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Uttarakhand

सल्ट में आसान नहीं जीना की राह

सल्ट स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अपने संघर्ष का शानदार अतीत संजोए हुए है। स्वतंत्रता आंदोलन में सल्ट की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकारते हुए महात्मा गांधी ने इसे ‘कुमाऊं का बारदोली’ कहा था। प्रतिरोध एवं अन्याय के प्रति प्रतिकार की भावना सल्ट की मिट्टी में है। इसे यहां के लोगों ने आज भी जिंदा रखा है। दुरूह क्षेत्रों वाला यह क्षेत्र विकास की दौड़ में पहले से कहीं आगे है। विकास की बढ़ती आवश्यकताओं ने सल्ट के लोगों को आंदोलनों का पहरुवा बनाए रखा है। यही कारण है कि सल्ट राजनीतिक दृष्टि से भी काफी जागरूक है। यहां के लोग उत्तराखण्ड की पांचवीं विधानसभा के लिए अपना प्रतिनिधि चुनने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक दल इन्हें रिझाने के लिए जुटे हुए हैं।

उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व सल्ट रानीखेत विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। राज्य गठन के समय हुए परिसीमन में रानीखेत विधानसभा क्षेत्र से रानीखेत, सल्ट और भिकियासैंण विधानसभाएं अस्तित्व में आई। रानीखेत विधानसभा क्षेत्र का शेष हिस्सा द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र में शामिल किया गया। एक समय सल्ट कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन समय के साथ क्षेत्रवासियों ने अपना रुझान भारतीय जनता पार्टी की तरफ मोड़ दिया। कांग्रेस के कमजोर होने के कुछ राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार रहे हैं तो कुछ व्यक्तिगत कारण जिनके चलते आम मतदाताओं का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। इन व्यक्तिगत कारणें के चलते ही लंबे समय तक यहां के ब्लॉक प्रमुख रहे कांग्रेसी नेता मोहन सिंह बिष्ट को पार्टी छोड़कर भाजपा में जाना पड़ा।

उत्तराखण्ड राज्य गठन के पश्चात हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रणजीत रावत यहीं से निर्वाचित हुए। 2007 के चुनाव में रणजीत रावत ने फिर से यहां जीत हासिल की। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश माहरा को पराजित किया। उस समय भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल छह हजार मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वह भी तब जबकि उनके पक्ष में सभाएं करने राजनाथ सिंह और रविशंकर प्रसाद आए थे। उस समय गुरु-शिष्य के नाम से विख्यात अजय भट्ट और प्रमोद नैनवाल दोनों ही विधानसभा चुनाव में खेत रहे थे। शायद ये अजीब संयोग है कि कभी गुरु-शिष्य रहे अजय भट्ट-प्रमोद नैनवाल और हरीश रावत-रणजीत रावत में आज छत्तीस का आंकड़ा है। 2012 के विधानसभा चुनाव नए परिसीमन के आधार पर हुए। उसमें भिकियासैंण विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया। इसका एक हिस्सा रानीखेत और शेष हिस्सा सल्ट विधानसभा क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। बदलाव का दौर शुरू हुआ। इसी बदलाव ने कांग्रेस के दिग्गज रणजीत रावत को सल्ट से पलायन कर नया क्षेत्र रामनगर चुनने को मजबूर कर दिया। 2007 में भिकियासैंण से भाजपा के विधायक रहे सुरेंद्र सिंह जीना ने 2012 में सल्ट से रणजीत रावत को लगभग पांच हजार मतों से पराजित कर दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह जीना ने कांग्रेस की प्रत्याशी गंगा पंचोली को लगभग ढाई हजार के अंतर से हराया।

