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  •       अरूण कश्यप

 

चमोली जिले के गोपेश्वर में ‘नमामि गंगे योजना’ के जल निगम द्वारा निर्मित एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के हादसे में बेमौत मारे गए 16 लोगों के परिवार अभी भी सदमे से नहीं उबरे हैं। कर्मचारियों की एक छोटी-सी भूल ने कई घरों के दीपक बुझा दिए। फिलहाल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों पर इस घटना की दो जांच हो चुकी हैं जिनमें अनदेखा सच सामने आया है। रिपोर्ट में सुरक्षा मानकों में गड़बड़ी के साथ ही प्लांट में करंट दौड़ने और लोगों के असमय काल-कवलित होने की कई वजह सामने आई है। यहां तक कि अपर जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में आरोपी कंपनी और कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की संस्तुति की जा चुकी है। फिलहाल जांच रिपोर्ट शासन के पास पहुंच गई है। जल्द ही जांच रिपोर्ट के आधार पर पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद है

ग्यारह जुलाई 2023 को चमोली में ‘नमामि गंगे’ परियोजनाके सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट दौड़ने से 16 लोगों की मौत और 11 लोग झुलसे थे। हादसे की शुरुआत 18 जुलाई को ही हो चुकी थी। इस दिन सुबह प्लांट में तैनात हरमनी गांव के गणेश की मौत की खबर सामने आई थी जिसकी मौत भी करंट लगने से हुई बताई गई। इसकी सूचना मिलते ही मृतक गणेश के परिजन, ग्रामीण, जनप्रतिनिधि, पीपलकोटी चौकी इंचार्ज एसआई प्रदीप रावत तीन होमगार्डों के साथ पंचनामा भरने प्लांट पर पहुंचे। बताया गया कि जब ये सभी लोग प्लांट पर पहुंचे थे तब बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही थी। इस बीच तीन मिनट के लिए बिजली आई और आग का धमाका हुआ जिसके बाद बिजली बंद हो गई। इस दौरान 16 लोगों की मौत और दर्जनों लोग घायल हुए। घायलों के अनुसार करीब 11 बजे प्लांट पर तेजी से धमाका हुआ और बाहरी प्लेटफॉर्म पर खड़े लोग जलने लगे। ये देखकर लोग भागने लगे, लोहे की रेलिंग पर करंट दौड़ने से कई लोग अचेत होकर गिर पड़े और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में कंपनी पदाधिकारियों पर गैर इरादतन हत्या एवं विद्युत उपकरणों के संचालन में लापरवाही बरतने का मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। पुलिस ऊर्जा निगम के लाइनमैन महेंद्र सिंह, जल संस्थान के सहायक अभियंता हरदेव लाल आर्य, एसटीपीसंचालक कंपनी के परियोजना प्रबंधक भास्कर महाजन एवं सुपरवाइजर पवन चमोला को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।

इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। मजिस्ट्रियल जांच में कुल 39 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही ज्वाइंट वेंचर फर्म का अनुबंध खत्म करने की संस्तुति की गई है। इस फर्म को उत्तराखण्ड से ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। इसके साथ ही एक्सेस पावर कंट्रोल को भी उत्तराखण्ड से ब्लैक लिस्ट करने की संस्तुति की गई है, भारत सरकार से भी अनुरोध किया गया है कि इन दोनों कंपनियों को पूरे भारत से ब्लैक लिस्ट किया जाए, फर्म द्वारा उत्तराखण्ड पेयजल निगम को गारंटी के रूप में दी गई 110.75 लाख की बैंक गारंटी भी जब्त की जाएगी। ज्वाइंट एडवेंचर फर्म और एक्सेस पावर कंट्रोल्स के विरुद्ध कार्रवाई करने की संस्तुति जांच रिपोर्ट में की गई है।

चमोली के अपर जिलाधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने लगभग 175 पेज की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। इस जांच रिपोर्ट में बताया गया कि एसटीपी प्लांट की विद्युत व्यवस्था के लिए किए गए अनुबंध विद्युत सुरक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं थे। जिस वजह से प्लांट में शॉर्ट सर्किट हुआ और करंट दौड़ गया। इतना ही नहीं जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि विद्युत सुरक्षा विभाग की आख्या के अनुसार जो मीटर क्षमता के अनुसार होना चाहिए था वह नहीं था, इसके स्थान पर चेंज ओवर का प्रयोग किया जा रहा था। इसके साथ ही एसटीपी परिसर का आर्थिंग मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया, जिस कंपनी के साथ अनुबंध था उसने समय-समय पर प्लांट की समीक्षा भी नहीं की। आश्चर्यजनक बात यह रही कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट में विद्युत विभाग और जल संस्थान के जो कर्मचारी काम कर रहे थे उनमें आपसी समन्वय नहीं था। बताया जा रहा है कि ऐसे ही कई खुलासे अपर जिलाधिकारी की जांच में सामने आए हैं।

