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‘दि संडे पोस्ट’ के राज्य प्रभारी दिव्य सिंह रावत पर जानलेवा हमला करवाने वाला सतीश नैनवाल उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस के संरक्षण के चलते अब सौला द्वितीय से नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र रावत पर भी जानलेवा हमला करवाने का दुस्साहस कर पाया है। रावत बंधुओं का सीधा आरोप है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट संग राजनीतिक विद्वेष रखने वाले राज्य सरकार के एक मंत्री, उनके विधायक पुत्र और सीएम कार्यालय में तैनात एक विशेष कार्याधिकारी के चलते भाजपा से दो बार का निष्कासित कथित नेता प्रमोद नैनवाल के इशारे पर इस प्रकार के हमले हो रहे हैं

 

उत्तराखण्ड में रानीखेत की वादियां फिर अशांत हो उठी हैं। अल्मोड़ा जिले की सौला द्वितीय सीट से निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह रावत पर हुए हमले ने कानून व्यवस्था पर भी सवाल खडे़े कर दिए हैं। देवेंद्र ने जब अवैध खनन कर रेता ला रहे लोगों को रोककर पूछताछ की तो उन्होंने देवेंद्र पर हमला कर दिया, उन्हें गंभीर रूप से घायल कर भाग गए। जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र रावत ने अपने ऊपर हुए हमले पर भाजपा से निष्कासित स्थानीय नेता प्रमोद नैनवाल और उनके भाई सतीश नैनवाल का हाथ होने का शक जताया है। वहीं प्रमोद नैनवाल का कहना है कि इस घटना के पीछे उनका नाम घसीटना एक साजिश है, घटना वाले समय वो देहरादून में थे। उन्होंने आरोप लगाया मुझे साजिशन बदनाम करने के पीछे नैनीताल सांसद अजय भट्ट का हाथ है जो बेतालघाट के ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी की हार को पचा नहीं पा रहे हैं। बकौल देवेन्द्र रावत जब अवैध रेते से भरे दो पिकअप संख्या न्ज्ञ04ब्3550 तथा एक अन्य को उन्होंने रोकर पूछा तो भरत सिंह और उसके साथियों ने देवेन्द्र सिंह रावत सहित उनके सहयोगी पर हमला कर दिया और भाग गए।

उल्लेखनीय है कि सतीश नैनवाल के विरुद्ध ‘दि संडे पोस्ट’ के प्रतिनिधि मनोज बोरा पर हमला करवाने का आरोप है। पुलिस पूछताछ में हमलावारों ने स्वीकार किया था कि उनके मुख्य निशाने पर ‘दि संडे पोस्ट’ के राज्य प्रभारी दिव्य प्रकाश सिंह रावत थे जो कि देवेंद्र सिंह रावत के भाई हैं। देवेंद्र सिंह रावत पर हमले को उस दृष्टि से भी देखा जा रहा है। मनोज बोरा पर हुए जानलेवा हमले के बाद पुलिस ने दो आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया था परंतु वारंट जारी होने के बाद भी सतीश नैनवाल को पुलिस पकड़ नहीं पाई थी। मुख्यमंत्री दरबार में अपनी पहुंच के चलते नैनवाल बंधु ने उक्त मामले में शासन से सीबीसीआईडी जांच की संस्तुति करवा दी। सीबीसीआईडी पर जांच आते ही पुलिस को नहीं मिल रहा सतीश नैनवाल अचानक सोशल मीडिया में प्रकट हो स्वयं को निर्दोष साबित होने की बात करते देखा गया जबकि मामला औपचारिक रूप से सीबीसीआईडी के सुपुर्द भी नहीं हुआ था। सीबीसीआईडी पूछताछ के दौरान मनोज बोरा द्वारा उक्त घटना में अपने पुलिस को दिए बयान से पलट जाना किसी गहरे संकेत की ओर इशारा करता है।

नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखे अपने एक पत्र में मनोज बोरा द्वारा उस पर समझौता करने का दबाव डालने की बात कही गई थी। परंतु कुछ समय पश्चात ही मनोज बोरा द्वारा अपने बयान से पलट जाना समझ से परे है। साथ ही कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। क्या सीबीसीआईडी द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के बाद पुलिस द्वारा कोर्ट से लिए गए वारंट निरस्त हो गये? क्या वारंट के रिकॉल की अर्जी दी गई या फिर उन्हें स्वतः ही निरस्त मान लिया गया।

सीबीसीआईडी सूत्रों का कहना है कि पुलिस से उन्हें प्राप्त जांच की जो भी सामग्री उन्हें मिली जिसमें वारंट भी शामिल है, वो अदालत में जमा कर दिया है। हमने शुरू से इसमें विवचेना कर रहे हैं इसलिए हम अपनी नई प्रक्रिया करेंगे। लेकिन पुलिस द्वारा जारी वारंट की वास्तविक स्थिति वो भी नहीं बता पाए। देवेंद्र सिंह रावत पर हुए हमले ने इस बात को और शंकापूर्ण बना दिया है कि भविष्य में अगर कुछ बड़ी घटना को अंजाम दिया जाता है तो इसकी जवाबदेही पुलिस प्रशासन की होगी कि नहीं? अवैध खनन के आरोपों से शुरू हुई बात गोलीकांड एवं जानलेवा हमले तक पहुंच जाती है, जबकि सरकार व पुलिस पर आरोपियों के संरक्षण का आरोप शुरू से लग रहा हो खासकर मुख्यमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारियों की कृपा आरोपियों पर है। आरोपी सतीश नैनवाल खुलेआम नैनीताल जनपद के एक विधायक संजीव आर्या के साथ देखा जाता है। खास बात यह कि भाजपा से दो बार निष्कासित होने वाले प्रमोद नैनवाल न केवल संजीव आर्या, बल्कि उनके पिता और कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्या के भी खासमखास बताए जाते हैं। राजनीतिक संरक्षण खासकर सत्ता का संरक्षण आरोपियों को अगर मिले तो पुलिस-प्रशासन भी संबंध जाते हैं। यही इस मामले में हुआ सीबीसीआईडी जांच की संस्तुति से पहले पुलिस सतीश नैनवाल की गिरफ्तारी से बचती रही। ये घटनाएं भारतीय जनता पार्टी की अंदररूनी राजनीति को बयां करती है। अजय भट्ट की विधानसभा चुनाव में हार और बेतालघाट ब्लॉक प्रमुख चुनावों में भाजपा प्रत्याशी की पराजय के बाद अजय भट्ट मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले आज भी मुख्यमंत्री कार्यालय के चहेते बने हुए हैं। ये जताता है कि अपनी पार्टी के संगठन अध्यक्ष को मुख्यमंत्री कार्यालय कितना मान देता है।

 

बात अपनी-अपनी

मुझ पर लगे आरोप निराधार व तथ्यहीन हैं। मैं घटना के समय पुलिस महानिदेशक के साथ मीटिंग के सिलसिले में देहरादून में था। मुझ पर इन आरोपों के पीछे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का हाथ है।
प्रमोद नैनवाल, पूर्व भाजपा नेता

 

मैं तो अवैध खनन से लदे पिकप की जानकारी प्राप्त कर रहा था। साजिश के तहत मुझ पर जानलेवा हमला किया गया।
देवेंद्र सिंह रावत, सदस्य जिला पंचायत सौला द्वितीय अल्मोड़ा

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