- संतोष सिंह
पिछले वर्ष जहां चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे, वहीं इस बार भी यात्रा रिकॉर्ड स्तर पर चल रही है। लेकिन जिस तरह से बार-बार मौसम की मार देखने को मिल रही है उससे यात्रा प्रभावित हो रही है। सबसे ज्यादा हेमकुंड साहिब यात्रा में हिमखंड बाधक बन रहे हैं। जहां ग्लेशियर खिसकने से छह श्रद्धालु इसकी चपेट में आ गए। जिसमें एक महिला को जान गंवानी पड़ी। ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि प्रशासन के लिए चारधाम यात्रा निर्विघ्न संपन्न कराना
आसान नहीं होगा
उत्तराखण्ड में तीर्थाटन एवं पर्यटन व्यवसाय ही आर्थिक की मजबूत रीढ़ है। हर साल प्रदेश ही नहीं देश-विदेश से भी लाखों लोग यहां पहुंचते हैं। तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय से प्रदेश में लाखों लोगों का रोजगार चलता है। तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को पंख देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है। उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा को सरल और सुगम बनाने के लिए ऑल वेदर सड़क का निर्माण, रेलवे परियोजना, रोपवे के साथ चारों धामों में मास्टर प्लान से पुनर्निर्माण कार्य कर भव्य और दिव्य स्वरूप में विकसित किया जा रहा है। पिछले वर्ष कोरोना के बाद चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्री दर्शन के लिए पहुंचे। चारधाम यात्रा सीजन में 45 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुष्प अर्जित किया। इस वर्ष भी लोगों को चारधाम यात्रा से काफी उम्मीदें हैं। लेकिन इस वर्ष चारधाम यात्रा शुरू होने से ही पहाड़ में जिस तरह से बार-बार मौसम बदल रहा है और बदरा बरस रहे है। उससे चारों धामों में यात्रा प्रभावित हो रही है। साथ ही ऊंचाई पर स्थित बाबा केदार एवं हेमकुंड साहिब यात्रा में बर्फबारी होने से श्रद्धालुओं को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। जिस कारण केदारनाथ में एक दिन और हेमकुंड साहिब में दो दिन यात्रा रोकनी पड़ी थी।
केदारनाथ धाम एवं हेमकुंड साहिब यात्रा में बड़े-बड़े हिमखंड सबसे अधिक राह में बाधक बन रहे हैं। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हल्का ग्लेशियर खिसकने से जहां तीर्थयात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी, वहीं हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर ग्लेशियर खिसकने से छह श्रद्धालु चपेट में आए हैं। इसमें एक महिला तीर्थयात्री को जान गंवानी पड़ी है। ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि आस्था पथ की डगर आसान नहीं है। मानसून सीजन भी 15 जून के बाद शुरू हो जाएगा। चमोली और रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारियों ने भी अधिकारियों की बैठक कर मानसून सीजन से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी है। लग रहा है कि प्रशासन के लिए भी केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा निर्विघ्न संपन्न कराना चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।
कहावत है कि पहाड़ का पानी और जवानी यहां के काम नहीं आई। लेकिन अब पहाड़ का पानी और जवानी को पहाड़ के लिए उपयोगी बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार उत्तराखण्ड में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को मजबूत बनाने के लिए काम कर रही है। पिछले वर्ष ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अंतिम पर्यटन गांव माणा का नाम बदलकर अब देश का प्रथम गांव रख दिया है। बदरीनाथ धाम पहुंचने वाले अधिकतर श्रद्धालु माणा गांव जरूर पहुंचे हैं। जहां वह यहां मां सरस्वती नदी, गणेश गुफा, व्यास गुफा के साथ भीमपुल के दर्शन करते हैं। नैसर्गिक सौंदर्य वसुधारा जलप्रपात का भी आनंद लेते हैं और कुछ साहसिक तीर्थयात्री व पर्यटक यहां से स्वर्गारोहिनी ट्रैक का भी रुख करते हैं। जिससे देश का प्रथम गांव माणा यात्रा सीजन में गुलजार बना हुआ। भोटिया जनजाति गांव के लोग छह माह यहीं रहकर अपने स्थानीय उत्पाद को बेचते हैं।