नवंबर 2020 में तत्कालीन विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के आकस्मिक निधन के चलते सल्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। तब भाजपा प्रत्याशी और जीना के भाई महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को लगभग पांच हजार के अंतर से पराजित किया। सल्ट उपचुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस के अंतर्विरोध भी उभर कर सामने आ गए थे। प्रीतम सिंह द्वारा बनाई गई प्रत्याशी चयन समिति ने रणजीत रावत के पुत्र एवं सल्ट के ब्लॉक प्रमुख विक्रम रावत के पक्ष में अपनी रिपोर्ट दी थी लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हस्तक्षेप के कारण गंगा पंचोली टिकट पा गई थीं। उसके बाद रणजीत रावत के हरीश रावत पर व्यक्तिगत प्रहारों ने कांग्रेस के अंदर की राजनीति को उघाड़कर रख दिया।

2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते सभी राजनीतिक दलों के नेता अपनी दावेदारी के लिए कमर कस चुके हैं। 2002 से 2017 तक द्विकोणीय संघर्ष ही रहा है। चाहे संघर्ष कांग्रेस-भाजपा के मध्य रहा हो या फिर कांग्रेस-निर्दलीय का। यहां के मतदाताओं ने हमेशा निर्णायक होकर मतदान किया है। कांग्रेस की बात करें तो यहां सारी चीजें खुलकर सामने नहीं हैं। टिकट बंटवारे के समय हरीश रावत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। सूत्र बताते हैं कि सल्ट उपचुनाव में पार्टी रणजीत रावत को प्रत्याशी बनाना चाहती थी लेकिन रणजीत रावत की रुचि अपने पुत्र विक्रम को टिकट दिलाने की थी। इसीलिए वे तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से अपना मनचाहा पैनल बनने में कामयाब हो गए थे। उसमें हरीश रावत के विरोधी आर्येन्द्र शर्मा और उनके खास करण माहरा थे। गंगा पंचोली के चुनाव में उनकी अरुचि का कारण भी यही था। लेकिन कांग्रेस के अंदर सल्ट की राजनीति की कल्पना रणजीत रावत के बिना की भी नहीं जा सकती। 2012 का विधानसभा चुनाव वे भले ही हार गए हों लेकिन 2002 से 2012 के बीच उनके द्वारा करवाए गए विकास कार्यों को नकारा नहीं जा सकता। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पैतृक घर मोहनरी को जाने वाली सड़क हॉटमिक्स उनके ही कार्यकाल में हुई।

राजनीति में ‘वा’ यानी ‘विकास’ और ‘व्यवहार’ का संतुलन जरूरी है। शायद रणजीत रावत इसमें विकास के साथ व्यवहार का संतुलन नहीं बना पाए। इसी विकास एवं व्यवहार के असंतुलन ने शायद इंदिरा हृदयेश, अजय भट्ट और करन माहरा जैसों के लिए जनता को सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। फिलहाल यहां रणजीत रावत का नाम कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तैर रहा है। हालांकि वो इस बार फिर से अपनी तैयारी मजबूती के साथ रामनगर से कर रहे हैं। सल्ट में दूसरा नाम जो कांग्रेस की तरफ से चल रहा है वो विक्रम रावत का है। वह इस समय सल्ट के ब्लॉक प्रमुख हैं और कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत रावत के सुपुत्र हैं। उत्तराखण्ड युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे विक्रम रावत विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद सल्ट में रणजीत रावत की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। युवा होना विक्रम रावत के पक्ष में जाता है। साथ ही यशपाल आर्य और संजीव आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद एक ही परिवार से दो टिकट न देने का नियम भी शायद ही आड़े आए। ऐसे में विक्रम की दावेदारी पुख्ता हो सकती है लेकिन सल्ट उपचुनाव में रणजीत रावत एवं विक्रम रावत की भूमिका एवं निष्क्रियता उनके टिकट में आड़े आ सकती है। फिलहाल विक्रम रावत कांग्रेस के सशक्त दावेदारों में से हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव और 2021 के उपचुनाव में प्रत्याशी रहीं गंगा पंचोली निश्चित तौर पर कांग्रेस की ओर से मजबूत दावेदार हैं। 2017 का चुनाव वो बहुत कम अंतर से हारी थी। 2021 के उपचुनाव में उनका मुकाबला जीना के भाई महेश जीना से था। हालांकि महेश जीना के मुकाबले वो बेहतर प्रत्याशी थीं लेकिन महेश जीना को मिली सहानुभूति और भाजपा के मजबूत संगठन के कारण वह चुनाव हार गईं। उस वक्त उनकी पराजय का एक कारण कांग्रेसी भितरघात भी था। प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में महिलाओं की भागीदारी पर बड़ा बयान दे चुकी हैं जिसका लाभ उत्तराखण्ड में गंगा पंचोली को मिल सकता है। चुनाव अभियान समिति के संयोजक एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनके सबसे बड़े पैरोकार के रूप में तो हैं ही। हां अगर लगातार दो बार चुनाव हारने का पैमाना रहा तो उनका टिकट खतरे में हो सकता है। ये पैमाना शायद ही अमल में आए। वरना रणजीत रावत और तिलकराज बेहड़ जैसे कांग्रेसी नेता भी इसकी जद में आ जाएंगे। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस समिति के युवा कल्याण प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे अर्जुन रावत भी कांग्रेस से दावेदारों में हैं। ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य रहे अर्जुन सिंह रावत, 2021 में सल्ट उपचुनाव में भी दावेदार थे। युवा कांग्रेस के अमित रावत और वरिष्ठ कांग्रेसी शोबन सिंह भी कांग्रेस के दावेदारों में से हैं।

