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Uttarakhand

धर्मपुर में होगा जबर्दस्त धर्मयुद्ध

धर्मपुर विधानसभा सीट में चुनावी रण का मुख्य आधार धर्म और पहाड़ी-गैर पहाड़ी का होना तय है। यहां पहाड़ी मूल के मतदाता खासी तादात में हैं तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी बहुत अधिक है। आम आदमी पार्टी की एंट्री के चलते यहां का चुनावी रण बेहद रोचक होता नजर आ रहा है

उत्तराखण्ड प्रदेश की सबसे अधिक मतदाताओं वाली विधानसभा सीटों में धर्मपुर का नाम सबसे ऊपर है। साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा जनसंख्या और करीब दो लाख मतदाताओं वाली यह विधानसभा सीट राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण मानी जाती है। पर्वतीय मूल और मुस्लिम मतदाताओं के बीच इस क्षेत्र का राजनीतिक भूगोल बनता और बिगड़ता रहा है। धर्मपुर विधानसभा सीट हरिद्वार संसदीय क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिस कारण से यह भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की राजनीति का क्षेत्र माना जाता है। कांग्रेस नेता हरीश रावत भी यहां से एक बार सांसद रह चुके हैं। साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता दिनेश अग्रवाल के लिए यह क्षेत्र शुरू से ही राजनीतिक कर्मभूमि रहा है। वे इस क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक बने।

राजनीतिक इतिहास को देखें तो धर्मपुर विधानसभा सीट पृथक उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व देहरादून विधानसभा क्षेत्र का ही एक हिस्सा थी। राज्य बनने के बाद 2012 में धर्मपुर नाम से नई विधानसभा सीट का गठन किया गया। तब भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश सुमन ध्यानी को हरा कर दिनेश अग्रवाल यहां के पहले विधायक बने। 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी की प्रचंड लहर का बड़ा असर देखने को मिला और भाजपा के विनोद चमोली ने दिनेश अग्रवाल को चुनाव में करारी हार देकर कांग्रेस से इस सीट को छीना। विनोद चमोली के लिए धर्मपुर क्षेत्र राजनीतिक कर्मभूमि रहा है। देहरादून नगर निगम के मेयर का दो बार चुनाव जीतने वाले विनोद चमोली पूर्व में महानगर पालिका देहरादून के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। एक तरह से वे इस क्षेत्र के सबसे बड़े राजनीेतिक चेहरे के तौर पर भाजपा में अपनी पहचान बना चुके हैं।

देहरादून का तराई क्षेत्र के नाम से विख्यात धर्मपुर विधानसभा सीट राज्य बनने के बाद अनियोजित विकास का दंश लगातार झेलती रही है। कभी इस क्षेत्र में चाय के बागान लहलहाते थे, लेकिन राज्य बनने से पूर्व ही चाय के बागानों में कंक्रीट के जंगल लहलहाने आरम्भ हुए जो राज्य बनने के बाद तेजी से इतने आगे बढ़े कि आज पूरा क्षेत्र अविकसित और अनियोजित आवासीय कॉलोनियों में तब्दील हो चुका है। जिसका बड़ा असर इस क्षेत्र के निवासियों के जीवन पर पड़ा है।

क्षेत्र की बड़ी समस्याओं की बात करें तो सबसे बड़ी समस्या सफाई और ड्रेनेज ही है। ड्रेनेज की क्या व्यवस्था होती है, यह शायद क्षेत्र के लोगों को ज्ञात नहीं होगा। राज्य बनने के बाद जिस तरह से देहरादून और उसके आस-पास आबादी बढ़ी है उसका सबसे ज्यादा असर इस विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ा है। हजारों आवास बेरतरतीब से खड़े तो किए गए, लेकिन उनमें नालियों और ड्रेनेज की व्यवस्था नहीं की गई। निरंजनपुर, कारगी, ब्राहमण वाला, मोथरावाला, टिहरी विस्थापित क्षेत्र के अलावा अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां जलभराव और ड्रेनेज की समस्या राज्य बनने के बाद से लगातार बनी हुई है।

