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अंकिता भंडारी हत्याकांड ने समूचे प्रदेश को शर्मसार कर दिया है। यह देवनगरी ऋषिकेश के दामन पर लगा ऐसा दाग है जिसके छींटें एक पार्टी पर तो लगे ही हैं, साथ ही शासन-प्रशासन भी लपेटे में हैं। यह हत्याकांड प्रदेश में फल-फूल रहे पर्यटन कारोबार पर भी सवाल खड़े करती है। जिस तरह आज रिसॉर्ट और होटल अय्यासी के अड्डे बनते जा रहे हैं, उससे देवभूमि की आस्था और पवित्रता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े होते दिख रहे हैं। अंकिता की हत्या के पीछे देह व्यापार को बढ़ावा देने वाले वे दरिंदे हैं जो एक पार्टी का चोला पहनकर समाजसेवा का मुखौटा लगाए घूमते थे। इस हत्याकांड ने न केवल सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि जिस तरह से अंकिता प्रकरण पर संवेदनहीनता बरती गई, वह चिंतनीय है

 

दृश्य एक

22 सितंबर : वह शाम जब पहाड़ की बिटिया अंकिता भंडारी को गायब हुए 4 दिन बीत चुके थे। न केवल सोशल मीडिया पर बिटिया की रहस्यमय गुमशुदगी को लेकर कैंपेन चल रहा था बल्कि अभागिन बिटिया के पिता हर रोज थाने-चौकी के चक्कर लगा रहे थे। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी।

दृश्य दो

23 सितंबर : लापता बिटिया की तलाश में अभागे पिता वीरेंद्र भंडारी पुलिस पटवारियों के चक्कर काटकर आखिर में लक्ष्मण झूला चौकी पर पहुंचे थे। लेकिन चौकी के अंदर का दृश्य देखकर पीड़ित पिता की अंदर जाने तक की हिम्मत नहीं हो रही थी। जहां अंकिता की गुमशुदगी के आरोपी पुलकित आर्य के रसूखदार पिता भाजपा नेता पूर्व दर्जा राज्यमंत्री विनोद आर्य पुलिस के साथ बैठे चाय की चुस्की ले रहे थे और अपने साहबजादे की नाकामी पर पर्दा डालते हुए उसे शराफत का लाइसेंस दे रहे थे।

दोनों ही दृश्य यह बताने के लिए काफी हैं कि देवभूमि उत्तराखण्ड में सरकारी सिस्टम किस कदर लापरवाह और संवेदनहीन हो चला है। एक तरफ जब प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में लापता बिटिया के लिए सोशल मीडिया पर कैम्पेन भी शुरू हो चुकी थी और मामला सुर्खियों में था तब भी 4 दिन बीत जाने के बाद शासन-प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही थी। एक बेटी का अभागा पिता अपनी लापता बेटी को ढूंढने के लिए दर-दर भटकता रहा तो दूसरी तरफ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली पार्टी भाजपा का नेता अपने आरोपी बेटे को बचाने के लिए किस तरह पुलिस के साथ सेटिंग करता नजर आ रहा था। उत्तराखण्ड में पिछले 21 सालों के इतिहास में यह ऐसा विचलन आया है जिसमें खाकी और सफेदपोशों का ऐसा घालमेल हो चुका है। जिसके दामन में दाग ही दाग है। देवनगरी ऋषिकेश के दामन पर दाग की मानिंद लगे अंकिता भंडारी हत्याकांड की पटकथा भी ऐसा ही इशारा करती नजर आ रही है। जिसमें देवभूमि को पर्यटन के नाम पर अय्याशी का अड्डा बनाने वाले ऐसे ही एक नेता पुत्र के कारनामे से सूबे की साख पर बट्टा लगा है।

पूरे देश के जनमानस का ध्यान अपनी और आकर्षित करने वाला यह मामला पौड़ी जिले के यमकेश्वर क्षेत्र के गंगा भोगपुर का है। जहां भाजपा नेता पुलकित आर्य के वनतारा रिसॉर्ट में अंकिता रिसेप्शनिस्ट का काम करती थी। जहां वह 22 दिन ही नौकरी कर पाई। दरिंदों ने पहली सैलरी मिलने से पहले ही अंकिता को मौत के घाट उतार दिया। अंकिता भंडारी 11 सितंबर को ही नौकरी छोड़ना चाहती थी, क्योंकि वह 14 दिन में ही वहां के माहौल से उकता चुकी थी। 10 सितंबर को अंकिता ने अपने कई परिचितों से नौकरी लगाने की गुहार लगाई थी। इससे पहले कि नौकरी छोड़ कर दूसरी जगह जाती 18 सितम्बर को रहस्यमय परिस्थितियों में उस रिसॉर्ट से गायब हो गई थी।

