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Uttarakhand

‘किताब कौथिग’ संस्कृति का उदय

पहाड़ों पर पठन-पाठन की संस्कृति को फलीभूत करने के उद्देश्य से ‘किताब कौथिग’ के आयोजन सराहे जा रहे हैं। उत्तराखण्ड के शहरों में पुस्तकालयों की स्थापना कर रहे पीसीएस अधिकारी हिमांशु कफलटिया और ‘म्यर पहाड़’ के हेम पंत की इस पहल से पहाड़ों पर किताबों की एक नई दुनिया रची जा रही है। पिछले 6 माह में तीन शहरों में हुए इन आयोजनों में पहाड़ी कल्चर को तो बढ़ावा मिल रहा है, साथ ही यहां प्रदेश के लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने वाले लोगों की रचनात्मक शैली का भी प्रदर्शन होता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस अनोखे पुस्तक मेले में जाकर आयोजकों की हौसला अफजाई कर चुके हैं, साथ ही उन्होंने ऐसे आयोजन प्रदेश भर में कराने की जरूरत बताई

उत्तराखण्ड में पढ़ने-लिखने की संस्कृति के साथ ही यहां की विशिष्ट संस्कृति और अनछुए पर्यटक स्थलों के प्रति लोगों में रूचि जागृत करने के अनोखे विचार के साथ किताब कौथिग का विचार पनपा। गत् 24 और 25 दिसंबर 2022 को चंपावत जिले के छोटे से कस्बे टनकपुर में यह विचार पहाड़ की युवा टीम ने धरातल पर उतारा। जो पूरे देश में चर्चित हो रहा है। नेपाल सीमा से जुड़ा टनकपुर कस्बा मां पूर्णागिरि मंदिर के आंगन में बसा है। पास ही शारदा नदी बहती है। प्राकृतिक रूप से संपन्न नंधौर रिजर्व फॉरेस्ट भी यहां स्थित है। लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इन सभी स्थलों के बारे में जानते हैं। किताबों की दुनिया से परिचित कराने के साथ ही ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों की तरफ देश दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से ‘किताब कौथिग’ का आगाज हुआ। यह शुरुआत आज पहाड़ के तीन शहरों में किताब कौथिग के जरिए लोगों के दिलो में स्थान पा चुकी है। जबकि आगामी आयोजन पिथौरागढ़ में किया जाएगा। टनकपुर के उपजिलाधिकारी रहे हिमांशु कफलटिया ने इस अभियान की अगुवाई का जिम्मा लिया। वरिष्ठ उद्योगपति रोहिताश अग्रवाल को आयोजन समिति का अध्यक्ष चुना गया। जबकि पेशे से इंजीनियर और रंगकर्मी हेम पंत ने इस कौथिग को जनता का लोकप्रिय कार्यक्रम बनाने की पहल की।
पहले कौथिग की शुरुआत टनकपुर स्थित राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त विज्ञान कथा लेखक देवेन मेवाड़ी और सिने अभिनेता हेमंत पांडे द्वारा की गई। यहां लगभग 50 प्रकाशकों की किताबें स्टॉल्स में सजी थीं। जिसमें पिथौरागढ़, चंपावत, लोहाघाट, रुद्रपुर, बनबसा, नानकमत्ता, खटीमा और सितारगंज आदि जगहों से आए हुए किताब-प्रेमी भी शामिल हुए। पड़ोसी देश नेपाल से भी साहित्यकारों का एक बड़ा दल इस कार्यक्रम में आया।

देखा जाए तो टनकपुर किताब कौथिग एक बहुआयामी कार्यक्रम था। जिसमें बाल सहित्य, विज्ञान, धार्मिक-आध्यात्मिक और लोकप्रिय साहित्य के साथ ही साहसिक पर्यटन, व्यवसायी, स्थानीय कलाकार, विज्ञान कोना और स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल में भी लोगों ने बहुत रुचि दिखाई। पहले दिन के सत्र में उतराखंड के परंपरागत लोकगीतों पर सभी दर्शक झूम उठे। स्थानीय कलाकारों के साथ ही हल्द्वानी से आए ‘घुघूति जागर टीम’ और पिथौरागढ़ से आए युवा कलाकार पवन पहाड़ी ने
दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। बड़ी संख्या में मैदान में उपस्थित लोगों ने सामूहिक ‘झोड़ा नृत्य’ भी किया। दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत नंधौर जंगल में रामनगर से पधारे वन्य विशेषज्ञ राजेश भट्ट के नेतृत्व में ‘नेचर वॉक’ से हुई। बाहर से आए अतिथियों ने टनकपुर की प्राकृतिक सुंदरता को नजदीक से महसूस किया। अंतिम सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे और सभी स्टॉल का अवलोकन किया। बच्चों से बातचीत की और किताब कौथिग के सफल आयोजन पर खुशी जाहिर करने के साथ ऐसे आयोजन पूरे राज्य में करवाने की जरूरत बताई।