परिवर्तन यात्रा में दिनेश अग्रवाल

दूसरी बड़ी समस्या इस क्षेत्र में आंतरिक सड़कों की दुर्दशा है। तकरीबन हर क्षेत्र में सड़कें तो हैं, लेकिन उन पर चलना दूभर हो चला है। आईएसबीटी क्षेत्र में तो कई लोगों की मौत भी सड़कों की बदहाल स्थिति के चलते हो चुकी है। इसी तरह से पेयजल की समस्या इस क्षेत्र में बनी हुई है। तकरीबन 30-35 वर्ष पुरानी पेयजल लाइनों का न तो नवीनीकरण हो पाया है और न ही उनका सुदृढ़ीकरण ही सरकार कर पाई है। पहले भूमिगत जल आसानी से प्राप्त हो जाता था, लेकिन अब वह भी कम होने लगा है। अब हालात यह हैं कि हैंडपम्पों में भी नियमित पानी नहीं आ पा रहा है। हालांकि इस क्षेत्र के लिए अमृत योजना के तहत नई पाइप लाइन तो डाली गई है, लेकिन ढाई वर्ष से इसमें पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे स्थानीय निवासियों के सामने पेयजल की भारी समस्या जस की तस बनी हुई है।

साढ़े तीन लाख की आबादी के बावजूद पूरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी सरकारी और आधुनिक अस्पताल नहीं बनाया जा सका है, जबकि इस क्षेत्र की आधी आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है। महज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ही खड़ा किया गया है जो कि केवल अपने नाम के अनुसार ही काम कर रहे हैं यानी प्राथमिक उपचार। हालांकि इस क्षेत्र के पथरी बाग में हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है, लेकिन अभी यह मेडिकल कॉलेज धरातल पर उतर नहीं पाया है। इसके अलावा इस क्षेत्र में बड़ी और गम्भीर समस्या सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे किए जाने की भी है। राजनीतिक संरक्षण के चलते अवैध कब्जे करने के मामले कई बार सुर्खियों में आते रहे हैं।

सबसे गम्भीर बात यह हेै कि इस क्षेत्र में बाहरी व्यक्तियों की तादात अचानक कुछ वर्षों से बेहद बढ़ी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाहरी लोगों के साथ रोहिंग्या भी बड़ी तादात में इन अवैध बस्तियों में असम के मुस्लिमों के नाम पर बसे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि भाजपा के कुछ पदाधिकारी और विधायक समर्थक इन अवैध बस्तियों में राशन कार्ड बनवाने और सुविधाएं देने के काम करवा रहे हैं।

अब विधायक विनोद चमोली के कार्यकाल की बात करें तो आज स्थानीय मतदाता कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल को इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम करने वाले विधायक के तौर पर मानते हैं। क्षेत्र में वर्तमान विधायक विनोद चमोली के प्रति जनता में बेहद रोष बना हुआ है। पर्वतीय मूल के मतदाता 2017 के चुनाव में चमोली की भारी जीत का कारण बने, लेकिन वर्तमान में विनोद चमोली से सबसे ज्यादा नाराजगी पहाड़ी मतदाताओं में ही बनी हुई है। भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ चमोली की दूरी और नाराजगी उनके व्यवहार के चलते बढ़ रही है। अपने पूरे कार्यकाल में चमोली इस क्षेत्र के लिए कोई बड़ी योजना नहीं ला पाएा यहां तक कि अपने इस कार्यकाल में उन्होंने विधानसभा में एक बार भी सवाल नहीं उठाया है।