अपराध में शामिल आरोपियों की भीड़ ने की पिटाई

अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने 19 सितंबर को ही राजस्व पुलिस चौकी उदयपुर तल्ला में अपनी बेटी की गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया था। उसके बाद 24 सितंबर को ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर में उसकी लाश मिली। फिलहाल भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे और रिसॉर्ट के संचालक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और असिस्टेंट मैनेजर अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया जा चुका है। हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित को भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी से बाहर निकाल दिया है। अंकित आर्य को उत्तराखण्ड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के नामित उपाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। विनोद आर्य पूर्व में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य रहे हैं। साथ ही वे त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में दर्जा राज्य मंत्री भी रहे थे। बहरहाल, इस मामले को लेकर सिस्टम पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

सवाल पटवारी प्रणाली पर
अंकिता हत्याकांड ने उत्तराखण्ड के पुलिस खासकर राजस्व पुलिस के सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। असल में उत्तराण्खड देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां पर सुदूर क्षेत्रों, दुर्गम क्षेत्रों में आज भी 161 साल पुराना कानून (पटवारी व्यवस्था) लागू है। उसी के आधार पर किसी आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज करने से लेकर शुरुआती कार्रवाई की जाती है। हालात यह है कि आज भी राज्य के 60 फीसदी इलाके में पटवारी, लेखपाल, कानूनगो जो कि रेवेन्यू अधिकारी होते हैं, वे ही पुलिस का काम करते हैं। उनके पास एफआईआर लिखने, शुरुआती जांच करने और उसके आधार पर आरोपी को गिरफ्तार करने के भी अधिकार होते हैं। इस प्रक्रिया के बाद ही मामले को पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास भेजा जाता है। अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी ने इसी व्यवस्था के तहत 19 सितंबर को राजस्व पुलिस चौकी उदयपुर तल्ला में मुकदमा दर्ज कराने को तहरीर दी थी। बताया जा रहा है कि 19 सितंबर को मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने प्लान के तहत खुद राजस्व पुलिस चौकी में फोन कर अंकिता की गुमशुदगी की बात कही। लेकिन ड्यूटी पर तैनात पटवारी वैभव प्रताप ने संवेदनहीनता बरतते हुए कहा कि गुमशुदगी की रिपोर्ट 24 घंटे के बाद दर्ज होती है। 20 सितंबर को एक बार फिर अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र भंडारी पटवारी चौकी पहुंचे। लेकिन यहां पहले से ही पुलकित आर्य भी मौजूद था। जिससे अंकिता के पिता की इस मामले को लेकर कहासुनी तक हो गई। तब जाकर कहीं 20 सितंबर को राजस्व पुलिस ने अंकिता की गुमशुदगी का मामला दर्ज किया। पटवारी पुलिस की लापरवाही का यह आलम था कि अंकिता की रिपोर्ट दर्ज होने के दो दिन बाद भी जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी।

सोशल मीडिया में जब यह मामला जोर-शोर से उछलने लगा तो पटवारी पुलिस से इसे सिविल पुलिस को स्थानांतरित करने की मांग उठने लगी। जिसके चलते 22 सितंबर को सिविल पुलिस को मामले की जांच सौंपी गई और मुकदमा दर्ज किया गया। जब मामले की जांच शुरू हुई और अंकिता के साथ हुई ज्यादती का काला सच सामने आया।

