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Uttarakhand

सुलझकर भी अनसुलझा रह गया विवाद

उत्तराखण्ड में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए एक्शन मोड में दिख रही है। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश के साथ पिछले 21 सालों से चले आ रहे परिसंपत्ति विवाद का हल होने का दावा किया है। चुनावी साल में इसे धामी की बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र, यूपी और उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार होने के बावजूद परिसंपत्तियों के विवाद न सुलझ पाने को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

विपक्ष भी सरकार पर लगातार तंज कसता रहा है, लेकिन अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की लखनऊ में हुई बैठक में कई मसलों पर सहमति बनने के बाद भाजपा इसे ट्रिपल इंजन की करामात बता रही है। चुनावी साल में परिसंपत्तियों की राह खुलने से धामी भी सुकून महसूस कर रहे हैं। राज्य पुनर्गठन आयोग के तहत उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच सिंचाई विभाग की भूमि और भवन, कुंभ मेला, भूमि के हस्तांतरण के मसलों पर लंबे समय से विवाद रहा। 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मध्य बैठक हो चुकी है। उस बैठक में भी कुछ मसलों पर सहमति बनी थी। लेकिन ज्यादातर मामलों में अंतिम निर्णय नहीं हो सका था। लेकिन अब परिसंपत्ति विवादों के समाधान की उम्मीद में लखनऊ में हुई बैठक में बारी-बारी से लंबित प्रकरणों पर सहमति बनी। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि आज का दिन ऐतिहासिक है। 21 वर्ष पुराने सभी मामलों में सहमति बन गई है। तय हुआ कि दोनों कोर्ट में चल रहे मामले वापस लेंगे। इसमें सबसे बड़ा मामला सिंचाई विभाग की 5 हजार 700 हेक्टेयर भूमि और 1 हजार 700 आवास का है। संयुक्त सर्वे के बाद जितनी आवश्यकता यूपी को होगी उसे मिल जाएगी। बाकी उत्तराखण्ड के हिस्से में रहेगी। परिवहन निगम की परिसंपत्तियों के एवज में 205 करोड़ और वन विभाग की 90 करोड़ की धनराशि उत्तराखण्ड को दी जाएगी। जलाशयों, जल क्रीड़ा की अनुमति और बनबसा और किच्छा स्थित डैम की मरम्मत यूपी द्वारा कराए जाने पर भी सहमति बनी है। बैठक में बनी सहमति से मुख्यमंत्री ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की उदारता का आभार जताया है।

हालांकि मुख्यमंत्री धामी दावा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश संग परिसंपत्तियों को लेकर चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है, राज्य के विपक्षी दल धामी के बयान को मात्र चुनावी स्टंट करार दे रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि जमरानी बांध समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस बैठक में भी सहमती नहीं बन पाई है इसलिए संपत्तियों के बंटवारे को लेकर यथास्थिति बनी हुई है। आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को श्वेत पत्र जारी करने का चैलेंज दे डाला है।

पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे पर सहमति बनने से प्रदेश में जलक्रीड़ा गतिविधियों की अनुमति मिलने से पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर हुई बैठक में जलक्रीड़ा गतिविधियों की अनुमति दी गई। जिसमें ऊधमसिंहनगर स्थित धौरा, बैगुल, नानक सागर जलाशय में पर्यटन व वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति दी गई। इसके अलावा ऊपरी गंग नहर में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति भी दी गई।

अभी तक परिसंपत्तियों का मसला हल न होने से ऊपरी गंग नहर, ऊधमसिंह नगर के धौरा, बैगुल और नानक सागर जलाशय में जलक्रीड़ा गतिविधियों के संचालन की अनुमति नहीं थी। अब अनुमति मिलने के बाद इन स्थानों पर पर्यटन विभाग के माध्यम से जलक्रीड़ा गतिविधियां शुरू की जा सकेंगी। ऋषिकेश, टिहरी, नैनीताल झील की तर्ज पर इन स्थानों पर पर्यटकों के लिए जलक्रीड़ा का नया डेस्टिनेशन बनेगा जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

आवास परिषद से उत्तराखण्ड यूपी में आधा-आधा बंटवारा
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की परिसंपत्तियों का उत्तराखण्ड आवास विकास परिषद के साथ पचास-पचास फीसदी के अनुपात में बंटवारा होगा। वर्ष 2018 में इन परिसंपत्तियों की कीमत करीब 10 अरब रुपये आंकी गई थी। हालांकि अब इनका नए सिरे से सर्वेक्षण किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच हुई बैठक में आवास विकास परिषद की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर तय किया गया कि इनका बंटवारा सभी परिसंपत्तियों को बेचकर उनसे होने वाली आय और देनदारी का दोनों राज्यों के बीच आधा-आधा बंटवारा होगा।

