देवभूमि उत्तराखण्ड को अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए खासतौर पर जाना जाता है, यहां राजनीति में पक्ष और विपक्ष में अधिकतर दोस्ताना सम्बंध रहते आए हैं। शायद यही वजह है कि यहां की विपक्षी पार्टियों को अक्सर ‘मित्र विपक्ष’ कह पुकारा जाता है। लेकिन नगर निकाय चुनावों में जिस तरह से पक्ष-विपक्ष और खुद अपनी ही पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ विवादास्पद बयानबाजी की है उससे न केवल जग हंसाई हुई, बल्कि मर्यादाएं तक तार-तार हो गईं। कहीं ‘मर्द’ जात पर बात कही गई तो कहीं ‘रात के अंधेरे में कौन किसके कमरे से निकल रहा है’ जैसे चरित्र को दागने वाले तीर चलाए गए। कहीं ‘रामनगर को रहमतनगर’ कह धु्रवीकरण की शतरंजी चाल चली गई तो कहीं महाभारत काल के पात्रों को ही चुनावी लड़ाई में हथियार बनाया गया। कुल मिलाकर यह चुनाव आपसी भाईचारे की मशाल को बुझाता हुआ दिखाई दिया
‘मर्द’ नहीं मिला
सूबे के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल अक्सर अपने विवादास्पद बयानों के लिए चर्चाओं में रहते हैं। वे कोटद्वार में भाजपा के मेयर उम्मीदवार शैलेंद्र रावत के लिए प्रचार करने गए तो एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए। उनियाल ने अपने भाषण में कह डाला कि कोटद्वार की सीट जनरल सीट है। कांग्रेस को इस सीट पर शैलेंद्र रावत के खिलाफ एक ‘मर्द’ नहीं मिला। कोटद्वार मेयर की सीट अनारक्षित है। भाजपा ने इस सीट पर शैलेंद्र रावत को टिकट दिया। जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर महिला प्रत्याशी रंजना रावत को मैदान में उतारा था। इसी को लेकर कैबिनेट मंत्री ने विवादास्पद बोल कह दिए। जिसको लेकर कांग्रेस ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इसकी कड़ी आलोचना की।
दसौनी ने कहा कि सुबोध उनियाल के बयान ने भाजपा की चाल, चरित्र, चेहरा और घटिया मानसिकता उजागर कर दी है। मंत्री सुबोध उनियाल को इस तरह की निम्न स्तर की बयानबाजी के लिए प्रदेश की मातृ शक्ति से माफी मांगनी चाहिए और खास तौर पर कोटद्वार से कांग्रेस प्रत्याशी रंजना रावत से क्षमा याचना करनी चाहिए। दसौनी ने मंत्री सुबोध उनियाल के बयान की कड़ी निंदा करते हुए सुबोध उनियाल को खरी-खरी सुनाई और कहा कि उनका बयान भाजपा की महिलाओं के प्रति सोच को दर्शाता है। दसौनी ने कहा यह तो कांग्रेस पार्टी की ऊंची और अच्छी विचारधारा है कि सामान्य सीट पर जिस तरह से पार्टी ने महिला को प्रत्याशी बनाया है वह बताता है कि कांग्रेस पार्टी मातृशक्ति को पुरुषों से कमतर नहीं आंकती है और महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष समझती है। साथ ही महिलाओं को इतना मान-सम्मान भी देती है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी हमेशा से महिलाओं को द्वोयम दर्जे का नागरिक समझती है। यह पार्टी महिला सशक्तिकरण और महिला सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें तो करती है पर जब सम्मान देने की बात आती है तो ठेंगा दिखा देती है। गरिमा ने कहा कि सुबोध उनियाल के बयान ने उत्तराखण्ड की समस्त महिला शक्ति का अपमान और अनादर किया है।
उत्तराखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने फेसबुक पर लिखा ‘कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का कोटद्वार जाकर कांग्रेस पर ‘मर्द का बच्चा’ प्रत्याशी न लड़वाने के बजाय रंजना रावत को टिकट देने की बात पर हंगामा मचा हुआ है। सुबोध उनियाल के बयान के बाद ऋतु खण्डूड़ी का बयान अखबार में छपा है जिसमें ऋतु खण्डूड़ी कह रही हैं कि देश ही नहीं राजनीति भी पुरुष प्रधान हो गई है। भाजपा को विधानसभा चुनाव मंे कोटद्वार में सुरेंद्र सिंह नेगी मर्द का बच्चा के सामने लड़वाने को महिला ऋतु खण्डूड़ी को क्यों उतारा?’