पुलिस की इस कहानी में भी झोल

पुलिस के अनुसार 18 सितंबर की शाम को पुलकित और अंकिता का रिसॉर्ट में झगड़ा हुआ था। पुलकित ने अंकिता को गुस्से में देखते हुए दोस्तों संग ऋषिकेश जाने का प्लान बनाया था। सभी लोग बैराज होते हुए एम्स के पास पहुंचे। लौटते समय अंकिता और पुलकित एक स्कूटी पर थे। अंकिता को छोड़कर सभी लोग चीला नहर के पास रूक कर शराब पीने लगे। इस दौरान अंकिता और पुलकित में फिर विवाद हो गया। पुलकित का कहना था कि अंकिता उनको अपने साथियों के बीच बदनाम करती थी। उनकी बातें अपने साथियों को बताती थी कि हम उसे कस्टमर से संबंध बनाने के लिए कहते हैं। अंकिता कहने लगी कि वह रिसॉर्ट की हकीकत सबको बता देगी और यह कहते हुए गुस्से में उसने पुलकित का मोबाइल नहर में फेंक दिया। फिर अंकिता उनसे हाथापाई करने लगी। तभी तीनों ने मिलकर गुस्से में उसे नहर में धक्का दे दिया। अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया है कि उसकी मौत पानी में डूबने से हुई, यह तो माना जा सकता है। लेकिन रिपोर्ट में जो चार जगह चोटों के निशान हैं उसके बारे में पुलिस कुछ रहस्य उजागर नहीं कर पाई। सवाल यह है कि जब अंकिता की धक्का देने से और पानी में गिरने से मौत हुई है तो उसके शरीर पर चोटों के निशान कैसे आए? क्या अंकिता की मौत से पहले उसके साथ जबरदस्ती की गई थी? कही वे चोट के निशान उसके ही तो नहीं हैं? अगर उसको चोट पहुंचाई गई तो क्यों और किसलिए? पुलिस ने यह जांच करने की जरूरत महसूस क्यों नहीं की कि कही अंकिता की मौत से पहले उसका मानसिक या शारीरिक शोषण तो नहीं किया गया।

बिना लाइसेंस 4 साल से कैसे चल रहा था रिसॉर्ट

जिस रिसॉर्ट में अंकिता नौकरी करती थी वह रिसॉर्ट बिना लाइसेंस के ही संचालित हो रहा था। चौकाने वाली बात तो यह है कि जिले के पर्यटन विभाग की इस मामले में रिपोर्ट तब आई है जब यहां घटना घट चुकी है। सवाल यह है कि क्या पिछले चार सालों से चल रहा यह रिसोर्ट बिना लाइसेंस के ही चलता रहा। नियमों के अनुसार किसी होटल, रिसॉर्ट आदि को चलाने के लिए संचालकों को उत्तराखण्ड पर्यटन एवं यात्रा व्यवसाय पंजीकरण नियमावली के तहत पंजीकरण करवाना पड़ता है। बिना पंजीकरण के इनका संचालन नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस रिसॉर्ट के मामले में ऐसा नहीं हुआ है।

ऋषिकेश से सटे यमकेश्वर ब्लॉक के दर्जनों गांवों के लोगों को आवाजाही के लिए काफी कष्ट भोगने पड़ते हैं। राजाजी नेशनल पार्क के सख्त नियमों के कारण उनके गांवों तक जाने के लिए रास्ते तक नहीं हैं। उन जैसी कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन दूसरी तरफ इसी पार्क के अंदर रसूखदारों के दर्जनों लग्जरी रिसॉर्ट खुल चुके हैं। यमकेश्वर ब्लॉक में हेंवल घाटी, ताल घाटी और डांडामंडल की बात करें तो यहां बीते एक दशक के दौरान कई रिसॉर्ट खुल चुके हैं। उन रिसोर्ट आदि के लिए नियम विरुद्ध सड़कें तक बना दी गई हैं। जांच का बिंदु यह है कि यह किसकी शह पर संभव हो सका है। हालांकि अब सरकार की आंख खुल चुकी है और उसने तमाम ऐसे रिसॉर्ट पर कार्यवाही के आदेश दे डाले हैं जो प्रदेश में नियम विरुद्ध चल रहे हैं। ऐसे रिसॉर्ट में शामिल आर्यम रिसॉर्ट धनाचूली, एडमिरलस विला धनाचूली, फारेस्ट एकर्स कैम्प चौकुटा, व्हिस्टलिंग वुड्स जैसे रिसॉर्ट को फिलहाल सील कर दिया गया है। प्रशासन की मानें तो ये रिसॉर्ट तय नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।

रिसॉर्ट गिराने में जल्दबाजी क्यों?