जहां तक भारतीय जनता पार्टी का प्रश्न है, 2012 से ही सल्ट विधानसभा सीट पर भाजपा काबिज है। 2012 में सुरेंद्र सिंह जीना ने कांग्रेस के कद्दावर रणजीत रावत को हराया था। उनके
आकस्मिक निधन के कारण हुए उपचुनाव में स्वर्गीय जीना के भाई महेश जीना भाजपा के टिकट पर जीते थे। सेटिंग-गेटिंग के नाते इस बार महेश जीना की दावेदारी तो पुख्ता है लेकिन इस बार वह यहां भाजपा की कमजोर कड़ी साबित हो सकते हैं। सुरेंद्र जीना के प्रति सहानुभूति के चुलते वो चुनाव जीत तो गए लेकिन शायद सुरेंद्र सिंह जीना का मृदुल व्यवहार वो आत्मसात नहीं कर पाए। आए दिन उनके साथ होने वाली विवादित घटनाओं ने उनकी एवं भाजपा की छवि को खासा नुकसान पहंुचाया है। खासकर भाजपा के अंदर उनका मुखर विरोध उनके टिकट को खतरे में डाल सकता है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता गिरीश चंद्र कोटनाला के साथ हुई मारपीट की घटना ने महेश जीना की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं महेश जीना के गनर आनंद नेगी द्वारा जिस प्रकार धमकाने एवं मारपीट का वीडियो वायरल हुआ है, उसने भी क्षेत्र में इन की छवि को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि विधायक के गनर को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा ने निलंबित कर दिया है।

भाजपा की नोएडा महानगर इकाई के उपाध्यक्ष और सरकार की लाभकारी योजनाओं के जिला अभियान प्रमुख गिरीश चन्द्र कोटनाला लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। संघ के स्वयं सेवक के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय गिरीश चन्द्र कोटनाला इस बार सल्ट के स्थानीय और भाजपा के पूर्णकालिक कार्यकर्ता को टिकट की पैरवी के साथ भाजपा से दावेदारी करने उतर रहे हैं। पूर्व दर्जा राज्य मंत्री रहे दिनेश मेहरा इस बार सल्ट से दावेदारी कर रहे हैं। 2007 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दिनेश मेहरा ने तब भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल को छह हजार वोटों पर सीमित कर तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। हालांकि वह दूसरे स्थान पर रहे थे लेकिन सल्ट में उन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रभाव का आंकलन करवा दिया था। उस समय अजय भट्ट से निकटता के चलते प्रमोद नैनवाल सल्ट से टिकट पा गये थे अगर उस समय भाजपा से दिनेश महरा को टिकट मिला होता तो 2007 के विधानसभा चुनाव में सल्ट का चुनाव परिणाम शायद कुछ और ही होता।

