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Uttarakhand

जन औषधि केंद्रों के मामले में भी घिरी त्रिवेंद्र सरकार

देहरादून। उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार पर विपक्षी पार्टियों के नेता योजनाओं के क्रियान्वयन में झूठ परोसने के आरोप लगाते रहे हैं। अब निर्बल और गरीब नागरिकों के स्वास्थ्य के नाम पर चलाए जा रहे जनऔषधि केंद्रों के मामले में भी प्रदेश सरकार और प्रधानमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगने लगा है। इस आरोप को इस बात से भी बल मिल रहा है कि हाल में नैनीताल हाईकोर्ट ने जनऔषधि केंद्रों में दवाओं के न मिलने पर सरकार और संबंधित पक्षों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है।

हाईकोर्ट द्वारा जनऔषधि केंद्रों के मामले में सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाने से यह मामला खासा दिलचस्प हो गया है। इस मामले में प्रदेश सरकार के पूर्व में किए गए दावों की भी हकीकत सामने आ गई है जिसमें जनऔषधि केंद्रों के बहुत बढ़िया और सुविधाजनक होने के दावे किए गए थे। दरअसल, कुछ माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कई राज्यों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए जनऔषधि केंद्रों और इनसे मिलने वाली सुविधाओं पर सीधी बात की थी। इस वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग में उत्तराखण्ड सरकार और मुख्यमंत्री भी शामिल रहे। कार्यक्रम में एक मरीज दीपा शाही को सरकार द्वारा प्रधानमंत्री के सामने खड़ा किया गया और प्रधानमंत्री से सीधा वार्तालाप करवाया गया। दीपा शाही जो कि भाजपा की पुरानी कार्यकर्ता होने के साथ-साथ ही नगर निगम देहरादून में सभासद भी रह चुकी हंै, ने प्रधानमंत्री को बताया कि उनको जनऔषधि केंद्र से मामूली कीमत पर दवाइयां मिली जिसके कारण वे अपना इलाज करवाने में सफल रहीं और अब ठीक हो चुकी हैं।

हमने तो तभी कहा था कि प्रदेश सरकार हर बात पर झूठ बोलती है। अब तो सरकार झूठ बोलने की इस कदर आदी हो गई है कि प्रधानमंत्री तक को झूठ प्रस्तुत कर दिया। अपनी पूर्व सभासद और कार्यकर्ता दीपा शाही को प्रधानमंत्री के सामने खड़ाकर सरहाना पाने का काम किया। क्या राज्य सरकार को कोई ऐसा आम आदमी नहीं मिला जिसे जनऔषधि केंद्रों से फायदा हुआ हो। जनऔषधि केंद्रों की हालात तो बदतर है। अब हाईकोर्ट ने सरकार के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है। यानी यह साफ हो गया कि प्रदेश में जनऔषधि केंद्रों के मामले में सरकार ने झूठ बोला था।

आरपी रतूड़ी, प्रवक्ता उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी देहरादून

प्रधानमंत्री ने दीपा शाही की जमकर प्रशंसा की और देश के लोगों को जनऔषधि केंद्रों की उपयोगिता और सस्ती दवाओं के मिलने की बात कहकर इसे गरीबों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी योजना बताया। उत्तराखण्ड में जनऔषधि केंद्रों की बेहतरीन सुविधा के लिए राज्य सरकार की भी जमकर सरहाना की।
इस मामले में कांग्रेस ने सरकार पर झूठ परोसने का आरोप लगाया और दीपा शाही को बीमार होने का मामला कई वर्ष पूर्व का बताते हुए कहा कि दीपा शाही भाजपा की सभासद रही हंै ओैर आज भी भाजपा की कार्यकर्ता हैं। प्रधानमंत्री के सामने सरकार ने अपनी ही कार्यकर्ता को खड़कर जन औषधि केंद्र के प्रचार के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है, जबकि दीपा शाही को ब्रेन स्ट्रोक कई वर्ष पूर्व पड़ा था और गरीब होने के चलते महंगा उपचार करवाने में दीपा शाही को बहुत समस्या आने लगी तो उनके साथी रहे कई सभासदों के द्वारा उसके उपचार के लिए सहायता दी गई। इसमें भाजपा के अलावा कई कांग्रेसी सभासदों ने भी अपनी हैसियत के अनुसार योगदान दिया।

अब हाईकोर्ट ने जनऔषधि केंद्रों के मामले में सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है कि आखिर जनऔषधि केंद्रों में दवाइयां क्यों नहीं मिल रही हैं। इससे यह साफ हो गया कि राज्य में जनऔषधि केंद्रांे के हालात बद से बदतर हो चले हैं। 2015 में खोले गए जनऔषधि केंद्रों को एक वर्ष तो स्थापित होने में लगा। इसके बाद मामूली दवाओं के आलावा अन्य जीवन रक्षक दवाओं की कमी के समाचार सामने आते रहे। आज हालात यहां तक हो गए हैं कि अधिकांश जनऔषधि केंद्रों में दवाइयां भी नहीं हैं। मामूली दवाओं के अलावा कोई दवा इन केंद्रों में उपलब्ध नहीं है। इसी को देखते हुए हल्द्वानी के अमित खोलिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की जिस पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायामूर्ति आरसी खुल्बे के ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद सचिव औषधि भारत सरकार, औषधि ब्यूरो भारत सरकार, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखण्ड और राज्य रेडक्राॅस सोसायटी तथा जिला रेडक्राॅस सोसायटी नैनीताल को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है। इन सभी से कोर्ट ने पूछा कि आखिर क्या कारण है कि जनऔषधि केंद्रों में दवाइयां नहीं आ रही हैं।

अब सवाल यह है कि कुछ माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीडियो काॅफ्रेंसिंग कार्यक्रम में राज्य सरकार ने किस आधार पर प्रदेश में जनऔषधि केंद्रों के बेहतर तरीके से चलने की बात कही और प्रधानमंत्री से इसके लिए जमकर सरहाना पाई। यहां तक कि जनऔषधि केंद्र से लाभ पाने वाले किसी मरीज के बजाय पार्टी कार्यकर्ता को प्रधानमंत्री के सामने खड़ाकर जनऔषधि केंद्रांे की रंगीन तस्वीर प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों के ऐसे हालात हो चले हैं कि केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाओं के क्रियान्वयन और सुधार के लिए हाईकोर्ट को आगे आना पड़ रहा है इससे तो साफ है कि प्रदेश सरकार हकीकत छुपा रही है और बदरंग हो रही तस्वीर को केवल बाहरी कलेवर को रंगीन कर प्रधानमंत्री तक झूठी तस्वीर प्रस्तुत करने से भी पीछे नहीं हंै।

जिस तरह से प्रदेश को सरकार ने खुले में शौचमुक्त के झूठे आंकड़े प्रस्तुत किए और इसके लिए पुरस्कार भी प्राप्त किया उसी तरह से इन जनऔषधि केंद्रों के मामले में भी किया गया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि तीन सप्ताह के बाद राज्य सरकार और संबधित पक्ष हाईकोर्ट में अपने क्या जबाब दाखिल करते हैं।

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