आग के हुवाले पुलकित आर्य का आलीशान रिसॉर्ट

जब से यूपी की सत्ता में योगी आदित्यनाथ का आगाज हुआ है तब से बुल्डोजर संस्कृति को बढ़ावा मिला है। एक वर्ग है जो बिलडोजर को सत्ता और शक्ति का प्रतीक बताकर उसकी तरफदारी करता रहा है। अंकिता मामले में भी ऐसे ही सुर उठे। जिसमें आरोपी का रिसॉर्ट ढाहने की मांग तेज हुई। देखते ही देखते अंधेरी रात में रिसॉर्ट पर बुल्डोजर का जबड़ा चला। पहले तो इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफों के पुलिंदे बंधे जाने लगे। लेकिन अगले ही पल पासा पलट गया। फिर कहा जाने लगा कि बुल्डोजर कार्यवाही से अंकिता मर्डर मामले के सबूत खत्म किया गए। खुद मृतका अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी सामने आए। उन्होंने कहा कि रिसॉर्ट को ध्वस्त करने की कार्रवाई सबूत मिटाने का प्रयास भी हो सकती है। वह दलील भी देते हैं कि रिसॉर्ट में रजिस्टर आदि रहे होंगे जिससे पता चलता कि वहां कौन-कौन से लोग आते थे, लेकिन उसे ढहाने से वे सब समाप्त हो गए। सवाल यह है कि रिसॉर्ट गिराने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। प्रशाशन की ओर से कहा गया कि जहां रिसॉर्ट बना था, वह सरकारी वन भूमि थी। प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में शासन-प्रशासन कितना सोया हुआ है, इसका अंदाजा इस मामले के सामने आने पर लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल है कि अंकिता के साथ घटना से पहले प्रशासन को पता ही नहीं था या वह सब कुछ जानते हुए भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को दबाए बैठा था। बुल्डोजर चलवाए जाने पर उठ रहे सवालों के बीच पौड़ी के जिलाधिकारी ने एसडीएम को जांच के आदेश दिए हैं कि आखिर किसके कहने पर वनतरा रिसॉर्ट पर यह कार्रवाई हुई। यमकेश्वर के एसडीएम को आदेश दिया गया है कि वह सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपें। डीएम विजय कुमार जोगदंडे की मानें तो उन्होंने रिसॉर्ट पर बुल्डोजर चलावाने के कोई निर्देश नहीं दिए। बावजूद इसके रातों-रात यह कार्रवाई किसके इशारों पर की गई। हालांकि इन आरोपों के बीच पौड़ी जिले के एडिशनल एसपी शेखर सुयाल ने कहा है कि पुलिस ने रिसॉर्ट गिरने से पहले ही महत्वपूर्ण दस्तावेजों और अंकिता के कमरे की वीडियोग्राफी कर ली गई थी और महत्वपूर्ण दस्तावेज पहले ही संभाल लिए गए हैं जिससे आरोपियों को सजा दिलाई जा सके।

अंकिता की अंतिम बात

रिसॉर्ट के कर्मचारी मनवीर चौहान के अनुसार अंकिता ने 18 सितंबर शाम 6ः15 बजे रोते हुए उसे फोन किया था और उससे अपना बैग ऊपर (रिसॉर्ट से ऋषिकेश की तरफ) लाने को कहा था। जब रिसॉर्ट का स्टाफ बैग लेकर गया तो वह नहीं मिली। उसने अंकिता को लेकर पूछा तो अंकित आर्या ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर 8ः30 बजे के करीब अंकित का कॉल आया कि चार लोगों के लिए खाना लगा देना। फिर 10ः45 बजे वह पहुंचे और खाना लगाने के लिए कहा। मैडम (अंकिता) के खाने के लिए पूछा तो अंकित ने बताया कि वह खुद उनके रूम में खाना पहुंचा देंगे। फिर सब सो गए। सुबह देखा तो मैडम का बैग, पैसा और सारा समान कमरे में था, लेकिन वह वहां नहीं थी। मतलब यह कि 18 सितम्बर की शाम सवा छह बजे ही अंकिता ने रिसॉर्ट छोड़ दिया था। वह रात के करीब साढ़े दस और पौने ग्यारह बजे के बीच तक वह उन दरिंदों के चंगुल में रही, इसके बाद उसकी हत्या की गई। इस दौरान उसके साथ क्या हुआ होगा, इसकी कल्पना करते हुए भी रौंगटे खड़े होते हैं।