पीएम मोदी ने माणा गांव से स्वयं देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों से उत्तराखण्ड में अपने बजट का पांच फीसदी यहां स्थानीय उत्पाद पर खर्च करने को आग्रह किया था। पीएम मोदी के संदेश के बाद तीर्थयात्रियों का ध्यान स्थानीय उत्पाद की ओर जरूर आकर्षित हुआ है और श्रद्धालु स्थानीय उत्पादों को खरीद भी रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार द्वारा चारधाम यात्रा को सरल और सुगम बनाने के लिए ऑल वेदर सड़क का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है जिसका 70 फीसद से अधिक कार्य संपन्न हो गया है। चारधाम के सड़कें पहले से बेहतर हो गई हैं। जिससे तीर्थयात्रियों को धाम पहुंचने में ज्यादा कठिनाइयां नहीं हो रही है। भले ही ऑल वेदर निर्माण कार्य से अब भी कई स्थानों पर भूस्खलन व डेंजर जोन बने हुए हैं जो बरसात में जरूर दिक्कतें खड़ी कर सकते हैं। दूसरी ओर धामों में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग-पीपलकोटी रेल परियोजना पर भी युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। चारों धामों को रेल परियोजना से जोड़ने की कवायद चल रही है। वहीं केदारनाथ व हेमकुंड लक्ष्मण मंदिर को जोड़ने के लिए रोपवे का शिलान्यास किया गया है। जिन पर जल्द ही कार्य शुरू होने की उम्मीदें हैं। पिछले वर्ष मौसम ने साथ दिया था तो चारधाम यात्रा में भारी उत्साह दिखाई दिया और पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ 45 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा कर पुष्प अर्जित किए। जिसके चलते कोरोना के बाद ठप हुआ तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय फिर से अपनी पटरी पर आ गया और यात्रा से जुड़े व्यवसायियों के चेहरे खिलने लगे। उम्मीद की जाने लगी की इस वर्ष भी तीर्थयात्रा अच्छी चलेगी उसके लिए प्रशासन ने भी अपनी ओर से यात्रा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया है। इस वर्ष 22 अप्रैल को गंगोत्री-यमनोत्री धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा का आगाज हुआ।
25 अप्रैल को ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ व 27 अप्रैल को भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। लेकिन चारधाम यात्रा शुरू होते ही पहाड़ में मौसम के बदलते मिजाज ने चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी। इसके बावजूद तीर्थयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ। हर दिन हजारों श्रद्धालु आस्था पथ पर दर्शन के लिए पहुंचने लगे। लेकिन केदारनाथ धाम में बर्फबारी के चलते एक दिन के लिए केदारनाथ धाम की यात्रा को रोकनी पड़ी थी, केदारनाथ यात्रा मार्ग पर एक जगह हिमखंड टूटने से भी रास्ता बाधित हो गया था, जिसे जल्द ही खोल दिया गया था। वहीं सुरक्षा को देखते हुए इस दौरान स्वयं पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने केदारनाथ धाम पहुंचकर यात्रा सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। दूसरी ओर अब 20 मई को पांचवां धाम सिखों का पवित्र धाम हेमकुंड साहिब यात्रा भी आरंभ हो गई है।
जिसको 17 मई को प्रदेश के राज्यपाल व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश में पूजा-अर्चना के बाद पंज प्यारे की अगुवाई में रवाना किया। इस बर्ष भारी बर्फबारी के चलते हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर 8-10 फिट हिमखंड जमे हुए थे। जहां पर सेना के जवानों द्वारा युद्धस्तर पर बर्फ काटकर हेमकुंड साहिब तक पैदल मार्ग बनाया गया। जिसमें सिख सेवादारों द्वारा भी सहयोग किया गया। यात्रा से पूर्व जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना एवं एसपी प्रमेंद्र डोबाल द्वारा 14 किमी पैदल चलकर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर शुरू से ही बारिश व बर्फबारी होने से पहले सप्ताह में ही अधिक बर्फबारी होने से 25-26 मई को यात्रा बीच में ही दो दिन के लिए रोकनी पड़ी। यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक पुलिस बल तैनात किए गए हैं। वहीं पैदल मार्ग पर अटलाकोटी व अन्य जगहों पर हिमखंड अब भी बाधक बने हुए हैं। सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब में 7-8 फीट हिमखंड अब भी बने हुए हैं। जहां पर श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतें हो रही हैं। फलस्वरूप इससे मानसून सीजन में आस्था पथ की राह कठिन होने वाली है। ऐसे में प्रशासन को सरल और सुगम यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए अतिरिक्त तैयारियां भी करनी होगी।
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