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उत्तराखंड: पलायन रोकने के लिए सोलर एनर्जी से बिजली एकत्र करेगी सरकार

उत्तराखंड: पलायन रोकने के लिए सोलर एनर्जी से बिजली एकत्र करेगी सरकार

उत्तराखण्ड के पहाड़ी जिलों में तेजी से हो रहे पलायन को रोकने के लिए लेकर प्रदेश सरकार की ओर से सोलर ग्रीन एनर्जी के माध्यम से रोजगार देने का प्रयास किया जाएगा। पर्वतीय बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा के प्लांट लगवाकर बिजली एकत्र कर ऊर्जा विभाग को बेची जाएगी।

इसमें ऊर्जा विभाग, उरेडा और राज्य सहकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता होना बाकी है। जिसमें उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक की तरफ से किसान और स्थानीय लोगों को वित्त पोषण का काम किया जाएगा, यानी सोलर प्लांट के लिए बैंक द्वारा सब्सिटी पर ऋण दिया जाएगा।

बिजली एकत्र कर ऊर्जा विभाग को बेची जाएगी और बिकी हुई बिजली की रकम किसानों के खाते में आएगी। किसान के खाते से बैंक की ऋण किस्त काटने के बाद किसान को उनका मुनाफा दे दिया जाएगा।

हल्द्वानी में राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश के पहाड़ी जिलों में हो रहे पलायन को रोकने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे सोलर ग्रीन एनर्जी का नाम दिया गया है।

साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से उत्तराखण्ड को ऊर्जा प्रदेश बनाने का लक्ष्य रखा गया है। पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के साथ ही पर्वतीय निवासियों की आर्थिक तौर पर मजबूत करना भी इसका लक्ष्य है।

पहाड़ के लिए पलायन कोई त्रासदी से कम नहीं है। पलायन की पीड़ा को लेकर उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड सन 2000 में अलग तो हुआ पर राजनीति के भेट चढ़े देवभूमि में पलायन नहीं रुक पाया।

पलायन का पहाड़ा पढ़ नेताओं ने पहाड़ पर राजनीति तो खूब की पर पलायन को लेकर धरातल कोई ठोस नीति नहीं बन पाई। प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार सत्ता में आई तो पलायन आयोग का गठन किया गया।

आयोग के गठन के बाद हर उत्तराखण्डी की आँखों में पलायन रुकने और पलायन प्रभावित क्षेत्रों में विकास का सपना दिखने लगा। अब पलायन आयोग रिपोर्ट की फाइल सचिवालय धूल फांक रही है। वहीं पलायन की जमीनी हकीकत से सरकार को भी कोई सरोकार नज़र नहीं आता है।

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