देहरादून में आवारा पशुओं को पोषित करने के लिए कांजी हाउस संचालित है। नगर निगम के इस हाउस को सरकारी अनुदान मिलता है। पिछले दिनों जब एक महिला यहां पहुंची तो उससे धन वसूली की कोशिश की गई। मामला कांग्रेस नेताओं के पास पहुंचा। कांग्रेस की स्थानीय नेता ने कांजी हाउस का जो अंदर का सच देखा वह न केवल डरावना है, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा प्रदर्शित करता है। इसका वीडियो जब वायरल हुआ तो हंगामा बरप गया
नगर निगम देहरादून द्वारा संचालित केदारपुरम स्थित कांजी हाउस में बद-इंतजामी और लापरवाही का आलम यह है कि यहां रखे गए पशुओं की दुर्दशा हो रही है। हालात इस कदर खराब है कि कांजी हाउस में मृत पशुओं के शवां को भी उठाया नहीं जा रहा है। सड़ चुके शवों से उठ रही दुर्गंध यहां का सच बयां करती है। बीमार और बुरी तरह घायल हो चुकी गायों के इलाज के लिए भी कांजी हाउस में कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो पा रही है। यहां तक कि गायां को समय पर चारे की भी व्यवस्था सही नहीं नजर आ रही है। ज्यादातर गायों के शरीर कंकाल की तरह हो चुके हैं जिससे साफ पता चलता है कि इन गायों को नियमित चारा भी नहीं मिल रहा है। इसके विपरीत नगर निगम प्रशासन पर बद-इंतजामी को दूर करने के बजाय कांजी हाउस पर लगे आरोपां को झूठा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
देहरादून के केदारपुरम में नगर निगम द्वारा कांजी हाउस बनाया गया है। जिसमें नगर में आवारा घूमने वाले पशुओं को पकड़ कर रखा जाता है, साथ ही बेसहारा और दुर्घटना में घायल हुए पशुओं को भी इसी कांजी हाउस में लाया जाता है। इसके लिए नगर निगम एक बजट निर्धारित करता है जिससे इन पशुओं की देखभाल, चारा-पानी के अलावा बीमार और घायलां का उपचार भी किया जाता है। यहां चिकित्सक भी तैनात है। कई बार पालतू पशुओं को उनके मालिक चारा के लिए खुला छोड़ देते हैं। ऐसे पशु नगर क्षेत्र में आ जाते हैं तो निगम प्रशासन उनको पकड़ कर कांजी हाउस में बंद कर देता है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही में पशु पालक से जुर्माना वसूल कर ही पशुओं को छोड़ा जाता है।
ब्रिटिशकाल से चली आ रही यह व्यवस्था स्थानीय नगर निकायों के अलावा ग्राम पंचायत स्तर में भी चलती रही है। कालांतर में ग्राम स्तर पर इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया लेकिन नगर पालिका और नगर निगमों में आज भी यह व्यवस्था चली आ रही है। कांजी हाउस की यह व्यवस्था बहुत बेहतर मानी जाती रही है लेकिन इसमें सबसे ज्यादा नकारात्मक पक्ष यह रहा है कि यहां पशुओं की देखभाल के लिए चारा-पानी की व्यवस्था पर हमेशा से ही सवाल खड़े होते रहे हैं। पशुओं की भूख-प्यास से मौत होना और लंबे समय तक कैद में रहने से पशुओं की क्षमता कमजोर होना आम बात है। यहां बीमार ग्रस्त पशुओं का समय पर उपचार न होने से भी उनकी मौत होना कोई बड़ी बात नहीं है।
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता और रायपुर क्षेत्र से नगर निगम पार्षद उर्मिला ढौंडियाल थापा जब कांजी हाउस पहुंची तो वहां की स्थिति देखकर दंग रह गईं। इसके बाद कांग्रेस द्वारा पूरी स्थिति को कैमरे में कैद करके उसका फेसबुक लाईव प्रसारण भी किया गया जिसमें गायों का नारकीय जीवन देखा जा सकता है। दरअसल, कांजी हाउस का यह मामला तब सामने आया जब राजपुर क्षेत्र की एक महिला की पालतू बछिया को नगर निगम प्रशासन द्वारा नगर में आवारा घूमते हुए पकड़ा गया। तत्पश्चात उसे कांजी हाउस में बंद कर दिया गया। जब महिला को इसकी सूचना मिली तो वह अपनी बछिया को लेने कांजी हाउस गई। उससे बछिया छोड़ने के बदले में 9 हजार रुपए जमा करने को कहा गया। कांजी हाउस के चिकित्सक डॉक्टर तिवारी द्वारा उक्त महिला को बताया गया कि उसकी बछिया की 4 दिनों तक सेवा की गई और उसके चारा-पानी की व्यवस्था कांजी हाउस द्वारा की गई है जिसमें हुए खर्च के 9 हजार रुपए देने ही पड़ेगे नहीं तो उनकी बछिया को छोड़ा नहीं जाएगा।
