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Uttarakhand

ट्रचिंग ग्राउंड की टेंशन

ट्रचिंग ग्राउंड की टेंशन

आकाश नागर

हाईकोर्ट और ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों की अवहेलना कर नगर निकायों और निजी अस्पतालों का कूड़ा वन विभाग की भूमि पर डाला जा रहा है। इसके कारण आस-पास के रिहायशी इलाकों में रह रहे लोगों का जीना दूभर हो गया है। कूड़े के जलने से उठता आँाुंआ वातावरण को जहरीला बना देता है। इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। लंबे समय से लोग वन भूमि पर अवैध रूप से चल रहे ट्रंचिंग ग्राउंड को दूसरी जगह स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर आंदोलित हैं। नेता प्रतिपक्ष से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक आंदोलन के समर्थन में उतर चुके हैं। इसके बावजूद लोगों की समस्या जस की तस है। लोग आक्रोश व्यक्त करते हैं कि सरकार को उनकी जिंदगियों की परवाह नहीं है

पि छले कई वर्षों से हल्द्वानी नगर निगम, जिला पंचायत नैनीताल, नगरपालिका नैनीताल, भवाली, क्लिनिकों एवं अस्पतालों का कूड़ा रेलवे लाइन के नजदीक वन विभाग की जिस भूमि पर गैरकानूनी तरीके से डाला और जलाया जा रहा है, वह हमारी बस्तियों से मात्र १०० मीटर की दूरी पर है। लाखों टन कूड़ा दिन-रात सुलगता है, जिससे आबोहवा खराब हो रही है। क्षेत्रीय नागरिकों को खतरनाक बीमारियां हो रही हैं। हल्द्वानी निवासी सरताज आलम के ये उद्गार सरकारी तंत्र पर हावी लापरवाही का खुलासा करने के लिए काफी हैं। पत्रकार आलम इंदिरा नगर जन विकास समिति के साथ पिछले १० माह से अवैध ट्रंचिंग ग्राउंड का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में समिति ने पहला धरना २७ अगस्त २०१७ को दिया था। तब से लेकर अब तक इंदिरा नगर और वनभूलपुरा के सैकड़ों लोग अपनी आबादी से महज १०० मीटर दूरी पर अवैध रूप से डाले जा रहे कूड़ा करकट और मेडिकल वेस्ट के विरोध में लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी इस लड़ाई को स्थानीय विधायक और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, उनके पुत्र सुमित हृदयेश और तमाम संगठन समर्थन दे रहे हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद धरना स्थल पर पहुंचे और इस मुद्दे पर उनका साथ देने का वादा किया। नैनीताल के अब तक के चार जिलाधिकारी धरना-प्रदर्शन करने वाले लोगों को आश्वस्त कर चुके हैं कि उनकी परेशानी पर ध्यान दिया जाएगा। लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है। हाल में १२ मई को नैनीताल के जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने टं्रचिंग ग्राउंड का स्थलीय निरीक्षण किया गया।