कौन था वह वीआईपी, जिसे एक्स्ट्रा सर्विस दिलाने के लिए दिया जा रहा था अंकिता पर दबाव

जम्मू में रह रहे अंकिता के एक दोस्त की कुछ बातचीत वायरल हो रही है। जिसमें अंकिता ने अपने दोस्त को बातचीत के जरिये आपबीती बताई थी। उसके अनुसार अंकिता पर किसी वीआईपी गेस्ट को स्पा सर्विस देने का दबाव बनाया गया था। यही नहीं बल्कि अंकिता को प्रॉस्टिट्यूट बनाने के लिए 10 हजार रुपये का लालच तक दिया गया था। इसके बाद भी जब वह नहीं मानी तो उसे धमकी दी गई थी कि अगर गेस्ट को हैंडल नहीं करोगी को नौकरी से हटा देंगे। बातचीत में अंकिता ने इसका भी जिक्र किया है कि रिसॉर्ट में एक दिन एक शराबी जबरदस्ती उसके गले से लिपट गया था। तब पुलकित आर्य के मैनेजर अंकित ने इस मामले में अंकिता को चुप रहने को कहा था। यही नहीं बल्कि यह भी सामने आ रहा है कि रिसॉर्ट में पिछले दिनों अंकिता को चीखते हुए देखा गया था।

एक बातचीत में अंकिता ने लिखा था कि आज अंकित मेरे पास आया और मुझसे कहा कि वह मुझसे कुछ बात करना चाहता है। मैं मान गई और अपने रिसेप्शन डेस्क के पास एक कोने में चली गई। वहां उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं एक ऐसे मेहमान को ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने के लिए तैयार हूं, जो 10 हजार रुपए देने को तैयार है। मैंने उसे दो टूक कहा कि मैं गरीब हो सकती हूं, लेकिन मैं आपके रिसॉर्ट में 10 हजार रुपये के लिए खुद को नहीं बेचूंगी। अंकिता आगे लिखती हैं कि उसने मेरा जवाब सुनने के बाद कुछ स्पष्ट करने की कोशिश की। उसने कहा कि वह मुझसे ऐसा करने के लिए नहीं कह रहा है। अगर मैं किसी अन्य लड़की के बारे में जानती हूं, जो इसके लिए इच्छुक हो तो उसे बताए। अंकिता लिखती हैं कि मुझे पता है कि उन्होंने यह प्रस्ताव केवल मेरे लिए दिया था। बातचीत में अंकिता ने आगे लिखा है कि अंकित पैसों का लालच दिखाकर मुझे इस प्रोस्टीट्यूशन के धंधे में धकेलना चाहता था। अंकिता लिखती हैं कि पुलकित आर्य के निर्देश पर एक बार उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जा चुकी है। वह लिखती हैं कि अगर मैं मेहमानों को विशेष सेवाएं देने के लिए सहमत नहीं हूं तो मुझे नौकरी से निकाल दिया जा सकता है। दूसरी लड़की को नौकरी दे दी जाएगी। अंकिता अपने दोस्त को लिखती है कि अगर अंकित इस प्रकार की बात एक बार फिर करेगा तो मैं रिसॉर्ट में काम नहीं करूंगी। ये लोग चाहते हैं कि मैं प्रोस्टिट्यूट बन जाऊं।