उक्त महिला निराश होकर अपने क्षेत्र की पार्षद एवं महिला कांग्रेस नगर अध्यक्ष उर्मिला ढौंडियाल थापा के पास सहायता के लिए गई तो उन्होंने कांजी हाउस के संचालक डॉक्टर तिवारी से बात की और कहा उक्त महिला की बछिया है जिसकी कीमत भी इतनी नहीं है। साथ ही उसे राजपुर ले जाने के लिए 2 हजार से ज्यादा खर्च आता है। इसलिए उससे कम जुर्माना लिया जाए। एक सामान्य बछिया के कुछ ही दिन में 9 हजार रुपए का खर्च नगर निगम के कांजी हाउस द्वारा किए जाने की बात किसी के गले नहीं उतरी इस पर तो पार्षद उर्मिला ढांडियाल थापा और कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दासौनी द्वारा स्वयं कांजी हाउस में जाकर उसकी अव्यवस्था और गायों की दुर्दशा का वीडियो फेसबुक लाइव किया गया। इसके बाद अचानक से निगम प्रशासन नींद से जागा और मेयर सुनील गामा निगम के अधिकारियों के साथ कांजी हाउस गए। चर्चा है कि वीडियो सार्वजनिक होने के बाद कांजी हाउस की व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर दी गई हैं मानो कुछ हुआ ही नहीं। बहरहाल अब निगम प्रशासन कांग्रेस पर झूठे प्रमाण और फोटो जारी करके निगम की छवि को धूमिल करने का आरोप लगा रहा है तो वहीं कांग्रेस अपने प्रमाणों को सही और पुख्ता बताकर भाजपा के साथ-साथ सरकार पर भी गाय को लेकर राजनीति करने के आरोप लगा रही है।
हैरत की बात यह है कि कांजी हाउस में स्वास्थ और बेहतर गायों को तो बाहरी तरफ रखा हुआ है लेकिन बीमार और घायल गायों को पिछले हिस्से में रखा हुआ है। वहां किसी को जाने की अनुमति तक नहीं दी जाती। कांग्रेस प्रवक्ता और पार्षद किसी तरह से पिछले हिस्से की ओर गई जहां अनेक गाय बुरी तरह से घायल अवस्था में कीचड़ में पड़ी हुई थीं। एक मृत गाय का शरीर भी वहीं पड़ा हुआ था। कई गायें मरणासन हालत में हैं। यही नहीं, एक गाय की आंख इस कदर फूट चुकी थी कि उससे खून निकल कर कीचड़ में फैल रहा था। इसी तरह से एक गाय के पेट पर बड़ा-सा घाव हो चुका है जो कि साफ तौर पर एक छेद के जैसे दिखाई दे रहा है।
पशुओं को यहां चारा-पानी दिए जाने के दावे की पोल इस बात से ही खुल जाती है कि पिछले हिस्से में रखी गई गायां के शरीर की हड्डियां उनकी खाल से इस कदर चिपकी हुई नजर आ रही हैं। जैसे वह कोई कंकाल हो। क्षमता से अधिक गौवंश को यहां रखा गया है जिससे गायों को ठीक तरह से चलने फिरने की भी जगह नहीं है। 350 गौवंश के पशुओं को किसी तरह से इस कांजी हाउस में ठूंसकर रखा गया है। जबकि इसकी क्षमता सौ पशुओं की बताई जा रही है।
ऐसा नहीं है कि केदारपुरम के कांजी हाउस की अव्यवस्था का यह पहला मामला है, बल्कि वर्ष 2022 में भी यहां कई गायां के मरने का मामला समाने आ चुका है। लापरवाही और निकम्मेपन की हालत यह थी कि मरे हुए पशुओं के शव पड़े-पड़े कंकाल बन चुके थे लेकिन उनको हटाया तक नहीं गया। भले ही निगम प्रशासन कांग्रेस पर झूठे प्रमाण प्रस्तुत करने के आरोप लगा रही है, लेकिन यह भी कटु सच है कि भाजपा सरकार के राज में गौवंश के नाम पर केवल दिखावा ही किया जाता रहा है। ‘दि संडे पोस्ट’ ने 21 मार्च 2021 के अंक में ‘गौ भक्त राज में बेबस गाय’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था जिसमें ऋषिकेश के गौधाम को तोड़ने और उसकी गायां को सरकारी सरंक्षण में पशुलोक में रखा गया जहां 23 गायों की मौत हुई और कई गाय लापता हो गईं। जबकि गौधाम में