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उत्तराखंड: भू-जल स्तर गिरा, सिंचाई के लिए नए नलकूपों के निर्माण पर लगा रोक

उत्तराखंड: भू-जल स्तर गिरा, सिंचाई के लिए नए नलकूपों के निर्माण पर लगा रोक

हल्द्वानी में घटते भू-जल स्तर पर केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भी मुहर लगा दी है। मतलब यह की यहां का जलस्तर खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया है। भू-जल बोर्ड ने हल्द्वानी ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल जोन में शामिल करने के साथ ही सिंचाई के लिए नए नलकूपों के निर्माण पर रोक लगा दी है।

इससे मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल चार नए नलकूपों का निर्माण भी नहीं हो पाएगा। कुमाऊँ की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली हल्द्वानी में भूजल स्तर लगातार घट रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, हल्द्वानी ब्लॉक के भाबर क्षेत्र में 200 फीट से 500 फीट पर भूजल मिलता है।

सिंचाई और जल संस्थान के नलकूपों के भू-जल दोहन से गर्मियों में जल स्तर काफी नीचे पहुंच जाता है। जिससे पाइप की गहराई बढ़ाकर नलकूपों का संचालन करना पड़ता है। पिछले 10 सालों में हल्द्वानी में करीब 45 फीट तक स्‍थायी रूप से जलस्तर घट गया है।

मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत हल्द्वानी ब्लॉक के हल्दूपोखरा नायक, बजूनियाहल्दू, गौलापार के नवाड़खेड़ा में नलकूप निर्माण होना था। सिंचाई विभाग के नलकूप खंड की ओर से नलकूप निर्माण के लिए 474 लाख रुपये के प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजे गए थे।

केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद अब चारों नलकूपों का निर्माण लगभग असंभव हो गया है। जबकि हल्द्वानी ब्लॉक में सिंचाई के नए नलकूपों के निर्माण के रास्ते भी पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

विशेषज्ञों ने भूजल को चार श्रेणियों में बांट रखा है। पहला सेफ जोन होता है, जिसे भूजल दोहन के लिए सुरक्षित माना जाता है। दूसरा सेमी क्रिटिकल जोन है। इस जोन में भूजल आने पर खतरे का अलार्म माना जाता है। तीसरे यानी क्रिटिकल जोन को खतरा माना जाता है और अंतिम ओवर एक्स प्लोइटेड जोन को डेंजर जोन माना जाता है।

अंतिम जोन का मतलब भूजल का पूरी तरह सूखना होता है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने हल्द्वानी ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल जोन में शामिल किया है। ऐसे में नए नलकूपों के निर्माण के काम अब रूक जाएंगे। उधम सिंह नगर के काशीपुर और खटीमा में पहले से ही नए नलकूप निर्माण पर रोक लगा दी गई है जो बेहद चिंतनीय है।

कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के अनुसार, एक अच्छी बात यह है कि जमरानी बांध को स्वीकृति मिल चुकी है और भविष्य में सिंचाई और पेयजल के लिहाज से जमरानी बांध बहु उपयोगी साबित होने वाला है।

हकीकत यही है कि जंगलों को काटकर लगातार प्रकृति का दोहन किया जा रहा है। जिससे प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो चुके हैं तो भू-जलस्तर गिरता जा रहा है। अभी से होने वाली पेयजल किल्लत जलस्तर गिरने का अलार्म है।

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