारी अपना कर्तव्य निभा सकते हैं। गौरतलब है कि ‘कमलुवागांजा तिराहा कालाढूंगी रोड जंक्शन सुधार कार्य, कठघारिया चौराहा कालाढूंगी रोड जंक्शन, गैस गोदाम तिराहा कालाढूंगी रोड जंक्शन, कुसुमखेड़ा तिराहा-कालाढूंगी रोड जंक्शन, सिंधी चौराहा एवं मंगलपड़ाव चौड़ीकरण एवं सुधारीकरण, रामपुर रोड पंचायत घर चौराहा जंक्शन सुधार कार्य, ट्रांसपोर्ट नगर-देवलचौड़ चौराहा चौड़ीकरण व सुधारीकरण, लामाचौड़ चौराहा, नारीमन चौराहा, पीलीकोठी लालडांट तिराहा साथ ही नैनीताल रोड़ चौड़ीकरण का काम इसमें शामिल है। चौराहों के चौड़ीकरण का कार्य अतिक्रमण हटाकर पूरा कर लिया गया है।
अधिकारी बताते हैं कि डामरीकरण का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। काठगोदाम से ओके होटल तक चौड़ीकरण का कार्य तो बिना बाधा के प्रशासन ने निपटा लिया लेकिन ओके होटल से बॉम्बे क्रॉकरी तक का अतिक्रमण प्रशासन के लिए चुनौती बना है। कई व्यापारी हाईकोर्ट तक चले गए जिसके चलते इस जगह पर ‘अतिक्रमण हटाओ’ की मुहिम धीमी जरूर पड़ी है लेकिन कुछ व्यापारियों ने स्वतः अतिक्रमण हटाने की बात कह कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है और अतिक्रमण हटाने के लिए एक माह की मोहल्लत मांगी है। कुछ व्यापारी अभी हाईकोर्ट की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, प्रशासन ने सड़क के सेंटर से दोनों ओर 12 मीटर अतिक्रमण चिन्हित किया था जिसमें दोनों ओर 10 मीटर की रोड तथा दोनों तरफ एक-एक मीटर में नाली और फुटपाथ का निर्माण प्रस्तावित है। व्यापारी यहां पर 9 या दस मीटर तक चिन्हित करने की मांग कर रहे हैं।
जिलाधिकारी वंदना सिंह पर भी राजनीतिक दबाव न पड़े हों, ऐसा नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यापारियों की मांग पर एक मीटर छूट देने के निर्देश दिए थे लेकिन उन निर्देशों पर शायद ही अमल हुआ, क्योंकि आज भी अतिक्रमण दोनों ओर 12 मीटर ही चिन्हित है। उस वक्त मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि अब रोड 12 मीटर नहीं 11 मीटर ही होगी। व्यापारियों की भी यातायात पर दबाव कम करने की मांग थी। इसके लिए मंडी से तिकोनिया तथा लालडांट से कालाढंूगी चौराहे तक फ्लाईओवर का प्रस्ताव था लेकिन व्यापारियों के विरोध चलते इस पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई।
जिलाधिकारी ने व्यापारियों से हुई बैठक में इस बाात का जिक्र भी किया था। खास बात ये है कि ओके होटल से बॉम्बे क्रॉकरी तक ही सड़क चौड़ी होने से बाधा है। प्रशासन का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण में आ रही धार्मिक व सामाजिक सम्पत्तियों और पेड़ों को उचित तरीके से शिफ्ट किया जाएगा। सितम्बर में व्यापारियों ने अपना प्रस्तावित बंद भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह बिष्ट और मंडी परिष्द के अध्यक्ष डॉ. अनिल डब्बू के इस आश्वासन पर वापस ले लिया था कि व्यापारियों की मुख्यमंत्री से वार्ता करा समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। लेकिन उसके बाद व्यापारियों की मुख्यमंत्री के साथ बैठक की कोई सूचना सामने नहीं आई, न ही किसी ने ये बताया कि मुख्यमंत्री के एक मीटर की छूट के निर्देश पर कितना अमल हुआ।
नैनीताल रोड के चौड़ीकरण पर जिलाधिकारी वंदना सिंह की पहल कहें या फिर जिद अगर सफल होती है तो इससे हल्द्वानी और उसके आस-पास की तस्वीर बदलनी तय है। लामाचौड़, देवलचौड़ से लेकर काठगोदाम तिराहे तक सड़कें यातायात को झेलने में सक्षम होंगी। डॉ. सूर्यप्रताप सिंह के बाद वो दूसरी ऐसी जिलाधिकारी के रूप में याद की जाएंगी जिन्होंने हल्द्वानी की तस्वीर काफी हद तक बदली है।
दिव्यांगों की जिंदगी में होगा ‘उजाला’
हल्द्वानी के सुभाष नगर में एक रोशनी सोसायटी है। जहां दर्जनों मानसिक दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई-लिखाई के साथ ही उनमें जिंदगी की जद्दोजहद से जंग जीतने के गुर सिखाए जाते हैं। दिव्यांग बच्चों की जिंदगी को रोशन करने में जुटी रोशनी सोसायटी के समक्ष समस्या लेकिन यह है कि उनके पास अपना कोई भवन आदि नहीं है। 20 हजार रुपए से अधिक का किराया देकर किसी तरह बच्चों को शिक्षित कर रही रोशनी सोसायटी को आर्थिक परेशानियांे से भी रूबरू होना पड़ता है। अपनी इसी समस्या को लेकर रोशनी सोसायटी के सचिव गोबिंद मेहरा सहित सोसायटी की अध्यक्ष शिवानी पाल एवं उपाध्यक्ष हेमा परगाई नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह से गत् माह मिले। मानव सेवा के प्रति सहृदयता का भाव दिखाते हुए जिलाधिकारी ने रोशनी सोसायटी के प्रतिनिधि मंडल के समक्ष उन्हें भवन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। यही नहीं बल्कि उन्होंने यह नगर निगम या किसी सरकारी संस्थान के भवन आदि में सोसायटी के दिव्यांग बच्चों को आश्रय देने का आश्वासन भी दिया।
रोशनी सोसायटी के सचिव गोविंद मेहरा बताते हैं कि जिलाधिकारी महोदया ने हमारी समस्या को न केवल गंभीरता से सुना, बल्कि उसका निदान करने की भी ठान ली। उन्होंने नगर निगम सहित कई अधिकारियों को फोन कर इस बाबत जानकारी ली कि कोई भवन आदि में दिव्यांग बच्चों को रहने की सुविधा हो सकती है। हालांकि उस दौरान कहीं कोई ऐसा भवन उपलब्ध नहीं पाया गया। गोविंद मेहरा कहते हैं कि जिस उत्सुकता के साथ डीएम मैडल ने उनकी समस्या की बाबत बात की है, हमें उम्मीद है कि डीएम हमारी इस समस्या का निदान कराएंगी और दिव्यांग बच्चों की जिंदगी में नया उजाला भरेंगी।