देवभूमि उत्तराखण्ड के दामन में अब एक और दाग गहरा रहा है। यह दाग है मानव तस्करी का, जिसकी जद में पड़ोसी देश नेपाल की नाबालिग बच्चियां हैं जिन्हें राज्य के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ लाकर देह व्यापार में झोंक दिया जाता है। कोरोनाकाल के दौरान विश्वभर में मानव तस्करी का विस्तार हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई 2020 में सभी राज्य सरकारों को भेजे एक पत्र में इस बाबत चेताते हुए ‘एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट’ बनाने को कहा था। राज्य सरकार की मानव तस्करी के प्रति उदासीनता का आलम यह है कि जनपद पिथौरागढ़ एवं चंपावत की पुलिस के पास न तो इस अपराध के कोई आंकड़े हैं, न ही इसे रोकने की इच्छा शक्ति। सीमांत जनपद के पहाड़ी इलाकों और नेपाल के बैतड़ी में तेजी से बढ़ रही मानव तस्करी की पड़ताल ‘दि संडे पोस्ट’ संवाददाता ने की। इस पड़ताल के दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। राज्य का धारचूला, गंगोलीहाट, झूलाघाट और बेरीनाग मानव तस्करी का केंद्र बनकर उभर रहे हैं लेकिन प्रशासन इससे पूरी तरह उदासीन बना हुआ है
- भारती पाण्डेय
- देश भारत तथा पड़ोसी देश नेपाल के आपस में प्रगाढ़ और समृद्ध संबंध हैं। इसी के चलते दो अलग-अलग देश होने के बावजूद भी दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को रोक-टोक से मुक्त रखा गया है। भारत और नेपाल सिर्फ व्यापारिक संबंध तक ही सीसमत नहीं हैं बल्कि शादी-ब्याह के संबध और रिश्तेदारी भी एकदम सामान्य सी बात है। उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल से लगने वाली 250 किलोमीटर की भारत- नेपाल सीमा के आस-पास बसे दोनों देशों के गांवों में बेटी-रोटी का संबंध है। परंतु गहरे संबंध होने एवं सीमाओं पर प्रतिबंध न होने के करण तस्कर इसका लाभ उठा रहे हैं। तस्करी सिर्फ सामान तक सीमित नहीं है बल्कि मानव तस्करी भी इसमें शामिल है। पिथौरागढ़ जिले के झूलाघाट (भारत-नेपाल सीमा) और नेपाल के बैतड़ी एवं अन्य इलाकों से भारतीय और नेपाली दोनों ही एक देश से दूूसरे देश में और अधिक सरलता से आवाजाही करते हैं। उत्तराखण्ड राज्य के अंदर भारत और नेपाल को आपस में जोड़ने वाले झूलापुल और एक मोटर मार्ग है जिस पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही बेहद ही सामान्य है। इसी का लाभ मानव तस्करों को आसानी से मिल रहा है।
- भारत और नेपाल की सीमा की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल के कंधों पर है। इसके बावजूद भी मानव तस्कर आसानी से अपना काम कर रहे हैं। दोनों देशों के मध्य बहने वाली काली नदी (सुघौली संधि 1860 के बाद से काली नदी बॉडर्र मानी जाती है) का जल स्तर कम होते ही मानव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं और ट्रैफिकिंग को अंजाम देते हैं। उत्तराखण्ड पहाड़ी क्षेत्र के पिथौरागढ़, धारचूला, गंगोलीहाट, झूलाघाट, चंपावत, लखीमपुर खीरी, बेरीनाग और ऊधमसिंह नगर मानव तस्करी का बेहद सेंसेटिव जोन हैं।
- पिथौरागढ़ जिले में 2016 से मानव तस्करी के शिकार बच्चों एवं किशोरियों के एक पुनर्वास केंद्र में जानकारी लेने के लिए ‘दि संडे पोस्ट’ संवाददाता ने दो दिन बिताए। जहां उन्हें 14 पीड़ित बच्चे और किशोरियां मिलीं। इनमें से अधिकतर मानव तस्करी का शिकार हुए हैं। यह तमाम बच्चे नाबालिग हैं तो नाम उजागर नहीं किया जा सकता, पर उनसे बातचीत के दौरान उन्होंने काफी कुछ बताया। एक बच्ची जो अभी भयानक डिप्रेशन से जूझ रही है। अभी 18 साल की है, वह 11 साल की उम्र में ट्रैफिकिंग का शिकार हुई। उसके माता- पिता की मृत्यु हो गई थी। उसने बताया कि वह 6 भाई-बहन (4 बहनें और 2 भाई) हैं जिनमें से एक बहन की माता-पिता की मृत्यु से पहले ही शादी करा दी गई थी। बाकी ये शेष 5 भाई-बहन उसके