प्रदेश के बदलते राजनीतिक समीकरणांे के चलते पर्वतीय मतदाता खासतौर पर गढ़वाल क्षेत्र के मतदाताओं में मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मैदानी क्षेत्र का होने का असर चुनाव में पड़ना तय माना जा रहा है। इसके चलते भाजपा के लिए इस क्षेत्र से पहाड़ी मूल के नेता को ही चुनाव में उतारना एक मजबूरी है। सूत्रों की मानें तो विनोद चमोली से भाजपा संगठन भी नाराज बताया जा रहा है। हो सकता है कि 2022 में विनोद चमोली का टिकट कटे और किसी अन्य पहाड़ी नेता को चुनाव में उतारा जाए। कांग्रेस में भी इस बात को लेकर चर्चाएं हैं कि 2022 के चुनाव में कांग्रेस किसी पहाड़ी नेता पर दांव खेल सकती है, लेकिन अभी इसकी कोई अधिकृत सूचना नहीं है इसलिए कांग्रेस से दिनेश अग्रवाल के ही चुनाव में उतरने की चर्चाएं हैं।

भाजपा कांग्रेस दोनों ही दल इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं, जबकि आम आदमी पार्टी इस क्षेत्र में अपने आप को तीसरे विकल्प के तौर पर बनाने की जुगत में है। इसलिए खाततौर पर इन तीनों ही राजनीतिक पार्टियों के बीच टिकट के दावेदारांे की लम्बी फेहरिस्त है। भाजपा से हाल-फिलहाल विनोद चमोली को ही सबसे बड़ा चेहरा माना जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ चमोली की दूरियां और पहाड़ी मतदाताओं की नाराजगी भी चमोली के लिए चुनाव में एक बड़ी चुनौती बन सकती है। अधिकारियों के साथ चमोली के मतभेद की खबरें पहले ही कई बार सामने आ चुकी हैं। पूर्व में जिलाधिकारी के साथ उनके विवाद इस कदर बढ़े कि चमोली को धरने पर बैठना पड़ा। तब वे नगर निगम के मेयर थे। संभवतः विनोद चमोली उत्तराखण्ड के एक मात्र ऐसे विधायक है जिन्होंने अपने अभी तक के साढ़े चार साल के कार्यकाल में विधानसभा सदन में एक भी सवाल नहीं पूछा है। क्षेत्र की जनता की नाराजगी 2022 के चुनाव में चमोली को भारी पड़ सकती है।

भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता और खण्डूड़ी सरकार में राज्यमंत्री रहे प्रकाश सुमन ध्यानी इस क्षेत्र में भाजपा के एक बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। मिलनसार और मधुर व्यवहार के चलते ध्यानी भाजपा कार्यकर्ताओं और पहाड़ी मतदाताओं में खासे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में 35 हजार मत पाकर ध्यानी दूसरे स्थान पर आए थे। 2017 के चुनाव में अपनी पारिवारिक समस्या के चलते ध्यानी ने चुनाव से किनारा कर लिया था, लेकिन अब 2022 के चुनाव में ध्यानी भाजपा उम्मीदवारांे की सूची में दूसरे सबसे बड़े चेहरे के तौर पर सामने आते नजर आ रहे हैं।

राज्य आंदोलनकारी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति से भाजपा की राजनीति में आने वाले बीर सिंह पंवार भाजपा संगठन में कई पदों पर काम कर चुके हैं। बीर सिंह पंवार पहाड़ी प्रजा मंडल के अध्यक्ष और उत्तराखण्ड पहाड़ी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। कोरोना महामारी के दौरान जनता को राहत देने के लिए अनेक कार्य बीर सिंह पंवार द्वारा किए गए हैं। गौर करने वाली बात यह हेै कि 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के पैनल में बीर सिंह पंवार का नाम भी शामिल किया गया था। 2022 के चुनाव में पंवार भाजपा के एक मजबूत दावेदार हैं।

उच्च शिक्षित और महानगर भाजपा में महामंत्री के पद पर कार्यरत रतन सिंह चौहान संघ के कई संगठनों में पदाधिकारी रह चुके हैं। मेहूंवाला ग्राम सभा के प्रधान और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी जीत चुके चौहान भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति में ईकाई अध्यक्ष से लेकर मंडल अध्यक्ष और जिला उपाध्यक्ष या जिला महामंत्री के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में ं2014 और 2019 में सह चुनाव प्रभारी व 2017 के विधानसभा चुनाव में सह संयोजक का दायित्व भी संभाल चुके हैं। मेडिकल और खेती के व्यवसाय से जुड़े रतन सिंह चौहान धर्मपुर से भाजपा के चौथे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। पहाड़ी मूल का होने के चलते चौहान की पकड़ मेहंूवाला और धर्मपुर क्षेत्र के पर्वतीय मतदाताओं में बेहतर बताई जाती है।

