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Uttarakhand

आंदोलन का नायाब तरीका

आंदोलन के दौरान कुछ कर्मचारी कार्यालय में काम निपटाएंगे, तो कुछ वृक्षारोपण कर प्रकृति को बचाने की शपथ लेंगे

कुंमाऊं मंडल विकास निगम के संयुक्त महासंघ के कर्मचारियों ने अपने आंदोलन के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन किया है। परंपरागत ढंग से किए जाने वाले आन्दोलनों से हटकर अब कर्मचारी आंदोलन से पहले पौधारोपण करेंगे, प्रकृति को बचाने की शपथ लेंगे। कुछ कर्मचारी धरने में बैठंगे तो वहीं अधिकतर कर्मचारी दिन भर कार्यालयों में अपने उत्तरदायित्वों का पालन भी करेंगे। कुमाऊं मंडल विकास निगम के कर्मचारी अब आंदोलन में जाने से पहले 9 बजे पौधारोपण करेंगे एवं अगले एक घंटे यानी 10 बजे तक आंदोलन होगा। उसके बाद रोटेशन के आधार पर कुछ कर्मचारी धरने पर बैठेंगे और अधिकांश कर्मचारी 10 बजे से अपने काम में जुटेंगे। यानी कार्यालयों में काम भी होगा एवं धरना-प्रर्दशन भी। साथ ही धरती के नाम एक पौधा भी रोपित होगा एवं प्रकृति संरक्षण की शपथ भी इसमें शामिल होगी।

अलग तरह से आंदोलन करने के अगुवा रहे राज्य आंदोलनकारी एवं कर्मचारी नेता दिनेश गुरुरानी। कहते हैं कि अब आंदोलन की शुरुआत पौधा लगाकर एवं शपथ दिलाकर होगी। जनता को हड़ताल के दौरान परेशान न होना पड़े इसके लिए आंदोलनकारियों ने खुद की जबावदेही तय की है। लेकिन वहीं उनका यह भी मानना है कि विभागाध्यक्ष के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि इनके चलते ही कर्मचारियों को आंदोलन में जाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। जनता हड़ताल के लिए कर्मचारियों को कोसती है। लेकिन कर्मचारी हड़ताल पर विभागाध्यक्षों की काहिली के कारण ही उतरते हैं। अब हमने ठाना है कि अपने हकों के लिए भी लड़ा जाएगा एवं जनता को भी कष्ट न होने दिया जाएगा। साथ ही कर्मचारी पर्यावरण संरक्षण को अपना कर्तव्य मानकर इसे निभाएंगे भी। इस कर्मचारी नेता का यह मानना भी है कि न सिर्फ पौधा लगाना है, बल्कि इसमें लोगों की भागीदारी भी करानी है।

राज्य आंदोलनकारी रहे दिनेश गुरुरानी अभी तक 10 हजार से अधिक पौधों को न सिर्फ रोप चुके हैं, बल्कि इसका संरक्षण भी कर रहे हैं। वह हर रोज प्रातःकाल कर्मचारियों के साथ खुद पौधों में खाद डालते हैं, खुदाई निराई करते हैं, पानी डालते हैं। पिछले एक दशक से अधिक समय से एक पौधा धरती के नाम के साथ ही हिमालय बचाओ अभियान चला रहे हैं। इसके लिए लोगों से प्रकृति संरक्षण की शपथ दिला रहे हैं। उन्होंने मां उल्का देवी परिसर में यात्री वाटिका, सोर वाटिका, शहीद वाटिकाएं भी बनाई हैं। यहां पर वर-वधू के परिणय, जन्मदिन, सालगिरह, विशेष उत्सव के साथ ही जनपद में आने वाले विशिष्ट अतिथियों, मंत्रीगणों, जनप्रतिनिधियों से पौधारोपण कराया जाता है। वह 1 लाख लोगों को लिखित एवं मौखिक रूप से शपथ दिला चुके हैं। अब अपने नायाब आंदोलन के तरीके से चर्चा में हैं।

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