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उत्तराखंड: पर्यटन के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों खर्च लेकिन हकीकत दावों के इतर

उत्तराखंड: पर्यटन के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों लेकिन हकीकत दावों के इतर

उत्तराखण्ड को ऊर्जा और पर्यटन प्रदेश बनाए जाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन विगत 19 वर्षों से न तो यह ऊर्जा प्रदेश बन पाया है और न ही पर्यटन प्रदेश का स्वरूप उभर पाया है। हालांकि, राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपए फूंक चुकी है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकार के दावों के इतर ही सामने आ रही है। जिन पर्यटन स्थलों को राज्य के पर्यटन के लिए मील का पत्थर बताने में सरकार के द्वारा जमकर प्रचार किया गया, उनकी दुर्दशा का आलम यह है कि वहां स्वच्छता नाम की कोई चीज तक देखने को नहीं मिल रही है।

जगह-जगह पर कूड़े के ढेर और गंदगी के अम्बार लगे हुए हैं यहां तक कि जीव-जंतुओं के अवशेष पर्यटकों का स्वागत करते दिखाई दे रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा विख्यात टिहरी बांध के तट पर बनाए गए कोटी काॅलोनी टिहरी झील पर्यटक स्थल का दिखाई दे रहा है, जबकि प्रदेश सरकार और खासतौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत इस स्थान को विश्व के पर्यटन मानचित्र में लाए जाने का दावा कर रहे हैं। सरकार की उदासीनता और जिला प्रशासन तथा नगर पालिका टिहरी की घोर लापरवाही के चलते आज यह पर्यटक स्थल दुर्दशा का शिकार बना हुआ है।

हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन इसी कोटी काॅलोनी में प्रत्येक वर्ष टिहरी झील साहसिक पर्यटन का भव्य आयोजन करती है जिसमें नोैकायन और साहसिक जल क्रीड़ाएं होती है। यही नहीं मौजूदा सरकार तो इसी स्थल पर तैरते मरीना बोट हाउस पर कैबिनेट बैठक तक कर चुकी है। बावजूद इसके आज इस पूरे परिसर में गंदगी, कूड़े के ढेर और बदबू का साम्राज्य फैला हुआ है। बदइंतजामी का आलम यहां तक है कि पर्यटकों के लिए बनाए गए पर्यटक पथ और झील को निहारने के लिए बनाए गए विश्राम स्थलों पर शराब, बीयर और खाद्य सामग्री के खाली पैकेट के अलावा बीड़ी सिगरेटों के टुकड़े हर जगह फैले हुए हैं।

शौचालयों में मल का ढ़ेर लगे हुए हैं और दरवाजे भी नदारद हैं। विश्व पर्यटक मानचित्र में उभरने का दावा कोटी कॉलोनी में पूरी तरह से ध्वस्त होता दिख रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन और स्वस्थ भारत अभियान के दावों की हकीकत भी इस स्थान पर पूरी तरह से गायब दिखाई दे रही है। हालांकि राज्य सरकार प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान को लेकर प्रदेश के शहरों को साफ रखने का दावा करती है और इसके लिए प्रत्येक नगर निकाय में राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए 4 जनवरी से 10 मार्च तक होने वाले आयोजन को 20-20 के नाम से प्रचारित करने में लाखों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी हालात यह हैं कि कोटी कॉलोनी में सार्वजनिक शौचालय के दरवाजे तक टूटे पड़े हैं। यही नहीं एक शौचालय में तो किसी गरीब व्यक्ति द्वारा अपना आशियाना तक बनाया हुआ है।

सबसे दुखद बात यह है कि कोटी कॉलोनी पर्यटक स्थल के मुख्य द्वार पर ही दोनों ओर आस-पास के क्षेत्र का कूड़ा एकत्र करके डंपिंग ग्राउंड तक बनाया हुआ है। जिसमें चारों ओर कूड़े का ढे़र लगा हुआ है। यही नहीं इसी मुख्य द्वार पर कई दिनों से एक मृत पशु के अवशेष भी पड़े हुए हैं, लेकिन उसको हटाए जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ भारत अभियान के तहत बनाए गए ओपन जिम के भी हाल बदहाल हो चले हैं। लाखों रुपए खर्च करके कोटी कॉलोनी के पर्यटक स्थल पार्क के एक हिस्से में ओपन जिम यानी खुली व्यायामशाला का निर्माण किया गया है। लेकिन आज यह ओपन जिम कसरत के बजाए स्थानीय निवासियों के कपड़ों को सुखाने के काम में आ रहा है।