दरअसल, कभी राजनीतिक तिकड़में पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ जाती है। वर्ना कांग्रेस के गढ़ सल्ट में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाने का काम इसी मेहरा परिवार ने किया है जिसमें दिनेश मेहरा, गवेश मेहरा, महेशवर मेहरा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भाजपा ने उनके साथ न्याय नहीं किया। 32 वर्षों से भाजपा की सेवा कर रहे महेश्वर मेहरा इस बार पूरी दावेदारी के मूड में हैं। महेश्वर मेहरा 2014 से सांसद अजय टम्टा के सांसद प्रतिनिधि हैं। महेश्वर मेहरा 1997 से 2009 तक भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत के भी सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। भाजपा में युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष पद से प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य का दायित्व संभाल चुके महेश्वर मेहरा उन चन्द लोगों में से है, जिन्होंने भाजपा को सल्ट में जमीनी आधार दिया है। उसी आधार पर भाजपा आज शीर्ष में होने का गर्व कर रही हैं। संघ के स्वयं सेवक के रूप में भाजपा से जुड़े प्रताप रावत 2003-08 तक जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्य, भाजपा के प्रांतीय पार्षद, भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे प्रताप रावत 2021 के सल्ट उपचुनाव में भाजपा के सशक्त दावेदार भी थे।

इस बार वह फिर से दावेदारों की सूची में शुमार हैं। इस बीच एक नाम जो सल्ट उपचुनाव से ठीक पूर्व चर्चा में आया था वह है, डॉ ़ यशपाल सिंह रावत का। पेशे से चिकित्सक डॉ ़ यशपाल सिंह रावत मूलरूप से सल्ट के निवासी हैं और काशीपुर में चिकित्सक हैं। सल्ट उपचुनाव से पूर्व वे भाजपा में शामिल हुए थे। सल्ट उपचुनाव में उनके भाजपा प्रत्याशी बनने की चर्चाएं थी लेकिन सहानुभूति लहर पर सीट जीतने की मंशा से भाजपा ने दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के भाई को अपना प्रत्याशी बनाया था। काफी लंबे समय से डॉ ़ यशपाल सिंह रावत पूरे सल्ट क्षेत्र में चिकित्सा शिविरों के माध्यम से सल्ट की जनता से जुड़े हैं।

आम आदमी पार्टी भी सल्ट में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश में हैं। 2014 से आम आदमी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य दयानंद शर्मा और आम पार्टी के जिला उपाध्यक्ष सुनील टम्टा आम पार्टी के दावेदारों में में शुमार हैं। उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से ही सल्ट विधानसभा क्षेत्र में क्षेत्रीय ताकतें कभी मजबूत नहीं रही। सल्ट उपचुनाव में उक्रांद प्रत्याशी हजार वोट से नीचे सिमट गया था। इस बार राकेश नाथ उत्तराखण्ड क्रांति दल के संभावित उम्मीदवारों में हैं।

2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। जहां भाजपा 2012 से अपने कब्जे की सीट को बरकरार रखने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस अपने इस पुराने गढ़ में अपनी खोई प्रतिष्ठा को फिर से पाने की कोशिश में है। इस लिए दोनों दलों के लिए प्रत्याशी चयन आसान नहीं होगा। क्योंकि भाजपा एंटीइंकम्बेंसी से जूझ रही है और कांग्रेस आंतरिक झगड़ों में ही उलझी हुई है।

 

पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते मुझे दावेदारी करने का अधिकार है बाकी निर्णय तो पार्टी को करना है। मैं तो 1992 से सल्ट क्षेत्र में भाजपा के लिए कार्य कर रहा हूं मैंने 1992 से बची सिंह रावत जी के लिए विधानसभा और 1996, 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा के लिए कार्य किया था। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। मेरा मानना है कि पार्टी को भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता और सल्ट क्षेत्र के व्यक्ति को ही टिकट देना चाहिए। बाहरी व्यक्ति की भावनाएं न पार्टी से जुड़ी होती हैं न ही क्षेत्र से। मैं सल्ट के ग्राम भौंन पल्ला सल्ट का निवासी हूं। मेरी दावेदारी है लेकिन पार्टी जिसे प्रत्याशी बनायेंगे उसके लिए सब मिलकर काम करेंगे।
गिरीश चन्द्र कोटनाला, भाजपा नेता