विकास कार्यों का जायजा लेते विनोद चमोली

कांग्रेस पार्टी में फिलहाल तो कोई बड़ा उलटफेर होने की चर्चा नहीं है, लेकिन पहाड़ी मूल के मतदाताओं की संख्या अधिक होने से कांग्रेस में भी पहाड़ी नेता को चुनाव में उतारे जाने की चर्चाएं दबे स्वर में होने लगी हैं। पूर्व में देहरादून नगर निगम के चुनाव में दिनेश अग्रवाल को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन भाजपा के सुनील उनियाल गामा ने दिनेश अग्रवाल को भारी मतों से हरा डाला था। इसका सबसे बड़ा कारण पहाड़ी मतदाता ही रहे हैं। मेयर का चुनाव एक तरह से पहाड़ी और देशी के बीच सिमट गया था जिसके चलते अग्रवाल को करारी हार का सामना करना पड़ा। दिनेश अग्रवाल हरीश रावत के सबसे नजदीकी और खास समर्थक माने जाते हैं। माना जा रहा है कि हरीश रावत 2022 में दिनेश अग्रवाल को फिर से धर्मपुर सीट पर टिकट दिलवा सकते हैं।

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सुरेंद्र सिंह रांगड़ उच्च शिक्षित और छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं। धर्मपुर सीट से कांग्रेस के दावेदारों में वे शुमार हैं। 1991 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने के बाद से 2007 से लेकर 2014 तक रांगड़ कांग्रेस पार्टी में संगठन सचिव के पद पर काम कर चुके हैं। 2014 से 2017 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनाव अभियान औेर प्रचार समिति में रहे हैं। वे मुख्य समन्वयक रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में धर्मपुर सीट से रांगड़ कांग्रेस के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। कभी हरीश रावत के कट्टर समर्थक रहे रंागड़ अब पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय खेमे के करीबी माने जाते हैं।

1989 में कांग्रेस पार्टी से जुडे़ पूरण सिंह रावत टिहरी विस्थापित हैं। दो बार ग्राम सिंराई के प्राम प्रधान का चुनाव जीतने वाले रावत 1988 से 1994 तक जिला टिहरी ग्राम प्रधान संगठन के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। हरीश रावत सरकार में दर्जा राज्यमंत्री रह चुके पूरण रावत उत्तराखण्ड लोक चेतना मंच तथा राज्य आंदोलनकारी मंच में उपाध्यक्ष हैं। साथ ही टिहरी बांध पुनर्वास समिति के अध्यक्ष हैं। टिहरी बांध विस्थापित और पर्वतीय मूल के मतदाताओं में पूरण रावत की पकड़ बताई जाती है। धर्मपुर सीट से पूरण रावत भी मजबूत दावेदार हैं। धर्मपुर सीट पर आम आदमी पार्टी भी भाजपा-कांग्रेस के इतर तीसरे विकल्प के लिए कमर कस चुकी है। अरविंद केजरीवाल के देहरादून दौरे में सबसे ज्यादा भीड़ धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ही देखी गई।

मुस्लिम मतदाताओं की भारी संख्या को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने अपना जनाधार इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ाया है। अधिवक्ता रजिया बेग, आरटीआई कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार उन्मूलन मंच से जुड़े आम आदमी पार्टी के संजय भट्ट धर्मपुर सीट से बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। वे 2013 से 2015 तक आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ सरकार के समय परेड ग्राउंड के जिला प्रशासन द्वारा हरे पेड़ों को काटे जाने के विरोध में बड़ा आंदोलन कर चुके भट्ट को प्रशासन द्वारा आरटीआई जानकारी मांगे जाने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल तक भेजा गया था। वर्तमान में संजय भट्ट पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हैं। कोरोना महामारी के दौरान कई राहत कार्य कर चुके संजय भट्ट अब तक 29 बार रक्तदान भी कर चुके हैं। पार्टी में संजय भट्ट एक बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में धर्मपुर सीट से संजय भट्ट सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। पर्वतीय मूल और पहाड़ी मतदाताओं में संजय भट्ट का बड़ा समर्थन बताया जाता है।

