[gtranslate]

देश-विदेश में प्रसिद्ध गीता भवन स्वर्गाश्रम के कर्मचारी पिछले चार महीनों से वेतन न मिलने पर आंदोलनरत हैं। उनके समर्थन में अनशन पर बैठे एक संत की जान तक चली गई है, लेकिन प्रबंधन अपनी हठधर्मिता छोड़ने को तैयार नहीं

प्रदेश सरकार के देव स्थानम् बोर्ड का विरोध करने वाली धार्मिक संस्थाएं अपने कर्मचारियों का शोषण करने में पीछे नहीं हैं। कई धार्मिक संस्थाओं और आश्रमों के कर्मचारियों को आज भी जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जिससे समय-समय पर इन कर्मचारियों के आंदोलन होते रहे हैं। हालिया मामला देश-विदेश की विख्यात धार्मिक संस्था गीता भवन स्वर्गाश्रम का सामने आया है जिसमें विगत चार माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है, इससे कर्मचारी आंदोलनरत हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि कर्मचारियों के आंदोलन को समर्थन देकर आमरण-अनशन करने वाले एक स्थानीय बुजुर्ग और समाजसेवी संत पी निरालाचार्य की अनशन के दौरान मृत्यु तक हो चुकी है। बावजूद इसके गीता भवन का प्रबंधतंत्र अपनी हठधर्मिता से पीछे नहीं हट रहा है। गीता भवन स्वर्गाश्रम के कर्मचारियों का आंदोलन चार दशक से भी पूर्व स्थापित ‘गीता भवन आयुर्वेदिक औषधि निर्माणशाला’ को हरिद्वार के सिडकुल में स्थानांतरित करने पर आरंभ हुआ।

प्रबंधक कमेटी ने कर्मचारी यूनियन को अंधेरे में रखकर एकतरफा निर्णय लेकर सभी कर्मचारियों को हरिद्वार के सिडकुल में चले जाने का फरमान जारी किया कर्मचारियों को आदेश नहीं मानने पर दंडात्मक कार्यवाही और सेवा समाप्ति करने का भय दिखाकर डराया-धमकाया गया। जब कर्मचरियों ने प्रबंध कमेटी के सामने अपनी मांग रखने का प्रयास किया, तो प्रबंधक कमेटी कर्मचारियों की यूनियन से बात करने के बजाय हर एक कर्मचारी को व्यक्तिगत नोटिस के आधार पर उत्पीड़न करने में लगी हुई है। दरअसल, यह मामला भी खासा दिलचस्प है। वर्ष 2016 में लाइसेंसिंग अधिकारी आयुर्वेद एवं यूनानी सेवाएं विभाग ने पौड़ी जिले के गीता भवन आयुर्वेद संस्थान स्वर्गाश्रम यमकेश्वर, गंगाक्षी आयुर फार्मास्युटिकल्स, स्वर्गाश्रम ट्रस्ट आयुर्वेद औषधालय स्वर्गाश्रम यमकेश्वर, रेन्बो पैशन सिगड्डी ग्रोथ संेटर कोटद्वार, श्रीश्री आयुर्वेदा सिगड्डी ग्रोथ संेटर कोटद्वार और स्वदेशी आयुर्वेद गंगाभोगपुर तल्ला, यमकेश्वर गढ़वाल तथा अम्बेफाईटोएक्सट्रेक्टस प्राइवेट लिमिटेड बीरोंखाल जैसे आयुवेर्दिक दवा कारखानांे से प्रदूषण होने की बात कही। लिहाजा इन सभी को औद्योगिक क्षेत्रों में स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिया गया।

इस मामले ने खासा तूल पकड़ा। पोैड़ी जैसे पलायन से त्रस्त जिले में एक साथ सात कारखानांे के स्थानांतरण को लेकर विवाद होने लगा। 9 दिसंबर 2019 को गढ़वाल मंडल निगम के निदेशक चंद्र प्रकाश लखेड़ा ने मुख्यमंत्री के संज्ञान में इस मामले को लाने के लिए पत्र लिखा, जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिव आयुष को इस मामले में तत्काल आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पूर्व का आदेश रद्द कर दिया गया और सभी कारखाने यथावत कार्य कर रहे हैं। लेकिन केवल गीता भवन ही ऐसा संस्थान है जो कि जबरन अपना कारखाना सिडकुल हरिद्वार में स्थानंातरित करने पर अड़ा हुआ है जिसके चलते कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। इस मामले में एक बात सामने निकलकर आई है जिसमें कहा जा रहा है कि गीता भवन प्रबंधक कमेटी और लाइसेंसिंग अधिकारी द्वारा जानबूझ कर एक षड्यंत्र रचा गया जिसके चलते गीता भवन प्रबंध कमेटी आसानी से अपना कारखाना सिडकुल हरिद्वार में स्थांनातरित कर पाए।

गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक चंद्र प्रकाश लखेड़ा कहते है कि इस मामले में गीता भवन प्रबंध कमेटी ने लाइसेंसिंग अधिकारी केे साथ सांठ-गांठ कर अपने खिलाफ प्रदूषण फैलाने का आरोप लगवाया जिससे कानूनी तौर पर कारखाना या तो आसानी से बंद हो जाए या फिर सिडकुल हरिद्वार में स्थानांतरित किया जा सके। कर्मचारियों को भी काूननी बाध्यता के तहत स्थानांतरित किया जा सके और वे अपना विरोध न जता सकें, जबकि इन आयुवेर्दिक दवाओं के निर्माण में कोई भी ऐसा रासायनिक तत्व नहीं मिलाया जाता जिससे किसी प्रकार का जल, भूमि या वायु प्रदूषण होता हो। देखा जाए तो यह आरोप कहीं न कहीं सत्य प्रतीत होता है। गीता भवन का आयुर्वेद संस्थान 44 वर्षों से निरंतर आयुर्वेद की 80 प्रकार की दवाएं जिसमें च्वनप्राश भी शामिल है, निर्माण करता रहा है, लेकिन आज तक रत्तीभर भी प्रदूषण की शिकायत सामने नहीं आई है। स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के अलावा अन्य धार्मिक संस्थाएं इस क्षेत्र में कार्यरत है उनमें निरंतर आयुर्वेद औषधियों का निर्माण होता रहा है, पंरतु इस तरह से प्रदूषण होने की बात कभी न तो समाने आई है और न ही आयुष विभाग या राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोई नोटिस जारी किया है।

इस मामले को लेकर कर्मचरी संघ के खिलाफ प्रबंधक कमेटी हाईकोर्ट गई और याचिका दाखिल की, लेकिन हाईकोर्ट ने कर्मचारी यूनियन के ही पक्ष को सही माना और याचिका को खारिज कर दिया। बावजूद इसके आज भी कर्मचारी प्रबंधन की हठधर्मिता के चलते अनशन करने को मजबूर हंै। यही नहीं दिसंबर 2020 से लेकर आज तक कर्मचारियों का वेतन नहीं दिया जा रहा है जिससे सभी कर्मचारियों के सामने अपना जीवन-यापन करने की चुनौती खड़ी हो चली है। हैरानी की बात यह है कि राज्य का श्रम विभाग कर्मचारियों के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहा है। गीता भवन कर्मचारी संघ एक मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघ है, लेकिन प्रबंध कमेटी संघ के साथ किसी तरह की बात तक करना नहीं चाह रही है। हर कर्मचारी को व्यक्तिगत तौर पर नोटिस जारी करके श्रम कानूनों का उल्लंघन माना जा रहा है, मगर श्रम विभाग इस पर भी लापरवाह बना हुआ है। सिडकुल हरिद्वार की उप श्रमायुक्त मधु नेगी का कहना है कि अभी वार्ता चल रही है, जबकि गीता भवन प्रबंध कमेटी की याचिका हाईकोर्ट से निस्तारित हो चुकी है और कर्मचारियांेेे के ही पक्ष की जीत हुई है।अब गीता भवन सिडकुल स्थित नए कारखाने से अस्थाई कर्मचारियांे को तैनात करके दवाओं का निर्माण करवा रहा है। इससे पुराने और वर्षों से काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी जाने का डर बना हुआ है। प्रबंध कमेटी द्वारा कर्मचारियांे को डराने और नोैकरी से निकाल देने का डर बनाकर कर्मचारियों को दबाव में लिया जा रहा है।

 

बात अपनी-अपनी

पूरा षड्यंत्र गीता भवन प्रबंध कमेटी द्वारा रचा गया है। आयुष विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर जान-बूझकर कारखाने को हरिद्वार ले जाने का प्रयास किया गया है, जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने स्थानांतरण के आदेश को रद्द करवा दिया। इसके बाद सभी 6 कारखाने पहले की भांति काम कर रहे हैं, लेकिन गीता भवन करोड़ों की जमीन सिडकुल हरिद्वार में इसके बहाने आवंटित करवा चुका है और अब पौड़ी जिले के कारखानों को हटाने का षड्यंत्र रचने में लगे हुए हैं।
चंद्र प्रकाश लखेड़ा, निदेशक जीएमवीएन

अभी मामले में वार्ता चल रही है। जब वार्ता का निर्णय हो जाएगा तो कार्यवाही की जाएगी।
मधु नेगी, उप श्रमायुक्त हरिद्वार सिडकुल

कर्मचरियों के केस पर वार्ता चल रही है। वार्ता होने के बाद ही कुछ किया जाएगा।
अरविंद सैनी, सहायक श्रमायुक्त

गीता भवन केवल नाम का धार्मिक संस्थान बना हुआ है। आज तक श्रम विभाग के नियमांे के तहत वेतन और सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। कर्मचारियों को जान-बूझकर हरिद्वार भेजने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। जो कर्मचारी हरिद्वार नहीं जाएगा उसको नौकरी से हटा दिया जाएगा। सिडकुल में केवल दिखावे के लिए दवा कारखाना बनाया गया है। कुछ वर्षों के पश्चात यह भी किसी न किसी बहाने से बंद करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। हम मरते दम तक अनशन करते रहंगे।
आशुतोष शर्मा, संरक्षक कर्मचारी संघ

चार महीनों से हमें वेतन नहीं दिया जा रहा है। कर्मचारी यूनियन से मैनेजमेंट कोई बात नहीं कर रहा है। कर्मचारियों को व्यक्तिगत नोटिस दे रहा है, जबकि हमारी यूनियन रजिस्टर्ड यूनियन है। श्रम विभाग भी गीता भवन के ही पक्ष में खड़ा हुआ है। हाईकोर्ट से गीता भवन को हार मिल चुकी है, लेकिन कर्मचारियों की मांगों को अनसुना किया जा रहा है।
मुरली, कार्यकर्ता कर्मचारी संघ

You may also like

MERA DDDD DDD DD