गायां की बेहतर देखभाल हो रही थी। लेकिन जैसे ही पशुलोक में गायां को रखा गया वहां उनकी मौतें होनी शुरू हो गई। यहां तक कि गायां की देखभाल में होने वाले खर्च से बचने के लिए दर्जनां गायों को लापता कर दिया गया। इसके अलावा 2022 में ही 14 मई के अंक में ‘गौ भक्त राज में गौमाता की सरकारी नीलामी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था जिसमें पशुलोक विभाग द्वारा कम दूध देने वाली गायां को पालने के बजाय सार्वजनिक नीलामी किए जाने का उल्लेख किया गया था। इसके लिए पशुलोक विभाग ने बकायदा गायां की कीमत निर्धारित करते हुए समाचार पत्रों में टेंडर दिया था।
बात अपनी-अपनी
इस मामले में हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। यह नगर निगम का मामला है। हमने इस प्रकरण की जांच बैठा दी है। रही बात कांग्रेस की वह बेवजह के मुद्दे बनाती है।
सौरभ बहुगुणा, पशुधन मंत्री
आप इस बात को एक पत्रकार की तरह से न देखें। आप भी आम आदमी हैं और मैं भी एक आम आदमी हूं। आपको यह समझना चाहिए कि कांजी हाउस में ज्यादातर गायें वही होती हैं जो घायल हों या बीमार हों और वह अपने जीवन के अंतिम चरण में होती हैं इसलिए वह मर जाती हैं। कांजी हाउस की व्यवस्था पूरी तरह से ठीक और सुचारू चल रही है। सभी पशुओं की पूरी देखभाल की जाती है। कांग्रेस ने झूठा वीडियो बनाया है और फोटो भी पुराने हैं जो हमारे कांजी हाउस के नहीं हैं। किसी भी गाय का खून नहीं निकल रहा है, फोटो कहीं और के दिखाए गए हैं। सिर्फ एक गाय ही मरी है जबकि कांग्रेस प्रवक्ता 8 गायों के मरने की बात कह रही हैं।
सुनील उनियाल गामा, मेयर, नगर निगम देहरादून
मैं स्वयं कांजी हाउस गई और वहीं जो मैंने देखा, उसे देखकर मैं बुरी तरह से हिल गई। किस तरह से गायां को नर्क में रखा हुआ है। हमें वीडियो बनाने से भी मना किया गया। एक गाय तो इस कदर घायल थी कि उसकी आंख फूट गई थी और उससे खून निकल रहा था लेकिन उसके इलाज के लिए डॉक्टर तक को नहीं बुलाया गया। पिछले वर्ष भी कई गायें इसी कांजी हाउस में मरी थीं जिनके अवशेषां की फोटो हमने सार्वजनिक की लेकिन हमें ही झूठा बताया जा रहा है। मैंने फेसबुक लाइव प्रसारण किया था उसमें सारी हकीकत को दिखाया था तो वह पुराना कैसे हो गया।
गरिमा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता, उत्तराखण्ड कांग्रेस
मैं नगर निगम की पाषर्द हूं और मेरे क्षेत्र की एक महिला की बछिया को कांजी हाउस में बंद कर दिया गया जिसको छुड़ाने के लिए 9 हजार रुपए मांगे गए। इस पर मैं प्रवक्ता गरिमा जी को साथ लेकर कांजी हाउस देखने गई जहां हमें गायों की बुरी हालत देखने को मिली। कई गाय घायल और मरने की कगार पर थीं। जिनकी कोई देखभाल नहीं हो रही थी और न ही उनका उपचार किया जा रहा था। हमने इसके वीडियो बनाए और प्रेस वार्ता भी की। हमारे प्रमाणों के बाद नगर निगम जागा है। हमारे सभी प्रमाण सही और सच्चे हैं।
उर्मिला ढौंडियाल थापा, पार्षद, नगर निगम देहरादून
कांजी हाऊस में सड़क पर दुर्घटना से घायल हुई गाय आदि भी आती हैं। किसी भी सरकारी पशु अस्पतालों में घायल और बीमार पशुओं को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए ऐसे पशुओं को भी कांजी हाऊस में लाया जाता है, जबकि हमारे पास भी पर्याप्त स्थान नहीं है। कांजी हाऊस में एक चिकित्सक की तैनाती है जो ऐसी गायों का उपचार करता है, जो वीडियो में दिखाया जा रहा है ऐसा नहीं है और जो फोटो दिखाएं गए हैं वे भी हमारे कांजी हाऊस के नहीं हैं। सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुई और कुछ ही समय पहले कांजी हाऊस में लाई गई थी उनमें से दो गाय जरूर मरी है।
डॉ. ऋषि तिवारी, चिकित्सक, कांजी हाउस