यही हाल लाखों की लागत से बनाए गए पार्क और उसके उपकरणों का भी हो रहा है। तकरीबन दो सौ मीटर से बड़े पार्क और ओपन जिम में चारों ओर गीले कपड़े टंगे हुए दिखाई देते रहते हं। इससे यह साफ है कि सरकार प्रधानमंत्री के मिशन को पलीता लगा रही है। इसके चलते न तो नागरिक स्वस्थ हो पा रहे हैं ओैर न ही उनको स्वच्छ वातावरण मिल पा रहा है। कोटी कॉलेानी पर्यटक स्थल की बदइंतजामी के मामले को देखें तो इसका पूरा सिस्टम ही गड़बड़ाया हुआ है।

उत्तराखण्ड का पहला वाटर स्पोर्ट्स पर्यटन स्थल का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन इसका उत्तराखण्ड पर्यटन से कुछ भी लेना- देना नहीं है। जिला पर्यटन अधिकारी सुरेश सिंह यादव कहते हैं कि कोटी कॉलोनी पर्यटन क्षेत्र टिहरी विशेष पर्यटन विकास प्राधिकरण के तहत संचालित होता है जिसके सीईओ जिलाधिकारी टिहरी हैं। बकौल सुरेश यादव जिला पर्यटन प्रशासन केवल जिले के पर्यटन स्थलों के लिए है। झील में नाव का संचालन ‘टाडा’ यानी टिहरी विशेष पर्यटन विकास प्राधिकरण संचालित करवाता है।

कोटी कॉलोनी स्थित गेस्ट हाउस का संचालन गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा किया जाता है। साफ- सफाई और स्वच्छता के लिए नगर पालिका जिम्मेदार है। लेकिन नगर पालिका इसके लिए प्राधिकरण को ही जिम्मेदार बता रही है। यानी कोटी कॉलोनी पर्यटक स्थल के प्रचार के लिए सरकार के पास करोड़ों रुपए का खर्च तो है, लेकिन व्यवस्था किसके पास सुरक्षित हो सकती है, अभी तक इसके लिए कोई खाका नहीं बनाया गया है। कोटी कॉलोनी नगर पालिका टिहरी का ही एक हिस्सा है जहां नगर पालिका के द्वारा स्वच्छता सर्वे 2020 का जमकर प्रचार किया जा रहा है, लेकिन पर्यटक स्थल में गंदगी का साम्राज्य है उसके लिए न तो टिहरी नगर पालिका के पास समय है और न ही टाडा प्रशासन के पास समय है।

करोड़ों की लागत से बनाए गए फ्लोटिंग मरीना बोट के हालात भी अच्छे नहीं हैं। पूर्व में सरकार इसी मरीना बोट पर कैबिनेट की बैठक हो चुकी है, लेकिन कुछ ही समय के बाद यह मरीना बोट झील में पानी की कमी के चलते दलदल में फंस गई थी। इसके कारण उसे भारी क्षति हुई थी। ‘दि संडे पोस्ट’ ने कोटी कॉलोनी पर्यटक स्थल की बदइंतजामी के मामले में टिहरी जिला प्रशासन, टिहरी विशेष पर्यटन विकास प्राधिकरण के सक्षम अधिकारियों से बात की और जानने का प्रयास किया कि इसकी व्यवस्था आखिर है किसके पास, तो हैरानी इस बात पर हुई कि इसके सीईओ जिला अधिकारी टिहरी हैं जो कि छुट्टी पर हैं। जबकि टिहरी विशेष पर्यटन विकास प्राधिकरण के प्रशासनिक अधिकारी कौन हैं, के सवाल पर बताया गया कि कोई हैं तो सही लेकिन कौन हैं इसकी जानकारी प्राधिकरण के पास नहीं है।