‘रामनगर में रहमतनगर’ की राजनीति
रामनगर में नगर पालिका का चुनाव लड़ रहे मदन जोशी ने यह कहकर उन्होंने कि रामनगर को रहमत नगर बनाए जाने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। धर्म के आधार पर समाज को विभाजित करने का प्रयास किया। उनका सीधा निशाना अल्पसंख्यक समुदाय पर था। इस बार रामनगर में भाजपा ने पार्टी को समर्थन करने वाले कई गांवों को परिसीमन के तहत नगर पालिका में शामिल कर लिया है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी मदन जोशी ने हिंदू मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए रामनगर को रहमतनगर कह शहर की साम्प्रदायिकता को छिन्न-भिन्न करने की कुत्सित चाल चल डाली।
रात के अंधेरे में…
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मथुरा दत्त जोशी पार्टी छोड़कर भाजपा में क्या शामिल हुए उन्होंने ऐसे बयान दे डाले जो कांग्रेेस नेताओं को आहत कर गए। एक टीवी चैनल को दिए गए बयान से वह विवादों में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि ‘मैं कांग्रेस नेताओं के कपड़े खोल दूंगा। कौन किसके कमरे से निकलता है और रात के अंधेरे में किससे मिलता है? यह मैंने खुलासा कर दिया तो नेताओं की पोल खुल जाएगी।
इस विवादास्पद बयान के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने उनका जमकर विरोध किया। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उनके इस बयान पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि टिकट कटने के बाद जिस तरह से उनकी पार्टी के खिलाफ बयान बाजियां चल रही थीं, वह मथुरा दत्त जोशी के व्यक्तित्व से बिल्कुल मेल नहीं खा रही थी। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए ऐसा नहीं है कि उनका योगदान कम रहा, लेकिन पार्टी के समक्ष उन्हें अपना बलिदान और योगदान रखना था। गरिमा का दावा है कि पहले से ही उनकी बातचीत अन्य पार्टियों से चल रही थी। इसलिए कुछ दिनों से वह पार्टी के नेताओं और पार्टी के खिलाफ अनर्गल बयान बाजी कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा उन्हें सर्वाेच्च पदों पर बैठाया, लेकिन जब उन्हें ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस में अब दोहन लायक कुछ नहीं बचा तो वह पार्टी का दामन इस कठिनतम और चुनौतीपूर्ण दौर में छोड़ कर चले गए। गरिमा ने सवाल उठाया कि यदि उन्हें बवाल काटना भी था तो बड़ी बात पर काटते। किंतु मेयर के टिकट को लेकर वह कई तरह के लांछन पार्टी पर लगाकर चले गए। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी मथुरा दत्त जोशी के मामले पर बहुत भावुक हुईं और उनके आंसू तक निकल आए।
मथुरा दत्त जोशी द्वारा पार्टी छोड़ने पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें पार्टी ने हमेशा सम्मान दिया। मथुरा दत्त जोशी वरिष्ठ नेता हैं और उनका यह कहना कि कांग्रेस ने मुझे कुछ नहीं दिया, सही नहीं है। क्योंकि पार्टी ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत सदस्य बनाया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष के अलावा प्रशासनिक कार्यभार भी देख रहे थे। पार्टी में अध्यक्ष के बाद यही सबसे बड़ा पद माना जाता है। इसके बावजूद उनका यह कहना कि पार्टी ने उन्हें सम्मान नहीं दिया तो यह बड़े दुख की बात है। दिल्ली से टिकट के फैसले के बाद इस तरह की बात करना बेबुनियाद बातें थी। मथुरा दत्त जोशी हमारे वरिष्ठ हैं और सब उनका सम्मान करते हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने रात के अंधेरे में कमरे से निकलने की बात कही है वह निंदनीय है।