 

मैं कांग्रेस पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता रहा हूं। ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य रहा हूं। युवाओं और बुजुर्ग सबके मध्य मेरा लगातार संपर्क रहता है। मैं 2021 के उपचुनाव में भी दावेदार  था। सल्ट को आज तक सभी जनप्रतिनिधियों ने छला हैं। सल्ट का समग्र विकास मेरी प्राथमिकता है। पार्टी मुझे प्रत्याशी बनाती हैं तो मैं पार्टी को जीतकर दिखाऊंगा।
अजुर्न सिंह रावत, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कांग्रेस नेता

 

 

2017 में भी मुझे अंतिम क्षणों में टिकट मिला। उस समय मैं बहुत कम अंतर से हारी थी। 2021 के विधानसभा उपचुनाव में भी मुझे अंतिम क्षणों में ही टिकट मिला। उपचुनाव में मेरे सामने पूरी सरकार थी। साथ ही पार्टी के अंतर्विरोध भी थे। मुझे हराने के लिए ऐन चुनाव के समय ऐसे बयान दिए गए जिससे पार्टी व प्रत्याशी को नुकसान पहुंचे। वह चुनाव गंगा पंचोली बनाम राज्य सरकार हो गया था। अगर कांग्रेस से मेरे अलावा कोई अन्य प्रत्याशी होता तो उनकी जमानत जब्त हो जाती। पार्टी के अंदर मेरे लिए लोगों ने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न की फिर भी मैं मजबूती से चुनाव लड़ी। पिछले कुछ महीनों में ऐसा नया कुछ नहीं हुआ कि मेरी दावेदारी को नकारा जा सके। मैं दो बार हारी जरूर हूं लेकिन हार का अंतर पांच हजार से कम रहा हैं। अगर पार्टी दो बार हारने वालों को टिकट न देने की नीति सबके लिए बनाती है तो मुझे दूसरा प्रत्याशी मंजूर होगा। लेकिन ये फॉर्मूला सिर्फ मेरे लिए लागू होता है तो फिर मुझे सोचना पड़ेगा। एक महिला होने के नाते भी मेरी दावेदारी मजबूत है।
गंगा पंचोली, पूर्व ब्लॉक प्रमुख स्याल्दे, कांग्रेस नेता

मैं तो 2017 और 2021 के चुनावों में भी कांग्रेस से सशक्त दावेदार था लेकिन अंतिम क्षणों में गंगा पंचोली जी का टिकट फाइनल हुआ। वरिष्ठ होने के नाते मेरी दावेदारी 2022 के चुनाव में भी है। सबसे पहले पार्टी को चाहिए कि यहां गुटबाजी खत्म करे। गुटबाजी के कारण पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ता है। हम पार्टी के निष्ठावान सिपाही हैं। पार्टी जिसे प्रत्याशी बनाएगी, सबको मंजूर होगा। लेकिन मेरी दावेदारी जरूर रहेगी।
शोबन सिंह बोरा, कांग्रेस नेता सल्ट

 

सल्ट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मेरी दावेदारी का प्रयास 2017 से ही है। मुझे पूरा विश्वास है कि पार्टी नेतृत्व 2022 में मुझे एवं पूरे प्रदेश में मेरे जैसे बहुत सारे युवा प्रत्याशियों को मौका देगी।
विक्रम रावत, ब्लॉक प्रमुख सल्ट

 

 

मेरी तो मजबूती से दावेदारी 2021 के उपचुनाव में भी थी परंतु सहानुभूति के चलते मुझे टिकट नहीं मिल पाया। इस बार भी मेरी मजबूत दावेदारी है। मैं लगातार क्षेत्र में सक्रिय हूं।
डॉ. यशपाल सिंह रावत, भाजपा नेता

 

 

