कहा जा रहा है कि अगर शासन-प्रशासन के साथ ही आबकारी विभाग सचेत होता तो हरिद्वार में जहरीली शराब पीने से हुई 12 लोगों की मौत को रोका जा सकता था। अवैध शराब को लेकर प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल डेढ़ माह पहले ही चिंता व्यक्त कर इस पर नियंत्रण लगाने के निर्देश दे चुके थे। समय रहते अगर इस पर कदम उठाया जाता है तो 10-11 सितंबर को फूलगढ़ और शेरगढ़ में 12 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत नहीं होती। हरिद्वार प्रशासन ने इस तरफ से किस कदर आंखे मूंद रखी थी वह जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के उस बयान से सामने आता है जिसमें वह मौतों का कारण बीमारी और अन्य वजह गिनाते रहे। सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर जब एसटीएफ ने जांच की तो सच सामने आया कि अपनी पत्नी बबली को प्रधान पद का चुनाव जिताने के लिए झोलाछाप डॉक्टर बिजेंद्र ने जहरीली कच्ची शराब बंटवाई, जो लोगों की मौत का कारण बनी
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नशीले पदार्थों की बिक्री रोकने के लिए जहां एक ओर मुस्तैदी की आवश्यकता थी तो वहीं दूसरी ओर पथरी थाना क्षेत्र के फूलगढ़ और शेरगढ़ में हुए जहरीली शराब कांड ने जिला प्रशासन सहित प्रदेश के आबकारी महकमे पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जहरीली शराब पीकर मरने वालों की बात की जाए तो यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
ग्राम फूलगढ़-शिवगढ़ के चुनावी माहौल में हुए शराब कांड ने 2019 में जहरीली शराब से हुई सैकड़ों ग्रामीणों की मौत की याद को ताजा कर दिया। 2019 में 8 फरवरी को उत्तराखण्ड- उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर झबरेड़ा थाना क्षेत्र और यूपी के सहारनपुर क्षेत्र में जहरीली शराब ने जमकर कहर बरपाया था तब तेरहवीं में पिलाई गई शराब से हरिद्वार और सहारनपुर के करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी। झबरेड़ा क्षेत्र के अकेले बिंदु खड़क गांव में ही 27 लोगों की मौत हुई थी साथ ही 2 लोगों को अपनी आंखों की रोशनी से हाथ धोना पड़ा था इसके अलावा बल्लूपुर गांव में भी पांच मौतें हुईं। कुल मिलाकर झबरेड़ा के जहरीली शराब कांड से आस-पास के इलाकों को मिलाकर 44 ग्रामीणों की मौत हुई थी। तब सहारनपुर और हरिद्वार पुलिस की ओर से संयुक्त कार्रवाई करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की गई लेकिन देहात क्षेत्र में बेरोकटोक चलने वाली कच्ची शराब की भट्टियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग ने कोई सबक न लेते हुए कार्यवाही नहीं की। पुलिस ने भी चुनावी माहौल में सक्रियता दिखाने की जरूरत नहीं समझी।
जनपद पुलिस भले ही अब अपनी खाल बचाने के लिए घटना के मास्टरमाइंड के नाम का खुलासा करते हुए बता रही हो कि प्रधान पद की प्रत्याशी बबली देवी के पति बिजेंद्र ने कच्ची शराब ग्रामीणों को बांटी थी, जिसके बाद लगातार ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ती चली गई। जिसमें 10 सितंबर को दो और 12 सितंबर को चार ग्रामीणों ने दम तोड़ दिया था, जबकि एक ग्रामीण की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। कुल मिलाकर अब तक बारह लोग काल- कलवित हो चुके हैं। जहरीली शराब से हुई ग्रामीणों की मौत को लेकर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने घटना के तत्काल बाद रिपोर्ट तलब करते हुए थाना अध्यक्ष रविंद्र सिंह और तीन पुलिसकर्मियों को भले ही निलंबित करने के आदेश दिए हो लेकिन जिस प्रकार जनपद पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों को बचाते हुए महज थानाध्यक्ष को बलि का बकरा बनाया गया वह किसी के गले नहीं उतर रहा है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के स्तर से थाना अध्यक्ष और तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई निलंबन की कार्रवाई के पश्चात् आबकारी महकमे की निद्रा भी टूटी और आबकारी सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने लक्सर क्षेत्र के निरीक्षक आबकारी सहित महकमे के 9 कर्मचारियों को सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन यहां भी जिला आबकारी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने के बजाए निचले स्तर के कर्मचारियों पर ही निलंबन का चाबूक चलाकर कार्रवाई की इतिश्री कर दी गई।