चाचा द्वारा रुपयों के लिए बेच दिए गए। उसने बताया कि 11 साल की उम्र में उसे 35 साल के आदमी से शादी के लिए बेचा था। और इतनी कम उम्र में ही उस आदमी के परिवार ने इस पर बच्चे पैदा करने का दबाव डाल दिया। जिससे परेशान होकर वह एक दिन जब वहां से भागी तो अपनी आंखों के सामने उस आदमी के हाथों एक बूढ़ी औरत को मरते देखा। तमाम मुसीबतों के बाद अब वह पुनर्वास केंद्र में है। उसने बताया कि मानव तस्करी का शिकार हुए 5 भाई-बहनों में से 7 साल बाद भी तीन भाई बहन रेस्क्यू नहीं किए जा सके। एक नाबालिग भाई अभी किसी अन्य पुनर्वास केंद्र में है जिसकी जिम्मेदारी भी उसी लड़की को उठानी होगी।
- एक अन्य लड़की है जिसकी उम्र अभी सिर्फ 17 साल है, वह मूल रूप से नेपाल से है। मां-बाप ने 11 साल की उम्र में उसे शादी कराने के नाम पर बेच दिया। 12 साल की उम्र में उसने एक लड़के को जन्म दिया। अभी लड़का 5 साल का है। उसने बताया कि ससुराल वालों ने उसे और उसके 5 साल के बच्चे को रुपयों के लिए बेच दिया था। बेचे जाने के बाद सड़क से उसे रेस्क्यू कर उसके बच्चे के साथ पुनर्वास केंद्र में रखा है और अपराधी अभी जेल में है।
- एक अन्य लड़की जिसकी उम्र महज 15 साल है। दिसंबर 2018 में 12 वर्ष की उम्र में जबरन शादी के लिए मनवाने के लिए उसके जीजा ने उसका बलात्कार किया। इस केस में तीन लोग अपराधियों की श्रेणी में नामजद हैं। यह नाबालिग अभी पुनर्वास केंद्र में है तथा बलात्कार के आरोपी जीजा को ‘पॉक्सो’ के अंतर्गत जेल भेजा जा चुका है। लेकिन उस लड़की ने बताया कि उसके परिवार वाले फोन पर उसे केस वापस लेने का दबाव बनाते रहते हैं।
- अगस्त के महीने में पिथौरागढ़ के गणाई (डसीलाखेत) से एक मामला सामने आया जिसमें एक 30 साल की विवाहित महिला को एक व्यक्ति द्वारा फरीदाबाद ले जाया गया। हालांकि महिला की वापसी तो पुलिस ने करा ली। लेकिन शिकायत करने के बावजूद इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। एक अन्य बच्ची है जिसकी उम्र 6-7 साल है। वह भी नेपाल से है। उसके बारे में पुनर्वास केंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि उसका परिवार पिथौरागढ़ में रहकर मजदूरी करता था। उसकी मां की मौत के बाद उसके बाप ने उसका बलात्कार किया। अभी वो ‘पॉक्सो’ के अंतर्गत जेल में है। अगस्त के महीने में इस पुनर्वास केंद्र में कुछ नए बच्चे पुनर्वासित किए गए हैं। जिनमें से तीन बहनें हैं। ये तीनों भी मानव तस्करी का शिकार हुई हैं। इनकी तस्करी में परिवार भी शामिल था।
- पिथौरागढ़ जिले में वर्ष 2016 से संचालित एक गैर सरकारी संस्था ‘कार्ड’ जो भारत-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी के शिकार हुए नाबालिग बच्चों एवं लड़कियों के पुनर्वास एवं संरक्षण के लिए कार्यरत है तथा चंपावत जिले के बनवसा क्षेत्र में संचालित ‘रीड्स’ संस्था ने अब तक 3280 मानव तस्करी का शिकार हुए नाबालिगों को देह व्यापार और बाल मजदूरी के चंगुल से छुड़ाकर, काउंसलिंग करवाकर सुरक्षित घर वापसी करवाई है। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों ने 506 नाबालिगों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया है।
- मानव तस्कर बच्चों एवं लड़कियों को बाल मजदूरी, देह व्यापार के लिए महानगरों में बेच देते हैं जिनमें से अधिकांश मामलों में इन्हें दिल्ली लाया जाता है। दिल्ली सबसे बड़ी देह व्यापार मंडी है। जिला प्रशासन की मानें तो विभाग ने मानव तस्करों पर लगाम न लग पाने के कारण की जानकारी देते हुए बताया। ये मानव तस्कर, सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचने के लिए अलग-अलग मार्गों को तस्करी के लिए प्रयोग करते हैं और पकड़ में कम ही आ पाते हैं। जिस कारण मानव तस्करी के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
बात अपनी-अपनी