भारतीय जनता पार्टी में फिलहाल मुझे कोई दायित्व नहीं मिला है। मैं 32 साल से भाजपा का कार्यकर्ता हूं। कांग्रेस के गढ़ में हमने भाजपा को जमाने का कार्य किया था। हमने अजय भट्ट जी और बच्ची सिंह रावत जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सल्ट क्षेत्र ही नहीं पूरी रानीखेत विधानसभा में भाजपा को मजबूत करने का कार्य किया। हम टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। टिकट महेश्वर मेहरा को मिले, मेरे भाई दिनेश मेहरा को मिले या मेरे पुत्र रोहित मेहरा को मिले। पार्टी को हमारी ओर भी दृष्टि रखनी चाहिए। हमारी दावेदारी है। बाकी तो पार्टी नेतृत्व का फैसला मंजूर होगा।
महेश्वर सिंह मेहरा, सांसद प्रतिनिधि

जहां तक मेरी दावेदारी का प्रश्न है तो आप समझ ही सकते हैं। मेरी दावेदारी पर तो कोई शक ही नहीं है। अभी छह महीने पहले ही मेरी दावेदारी सि) हुई है और सबसे ज्यादा बहुमत से मुझे जनता ने चुनकर भेजा है। मैं लगातार क्षेत्र के भ्रमण पर हूं और जनता से जुड़ा हुआ हूं। पूर्व में जिन लोगों ने उपचुनाव में दावेदारी की थी वो मेरे क्षेत्र के वोटर भी नहीं हैं। वो तो विपक्षियों द्वारा बनाए गए प्रत्याशी हैं जो सिर्फ विवाद खड़ा करने के लिए था। भारतीय जनता पार्टी में जो भी हाईकमान तय करता है वो सर्वमान्य होता है। दावेदारी पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता कर सकता है। आप देख ही रहे हैं मेरी छवि खराब करने का असफल प्रयास हो रहे हैं। जब मैंने उपचुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने मेरी छवि खराब करने के लिए एक लाख पोस्टर छपवाए जिसमें मुझे गुंडा, भू माफिया, खनन माफिया तक कहा गया। ऐसी मेरी छवि बनाने की कोशिश की गई, क्योंकि मेरे स्व भाई सुरेंद्र सिंह जीना की छवि जनप्रिय नेता की थी तो अब मेरी छवि खराब करने के लिए कई प्रयास किए लेकिन जनता सब जानती है। मुझे भारी बहुमत से जिताया। इस बार भाजपा और अच्छे बहुमत से जीतेगी, क्योंकि उस समय कोरोना के कारण लोग आ नहीं पाए थे।
महेश जीना, विधायक सल्ट

मैं आम आदमी पार्टी का 2014 से सक्रिय सिपाही हूं। दिल्ली में भी मैं शुरू से ही केजरीवाल जी का समर्थक रहा हूं, उनके विचारों को फॉलो करता हूं। हम उत्तराखण्ड में चाहते हैं कि दिल्ली का मॉडल अपनाएं। दिल्ली का मॉडल विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल पर है। अगर उत्तराखण्ड में शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की समस्याओं का समाधान कर दें तो पचास प्रतिशत पलायन यूं ही रूक जाएगा। आधे लोग शिक्षा की अव्यवस्था के कारण, स्वास्थ्य की चिंताओं और पेयजल समस्या के चलते पलायन कर रहे हैं। हम इनको ठीक करेंगे तो सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा। सरकार की यदि नीयत साफ हो तो रोजगार के यहां अच्छा स्कोप है। अगर हम केजरीवाल जी के दिल्ली मॉडल को अपनाएं तो हमारा रैवेन्यू सरप्लस रहेगा। दिल्ली के विकास मॉडल को भी हम उत्तराखण्ड में उतार सकें और सल्ट व उत्तराखण्ड का सर्वांगीण विकास हो इसी संकल्प के साथ मैं सल्ट क्षेत्र से चुनाव लड़कर जनता के हित में कार्य करना चाहता हूं।
सुरेश चन्द्र सिंह बिष्ट, प्रभारी आम आदमी पार्टी, सल्ट विधानसभा क्षेत्र

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