चुनावी माहौल में पुलिस महकमे की लापरवाही का ही आलम है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रही कच्ची शराब की भट्टियां मौत का सामान बेरोकटोक, बेखौफ होकर तैयार करती रहीं और पुलिस महकमा ही क्यों आबकारी महकमा भी हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। गौरतलब है कि गृह विभाग सहित आबकारी विभाग के मंत्री का प्रभार भी प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास है ऐसे में दोनों विभागों की लापरवाही से इतने बड़े पैमाने पर जहरीली शराब का सेवन करने से हुई ग्रामीणों की मौत धामी पर भी सवाल खड़े कर रही है। जहरीली शराब तैयार करने वाले आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को गठित एसआईटी मुख्य आरोपी के गिरफ्तारी का दावा कर रही है लेकिन पथरी थाना क्षेत्र सहित श्यामपुर, भगवानपुर, रानीपुर, बुग्गावाला और सिडकुल थाना क्षेत्रों में कच्ची शराब तैयार कर बेचने का यह अवैध कारोबार माफियाओं के लिए करोड़ों रुपए का टर्नओवर दे रहा है। पुलिस द्वारा किए गए दावों के अनुसार जहरीली शराब कांड की जांच के लिए गठित एसआईटी ने मुख्य आरोपी बिजेंद्र को गिरफ्तार कर बची हुई शराब बरामद कर ली नहीं तो यह घटना और विकराल रूप धारण कर सकती थी। लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या गिरफ्तार किया गया बिजेंद्र क्षेत्र में कच्ची शराब तैयार करने वाला अकेला आरोपी है या फिर पर्दे के पीछे कहानी कुछ और ही है। वहीं, उसकी पत्नी एवं उसका भाई नरेश अभी पकड़ से बाहर हैं।
जैसे-जैसे ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा बढ़ा उसने प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी। अधिकारी पूरी घटना से पल्ला झाड़ते हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के पश्चात् ही पुष्टि करने की बात कहते नजर आए। लेकिन सूत्र बता रहे हैं की घटना भले ही 10 सितंबर को सामने आई हो लेकिन इससे पूर्व ही ग्रामीण 9 सितंबर को हुई दो ग्रामीणों की मौत को लेकर पुलिस में जाने के बजाय उनका दाह संस्कार कर चुके थे और इस दिन अचानक 4 ग्रामीणों की हुई मौत से गांव में हाहाकार मच गया ग्रामीण उन चारों ग्रामीणों के शव को भी अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी कर रहे थे तभी किसी ग्रामीण द्वारा पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस मौके पर पहुंची।
ग्रामीण ही नहीं अपितु गांव में पसरा सन्नाटा मौतों की संख्या अधिक होने की ओर चीख- चीख कर इशारे कर रहा है। ग्रामीणो का कहना है कि दो लोगों की मौत 9 सितंबर की रात हो गई थी। जिनका 10 सितंबर को दाह संस्कार कर दिया गया था। जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन हास्यास्पद रुप से एक अन्य ग्रामीण मनोज पुत्र धर्मवीर की मौत को लेकर मारपीट की घटना में मनोज की मौत का दावा कर रहे थे यही नहीं मनोज के भाई से बाकायदा मारपीट की तहरीर भी लेकर मुकदमा दर्ज किया गया आखिरकार यह तय हो गया कि शिवगढ़ फूलगढ़ में 12 से अधिक ग्रामीणों की मौत हुई सामान्य घटना नहीं है। बावजूद इसके जिस प्रकार पहले दिन से ही जिलाधिकारी सहित प्रदेश सरकार पूरी घटना पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी, उससे यह साबित हो गया कि जहरीली शराब की यह घटना राज्य सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखती।
एसपी देहात परमेंद्र डोबाल बताते हैं कि गांव फूलगढ़ निवासी चार ग्रामीणों की मौत की सूचना मिली थी। जिनमें एक मृतक राजकुमार के परिजनों ने दाह संस्कार कर दिया था। जबकि अन्य ग्रामीणों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजे गए। मामले में सख्त कदम उठाते हुए पुलिस- प्रशासन ने पथरी थानाध्यक्ष सहित तीन कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया है। वहीं एक साथ चार लोगों की मौत को ग्रामीण पंचायत चुनाव में शराब बांटे जाने से जोड़कर चर्चा कर रहे हैं। घटना की जानकारी सामने आने पर जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पहले तो यह बयान देते हुए नजर आए कि किसी भी ग्रामीण की मौत जहरीली शराब या कच्ची शराब के सेवन से नहीं हुई है अपितु सभी ग्रामीणों की मौत बीमारी या अन्य कारणों से हुई है लेकिन एसआईटी द्वारा कच्ची शराब बांटने वाले प्रधान पद प्रत्याशी के पति बिजेंद्र की गिरफ्तारी के साथ ही साफ हो गया कि जिलाधिकारी प्रशासन की नाकामी को छुपाते हुए ग्रामीणों की मौत से पल्ला झाड़ रहे थे।
जांच में क्या कार्रवाई होगी यह तो वक्त बताएगा वर्तमान में पथरी क्षेत्र के फूलगढ़ एवं शिवगढ़ गांव में मौत का सन्नाटा पसरा है। हालात इस कदर भयावह नजर आ रहे हैं कि सड़कें सुनी हैं और जिनकी मौत हुई है। उन घरों से रह-रहकर महिलाओं एवं बच्चों के रोने की आवाज सन्नाटा तोड़ रही है। गांव में एक भी पुरुष नजर नहीं आ रहा है और दोनों गांव पुलिस छावनी में तब्दील है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कच्ची शराब के अवैध कारोबार से जुड़े माफियाओं पर बड़ी कार्रवाई कब होगी।