इतना जरूर बताया गया कि अगर डीएम अवकाश पर होती हैं तो मुख्य विकास अधिकारी इसके इंचार्ज होते हैं। यही नहीं टिहरी झील का जिम्मा टिहरी बांध प्रशासन के पास है, लेकिन कोटी कॉलोनी पर्यटक स्थल का जिम्मा टीएचडीसी के पास नहीं है। टीएचडीसी का केवल बांध की झील पर ही अधिकार है ओैर झील के आस-पास का क्षेत्र जिला प्रशासान के अधिकार में है। ‘दि संडे पोस्ट’ संवाददाता को लगभग दो घंटे इसी बात को समझने पर लगे कि आखिर कोटी कॉलोनी पर्यटक स्थल की जिम्मेदारी किस सक्षम प्राधिकृत अधिकारी या विभाग के पास है। हैरत तब हुई कि जब बदइंतजामी के सवाल पर किसी ने भी कोई जबाब नहीं दिया और दूसरे के पाले में गंेद डालते हुए कहा कि अमुक अधिकारी से बात करें।

उपजिलाधिकारी टिहरी जिनके पास टिहरी विशेष पर्यटन विकास प्राधिकरण का भी प्रभार है, बताते हैं कि नगर पालिका टिहरी इसकी साफ-सफाई करने से कतरा रही है। वह मानती है कि यह क्षेत्र प्राधिकरण के पास है और प्राधिकारण के पास कर्मचारियों की भारी कमी है। जिसके चलते इस पर्यटक स्थल की साफ-सफाई नियमित नहीं हो पा रही है। किसी तरह से समय-समय पर साफ- सफाई का काम किया जा रहा है।
टिहरी बांध भागीरथी और भिलंगना नदी पर बना हुआ है। गंगोत्री से निकली भागीरथी देवप्रयाग में गंगा के नाम से विख्यात होती है। इस बांध की झील में पर्यटकों के रोमांच के लिए बोट और हाउस बोट का संचालन किया जा रहा है, जबकि इन बोटों में प्रैट्रोल तथा डीजल का उपयोग होता है जो कि सीधे झील में गिर रहा है।

बोट के लिए तय किए गए स्थल पर झील के पानी में साफ-साफ तैरते डीजल और पेट्रोल की सतह को देखा जा सकता है, जबकि इसके लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। लेकिन जिस तरह से टिहरी झील के जल को प्रदूषित किया जा रहा है उससे यह तो साफ हो गया है कि प्रदूषण नियंत्रण के दावे कोटी कोलनी में ध्वस्त हो चुके हैं। पर्यटकों के लिए जलपान की व्यवस्था का भी बुरा हाल है। अमीर पर्यटकों के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम के हट-कॉटेज बनाए हुए हैं जिनमें सुविधाएं हैं, लेकिन आम पर्यटकों के लिए ऐसा कुछ नहीं है। उनके लिए आज भी खोमचों में ही जलपान की व्यवस्थाएं चली आ रही हैं। पार्किंग स्थल के ही एक कोने में दर्जनों चाय- पकौड़ी आदि तथा राजमा चावल जैसे खोमचे आम पर्यटकों का स्वागत करते हैं। इन खोमचों से निकलने वाला कूड़ा यहां तक कि बरतन धोने से हुई गंदगी सीधे टिहरी झील में समा रही है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब- जब सरकार का कोई मंत्री या वीआईपी कोटी कॉलोनी में झील देखने के लिए आता है तब ही इस क्षेत्र की साफ-सफाई होती है। अन्यथा महीनों तक इसकी कोई व्यवस्था नहीं होती है। कोटी कॉलोनी में जलपान का होटल चलाने वाले विरेंद्र रावत का कहना है कि सरकार ने केवल नाम के लिए इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाया है, जबकि इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
कोटी कॉलोनी में आवागमन के साधन भी नाम मात्र के हैं। चंबा या नई टिहरी से कोई नियमित सार्वजनिक वाहन की सुविधा न होने से पर्यटकों को बहुत परेशानी होती है।

प्राइवेट जीप आदि की बुकिंग करके ही पर्यटक कोटी कॉलोनी जा सकता है। यहां टीजीएमओ की बस सर्विस जो कि दो बार ही नियमित आती है, से आना-जाना किया जाता है। चंबा के व्यवसायी रोशन लाल डबराल की मानें तो सरकार को कोटी कॉलोनी को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करना चाहिए जिसमें दुकानें होटल आदि हों जो किराए पर स्थानीय युवाओं को भी दिए जा सकते हैं। साथ ही चंबा और कोटी कॉलोनी के बीच लोकल बस या छोटे वाहनों का संचालन करवाया जाए जिससे पर्यटक जब चाहें आ-जा सकते हैं।  -कृष्ण कुमार

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