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Uttarakhand

उत्तराखण्ड की ‘अमर्यादित’ पुलिस

शांति और सदभाव का पाठ पढ़ाने वाली उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस ने अपने सोशल मीडिया गु्रप पर समुदाय विशेष को लेकर ऐसी अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया है जिसे देखकर खाकी भी शर्मसार हो रही है

एक सितंबर का दिन था। चमोली जिले के नंदानगर में साम्प्रदायिक आग भड़कने की संभावनाएं थीं। कारण एक समुदाय विशेष के दुकानदार द्वारा नाबालिग लड़की के साथ कथित इशारे करना बताया गया। धरना-प्रदर्शन चल रहा था। भीड़ समुदाय विशेष के लोगों की दुकानों को चिन्ह्ति कर उन्हें नुकसान पहुंचा रही थी। हालांकि आरोपी को पुलिस द्वारा उसी दिन बिजनौर से गिरफ्तार कर लिया गया था। शहर का साम्प्रदायिक माहौल तनावपूर्ण होते देख प्रशासन ने धारा 163 लगा दी। इस धारा के अंतर्गत किसी के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी और अशोभनीय शब्द खासकर सोशल मीडिया पर करने की स्पष्ट मनाही होती है। लेकिन दूसरी तरफ वह विभाग जिसके कंधों पर शांति व्यवस्था और साम्प्रदायिकता बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है उस पुलिस विभाग के गु्रप पर अमर्यादित टिप्पणी की जाती रही। यह टिप्पणियां संप्रदाय विशेष के लिए की गई। हालांकि विभाग के उच्चधिकारी इस पूरे प्रकरण से परिचित हो चुके हैं। उन्होंने कार्रवाई करने की बात भी कही है। लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं होना पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।

उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा बनाए गए ग्रुप में पुलिस के कुछ सिपाहियों द्वारा विशेष समुदाय के लिए लिखी गई अमर्यादित टिप्पणी को लेकर लोगों में रोष पनप रहा है। उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों का यह हाल तब है जब इस प्रकार की घटनाओं के सामने आने के बाद पुलिस महकमा अपने विभाग के साथ-साथ आम जन के लिए भी सोशल मीडिया का प्रयोग करने के सम्बंध में चेतावनी जारी करता है। जिसकी देख-रेख करने लिए बाकायदा उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा सोशल मीडिया मानिटरिंग सेल का गठन किया गया है। यह गठन प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक किया गया है। उत्तराखण्ड का पुलिस महानिदेशक नियुक्त होने के पश्चात तेज-तर्रार आईपीएस अभिनव कुमार ने पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया प्रयोग करने को लेकर एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) बनाई थी। तब अभिनव कुमार ने एसओपी बनाते हुए शर्तें तय की थी, लेकिन खुद ‘खाकी’ के पहरेदार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं।