करण, कृष्ण और ‘रणछोड़’
पिथौरागढ़ में कांग्रेस विधायक मयूख महर अपनी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलकर एक बार फिर एंग्री यंग मैन की भूमिका में दिखाई दिए। उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ अपनी निर्दलीय प्रत्याशी मोनिका महर के लिए जमकर प्रचार ही नहीं किया, बल्कि वे पार्टी के मुखिया के खिलाफ मोर्चा भी लेते दिखे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और मयूख महर में जुबानी जंग भी जमकर हुई। विधायक मयूख महर सभाओं में कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी और विधायकों पर जमकर हमलावर रहे। जिससे पिथौरागढ़ मेयर का चुनाव सबसे दिलचस्प रहा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा भी पिथौरागढ़ पहुंचे और पार्टी प्रत्याशी अंजू लुंठी के समर्थन में जनसभा की। साथ ही उन्होंने पत्रकार वार्ता कर कांग्रेस के बागी विधायक मयूख महर पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री स्व. प्रकाश पंत के निधन के बाद हुए उपचुनाव में मयूख महर को चुनाव लड़ाना चाहती थी। वह चुनावी मैदान में उतरने के बजाय रण छोड़कर भाग खड़े हुए। प्रकाश पंत के परिवार प्रति सहानुभूति की लहर के बीच अंजू लुंठी ने पार्टी का साथ देते हुए चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। तब खुद मयूख महर उनके पक्ष में खड़े थे। आज अपनी चहेती दावेदार को टिकट न मिलने से वह बगावत में खड़े रहे। उन्हें यह समझना चाहिए कि कांग्रेस ने एक निष्ठावान और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता को टिकट देकर कोई गलती नहीं की है। पार्टी प्रत्याशी नए विजन के साथ मैदान में डटी है और पार्टी उनके साथ खड़ी है।
उधर मयूख महर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के रण छोड़ने वाले बयान पर व्यंग्यात्मक लहजे में करारा जबाव दिया। उन्होंने करण माहरा का बगैर नाम लिए कहा कि ‘झुमके वाला स्वर्गीय विधायक का इतना ही मुरीद था तो उसे उनके निधन के बाद प्रत्याशी नहीं उतारना चाहिए था। वह मुझसे रणछोड़ कह रहे हैं। उन्हें जानना चाहिए कि भगवान कृष्ण को रणछोड़ कहा जाता है।’ इसके बाद भी दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी रही। पिथौरागढ़ में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब पार्टी संगठन के खिलाफ स्थानीय विधायक मयूख महर ने मोर्चा खोला है। बल्कि इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आए। दिसंबर 2023 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और विधायक मयूख महर में तनातनी देखने को मिली थी।
तब कांग्रेस के जिला स्तरीय सम्मेलन में पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर ने मंच से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के सामने ही ये सवाल पूछ लिया कि क्या इस बार लोकसभा में टिकट बदला जाएगा या नहीं? इतना ही नहीं विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष को ये भी कह दिया कि अगर हमने टिकट नहीं बदला तो हमने इस बार सरेंडर कर दिया ये समझा जाए कि हम चुनाव लड़ने से पहले ही हार गए। महर का सीधा निशाना पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा की तरफ था। विधायक महर ने मंच से कहा कि हमें फायर ब्रांड नेता चाहिए, न कि पुराने चेहरे। मयूख महर ने करण माहरा और यशपाल आर्य पर भी तंज कसा और कहा कि चुनाव नजदीक हैं इसीलिए डेढ़ साल बाद प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को पिथौरागढ़ का दौरा करने की याद आई।