किताब कौथिग का अनूठा विचार अब धीर-धीरे विस्तार पाने लगा है। टनकपुर किताब कौथिग के बाद बागेश्वर जिलाधिकारी अनुराधा पाल की सलाह पर कत्यूर घाटी में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बैजनाथ में दूसरा किताब कौथिग 15 और 16 अप्रैल 2023 को किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन 50 से अधिक प्रकाशकों की किताबें स्टॉल में लगाई गई थीं। प्रसिद्ध इतिहासकार शेखर पाठक, पद्मश्री डॉ ़माधुरी बड़थ्वाल, जिला पंचायत अध्यक्षा बसंती देव, कपकोट के विधायक सुरेश गड़िया, जिलाधिकारी अनुराधा पाल, वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया, वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी और कवि-गीतकार गोपाल दत्त भट्ट आदि लोगों ने मेले का विधिवत शुभारंभ किया। स्टॉल में प्रसिद्ध फोटोग्राफर थ्रीश कपूर की प्रदर्शनी लगी। अगले स्टॉल में ‘नक्षत्र’ ग्रुप द्वारा आधुनिक दूरबीनों के साथ अंतरिक्ष विज्ञान की जानकारी दी गई। सैकड़ों किताबों और स्थानीय कलाकारों की हस्तशिल्प प्रदर्शनी भी वहां लगी थी। स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने यहां से अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों की किताबें खरीदी।

प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने छलिया नृत्य और ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ की नाट्य प्रस्तुति से अतिथियों का मनमोह लिया। डॉ ़शेखर पाठक ने बागेश्वर जिले के महत्व पर सारगर्भित बातें रखी। शाम के सत्र में देहरादून से आई वरिष्ठ लोकविद पद्मश्री डॉ माधुरी बड़थ्वाल ने परम्परागत लोकगीतों के साथ अपनी बात रखी। शाम को प्रसिद्ध लोकगायक प्रहलाद मेहरा, राजेंद्र ढैला, राजेंद्र प्रसाद और अनिल पालीवाल के द्वारा संगीतमय प्रस्तुतियां दी गई। अंतिम सत्र में कुमाऊंनी और हिंदी कवि सम्मेलन में लगभग 15 कवियों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। इस सत्र का संचालन हेमंत बिष्ट और चंद्रशेखर बड़शीला ने किया। कार्यक्रम स्थल पर ही प्रसिद्ध रंगकर्मी उदय किरौला ने हुड़के की थाप पर समसामयिक झोड़े गाकर सबको नाचने पर मजबूर कर दिया। अगले दिन सुबह ही बाहर से आए और स्थानीय लोगों ने बैजनाथ बैराज से मां कोट भ्रामरी मंदिर तक पैदल यात्रा की। 5 किमी की इस यात्रा के दौरान रामनगर के प्रसिद्ध वन विशेषज्ञ राजेश भट्ट ने पक्षी अवलोकन के बारे में कई रोचक तथ्य उजागर किए। वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी डॉ बीएस कालाकोटी ने उस इलाके में मिलने वाली जड़ी-बूटियों की पहचान और उनके महत्व पर जानकारी दी।

इस कार्यक्रम में पुस्तक-प्रेमियों की भीड़ ने किताबों के साथ ही खगोल विज्ञान का अवलोकन किया। स्थानीय कलाकारों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों में भी लोगों ने बहुत रुचि दिखाई। मुख्य सत्र में चर्चित उपन्यास ‘भंवर-एक प्रेम कहानी’ पर पुस्तक चर्चा का आयोग हुआ। इस चर्चा में पुस्तक के लेखक, सेवा का अधिकार आयोजन के अध्यक्ष और पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, प्रशासनिक अधिकारी हिमांशु कफलटिया ने भाग लिया। उत्तराखण्ड सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी इस अवसर पर मौजूद रहीं। जिले के वरिष्ठ लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया। प्रदेश के तीसरे किताब कौथिग में लगभग 60 प्रकाशकों की 50 हजार किताबें रखी गई थीं। इस दौरान आमंत्रित लेखकों और साहित्यकारों से स्थानीय लोगों की सीधी बातचीत हुई।

