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Uttarakhand

पीड़ित परिवार ने लगाई इच्छामृत्यु की गुहार

देहरादून स्थित अंसल ग्रीन सोसायटी में रहने वाले प्रवीण भारद्वाज ने भाजपा के पार्षदां की दबंगई से दुखी होकर राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। उनके घर पर 22 फरवरी को कुछ लोगों ने तोड़-फोड़ की थी। उन पर जानलेवा हमला भी हुआ और जलाकर मारने की कोशिश भी की गई। उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा देहरादून के राजपुर थाने में 5 पार्षद और 21 लोगों के खिलाफ बलवा, घर में घुसकर हमला और कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन अभी तक
कार्रवाई की पहल नहीं की गई है। प्रवीण भारद्वाज का कहना है कि उनके द्वारा पुलिस से कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। पीड़ित परिवार ने राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। परिवार पुलिस कार्रवाई न होने से नाराज है। पुलिस ने अभी तक हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किया है। ऐसे में उन्होंने परिवार सहित इच्छामृत्यु की मांग को लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि 22 फरवरी को हुए इस कांड में पहले पार्षद संजय नौटियाल ने प्रवीण के खिलाफ जानलेवा हमले के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। मामला वहां पर अतिक्रमण हटाने को लेकर हुआ था।

गौरतलब है कि गत 20 मार्च को ‘दि संडे पोस्ट’ ने इस मामले पर ‘ग्रीन वैली का रेड कॉर्नर’ नामक समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया गया था कि वर्ष 2001 में विख्यात अंसल ग्रुप के अंसल बिल्डवेल लिमिटेड द्वारा राजपुर रोड के जाखण में 45977-38 वर्ग मीटर के भूखण्ड में अंसल ग्रीन वैली का निर्माण किया गया। इसके लिए एमडीडीए से सभी औपचारिकताएं पूरी की गईं जिसमें हरित क्षेत्र छोड़ने के अलावा एकल आवासीय मानचित्र स्वीकृत किया गया। एकल आवासीय मानचित्र योजना में बहुमंजिला इमारतें नहीं बनाई जा सकती हैं। साथ ही योजना के मानचित्र में जो स्वीकृत हो उससे इतर कोई भी निर्माण अवैध माना जाता है। इसी योजना के तहत अंसल ग्रीन वैली का निर्माण किया गया जिसे 30 मई 2005 को ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी जाखण को सुपुर्द कर दिया गया। तब से लेकर आज तक सोसायटी ही इस कॉलोनी का संचालन करती है। सोसायटी के नियमानुसार चुनाव किए जाते हैं जिसके वर्तमान में अध्यक्ष संजीव सैनी और सचिव प्रवीण भारद्वाज हैं।

इसी आवासीय कॉलोनी में कुछ भूमि यूडी लैंड तथा हरित क्षेत्र भी है जो कि आज करोड़ों की भूमि है। इसी भूमि पर वर्षों से कई भूमि कारोबारियों और भू माफियाओं की नजरें गड़ी हुई हैं। जमीन को हथियाने के प्रयास कई बार किए गए हैं। जिनको
रोकने के लिए सोसायटी के पदाधिकारियों ने अनेकों बार बड़ी लड़ाई लड़ी। ग्रीन एरिया जिस पर कॉलोनीवासियों द्वारा स्मृति वन बनाया गया है, को हड़पने के प्रयास किए गए हैं। इसके लिए सरकारी विभागों से भी दबाव बनाया जाता रहा है। लेकिन सोसायटी द्वारा विरोध किया जाता रहा है। जिस कारण भू माफिया अपने षड्यंत्र में कामयाब नहीं हो पाए। सोयायटी के सचिव प्रवीण भारद्वाज का कहना है कि सोसायटी की जमीनों को हड़पने के लिए कई बार राजनीतिक दबाव बनाया गया है। साथ ही एमडीडीए पर भी सोसायटी की शिकायतों पर कार्रवाई न करने का दबाव बनाया जाता रहा है।

प्रवीण भारद्वाज के आरोपों को अगर सही मानें तो वास्तव में ग्रीन वैली रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी की जमीनों को कई बार षड्यंत्र रचकर हड़पने का काम किया गया है। जिसमें सोयायटी के मुख्य गेट के समीप ही करीब 9 सौ वर्ग गज का खाली भूखण्ड है जो यूडी लैंड के तौर पर उल्लेखित है, को बकायदा सोयायटी के नाम पर फर्जीवाड़ा करके न सिर्फ बेचा गया है, बल्कि फर्जी एनओसी देकर रजिस्ट्री भी करवाई गई है। इस मामले में अंसल बिल्डवैल के एक पूर्व कर्मचारी पर ही फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं। सोसायटी ने इसके लिए तत्कालीन डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग को शिकायत की थी जिस पर जांच के बाद एमडीडीए को सोसायटी की फर्जी एनओसी दिए जाने की बात का उल्लेख करते हुए मानचित्र को रद्द करने की कार्यवाही करने को कहा गया।

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