ग्लोबल वार्मिंग को लेकर पूरा विश्व इस समय चिंतित है, लेकिन जलवायु परिवर्तन को लेकर ठोस कदम क्या उठाए जाने चाहिए इस तरफ कोई बेहतर कदम नही उठाए जा सकें है। हाल ही में यूनाइटेड नेशन द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें प्रदूषित होते पर्यावरण का जिम्मेदार खुले में लकड़ी जलाने को ठहराया गया है।
यह बताया गया है कि विश्व के कई देशों में खुले में लकड़ियों को जलाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जो आने वाले दिनों में पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन प्रदूषण को लेकर विश्व स्तर पर कई बड़ी सेमिनार भी समय-समय पर आयोजित होते रहे हैं। लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें क्या कुछ तैयारी करनी होगी इस पर अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सकता है।
26 दिसंबर 2019 को यूनाइटेड नेशन ने एक रिपोर्ट जारी की इसमें यह बताया गया है कि विश्व के अनेक देशों में जिसमें भारत भी शामिल है खुले में आग जलाने का प्रयोग जलवायु परिवर्तन या प्रदूषण को बढ़ाने के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लिहाजा आने वाले दिनों के लिए बेहद चिंता का विषय भी है। क्योंकि भारत में पहले से ही प्रदूषण चिंता का सबब बना हुआ है।
दिल्ली समेत अनेक महानगरों में प्रदूषण की स्थिति ठीक नहीं है यहां तक कि पहाड़ों के बीच हल्द्वानी जैसे शहर में भी पीएम 2.5 का लेवल 200 से 270 के बीच जा रहा है। सही बात तो यह है कि सर्दियों के मौसम में जब लोग ठंड से बचने के लिए खुली आग का प्रयोग करते हैं तब पीएम 2.5 का स्तर ढाई सौ के करीब पहुंच गया है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह बेहद चिंता का विषय है क्योंकि अच्छी मौसम के लिए विश्व स्तर पर जाने जाने वाले पहाड़ यानी उत्तराखंड प्रदूषण के लिहाज से बेहद अच्छा माना जाता है, लेकिन हालात यहां भी बेहद मुश्किल होते जा रहे हैं जिस से बचने के लिए हमें खुले में लगने वाली आग या लगाई जाने वाली आग पर काबू पाना होगा या कुछ ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जिससे धुआं का प्रतिशत एक से दो फ़ीसदी हो।
हालांकि, वैज्ञानिक मान रहे हैं कि केवल आग से उठने वाले धुएं से ही प्रदूषण नहीं बढ़ा, बल्कि हकीकत यह है की पहाड़ों में लगाए जाने वाले उद्योग पर्यावरण को प्रदूषित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। क्योंकि आग लगने के दौरान यह निर्भर करता है कि वनस्पति किस प्रकार की है और उससे प्रदूषण किस हद तक आम जनता को प्रभावित कर सकता है।
हकीकत तो यह है की पहाड़ों में एक साथ अलग-अलग प्रकार के उद्योग लगे हैं क्योंकि कई इंडस्ट्री ऐसी है जिन्हें उत्पादन के दौरान बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है ऐसे उद्योगों को पहाड़ में लगाया जाना चाहिए, क्योंकि अगर ऐसे उद्योग मैदानी क्षेत्र में लगे होंगे तो सैकड़ों एयर कन्डीशनर चलने से तापमान में होने वाली वृद्धि आग से होने वाले प्रदूषण की अपेक्षा कहीं ज्यादा पैमाने पर पर्यावरण को प्रभावित कर रही होगी।
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के मामले को लेकर हर कोई चिंतित है। लेकिन बढ़ते प्रदूषण को कैसे और किन उपायों से रोका जाएगा इस दिशा में कोई भी उचित कदम नहीं उठा पा रहा है। लिहाजा अगर आने वाले दिनों में कोई ठोस योजना और उचित कदम बढ़ते प्रदूषण के लिहाज से नहीं उठाए गए तो आने वाला समय हमें जहरीली धुंध और गैस के बीच में गुजारनी होगी। यूनाइटेड नेशन की जो रिपोर्ट सामने आई है और दिन प्रतिदिन बढ़ते प्रदूषण का जो लेवल अभी नजर आ रहा है वह आने वाले दिनों में हमारे लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।