- संजय चौहान
वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद देवभूमि उत्तराखण्ड में कई सालों तक पर्यटकों का रुख बहुत कम रहा। इससे प्रदेश का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसमें प्रभावित होने वालों में विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी भी रही। आपदा के अगले साल यानी वर्ष 2014 में 484 पर्यटक और 2015 में मात्र 181 पर्यटक ही फूलों की घाटी पहुंचे थे। लेकिन, इसके बाद साल-दर-साल यह संख्या बढ़ती जा रही है। करीब ढ़ाई किलोमीटर के इलाके में स्थित फूलों की घाटी को 6 नवंबर 1982 को राष्ट्रीय पार्क घोषित किया गया था। यही नहीं 2004 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया। हर सीजन में 400 से आधिक प्रजाति के फूलों के खिलने से यह घाटी पर्यटकों की पसंद बन रही है।
उत्तराखण्ड के सीमांत जनपद चमोली में 31 अक्टूबर से विश्व धरोहर फूलों की घाटी आम पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई है। इस साल 13 हजार 161 देशी और विदेशी सैलानियों ने घाटी का दीदार किया। इससे प्रदेश का पर्यटन बढ़ रहा है। शीतकाल के बाद अब अगले साल एक जून को फूलों की घाटी आम पर्यटों के लिए खोल दी जाएगी।
इतने पर्यटक पहुंचे फूलों की घाटी
फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए सदा से ही आकर्षण का केंद्र रही है। यहां का नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को अभिभूत कर देता है। फूलों की घाटी में वर्ष 2014 में 484 पर्यटक, 2015 में 181, 2016 में 6503, 2017 में 13752, 2018 में 14742 पर्यटक, 2019 में 17424 पर्यटक, 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण 932 ही पहुंचे थे। 2021 में 9404 पर्यटक यहां आए। 2022 में 20827 पर्यटक और इस साल 2023 में 12 हजार 707 देशी और 401 विदेशी पर्यटकों सहित कुल 13 हजार 161 देशी विदेशी प्रकृति प्रेमियों ने रंग बदलने वाली घाटी का दीदार किया। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम पर्यटक यहां पहुंचे। इस साल पर्यटकों से वन विभाग को 20 लाख 93 हजार 300 रुपए का राजस्व भी प्राप्त हुआ।
इस समय खुलती है फूलों की घाटी
सीमांत जनपद चमोली में मौजूद विश्व धरोहर रंग बदलने वाली फूलों की घाटी को हर साल आवाजाही के लिए 1 जून को आम पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है जबकि अक्टूबर अंतिम सप्ताह यानी 31 अक्टूबर को ये घाटी आवाजाही के लिए बंद हो जाती है।
यहां है विश्व धरोहर फूलों की घाटी
उत्तराखण्ड के चमोली जिले में पवित्र हेमकुंड साहिब मार्ग स्थित फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। फूलों की घाटी में दुनियाभर में पाए जाने वाले फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का केंद्र है। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं।
पर्वतारोही फ्रेंक स्माइथ ने की थी खोज
फूलों की घाटी को खोजने का श्रेय फ्रैंक स्मिथ को जाता है। जब वह 1931 में कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे तब रास्ता भटकने के बाद 16700 फीट ऊंचे दर्रे को पार कर भ्यूंडार घाटी में पहुंचे और उन्होंने यहां मौजूद फूलों की इस घाटी को देखा तो यहां मौजूद असंख्य प्रजातियों के फूलों की सुंदरता को देखकर वो आश्चर्यचकित होकर रह गए। फूलों की इस घाटी का आकर्षण फ्रैंक स्मिथ को दोबारा 1937 में यहां खींच लाया और उन्होंने फूलों पर गहन अध्ययन एवं शोध किया। तब उन्होंने 300 से अधिक फूलों की प्रजातियों के बारे में जानकारी एकत्रित की, जिसके बाद फ्रैंक स्मिथ ने 1938 में फूलों की घाटी में मौजूद फूलों पर ‘वैली ऑफ फ्लावर’ नाम की एक किताब प्रकाशित की जिसके बाद दुनिया ने पहली बार फूलों की इस घाटी के बारे में जाना था। तब से आज तक इस घाटी के फूलों का आकर्षण हर किसी को अपनी ओर खींचता है। फ्रैंक स्मिथ इस फूलों की घाटी से कई किस्म के बीज अपने देश ले गए थे।
चार सौ प्रजाति से अधिक फूल
फूलों की घाटी में चार सौ प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा,
एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहां खिले रहते हैं। घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का संसार बसता है। यहां तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिमतेंदुआ भी दिखता है।
हर 15 दिन में रंग बदलती है घाटी
यहां जुलाई से अक्टूबर के मध्य 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। खास बात यह है कि हर 15 दिन में अलग-अलग प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग भी बदल जाता है। यह ऐसा सम्मोहन है, जिसमें हर कोई कैद होना चाहता है।
ऐसे पहुंचते हैं फूलों की घाटी
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किमी. की दूरी पर घांघरिया है जिसकी ऊंचाई 3050 मीटर है। यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बायीं तरफ तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्टूबर तक खुली रहती है। जुलाई के प्रथम सप्ताह से अक्टूबर तृतीय सप्ताह तक कई फूल खिले रहते हैं।