दूसरी जांच उत्तराखण्ड जल संस्थान की ओर से हुई है जिसकी विभागीय जांच में भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जल संस्थान नैनीताल के महाप्रबंधक डीके सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया। इस जांच टीम में जल संस्थान पौड़ी के प्रभारी अधीक्षण अभियंता प्रवीण सैनी, जल संस्थान देहरादून के अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट, जल संस्थान खटीमा के अधिशासी अभियंता अजय कुमार आदि रहे। जांच में जो हकीकत सामने आई वह वाकई चौंका देने वाली है। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में सबसे पहले उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन की गोपेश्वर डिवीजन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि विद्युत कर्मचारियों की संवेदनहीनता के कारण ही 16 लोगों की मौत हुई है जिसके अनुसार हादसे वाले दिन से पहले एक मौत हुई उसी दौरान ही यदि उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारी सतर्कता बरतते तो 15 और लोगों को मौत के मुंह में जाने से रोका जा सकता था। इसके अलावा जांच टीम ने उत्तराखण्ड पेयजल निगम को भी कटघरे में खड़ा किया है।

जांच टीम ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तराखण्ड पेयजल निगम ने इस एसटीपी प्लांट का निर्माण किया था लेकिन उस दौरान सुरक्षा उपकरणों को लगाने में भारी लापरवाही बरती गई। यहां तक की इस एसटीपी को मानक के अनुसार अर्थिंग भी नहीं किया गया जो अपने आप में घोर लापरवाही हैं। साथ ही प्लांट का संचालन करने वाली फर्म जय भूषण मलिक कॉन्ट्रेक्टर, पंजाब तथा कॉन्फिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर ने एसटीपी निर्माण और उसका संचालन का भी ठेका लिया था। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन के लिए केवल एक ही कर्मचारी तैनात था। लेकिन वह भी पूरी तरह प्रशिक्षण हीन था। 1 नवंबर 2019 को एसटीपी निर्माण पूरा कर लिया गया था बावजूद इसके उत्तराखण्ड जल संस्थान को संचालन के लिए ये एसटीपी हैंडओवर नहीं किया जाना सवालों के घेरे में था। जांच टीम ने एसटीपी प्लांट का
संचालन करने के लिए नियुक्त प्रभारी सहायक अभियंता हरदेव लाल को भी माना है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन नहीं किया। जांच टीम के अनुसार हादसे में उत्तराखण्ड जल संस्थान के सहायक अभियंता प्रदीप मेहरा 19 जुलाई को हुई भयंकर दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो चुके थे। इलाज के दौरान एम्स अस्पताल में उनका एक हाथ और एक पैर भी काटना पड़ा था। करंट लगने से उनकी एक किडनी भी खराब हो गई है।

पेयजल सचिव के आदेशों को दिखाया था ठेंगा
पूर्व में पेयजल सचिव ने महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कहा था कि जल संस्थान को स्थानांतरण के समय से ही यदि कोई एसटीपी का कोई महत्वपूर्ण उपकरण उचित ढंग से कार्य नहीं कर रहा है अथवा खराब है तो उत्तराखण्ड पेयजल निगम द्वारा उसकी मरम्मत करवाई जाएगी तथा उपकरण को परिवर्तित किया जाएगा तथा इस प्रकार के मरम्मत संबंधी कार्यों को 1 माह के अंतर्गत पूर्ण कर लिया जाएगा। इस संबंध में उत्तराखण्ड जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा शासन को रिपोर्ट भी उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन लापरवाही का आलम यह रहा कि विभाग के सचिव के आदेशों के बाद भी उत्तराखण्ड पेयजल निगम ने जल संस्थान द्वारा बताई गई कमियों और एग्रीमेंट में अंकित विद्युत सुरक्षात्मक कार्य को आदेशों के बाद भी ठीक नहीं किया और ना ही उत्तराखण्ड जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा शासन को इस संबंध में कोई आख्या ही भेजी गई।

गढ़वाल में सात एसटीपी बंद
उत्तराखण्ड के चमोली में हुए करंट हादसे के बाद सरकार ने एहतियात के तौर पर सात एसटीपी बंद कर दिए हैं। ये सभी एसटीपी चमोली और रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं। इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में करंट फैलने के डर से इन्हें बंद किया गया है। इसके साथ ही सरकार ने इन प्लांट्स का काम देख रही कंपनी को नोटिस भी जारी किया है। नोटिस में कंपनी को 48 घंटे के अंदर प्लांट में सुधार करने को कहा गया है। अगर तय समय में कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उनके बकाया बिल या देनदारी का भुगतान नहीं किया जाएगा। जांच के दौरान पता चला कि चमोली और रुद्रप्रयाग में कई एसटीपी ऐसे हैं, जहां अर्थिंग सहित कई उपकरण या तो टूट गए हैं या तेज पानी के बहाव में बह गए हैं जिसके बाद इन प्लांट्स को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार यहां पर कॉन्फिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण करवाया है। ऐसे में सरकार ने कंपनी को नोटिस जारी कर प्लांट्स में सुधार करने को कहा है, ताकि करंट फैलने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।

हमने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। अब आगे निर्णय लेने का काम शासन का है। इस मामले में दो विभागीय जांच भी हो रही है। जिसमें एक जांच उत्तराखण्ड जल संस्थान की तरफ से हो चुकी है जबकि विधुत विभाग की जांच आनी बाकि है। जांच में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जो सिद्ध करते हैं कि लापरवाही हुई है। यह लापरवाही कई स्तर से हुई है जिसके लिए जिम्मेदार लोगों और कंपनी पर हमने
कार्रवाई करने की संस्तुति की है।
अभिषेक त्रिपाठी, अपर जिलाधिकारी चमोली

 

 

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