वैभव का सरकारी वैभव

अंकिता हत्याकाण्ड के मामले में राजस्व उपनिरीक्षक वैभव प्रताप की भूमिका पर भी बड़े सवाल खड़े होने लगे हैं। पता चला है कि राजस्व उपनिरीक्षक वैभव प्रताप हत्यारोपी पुलकित आर्य का बहुत करीबी था और मामले को दबाने की उसने पूरी कोशिश की। स्थानीय लोगों का कहना है कि राजस्व उपनिरीक्षक अक्सर पुलकित के रिसॉर्ट पर आता-जाता था। उसका कमरा भी अक्सर रिसॉर्ट में बुक रहता था। राजस्व उपनिरीक्षक का घटना के बाद अवकाश पर जाना और उसके बाद तीन दिन और छुट्टी का बढ़ाना भी संदेह पैदा करने वाला है। सूत्रों के मुताबिक रिसॉर्ट के मालिक मुख्य आरोपित पुलकित आर्य ने 19 सितंबर को ड्यूटी पर तैनात पटवारी वैभव प्रताप को दूरभाष के जरिए घटना की जानकारी दी। जिस पर इस अधिकारी ने सलाह दी कि गुमशुदगी की रिपोर्ट 24 घंटे के बाद दर्ज होती है। अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी के मुताबिक इस मामले में 20 सितंबर को जब वह पटवारी चौकी पहुंचे तो वहां पहले से पुलकित आर्य मौजूद था। अंकिता के पिता ने पुलकित से यही सवाल किया कि जब 19 सितंबर को उन्हें अंकिता के गुमशुदा होने की जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल राजस्व पुलिस को क्यों नहीं सूचित किया। राजस्व पुलिस की भूमिका पर सवाल तब खड़े हुए हैं जब 20 सितंबर को राजस्व उपनिरीक्षक वैभव प्रताप अवकाश पर चले गए। इनकी जगह पर चार्ज विवेक कुमार को दे दिया गया। हालांकि विवेक कुमार भी पुलकित का करीबी बताया जा रहा है। विवेक कुमार ने भी अंकिता के पिता की चौकी में मौजूदगी और उनके शिकायत पत्र पर संज्ञान लेने के बजाय पुलकित आर्य की बातों में आकर मामूली मामले की तरह गुमशुदा रिपोर्ट को दर्ज कर लिया। जबकि अंकिता के पिता ने उसी रोज अपनी तहरीर में पुलकित आर्य और उसके दो साथियों पर पुत्री को गायब करने सहित अन्य गंभीर आरोप लगाए थे। ड्यूटी पर तैनात राजस्व उपनिरीक्षक विवेक कुमार को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि वैभव को भाजपा संगठन और सत्ता में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले हरिद्वार के एक नेता का वरदहस्त प्राप्त है। जिसके चलते वह गंभीर आरोपों में भी बहुत मामूली- सी सजा पाकर बच निकलता रहा है। पौड़ी जिले की पट्टी उदयपुर पल्ला के तल्ला बणास में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और खनन के मामले में वह दोषी पाया जा चुका है। लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते उस पर नाम मात्र की कार्रवाई हुई। बताया जाता है कि जब वह पट्टी पटवारी उदयपुर पल्ला के पद पर तैनात थे तब यमकेश्वर के पूर्व ब्लाक प्रमुख मोहन सिंह रावत ने उन पर पद का दुरुपयोग करने, क्षेत्र में रह पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को लाभ पहुंचाने, सरकारी घर पर अवैध कब्जा और खनन कराने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। इस पर जिलाधिकारी ने तब यमकेश्वर का प्रभार देख रहे संदीप कुमार को मामले की जांच भी सौंपी थी। 28 मई 2001 को एसडीएम ने जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट सौंपी उसमें आरोपों की पुष्टि हुई। लेकिन वैभव ने अपने वैभव का इस्तेमाल किया। जिसके चलते कार्यवाही के नाम पर महज रस्म अदायगी की गई। फिलहाल इस प्रकरण में वैभव पर हाथ डालने से कतरा रही सरकार ने जनदवाब में 27 सितंबर को उसे निलंबित कर दिया है।

