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  • गणेश पाण्डेय
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता पर विशेष जोर देते आए हैं। आम लोग उनके स्वच्छता अभियान का महत्व समझ रहे हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि शहरों या नगरों में सफाई के लिए जिम्मेदार निकाय अपनी कार्यशैली से जनता की भावनाओं को आहत कर रहे हैं। उत्तराखण्ड के रामनगर में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां नगर पालिका द्वारा कोसी नदी (कौशिकी गंगा) के किनारे बसे ‘पूछड़ी नई बस्ती गांव’ और धार्मिक स्थलों के आस-पास जिस तरह निरंतर कूड़ा फेंका जा रहा है उससे लोगों में भारी आक्रोश है।
  • गौरतलब है कि रामनगर शहर नैनीताल जनपद के अंतर्गत पतित पावनी कौशिकी गंगा (कोसी) के किनारे बसा हुआ है। शहर के निकट ही पूछड़ी नई बस्ती गांव है। यह गांव अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य है। गांव के लोग काश्तकारी के साथ-साथ दिहाड़ी मजदूरी एवं अन्य सेवा कार्यों के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं। इस गांव की आबादी लगभग पांच हजार है। कोसी नदी के किनारे रामनगर शहर से आगे तथा रामनगर-हल्द्वानी मार्ग की तरफ कई गांव बसे हुए हैं। इन गांवों की पेयजल आपूर्ति तथा सिंचाई सुविधाएं कोसी पर निर्भर हैं।
  • पूछड़ी नई बस्ती गांव में आबादी के बीचोंबीच ‘श्री तिरूपति बालाजी धाम’ के सम्मुख तथा ‘श्री गोपाल गऊ (आश्रम)’ की बाउंड्री के साथ ही सटाकर, रामनगर नगर पालिका द्वारा कूड़ा- कचरा संग्रहण एवं निस्तारण स्थल अर्थात् डम्पिंग ग्राउंड बनाया गया है। यह डम्पिंग ग्राउंड शुरू से ही विवादों में रहा है। स्थानीय निवासियों द्वारा उत्तराखण्ड महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष अमिता लोहानी, समाजसेवी एवं स्व. धनसिंह बिष्ट स्मृति के संस्थापक एवं संचालक सुरेंद्र सिंह बिष्ट तथा सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट विक्रमसिंह मावड़ी की अगुवाई में इस डम्पिंग ग्राउंड को बनाए जाने का प्रखर विरोध किया गया, परंतु रामनगर नगर पालिका ने अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए स्थानीय पुलिस-प्रशासन के जोर पर जबर्दस्ती डम्पिंग ग्राउंड बनाकर वहीं पर पूरे रामनगर शहर का खतरनाक कूड़ा-कचरा फेंकना शुरू कर दिया।
  • विगत लगभग तीन सालों से उपरोक्त जगह पर निरंतर कूड़ा- कचरा तथा विभिन्न प्रकार का खतरनाक अपशिष्ट फेंका जा रहा है। भाजपा नेता अमिता लोहनी ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह कितने दोहरे मापदंडों की व्यवस्था है कि हमारे देश के मंत्रीगण और नेता तमाम अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय मंचों से पर्यावरण संरक्षण तथा स्वच्छता पर भारी-भरकम भाषण देते हैं और दूसरी ओर स्थानीय नगर पालिका द्वारा मानव आबादी के मध्य तथा नदी किनारे कूड़ा-कचरा संग्रहण स्थल ना दिया गया है।
  • समाजसेवी सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहन आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि रामनगर नगर पालिका के पास इस बात का कोई जबवा नहीं है कि उसने अचानक मानव आबादी के मध्य तथा नदी किनारे डम्पिंग ग्राउंड बनाने का फैसला किसके इशारे पर तथा किस मंत्रालय की अनुमति से दिया है। गौरतलब है कि डम्पिंग ग्राउंड से कुछ ही दूरी पर मस्जिद है। डम्पिंग ग्राउंड से लगभग 50 मीटर की दूरी पर शिव मंदिर है। यही नहीं जहां डम्पिंग ग्राउंड बनाया गया है, वहां से श्रद्धालुओं का कोसी नदी घाट तक आने-जाने का रास्ता है। इससे स्पष्ट है विवादित डम्पिंग ग्राउंड धार्मिक स्थलों के निकट बनाकर विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई गई है।
  • सामाजिक कार्यकर्ता एवं विद्वान अधिवक्ता विक्रमसिंह मावड़ी ने बताया कि डम्पिंग ग्राउंड को अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिए उत्तराखण्ड के सीएम से लेकर देश के पीएम तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति एवं पर्यावरण मंत्री तक गुहार लगाई जा चकी है, परंतु इन सभी के निर्देशों को रामनगर नगर पालिका प्रशासन सहित नैनीताल के जिलाधिकारी एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अंगूठा दिखा दिया गया है। मावड़ी ने बताया कि डंपिंग ग्राउंड में केवल खतरनाक कूड़ा ही नहीं, बल्कि कूकर, शूकर तथा गाय-भैंसों के शव भी फेंके जा रहे हैं। जो खुले में पड़े रहते हैं और समूचे क्षेत्र में खतरनाक चीलें तथा कुत्ते इनकी वजह से गदिर्शक करते रहते हैं।
  • सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री तथा उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एक ओर तो सनातन धर्म की दुहाई देते रहते हैं और दूसरी ओर धार्मिक स्थलों के सम्मुख ही कूड़ादान और डम्ंिपग ग्राउंड बनाने के सवाल का कोई जवाब नहीं देते हैं। बिष्ट ने बताया कि इस क्षेत्र के पेयजल, हवा पूरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं। यदि मौजूदा प्रदेश सरकार इन डम्पिंग ग्राउंड को अन्यत्र स्थानांतरित नहीं करती है तो क्षेत्रवासी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे ताकि उन्हें न्याय प्राप्त हो सके और वे मानवीय गरिमा के साथ जी सकें।

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