सुमन ने जब ग्राउंड से उड़ता धुआं और आग जलती देखी तो वह आग बबूला हो गए। उन्होंने तत्काल प्रभाव से कूड़े की आग को बुझाने के लिए पानी की बौछार कराने और धुआं बंद कराने के लिए मिट्टी डालने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के अंदर यहां अवैध रूप से डाले गए कूड़े का निस्तारण कर दिया जाएगा। यहां कोई भी गाड़ी कूड़ा लेकर नहीं आएगी। उनकी द्घोषणा के एक सप्ताह बाद भी नगर निगम, नगर पालिकाओं, नगर पंचायत और गांवों से कूड़ा भरकर गाड़ियां यहां लाई जा रही हैं। लगता है नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता, दीपक रावत, दीपेंद्र कुमार चौधरी की तरह ही विनोद कुमार सुमन के दावे भी हवा-हवाई ना होकर रह जाएं। गौरतलब है कि पूर्व जिलाधिकारी दीपेंद्र कुमार चौधरी ने इस मुद्दे पर कड़ा एक्शन लिया था। उन्होंने टं्रचिंग ग्राउंड पर अवैध रूप से कूड़ा डालने वालों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करते हुए यहां कूड़ा न डालने की चेतावनी दी थी। चौधरी ने टं्रचिंग ग्राउंड से कूड़ा हटवाने के लिए तीन दिन का समय दिया था। लेकिन एक सप्ताह में ही उनका स्थानांतरण करवा दिया गया। अवैध रूप से कूड़ा डालने वालों के खिलाफ एक बार और कार्यवाही की जा चुकी है। जिसके तहत वन विभाग के अधिकारियों ने ५ अप्रैल २०१८ को नगर निगम सहित अन्य विभागों के पांच अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया था। वन विभाग ने नगर निगम के नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य निरीक्षक के खिलाफ फॉरेस्ट एक्ट में कार्यवाही करते हुए चेतावनी दी थी कि वन विभाग की जमीन पर कूड़ा न डाला जाए। लेकिन इसके बावजूद जब नगर निगम अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और कूड़ा डालना जारी रहा तो मजबूरन वन विभाग को अपनी फोर्स तैनात करनी पड़ी। उस दिन शहर का कूड़ा यहां न डाल पाने के कारण हाहाकार मच गया। वह ६ अप्रैल २०१८ का दिन था जब पूरे हल्द्वानी सहित भवाली और भीमताल की कूड़ा भरी गाड़ियां वापस भेज दी गई थी। लेकिन अगले दिन नगर निगम के इस वादे के साथ ही कि वह अपने डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए जल्द ही स्थाई जमीन की व्यवस्था कर लेगा तो नैनीताल के जिलाधिकारी दीपेंद्र कुमार चौधरी द्वारा अगले दिन से टं्रचिंग ग्राउंड पर कूड़ा डालने की स्वीकूति दे दी गई। लेकिन एक माह बाद भी नगर निगम द्वारा इस मामले पर सक्रियता नहीं दिखाई गई। जबकि दूसरी तरफ अवैध टं्रचिंग ग्राउंड को लेकर धरने पर बैठे लोगों ने धरना-प्रदर्शन को आमरण अनशन में तब्दील कर दिया। कई अनशन कर्मियों की हालत खराब होने लगी तो मजबूरन १२ मई को जिलाधिकारी ने ट्रचिंग ग्राउंड का दौरा कर उसे एक सप्ताह में हटाने और नई जगह कूड़ा डालने के निर्देश दिए। जानकारी के अनुसार हल्द्वानी काठगोदाम बाईपास के नजदीक स्थित इंदिरा नगर कॉलोनी जिसे ढोलक बस्ती भी कहते हैं कई बार उजड़ते -उजड़ते बच गई। करीब ५० हजार की आबादी वाली यह बस्ती रेलवे की जमीन पर बसी है। इसको हटाने के लिए बकायदा हाईकोर्ट के आदेश भी हो चुके हैं। लेकिन वोट बैंक की राजनीति के चलते बस्ती पर शहर के राजनेताओं की कूपा दृष्टि रही है। स्थानीय विधायक और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश की यहां के वाशिंदों पर विशेष मेहरबानियां जगजाहिर हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस बस्ती का एकमुश्त वोट अधिकतर इंदिरा हृदयेश को ही मिलता रहा है। इंदिरा हृदयेश के साथ ही उनके पुत्र सुमित हृदयेश का यहां के वाशिंदों को राजनीतिक समर्थन मिलता रहा है। ट्रंचिंग ग्राउंड मामले पर भी हृदयेश पीड़ित बस्ती के निवासियों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ नगर निगम हल्द्वानी के मेयर जोगेंद्र रौतेला इंदिरा नगर और वन भूलपुरा के निवासियों को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। शायद यही वजह रही कि गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में जब नगर निगम के मेयर जोगेंद्र रौतेला को भाजपा से हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र का टिकट मिला तो वह इंदिरा नगर इलाके से काफी पीछे रह गए थे। एक तरह से देखा जाए तो कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश के लिए इंदिरा नगर के मतदाता राजनीतिक संजीवनी का काम करते हैं। जिसकी बदौलत वह हर बार विधानसभा की चुनावी नैया पार लगा देती हैं।