ऐसा ही एक उदाहरण हाल ही में उस समय सामने आया है जब प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने लगा। उत्तराखण्ड पुलिस के जवानों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु बनाए गए “UK-0 1 TO 13 Uttrakhand Police” के नाम से बने ग्रुप में पुलिसकर्मियों ने चमोली के नंदानगर में नाबालिक से छेड़छाड़ की घटना की खबर के लिंक शेयर करते हुए विशेष समुदाय को लेकर भद्दी-भद्दी टिप्पणियां लिख डाली। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिस प्रकार चमोली के नंदानगर में एक विशेष समुदाय के युवक द्वारा नाबालिग को अश्लील हरकत करने के मामले को लेकर टीका-टिप्पणी का दौर शुरू हुआ तो पुलिस के जवान भी इससे अछूते नहीं रहे। समुदाय विशेष को लेकर टिप्पणी करने में सबसे ज्यादा आगे रहे जवानों में गढ़वाल के साथ-साथ कुमाऊं के कुछ जनपदों में तैनात पुलिसकर्मी भी हैं जो ऐसी अभद्र टिप्पणियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। बताया जा रहा है कि उत्तराखण्ड पुलिस के नाम से बने सिपाहियों के ग्रुप में देहरादून में तैनात सिपाही मोहन, रुद्रप्रयाग में तैनात हेड कॉन्सटेबल सतवीर, एस. गुसाईं, सीएम कंडवाल, सचिन देशवाल, राज पूतना, हरीश सिंह धामी, राणा राकेश, नरेंद्र, एमपी डिमरी, भूपेंद्र वल्दिया, धर्मवीर सिंह, तारा नेगी, चौन सिंह, नरेंद्र सिंह ने ग्रुप में खुलेआम पुलिस की नीति की धज्जियां उड़ाते हुए विशेष समुदाय को लेकर अभद्र टिप्पणियां लिखी। चमोली के मामले से जुड़ी खबरों के लिंक ग्रुप में शेयर करते हुए उसके नीचे समुदाय को लेकर भद्दी भाषा में टिप्पणियां की गई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में तैनात एक हेड कॉन्सटेबल ने तो टिप्पणियां लिखने में अपने आईपीएस अधिकारियों तक को नहीं बख्शा।
उत्तराखण्ड पुलिस के नाम से बने इस ग्रुप में कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा एक समुदाय को टारगेट करते हुए जो लिखा गया वह भारत के पंथनिरपेक्ष संविधान की ट्टाज्जियां उड़ाता नजर आ रहा है। उत्तराखण्ड पुलिस के गु्रप में लिखी जा रही विवादास्पद टिप्पणियों से उस समय रोष फैल गया जब इस ग्रुप में शामिल दूसरे समुदाय के पुलिसकर्मियों ने यह टिप्पणियां देखीं।

ऐसा नहीं है कि पूरे ग्रुप में ही इस प्रकार की अभद्र टिप्पणी विशेष समुदाय को लेकर की जा रही हो कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं जो अपने सहयोगी पुलिस कर्मियों को सद्भाव का पाठ पढ़ाते हुए भी नजर आए। लेकिन धर्मांधता का शिकार बने ऐसे पुलिसकर्मी नहीं रुके। फलस्वरूप कई दिनों तक यह सिलसिला लगातार चलता रहा। पुलिस कर्मियों द्वारा की जा रही इस प्रकार की टिप्पणियों को लेकर कुछ स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। स्क्रीनशॉट वायरल होने से यह मामला आईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल तक पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि विभाग के उच्चधिकारी इस मामले से परिचित हो चुके हैं। जिसके बाद सूत्र बता रहे हैं कि अब नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

यहां यह भी बताना जरूरी है कि उत्तराखण्ड पुलिस मुख्यालय ने पुलिसकर्मियों के लिए इंटरनेट मीडिया नीति तैयार की थी। जिसमें
पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया पर मर्यादा तय की गई थी। पिछले दिनों अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) एपी अंशुमान ने सोशल मीडिया प्रमोशन सेल और सोशल मीडिया मानिटरिंग सेल के कार्यों की समीक्षा बैठक करते हुए इस बाबत उचित दिशा-निर्देश दिए थे जिसमें मौजूद गढ़वाल और कुमाऊं दोनों परिक्षेत्र के जनपद प्रभारियों, पुलिस उपाधीक्षक और सोशल मीडिया सेल प्रभारियों को सोशल मीडिया सेलों को सक्रिय करने के साथ ही कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाली सभी पोस्टों की नियमित रुप से मानिटरिंग करने के आदेश दिए गए थे। यही नहीं, बल्कि भ्रामक पोस्टों पर पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एसओपी के भी तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

इस बैठक के दौरान सोशल मीडिया सेल द्वारा किए जा रहे कार्यों का पुलिस उपाधीक्षक द्वारा नियमित रुप से निरीक्षण किए जाने के भी निर्देश जारी किए गए थे। साथ ही सभी जनपद प्रभारी सोशल मीडिया सेल की कार्यप्रणाली का मूल्याकंन करते हुए समीक्षा रिपोर्ट परिक्षेत्र कार्यालय सहित पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा जनपद स्तर पर सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर का चिन्हीकरण कर उनके साथ जिला मुख्यालय और थाना स्तर पर बैठक कर उन्हें सकारात्मक सोच के साथ पालन कराए जाने को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए गए थे।

अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) एपी अंशुमान ने कानून और शांति व्यवस्था प्रभावित करने वाले भ्रामक पोस्टों का खंडन करने और सोशल मीडिया पर शांति और कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाली पोस्टों को हटाने के सम्बंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए थे। लोगों का कहना है कि जब ऐसे नियमों की धज्जियां खुद पुलिसकर्मी ही उड़ाने लगे तो खाकी पर सवाल खड़े होने लगते हैं। लेकिन देखने में आ रहा है कि कुछ सिपाहियों के आगे यह नीति तो क्या अपने उच्च अधिकारियों द्वारा जारी दिशा-निर्देश भी कोई मायने नहीं रखते हैं।

क्या नहीं होता है धारा 163 के दौरान?

उक्त क्षेत्र में ट्टवनि विस्तारक यंत्र, लाउडस्पीकर आदि का प्रयोग पूर्णतया वर्जित होगा। किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र, विस्फोटक सामग्री, आदि लेकर जाने की अनुमति नहीं होगी। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर पांच या पांच से अट्टिाक व्यक्ति इकट्ठा नहीं होंगे। कोई भी व्यक्ति किसी के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी, अशोभनीय शब्द, नारे, भाषण आदि का प्रयोग नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक आदि पर कोई भी टिप्पणी या सामग्री नहीं डालेगा जिससे कि क्षेत्र में शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा हो। कोई भी व्यक्ति व्यापारिक प्रतिष्ठान, दुकान आदि को क्षति पहुंचाने या बंद कराने का प्रयास नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का साहित्य, प्रेस नोट, पंपलेट आदि नहीं लगाएगा और न बांटेगा।

क्या कहती है आईटी एक्ट की धारा 67

आईटी एक्ट 2000, इलेक्ट्रानिक मीडिया के मायम से किए जाने वाले अपराट्टाों को रोकने एवं उस से जुड़े अपराट्टाों की सजा देने के लिए बनाया गया है। सोशल मीडिया से संबंट्टिात अपराध भी आईटी एक्ट के अंतर्गत ही आते हैं। आईटी एक्ट की ट्टाारा 67 के अंतर्गत सोशल मीडिया पर या कहीं अन्य इलेक्ट्रानिक रूप में किसी गलत कमेंट, अश्लील सामग्री आदि पब्लिश करने पर दंड का प्रावट्टाान है। जुर्माने के साथ-साथ 3 सालों तक सजा हो सकती है। आईपीसी की धारा 153ए, 153 बी, 292, 295ए और 499 के तहत सोशल मीडिया और किसी व्यक्ति को अपमानजनक संदेश और उसके खिलाफ गलत कमेंट करने पर सजा का प्रावधान है। इन सभी ट्टााराओं में ऐसी बहुत-सी बातों के लिए सजा के प्रावट्टाान हैं जो
सोशल मीडिया पर ज्यादा फैली हुई थी, इनके अंतर्गत सोशल मीडिया के माट्टयम से साम्प्रदायिकता फैलाना, धार्मिक भावनाआंे को आहत करना, अश्लीलता फैलाना, किसी पर गलत कमेंट करना आदि शामिल हैं।

 

सोशल मीडिया ग्रुप पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना और वह भी एक समुदाय विशेष के लिए कानूनन अपराध है। अपराधी चाहे कोई भी हो। अगर हमारी पुलिस ने मर्यादाओं का उल्लंघन कर विवादास्पद टिप्पणी की है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अभिनव कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड पुलिस के नाम से बने एक ग्रुप में कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा की जा रही अभद्र टिप्पणी का मामला सामने आया है, ऐसे पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर नोटिस दिए जाने के निर्देश निर्गत किए गए हैं। पुलिस एक अनुशासित बल है, इस तरह की टिप्पणी करने वाले पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
करण सिंह नगनयाल, आईजी गढ़वाल रेंज

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