तीनों जगह भाजपा सरकार होने के बावजूद परिसंपत्तियों का विवाद नहीं निपटा। स्थिति जस की तस बनी है। जबकि हमारे समय में सिंगल इंजन, तीनों जगह अलग-अलग सरकारें, उसके बावजूद हमने नहरों का मामला निपटाया, कुछ जलाशयों का मामला निपटाया, रोडवेज की परिसंपत्तियों का मामला कुछ सीमा तक निपटाया। हमने जमरानी पर उत्तर प्रदेश सरकार से पब्लिक कमिटमेंट कराया कि हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में एक एमओयू साइन करेंगे और उस एमओयू के लिए केवल दो शर्तें रखी गईं कि जितना पानी किच्छा से नीचे उतर प्रदेश के पास है, वो मात्रा बनी रहेगी। दूसरा एमओयू कि बिजली में उनको कुछ शेयर दिया जाएगा, लेकिन आज जमरानी पर बात आगे नहीं बढ़ रही है। अब एक राजनीतिक चर्चा के लिए कि हम भी कुछ कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री मिले। अच्छा है दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री मिलें, लेकिन उत्तराखण्ड के सीएम खाली हाथ न आएं। यूपी से कुछ लेकर आइए और उसे बताइए।
हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

 

परिसंपत्तियों के बंटवारे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोरी बयानबाजी करने के बजाए श्वेत पत्र जारी कर प्रदेश के लोगों को सच बताएं। प्रदेश में चुनाव के लिए 100 दिन का समय भी नहीं बचा है। भाजपा सरकार यूपी और उत्तराखण्ड के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे पर कोरी बयानबाजी कर प्रदेश के लोगों को गुमराह कर रही है। मुख्यमंत्री धामी को चाहिए कि परिसंपत्तियों पर श्वेत पत्र जारी कर सच बताएं। उत्तराखण्ड के लोगों के मन में सवाल है कि 21 साल बाद भी 20 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की परिसंपत्तियां हमें क्यों नहीं मिल पाई हैं। राज्य गठन के बाद भी हमारी जमीन, हमारे संसाधनों, संपत्तियों पर उत्तर प्रदेश का कब्जा बरकरार है।
कर्नल अजय कोठियाल, नेता आम आदमी पार्टी

 

 

राज्य हित में फैसला

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मध्य परिसंपत्तियों के बंटवारे को ऐतिहासिक और राज्य हित में स्वागत योग्य कदम बताया। उन्होंने इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी बधाई दी। कौशिक ने कहा कि परिसंपत्तियों के बंटवारे पर 21 साल से सुलझाने की दिशा में पूर्व में भी कोशिशें हुईं। लेकिन हर बार कुछ मुद्दों पर ही सहमति बन पाई। अब राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और यूपी के सीएम की सूझबूझ से सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है, जो कि राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि 21 साल से लंबित पड़े मामलों पर बनी सहमति से 20 हजार करोड़ से भी अधिक की संपत्ति के विवाद का समाधान हुआ है जो बड़ी सफलता है। सिंचाई विभाग की 5 हजार 700 हेक्टेयर भूमि पर दोनों राज्यों का संयुक्त रूप से सर्वे होगा। उसके बाद जमीन का वितरण होना है। इसे लेकर भी मतभेद थे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक

वहीं भारत-नेपाल सीमा पर बनबसा का बैराज के पुनर्निर्माण तथा किच्छा के बैराज का निर्माण भी यूपी सिंचाई विभाग करवाएगा। यूपी परिवहन निगम के द्वारा उत्तराखण्ड परिवहन निगम को 205 करोड़ का भुगतान की मांग भी लंबे समय से की जा रही है। वन विभाग से संबंधित बकाये के भुगतान, हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल उत्तराखण्ड को हस्तांतरित किया तथा विवादित स्थानों पर वाटर स्पोर्ट्स शुरू करने की अनुमति जैसे फैसले सराहनीय हैं। इससे पहले तकरीबन दो साल पहले भी दोनों राज्यों के बीच कुछ मसलों का समाधान किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश की ओर से उत्तराखण्ड को अब तक सिंचाई विभाग की कुल 19 नहरें अब तक हस्तांतरित की गई हैं। विभिन्न विभागों की बकाया 463 करोड़ से ज्यादा राशि का भुगतान भी किया गया।

यही नहीं उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम को सामान्य भविष्य निधि अंशदान के अंतर्गत काटी गई कुल धनराशि 162 .14 करोड़ उत्तराखण्ड ऊर्जा निगम को देने थे। इसी तरह उत्तराखण्ड ऊर्जा निगम को उत्तर प्रदेश को 160 .58 करोड़ राजस्व देना था। इन दोनों देयताओं का आपस में समाधान करने के बाद उत्तर प्रदेश ने उत्तराखण्ड ऊर्जा निगम को 1 .56 करोड़ का भुगतान कर दिया।
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से उत्तराखण्ड परिवहन विभाग को यात्री कर देयता के 8.27 करोड़ उपलब्ध कराए गए थे। इसी तरह पेंशन की राशि में से कुल 1,659.91 करोड़ में से उत्तराखंड को 450 करोड़ दिए जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम नवंबर, 2019 में उत्तराखण्ड बीज व तराई विकास निगम को 1.80 करोड़ की राशि का भुगतान कर चुका है। उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम की ओर से उत्तराखण्ड राज्य मत्स्य पालक विकास अभिकरण के खाते में 3 .98 करोड़ की राशि हस्तांतरित की जा चुकी है। इसी तरह उत्तराखण्ड के सिडकुल को उत्तर प्रदेश दो करोड़ से ज्यादा बकाया राशि दे चुका है।

 

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