बात अपनी-अपनी
टं्रचिंग ग्राउंड की भूमि स्वीकृति का काम तेजी से चल रहा है। इसके बाद धुंआ, बदबू प्रदूषण आदि से जल्द निजात मिल जाएगी।विनोद कुमार सुमन, जिलाधिकारी नैनीताल
इंदिरा नगर के लोगों को जल्द ही टं्रचिंग ग्राउंड के प्रदूषण से छुटकारा दिलाया जाएगा इसके लिए अंतिम रणनीति बनाई जा रही है। हरवीर सिंह, एडीएम नैनीताल
हमने पूर्व में भी चंदन डायग्नोस्टिक और मैसर्स देव गुरु इंटर प्राइजेज पर ट्रंचिंग ग्राउंड में बायोमेडिकल वेस्ट फेंकने पर २०-२० हजार का जुर्माना लगाया है। सुशीला तिवारी अस्पताल पर भी जुर्माना लगाया जा चुका है। सभी अस्पताल संचालकों को सख्त हिदायतें दे रखी हैं कि वह अपना बायोमेडिकल वेस्ट काशीपुर या रुद्रपुर भिजवाएं अन्यथा उन पर कार्यवाही की जाती है। सीएस मर्तोलिया, नगर आयुक्त, नगर निगम हल्द्वानीहमने अपनी टीम के साथ टं्रचिंग ग्राउंड का स्थलीय निरीक्षण किया। जिसमें हमें मौके पर सड़क किनारे ठोस जैविक एवं अजैविक अपशिष्ट जलता हुआ दिखाई दिया। इसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। नगर निगम निकाय द्वारा नगरीय ठोस अपशिष्ट नियम २००० यथा संशोधित में निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इसके चलते निगम पर कार्यवाही होगी।सीबी जोशी, अभियंता पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुमाऊं मंडल
पर्यावरण को क्षति पहुंचाने, वन आरक्षित क्षेत्र में बिना अनुमति कूड़ा डलवाने पर हमने निगम के पांच अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करा रखा है। हमने कई बार नगर निगम की गाड़ियों को भी मौके से वापस लौटा दिया है।नितिश मणि त्रिपाठी, डीएसओ वन विभाग तराई पूर्वी

हाईकोर्ट के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां
हल्द्वानी के अवैध ट्रंचिंग ग्राउंड मामले पर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की जा चुकी है। जिसकी सुनवाई पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि गौलपार के बाईपास पर जो ट्रंचिंग ग्राउंड है वहां पर शहर के अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट न फेंका जाए। हाईकोर्ट ने बस्तियों से दूर स्थाई रूप से कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाने के भी दिशा-निर्देश दिए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी एक आदेश में कहा है कि सरकार यहां से कूड़ा हटाए और मेडिकल वेस्ट का खतरनाक कचरा यहां न डाला जाए। इसके बावजूद बाईपास क्षेत्र में अभी भी मेडिकल वेस्ट को ठिकाने लगाया जा रहा है। नगर निगम के दर्जनों वाहन दिन-रात इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। हैरत की बात यह है कि सुशीला तिवारी अस्पताल पर २० हजार का जुर्माना लगा देने के बावजूद प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम अपना मेडिकल वेस्ट गाड़ियों में भरकर टं्रचिंग ग्राउंड पर फेंक रहे हैं। इससे इंदिरा नगर जनविकास समिति मुखर हो उठी और टं्रचिंग ग्राउंड पर डेरा डाल दिया। समिति के कार्यकर्ताओं ने नगर निगम के दो वाहनों को पकड़ लिया। वाहन संख्या यूके०४सीए५८०७ में चंदन डायगनोस्टिक सेंटर द्वारा इस्तेमाल किए गए ढेरों निडिल्स, सिरिंज, खून से सनी रूई, सर्जिकल ब्लेड और ग्लव्स जैसा मेडिकल वेस्ट भरा पड़ा था। लोगों ने इसकी सूचना नगर निगम के अधिकारियों को दी और आगे से ऐसा न करने की चेतावनी भी दी। निगमों के कागजों में देखें तो सुशीला तिवारी और बेस अस्पताल का बायोमेडिकल वेस्ट सुशीला तिवारी के पास बने स्वामीराम कैंसर इंस्टीट्यूट में लगे इन्सुलेटर में जाता है। साथ ही प्राइवेट अस्पतालों का बायोमेडिकल वेस्ट ग्लोबल काशीपुर जाता है। रुद्रपुर तक प्रत्येक अस्पताल के लिए एक प्राइवेट वाहन के जरिए बायोमेडिकल वेस्ट ले जाने की सुविधा भी उपलब्ध है। प्राइवेट अस्पतालों से निकले मेडिकल वेस्ट को रुद्रपुर ले जाने वाला वाहन इसके एवज में डेढ़ सौ रुपया लेता है। बायोमेडिकल वेस्ट को ले जाकर वाहन रुद्रपुर स्थित इन्सुलेटर में डंप कर देते हैं। कुछ दिन तो यह प्रक्रिया चली। लेकिन बताया जाता है कि हजारों रुपया प्रतिदिन देने से बचने के लिए प्राइवेट अस्पताल और डायगनोस्टिक सेंटर मालिकों ने ट्रंचिंग ग्राउंड पर ही कूड़ा फिंकवाना शुरू कर दिया है। बायो मेडिकल वेस्ट को कूड़े की गाड़ियों में नीचे भर दिया जाता है। उसके बाद उसे ट्रंचिंग ग्राउंड पर कूड़े के ढेर में खपा दिया जाता है।

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