उत्तराखण्ड पुलिस प्रशासन ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों को गंभीर एवं संवेदनशील मानती है और इन मामलों पर रोक लगाने के लिए निरंतर कार्यरत है। हालांकि राज्य में नए मामले आ रहे हैं, पर पुलिस-प्रशासन जागरूकता से कार्य कर रहा है। जुलाई 2020 में एमएचए द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार पूरे राज्य में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स का गठन किया जा चुका है और प्रत्येक जिले में एसपी कार्यालय में ये यूनिट्स हैं।
अशोक कुमार, पुलिस महानिरीक्षक उत्तराखण्ड
मैंने नया पदभार संभाला है, मुझे अभी जनपद में मानव तस्करी की पूरी जानकारी नहीं है।
लोकेश्वर सिंह, पुलिस अधीक्षक, पिथौरागढ़
मैं अभी अवकाश पर हूं। इस बारे में तत्काल बातचीत नहीं कर पाऊंगा।
देवेंद्र पिंचा, पुलिस अधीक्षक चंपावत
आईपीसी मॉरल टैªफिकिंग एक्ट को कवर करता है तथा आर्टिकल 24, चौदह साल से कम आयु के बच्चों को फैक्ट्री, माइनिंग या किसी भी खतरनाक जगह पर काम करवाने के खिलाफ बनाया गया है और ऐसे ही लगभग 25 प्रोविजन एवं आर्टिकल 366ए, 366बी तथा 374 आदि हैं जो ट्रैफिकिंग के खिलाफ हैं।
स्निग्धा तिवारी, अधिवक्ता नैनीताल हाईकोर्ट
प्रतिवर्ष 200 से 300 मानव तस्करी के शिकार हुए लोग रेस्क्यू किए जाते हैं। 2020 में कोविड महामारी के चलते ये आंकडे कम हुए हैं। वर्ष 2020 में 108 लोगों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाकर घर वापसी कराई गई। 2021 जुलाई तक हमने भारत-नेपाल बॉर्डर से 175 लोगों को रेस्क्यू किया है। मार्च 2021 से अगस्त 2021 तक भारत 8 लोगों को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया जा चुका है। एक नेपाली महिला को 12 साल पहले उसके पति ने मुंबई में बेच दिया था जिसके बाद उसे गोवा और अन्य तमाम जगहों पर देह व्यापार के लिए ले जाया जाता था। उस महिला को हमारे द्वारा लोकल पुलिस के माध्यम से 12 साल बाद रेस्क्यू किया। नेपाल से तस्करी का शिकार हुई अधिकांश लड़कियां एवं औरतें दिल्ली, मुंबई, गोवा, मेरठ, शिमला, पुणे, जबलपुर, बैंगलोर जैसे शहरों में बेची जाती हैं।
माहेश्वरी भट्ट, मैती संस्था नेपाल
मानव तस्करी को इतनी चालाकी के साथ अंजाम दी जाती है कि उसके गिने-चुने मामले ही पुलिस एवं संस्थाओं के संज्ञान में आ पाते हैं। अतः यह अनुमान लगाना भी अत्यंत मुश्किल है कि कितने लोग इसके चंगुल में हैं। उत्तराखण्ड में पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधमसिंह नगर मानव तस्करी का जोन है। पहाड़ी क्षेत्र में धारचूला, गंगोलीहाट, झूलाघाट, पिथौरागढ़, चंपावत, लखीमपुर खीरी, बेरीनाग बेहद सेंसिटिव जोन हैं। गरीबी, पिछड़ेपन और अशिक्षा के कारण कई मामलों में खुद बच्चों के रिश्तेदार, पास-पड़ोस के लोग, परिवारजन और तो और बच्चों के अपने माता-पिता शामिल रहते हैं।
सुरेंद्र आर्या, सामाजिक कार्यकर्ता झूलाघाट पिथौरागढ़
सीमांत क्षेत्र महिलाओं और लड़कियों के मामले में बेहद असुरक्षित हैं। परिवारों में असमानता की शिकार, गरीबी से जूझ रही लड़कियों को मानव तस्कर सॉफ्टली टारगेट कर लेते हैं। लड़कियों के परिवार वालों को शादी का झांसा देकर बच्चियों के परिवार को कुछ रुपए देकर उन्हें खरीद लिया जाता है जिसके बाद उनका शारीरिक शोषण करके देह व्यापार की मंडियों में बेच दिया जाता है। कई मामलों में लड़कियां बहुपति विवाह का शिकार भी हुई हैं जिनका एक पूरे परिवार के पुरुषों द्वारा शारीरिक शोषण किया गया और कुछ कुछ समय बाद देह व्यापार में झोंक दिया गया। परिवार रुपयों और शादी के लालच में नाबालिग बच्चियों को बेच देते हैं जिस कारण कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं होती और आधिकारिक रूप से सही आंकडे़ नहीं मिल पाते।
निर्मला पाण्डेय, संचालिका कार्ड उज्ज्वला पुनर्वास केंद्र पिथौरागढ़