छात्र राजनीति से निकली रजिया बेग देहरादून में अधिवक्ता हैं। वे 2006 में उत्तराखण्ड बार काउंसिल का चुनाव जीत कर वाईस चेयरपर्सन और 2009 में फिर से चुनाव जीत कर चेयरपर्सन बनीं। 2003 में राज्य अल्पसंख्यक कमेटी की सदस्य और 2004 में उत्तराखण्ड राज्य वक्फ बोर्ड की सदस्य रहीं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में स्टैंडिंग काउंसिल के पद पर कार्यरत हैं। 2020 में रजिया बेग ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली और वर्तमान में पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष हैं। धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए रजिया बेग आम आदमी पार्टी से अपनी दावेदारी कर रही हैं। रजिया बेग के आने से धर्मपुर सीट पर आम आदमी पार्टी का जनाधार तेजी से बढ़ा है।

 

मैं दो बार ग्रामप्रधान का चुनाव जीत चुका हूं। धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र मेरी राजनीेतिक कर्मभूमि रहा है। मेरा जनता से सीधा
जुड़ाव है। मैं 2022 के चुनाव में भाजपा से दावेदार हूं।
रतन सिंह चौहान, भाजपा नेता

 

 

मैं पार्टी के कई कार्यक्रमों से जुड़ा रहा हूं। पहाड़ी मूल का होने से मेरा जनाधार इस क्षेत्र में बहुत बड़ा है। मेरा नाम कई बार चुनाव में संभावित उम्मीदवरों के पैनल में भी जा चुका है। मैं 2022 के लिए चुनाव में दावेदारी कर रहा हूं।
बीर सिंह पंवार, भाजपा नेता

 

धर्मपुर सीट से पहाड़ी उम्मीदवार ही चुनाव जीत सकता है। मैं इस क्षेत्र से वर्षों से जुड़ा हूं और कांग्रेस पार्टी के लिए काम करता रहा हूं। मेरे पास अनुभव की कोई कमी नहीं है। चुनाव का संचालन और प्रभार मैंने कई बार संभाला है। पहाड़ी मतदाताओं में मेरा जनाधार सबसे ज्यादा है। मैं निश्चित ही धर्मपुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार तौर पर दावेदारी कर रहा हूं।
सुरेंद्र सिंह रांगड़, कांग्रेस नेता

 

मैं आप आदमी पार्टी का फाउंडर मेंबर रहा हूं। मैं कांग्रेस पार्टी से भी जुड़ा रहा, लेकिन कांग्रेस में गढ़वाली नेताओं और कार्यकर्ताओं की घनघोर उपेक्षा को देखते हुए मैंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी। मैं धर्मपुर क्षेत्र में कई वर्षों से काम कर रहा हूं। समाजसेवा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता रहा हूं। जनता की आवाज बनने का काम मैंने किया है। धर्मपुर सीट पर 1 लाख से भी ज्यादा मतदाता पहाड़ी मूल के हैं। मैं हमेशा से पहाड़ और पहाड़ियों के हितों के लिए लड़ता रहा हूं। मैं आम आदमी पार्टी से चुनाव में दावेदारी कर रहा हूं।
संजय भट्ट, नेता आम आदमी पार्टी

 

 