पहले प्रियंका, फिर रीना उसके बाद इशिता और अब अंकिता

पुलकित आर्य के कारनामे अब दिनों-दिन सामने आ रहे हैं। स्थानीय लोग अब उसका कच्चा चिठ्ठा खोलते दिख रहे हैं। हालांकि कई मामले अभी भी ऐसे हैं जिन पर लोग खुलकर सामने आने से डर रहे हैं। सबसे पहला मामला प्रियंका का सामने आ रहा है। बताया जाता है कि कई साल पहले यहां से एक कर्मचारी प्रियंका गायब हुई थी। तब रिसॉर्ट संचालक ने बताया था कि वह उनके यहां से सामान और पैसे लेकर भाग गई थी। इसके बाद प्रियंका का कोई पता नहीं चला। यह बात स्थानीय निवासी बिट्टू भंडारी ने बताई। इसके अलावा इस रिपोर्ट में पूर्व में काम करने वाली एक रेनू नाम की युवती का नाम भी सामने आ रहा है। सूत्रों की माने तो वह भी पुलकित के काले कारनामो से तंग आकर रिसॉर्ट की नौकरी छोड़ने को मजबूर हुई थी। ‘दि संडे पोस्ट’ ने रेनू से इस बाबत बात की तो उसने स्वीकारा कि यहां पहले से ही ऐसे अनैतिक कृत्य होते रहे हैं। इसी के साथ रेनू आरोपियों का डर बताकर चुप्पी साध लेती हैं। प्रियंका और रीना के बाद इशिता का नाम भी सामने आ रहा है। इशिता वर्तमान में अपने पति के साथ मेरठ में काम कर रही हैं। पूर्व में यहां काम कर चुके दोनों ही पति-पत्नी ने अपने साथ घटित हुए मामलां को मीडिया के समक्ष लाया गया है। दोनों ने जून महीने तक यह काम किया। लेकिन कुछ ही दिनों में वे रिसॉर्ट मालिक से इतने परेशान हो गए कि उन्होंने रातों-रात यहां से भाग कर अपनी जान बचाई। इशिता की मानें तो पुलकित आर्य उन्हें इतना परेशान करता था कि उनके ऊपर चोरी का आरोप तक लगा दिया था। उसके बाद उनसे बकायदा लिखित में माफी मंगवाई। जबकि ना तो उन्होंने चोरी की थी और न ही किसी कस्टमर का सामान चुराया था। उनकी मानें तो इस रिसॉर्ट में हमेशा ऐसी लड़कियों का आना- जाना रहा था जिसके बारे में पुलकित आर्य साफ हिदायत देता था कि उसके नाम और नंबर कभी नोट नहीं करने हैं। वह रात में ऐसे कस्टमर लाता था जिनके लिए यहां पर ऐसी लड़कियां लाई जाती थी। यहां पर भारी मात्रा में शराब आती थी बल्कि सुल्फा गांजा और नशे के कई तरह के सामान भी मंगाए जाते थे। पुलकित के कई विशेष दोस्तों के लिए ऐसे विशेष इंतजाम किए जाते थे। पति-पत्नी की मानें तो यहां से आने वाले पटवारी को विशेष सुविधाएं दी जाती थी। अगर कोई उसके पास फोन करे या शिकायत करे तो वह उल्टा धमकाता था और हिदायत देता था कि अगर यहां पर ज्यादा तेज बनने की कोशिश की तो अंजाम भुगतने होंगे। फिलहाल लोगों को यह डर सता रहा है कि जिस तरह से अंकिता का अंजाम सामने आया है, कहीं इसी तरह की अन्य भुक्तभोगी बेटियां तो नहीं हैं जिनके मामलों पर रहस्य का पर्दा डाल दिया गया हो। बहरहाल इस मामले की जांच कर रही एसआईटी को बहुत गहराई से तलाशने की जरूरत भी महसूस की जाने लगी है।

 

कब मिलेंगे इन सवालों के जवाब…

  • ¹ जिस मोर्चुरी में अंकिता का शव था, वहां सबसे पहले पहुंच कर विधायक रेणु विष्ट क्या कर रही थीं?
  • ¹ वीआईपी के लिए बुक कमरे में सबसे पहले आग क्यों लगाई गई? कौन है आग लगाने वाले?
  • ¹ पानी में पांच दिन रहकर भी अंकिता भंडारी का शव क्यों नहीं फूला, न उसे नुकसान पहुंचा?
  • ¹ रिसॉर्ट की छत में मिले पिंजरे से क्या कहीं वन्यजीवों का शिकार भी तो नहीं किया जा रहा था?
  • ¹ रिसॉर्ट के पास बने एक वीआईपी गेस्ट हाउस में पुलकित के कौन से वीआईपी मेहमान ठहरते थे और वहां क्या होता था?
  • ¹ इस हाईप्रोफाइल केस में पुलिस ने अभियुक्तों के कथित कबूलनामे पर इतनी जल्दी कैसे किया ऐतबार। क्यों पुलिस ने मजिस्ट्रेट से पूछताछ के लिए रिमांड भी नहीं मांगी?
  • ¹ निलंबित दोनों पुलिस पटवारियों से क्यों नहीं कर रही पुलिस पूछताछ?
  • ¹ कहां गया अंकिता भंडारी का मोबाइल?
  • ¹ आरोपी पुलकित आर्य के मोबाइल की बरामदगी और कॉल डिटेल क्यों नहीं लाई जा रही सामने?

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