लगभग 20 स्कूलों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग प्रतियोगिता, ऐपण प्रतियोगिता, कविता वाचन, निबंध लेखन एवं अन्य गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भागीदारी की। बच्चों को प्रो ़ पुष्पेश पंत और आर जे काव्य के हाथों से पुरस्कार दिए गए। प्रख्यात विचारक व लेखक प्रो ़पुष्पेश पंत ने पहले सत्र में ‘पढ़ने- लिखने की आदतों में बदलाव’ विषय पर अपनी बात रखी। इस सत्र में श्रोताओं ने उनसे सवाल-जवाब किए। संचालन पिथौरागढ़ के शिक्षाविद डॉ ़ अशोक पंत ने किया। दूसरे सत्र में प्रो .प्रभात उप्रेती और सेवानिवृत पुलिस अधिकारी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने छात्र-छात्राओं से किताबों पर बातचीत की। इस दौरान ‘न्यौलि कलम’ किताब का विमोचन हुआ, जिसमें चंपावत जिले के स्कूली बच्चों के 100 स्वरचित लेख और कविता आदि प्रकाशित हैं। कवि सम्मेलन के साथ ही सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी हुआ। जिसमें लोकगायक प्रहलाद मेहरा, सुरेश राजन, घुघुति जागर टीम और पालीवाल ग्रुप ने सुंदर गीत गाए। आमंत्रित अतिथियों को-बिच्छू घास की सब्जी, गहत, भट्ट, पहाड़ी रायता, भंगीरे की चटनी का भोजन परोसकर पहाड़ी स्वाद का अहसास कराया। नक्षत्र, अल्मोड़ा द्वारा आधुनिक दूरबीनों के साथ लगभग 500 लोगों को सूर्य और तारा अवलोकन कराया गया। खगोल विज्ञान से जुड़ी जानकारी दी गई। हिमवत्स संस्था ने सरलता से विज्ञान के सिद्धांत समझाने वाले मॉडल्स प्रदर्शित किए। जबकि अटल टिंकरिंग लैब से जुड़े बच्चों ने रोबोटिक्स और 3डी प्रिटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया।

यहां ‘पहरू’ द्वारा स्थानीय भाषाओं की किताबों का स्टॉल लगाया गया। शहर फाटक की निवासी पुष्पा फर्त्याल (शहर फाटक) द्वारा कठपुतलियों के माध्यम से परंपरागत वेशभूषा और महिलाओं के दैनिक कार्यों का सुंदर चित्रण किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन जिम कॉर्बेट ट्रेल से जुड़े रास्ते पर नेचर वॉक की गई। सीटीआर से आए राजेश भट्ट ने पक्षियों की बाबत बताया तो वनस्पति विज्ञानी डॉ ़ बीएस कालाकोटी ने रास्ते पर मिल रही जड़ी-बूटियों के बारे में सभी लोगों को जानकारी दी। पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ ललित उप्रेती ने रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान की जरूरत पर बल दिया। इस दौरान ‘शिक्षा और शिक्षण में रंगमंच का महत्व’ विषय पर देश के अग्रणी रंगकर्मी ललित पोखरिया और कवि-उद्घोषक हेमंत बिष्ट द्वारा अपने विचार व्यक्त किए गए। ‘शिक्षा की चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर चर्चा की गई। जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित, शिक्षक व लेखक महेश पुनेठा और प्रहलाद अधिकारी ने भाग लिया जबकि न्यू मीडिया विषय पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के साथ ही एडवोकेट गौरव पांडे ने परिचर्चा की।

बात अपनी-अपनी
दिसंबर 2022 में हेम पन्त और मैंने एक अभिनव प्रयास किया। हेम पंत पहाड़ी संस्कृति को बचाने के लिए काम कर रहे मंच ‘म्योर पहाड़ मेरि पछ्यान’ से जुड़े हैं, तो मैं ‘सिटीजन पुस्तकालय अभियान’ के माध्यम से समाज में पढ़ने लिखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा हूं। जब दो विचारों का मिलन हुआ, तो उससे एक नया विचार ‘किताब कौथिग’ अर्थात् किताबों का मेला हमारे सामने आया। इस नए प्रयोग में हर वर्ग ने अपना योगदान दिया और पहला किताब कौथिग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र में बहुत ही सफल रहा। अब उत्तराखण्ड के युवा प्रशासनिक अधिकारी जैसे बागेश्वर की डीएम अनुराधा पाल एवं चंपावत के डीएम नरेंद्र भंडारी किताब कौथिग परंपरा को बढ़ावा देने के साथ संरक्षित भी कर रहे हैं।
हिमांशु कफलटिया, पीसीएस अधिकारी

मेरे और हिमांशु के मन में किताब कौथिग आयोजित करवाने का पहली बार विचार आया, तो टनकपुर से इसकी शुरुआत की गई। हमारा यह विचार था कि एक ही कार्यक्रम के साथ हम तीन-चार चीजों को जोड़कर आगे बढ़ें। जैसे शिक्षा, साहित्य, पर्यटन के साथ उत्तराखण्ड की विशिष्ट लोक संस्कृति भी इन कौथिगों में शामिल हो। इसको एक सामाजिक दायित्व की तरह ले रहे हैं। अब तक तीन सफल कार्यक्रम हो चुके हैं। चौथा जल्द ही पिथौरागढ़ में आयोजित करने की तैयारी है।
हेम पंत, इंजीनियर और रंगकर्मी

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