मैं कई सालों से इस क्षेत्र में समाजसेवा के काम करती रही हूं। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की सबसे ज्यादा संख्या है और महिलाओं की तादात भी आधी है। कांग्रेस नहीं चाहती कि इस क्षेत्र से हमारे समाज के लोग विधानसभा पहुंच कर अपने समाज का प्रतिनिधित्व करें। मुझे अपनी आम आदमी पार्टी से पूर्ण भरोसा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मुझे टिकट देकर मेरे समाज को विधानसभा पहुंचा कर प्रतिनिधित्व करने का मौका देगी।
रजिया बेग, नेत्री आम आदमी पार्टी

 

मैं सामाजिक संगठनों और पर्वतीय मूल के संगठनों से जुड़ा हूं। टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र और पहाड़ी मतदाताओं का मुझे हमेशा समर्थन रहा है। 2022 के लिए मैं धर्मपुर से टिकट का दावेदार हूं।
पूरण सिंह रावत, कांग्रेस नेता

 

 

मैं मेयर के चुनाव में धर्मपुर क्षेत्र से 7 हजार वोट से आगे रहा हंू। आज भी धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में मैं सबसे ज्यादा लोकप्रिय हूं। मैंने जिनके काम अपने कार्यकाल में करवाए वे ही काम आज पूरे हो रहे हैं। चमोली का कार्यकाल बेहद निराशाजनक रहा है। एक भी काम अपने कार्यकाल में विधायक ने नहीं करवाए हैं। आज सड़क-बिजली की समस्या बनी हुई है जिस पर कोई काम नहीं हुआ है। पानी की समस्या और जलभराव की समस्या आज भी बनी हुई है, तो बताइए काम कहां हुआ है। कोई काम नहीं हुआ है। विधायक का बिल्कुल निराशाजनक कार्यकाल रहा है।
दिनेश अग्रवाल, पूर्व कांग्रेस विधायक

 

मैं भाजपा का पुराना सिपाही हूं। पार्टी ने मुझे 2012 में धर्मपुर से टिकट दिया था। दुर्भाग्य से हम जीत नहीं सके। लेकिन हारने के बाद भी मैंने अपने क्षेत्र में जनता के कई कार्य करवाए।  भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की सरकार रही हो, जनता के काम करवाने में मैं हमेशा आगे रहा हूं। 2017 में मेरी धर्मपत्नी की मृत्यु हो गई थी जिस कारण मैंने पार्टी को कहा था कि मैं अपनी पारिवारिक समस्या से घिरा हूं इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता। पार्टी ने मेरी बात का सम्मान किया। अब 2022 में मैं भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी कर रहा हूं। मेरा व्यवहार और मेरा अुनभव जनता और मतदाताओं के सामने है। मुझे पूरा यकीन है कि 2022 में पार्टी मुझे चुनाव में उम्मीदवार बनाएगी।
प्रकाश सुमन ध्यानी, भाजपा नेता

 

आप मेरे बारे में पहले ही निगेटिव सोच लेकर काम कर रहे हैं। मैंने जितना काम अपने कार्यकाल में करवाया है वह सबके सामने है। मेरे कार्यकाल में भंडारीबाग फ्लाईओवर का काम शुरू होने वाला है। मैं जब मेयर था तब यह योजना लाई गई थी। मेडिकल कॉलेज भी मेरी ही विधानसभा सीट में बन रहा है। सड़कों की हालत सुधरी है, सीवर लाइन और पेयजल के लिए अमृत योजना में काम किया गया है। आपको कौन कह रहा है कि मैंने काम नहीं किया और जनता मुझसे नाराज है। पूरा संगठन और कार्यकर्ता मेरे साथ हैं। आप पता नहीं किन लोगों से पूछकर मेरे पास आए हैं। मेरे सामने अभी तक रोहिंग्या का कोई मामला नहीं आया है। आपके सामने आया हो तो आप बताएं। मैं सदन में सवाल उठाने के बजाय समाधान पर विश्वास करता हूं। इसलिए मैंने उचित नहीं समझा कि मैं सदन में सवाल उठाऊं। सवाल उठाने से क्या होगा। काम करने से ही होगा। मैं काम करता हूं। मैं सत्ताधारी पार्टी का विधायक हूं। आपको यह बात समझनी चाहिए।
विनोद चमोली, भाजपा विधायक

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