उत्तराखण्ड के तराई में इस बार भाजपा कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी और बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय करती दिखाई दे रही है। हालांकि कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। लेकिन कहीं-कहीं आम आदमी पार्टी उनके बीच अपनी दमदार स्थिति के चलते मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि आम आदमी पार्टी और बसपा, भाजपा या कांग्रेस में से किसकी वोट में सेंध लगाती है। स्वाभाविक है कि आम आदमी पार्टी जिस भी पार्टी के मतों में सेंध लगाएगी उसकी हार तय है।
जसपुर में इस बार आम आदमी पार्टी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। यहां भाजपा के डॉक्टर सुरेंद्र मोहन सिंघल और कांग्रेस के आदेश चौहान के बीच सीधा मुकाबला चल रहा था। लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी के यूनुस चौधरी ने मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाई है उससे कांग्रेस को नुकसान होता दिख रहा है। पूर्व में आदेश चौहान यहां से मुस्लिम वोटों के अधिक मिलने से जीत की दहलीज पर पहुंचे थे। लेकिन उन मुस्लिम वोटों को इस बार यूनुस चौधरी अपने पाले में लाते हुए नजर आ रहे हैं। बाजपुर में आम आदमी पार्टी ने यहां से किसान आंदोलन के सक्रिय नेता रहे बाजवा की पत्नी सुनीता टम्टा बाजवा को टिकट दिया है। इससे मुकाबला त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है। हालांकि कांग्रेस से यशपाल आर्य मजबूत स्थिति में हैं, जबकि भाजपा के राजेश कुमार भी अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हैं। यशपाल आर्य के मुकाबले राजेश कुमार राजनीतिक परिपक्वता के मामले में कमजोर पड़ते दिखाई दे रहे हैं। किसान और खासकर सिख वोटों को आम आदमी पार्टी की सुनीता टम्टा बाजवा अपनी ओर आकर्षित करती नजर आ रही हैं।
गदरपुर में इस बार भाजपा के अरविंद पांडे कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन से कड़े मुकाबले में हैं। हालांकि यहां भी आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह काली मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। इसके चलते यहां भी त्रिकोणीय स्थिति दिखाई दे रही है। यह कहा जा रहा है कि अगर आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह काली ज्यादा वोट लेते हैं तो ऐसे में अरविंद पांडे की जीत सुनिश्चित है। हालांकि बंगाली वोटो और मुस्लिम वोटों के बल पर कांग्रेस दिनोंदिन अपनी स्थिति में मजबूती लाती दिखाई दे रही है। रुद्रपुर में इस बार भाजपा के बागी वन राजकुमार ठुकराल भाजपा प्रत्याशी शिव अरोड़ा के लिए मुश्किल खड़ी करने में सफल हो रहे हैं। इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी मीना शर्मा को मिल रहा है। जिस तरह से राजकुमार ठुकराल मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं उससे भाजपा कैंडिडेट शिव अरोड़ा कमजोर हो रहे हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय राजकुमार ठुकराल में त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है।
किच्छा में इस बार कांग्रेस के तिलकराज बेहड़ भाजपा प्रत्याशी राजेश शुक्ला पर भारी हैं। राजेश शुक्ला एंटी इन्कमबैंसी के साथ ही अपनी पार्टी के बागी उम्मीदवार अजय तिवारी के मैदान में होने के चलते कमजोर पड़ रहे हैं। कांग्रेस के बागी उम्मीदवार हरीश पनेरु अपना टिकट वापस ले चुके हैं। इससे तिलकराज बेहड़ के लिए जीत का रास्ता सुलभ होता हुआ दिख रहा है। सितारगंज में नारायण पाल के बसपा से टिकट लेने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय होने की स्थिति में पहुंच गया है। नारायण पाल यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बसपा से कैंडिडेट बन गए। इससे कांग्रेस कैंडिडेट नव तेजपाल की वोटों पर असर पड़ रहा है।
हालांकि बताया जा रहा है कि नारायण पाल भाजपा प्रत्याशी सौरभ बहुगुणा के वोटों में ज्यादा सेंधमारी कर रहे हैं। सौरभ बहुगुणा 2017 का चुनाव शक्ति फार्म से अधिक वोट लेकर जीते थे। लेकिन इस बार शक्ति फार्म में स्थानीय पूर्व चेयरमैन आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजय जयसवाल बाधा बने हुए हैं। अजय जयसवाल शक्ति फार्म में सबसे ज्यादा वोट ले रहे हैं। जबकि नारायण पाल और नव तेजपाल के साथ ही सौरभ बहुगुणा भी यहां से बंगाली वोटों में सेंध लगाने में जुटे हुए हैं। यहां स्थानीय और बाहरी का मुद्दा उठने के बाद सौरव बहुगुणा के लिए मुश्किलें पैदा हो गई है। कहा जा रहा है कि नव तेजपाल के लिए अगर मुस्लिम एकजुट हो जाते हैं तो कांग्रेस मजबूत स्थिति में होगी। हालांकि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुरेश गंगवार कांग्रेस प्रत्याशी नव तेजपाल को तन-मन-धन से समर्पित होकर चुनाव लड़ा रहे हैं। इसका फायदा भी कांग्रेस को मिल सकता है।
नानकमत्ता में इस बार भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। भाजपा के यहां से दो बार विधायक रहे डॉ. प्रेम सिंह राणा और पूर्व में खटीमा से दो बार के विधायक रहे कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल राणा मजबूती से चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। यहां भाजपा के डॉ ़प्रेम सिंह राणा को उनकी पड़ोसी सीट खटीमा से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का चुनाव लड़ना फायदे का सौदा हो सकता है। कारण नानकमत्ता विधानसभा क्षेत्र की अधिकतर वोट खटीमा शहर में है। खटीमा शहर में पुष्कर सिंह धामी का खासा रुतबा देखने में आ रहा है।
मुख्यमंत्री धामी की राह लेकिन भीतरघात की आशंका चलते कठिन हो चली है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी को तराई क्षेत्र के एक भाजपा नेता ने अपना अघोषित समर्थन दे डाला है। वैसे भी उत्तराखण्ड का मतदाता दो बार
सीटिंग मुख्यमंत्रियों को हार का मजा चखा चुका है। इसके चलते मुख्यमंत्री धामी अपने चुनावी मैनेजमेंट में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।