देश की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अल्मोड़ा जिले के एक वीर सैनिक के नाम से छह वर्ष पूर्व प्रस्तावित और घोषित सड़क अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। शहीद के प्रति संवेदनहीन उत्तराखण्ड सरकार और तंत्र की इस उपेक्षा से शहीद की वीरांगना और उसका परिवार दुखी है।
वर्ष 2004 देश की सरहदों की रक्षा करते हुए। जिले के विकास खंड स्याल्दे के ग्राम तोलबुधानी निवासी सैनिक हरि सिंह रावत अरुणांचल प्रदेश में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उस समय केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने शहीद के परिवार को शहीद सैनिक की याद में सड़क निर्माण, विद्यालय अथवा पुस्तकालय बनवाने का लिखित प्रस्ताव दिया था। ग्रामीणों ने राय परामर्श कर शहीद के नाम पर निकटवर्ती बाजार रतखाल से गांव तक सड़क निर्माण की मांग की। दस वर्ष पश्चात 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत में शहीद के नाम पर रतखाल से तोलबुधानी के लिए छह किलोमीटर सड़क निर्माण की घोषणा की, परंतु यह घोषणा मात्र राजनीतिक घोषणा साबित हुई।
वर्ष 2017 में सरकार बदली तो सूबे के नए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी सल्ट के शहीद दिवस पर इस सड़क की घोषणा के साथ जीओ जारी कर दिया। विगत चार वर्ष गुजर जाने के बाद भी कार्यदायी संस्था लोनिवि रानीखेत वन अधिनियम की स्वीकृति तक नहीं कर पाई। शहीद सैनिक के नाम पर जहां राजनीतिक दलों ने मात्र झूठी घोषणा कर वाहवाही लूटी, वहीं सड़क निर्माण के लिए उत्तरदायी संस्था लोनिवि के आला अधिकारियों के इस उपेक्षा पूर्व रवैये से शहीद का परिवार और ग्रामीण काफी दुखी हैँ। शहीद के बड़े भाई गंगा सिंह रावत के अनुसार उन्होंने क्षेत्रीय विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और सांसद अजय टम्टा को भी कई बार सड़क निर्माण की गुहार लगाई। साथ ही लोक निर्माण विभाग रानीखेत और मुख्यमंत्री कार्यालय देहरादून तक को अपनी व्यथा बताई, परन्तु मात्र झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
तोलबुधानी के सरपंच देव सिंह मेहता ने बताया कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान ग्रामीणों ने चुनाव वहिष्कार का एलान किया तो तहसील प्रशासन और लोनिवि के अधिकारियों ने चुनाव संपन्न होने के दो महीने बाद सड़क कटान का लिखित आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त कर दिया। परन्तु एक वर्ष बाद भी सड़क कटान तो दूर की बात है सड़क की फाइल लोनिवि कार्यालय में ही सिमटी रह गई। शहीद की वीरांगना परी देवी ने शीघ्र सड़क निर्माण नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। इस समय राज्य व केंद्र भाजपा की सरकार है। लेकिन एक ओर सरकार गांव को सड़क से जोड़ने उन्हें बुनियादी सुविधा मुहैया कराने की बात करती है। दूसरी तरफ शहीद सैनिक के सम्मान में की गई घोषणा से पलट रही है ।
इघर शहीद की वीरांगना पत्नी लगातार लोगों से सम्पर्क कर एक बड़े आंदोलन की रूप रेखा तैयार कर रही है। विभाग इनकी समस्या को शहीद के सपने को पूरा करने में असमर्थ साबित हो रहा है। शहीद के परिवार के लोगों को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
बात अपनी-अपनी
सरकार ने वर्ष 2014 में शहीद मार्ग बनाने की घोषणा की थी। विगत छह वर्ष बाद भी विभाग ने सड़क निर्माण की प्रकिया पूरी नहीं की। बन अघिनियम के फेर में सड़क को ऊलझा दिया गया।
परी देवी रावत, शहीद की पत्नी
हमने क्षेत्रीय विधायक, सांसद को सड़क के लिए पत्र सौंपा, लेकिन हमें मिला तो केवल आश्वासन। हम डबल इंजन की सरकार से बड़ी उम्मीद लगाए थे। लेकिन कुछ नहीं मिला।
गंगा सिंह रावत, शहीद हरीश सिंह के भाई
सरकार ने शहीद के नाम पर सिर्फ कोरी घोषणा कर दी। हम सड़क का इंतजार करते रह गए।
देव सिंह, सरपंच तोलबुधानी
मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। शहीद के नाम की सड़क निर्माण का कार्य क्यों बाधित हुआ, संबंधित अधिकारियों से वार्ता कर जल्द समस्या का समाधान किया जाएगा।
अजय टम्टा, सांसद अल्मोड /पिथौरागढ
शहीद मार्ग के लिए मैं लगातार प्रयास कर रहा हूं। शासन,प्रशासन, विभागीय अधिकारियों से बात कर निर्माण जल्द हो, ये मेरी प्राथमिकता रहेगी।
सुरेन्द्र सिंह जीना, विधायक सल्ट अल्मोड़ा
भूमि हस्तांतरण की प्रकिया पूर्ण होने के बाद रिपोर्ट केन्द्र को भेज दी है। वन विभाग की औपचारिकता पूरी होने पर हरी झंडी मिलते ही निर्माण शुरू होगा।
ललित कुमार गोयल, अघिशासी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग रानीखेत
मगर सल्ट विधानसभा क्षेत्र में गांवों को जोड़ने के लिए रातों-रात उल्टे-सीधे तरीके से दर्जनों सड़कें बन चुकी हैं, मगर गर शहीद के गांव तक सड़क नहीं बन पाई। यह शहीद का अपमान है। सरकार इस रोड को बनाने में जानबूझकर लापरवाही कर रही है।
राकेथ नाथ, संयोजक उत्तराखण्ड युवा शक्ति संगठन ( UYSS)