बस और रेल सेवा बंद होने से धर्मनगरी में मारामारी और हाहाकार जैसा माहौल देखने को मिल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की कल स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू के सफल होने के बाद आज संपूर्ण उत्तराखंड में लॉक डाउन कर दिया गया। कल शाम ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा कर प्रदेशवासियों को चौंका दिया था। जिसका बड़ा असर आज बस स्टैंड पर देखने को मिला लोग अपने घर जाने के लिए लंबी कतारों में बस का इंतजार करते दिखाई दिए।
इसी बीच यात्रियों में भारी आक्रोश भी सरकार के खिलाफ देखने को मिला क्योंकि उनके लिए सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था अभी तक नहीं की है। शिमला से गंगा नहाने आए 60 वर्षीय राजकुमार ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि मैं कल से यहां फंसा हूं यहां ना खाने के लिए कोई दुकान खुली है ना पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था है। जिसके कारण हमें यहां भूखा प्यासा रहना पड़ रहा है और ऊपर से हम अपने घर भी नहीं जा पा रहे।
यही हाल एक अपाहिज व्यक्ति का भी था जो चल पाने में असमर्थ था और यहां हरिद्वार पतंजलि में बाबा रामदेव के यहां अपना इलाज करने आया था। अपनी व्यथा बताते हुए उसने कहा कि मैं ठीक से चल भी नहीं पाता हूं और मुझे अपने घर सैकड़ों किलोमीटर दूर जाना है लेकिन बस और कोई संसाधन ना मिल पाने के कारण मैं यही फंस गया हूं।
दिल्ली से हरिद्वार घूमने आए दीपक और उसके साथियों ने बताया कि हम लोग दो दिन से यहां फंसे हैं, न तो यहां खाना मिल रहा और न ही वापस जाने के लिए कोई वाहन हमें केवल चाय पीकर ही गुजारा करना पड़ रहा है, पर अब तो चाय की दुकान भी बंद होने लगी है,अब हम लोग कैसे यहां रहेंगे।
हालांकि, कोरोनावायरस से बचाव का सबसे अच्छा तरीका सोशल डिस्टेंस और लॉक डाउन जैसे विकल्प ही हैं। लेकिन सरकार को उन लोगों के बारे में भी अवश्य सोचना चाहिए जो दूसरे शहरों से अपने घरों से दूर इस समय दूसरे शहरों में हैं।
रिपोर्ट: अरुण कश्यप