उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड की सीमा पर चल रहे अवैध खनन के साइड इफेक्ट समय-समय पर सामने आते रहते हैं। अवैध खनन को लेकर कई बार खनन माफियाओं में खूनी जंग हुई है। खनन के इस खूनी खेल ने गत् सप्ताह एक बेकसूर महिला को मौत की नींद सुला दिया है। यूपी के खनन माफिया जफर को अपने घर में शरण देने वाले जसपुर के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख गुरतेज सिंह भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत की गोली लगने से मौत हुई है। फिलहाल, यह जांच का विषय है कि महिला की मौत किसकी गोली से हुई? उन लोगों की जिन्होंने यूपी के खनन माफिया जफर को अपने घर में शरण दे रखी थी या उस यूपी पुलिस द्वारा जिसने अपने बचाव में हवाई फायरिंग की? सवाल यह भी है कि गुरतेज सिंह भुल्लर के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे किसने तोड़े और डीवीआर कहां गई? फिलहाल उत्तराखण्ड पुलिस के लिए कुंडा कांड की पहेली सुलझाना चुनौती बन चुका है
‘यूपी पुलिस अक्सर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करती है और दावा करती है कि उन्होंने मामले को सुलझा लिया है। यह गलत है। अगर आप एक निर्दोष व्यक्ति को सजा देते हैं तो 99 अन्य अपराधी पैदा होते हैं। फैसला सही होना चाहिए और सही लोगों को सजा मिलनी चाहिए।’
राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव उत्तराखण्ड
‘किसी भी सिविल सर्वेंट को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए, खासकर अगर वह देश के सबसे संवेदनशील राज्य से जुड़ा हो। यूपी पुलिस ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।’
प्रशांत कुमार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर उत्तर प्रदेश
बारह अक्टूबर को उत्तराखण्ड में जसपुर के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख गुरतेज सिंह भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत की गोली लगने से हुई मौत पर यूपी और उत्तराखण्ड पुलिस के बीच जुबानी जंग छिड़ी है। इस मौत पर ही उत्तराखण्ड की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के बयान से दो प्रदेशों में सियासी भूचाल भी आ गया है। हालांकि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कुछ देर बाद ही यूटर्न ले लिया और कहा कि दोनों प्रदेशों की पुलिस अच्छा काम कर रही है। कुंडा कांड में सबसे अहम तथ्य फायरिंग है। इसी फायरिंग के दौरान जसपुर के ज्येष्ठ उप ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की गोली लगने से जान चली गई। इस मामले में यूपी पुलिस पर फायरिंग और हत्या का आरोप है। सवाल यह है कि ब्लॉक प्रमुख की पत्नी की मौत कैसे और किसकी गलती से हुई? क्या यूपी का खनन माफिया जफर अली को शरण देने वाले मृतका के उस परिवार की गोली से जिसके कई सदस्यों पर पहले से ही मुकदमें दर्ज हैं या यूपी पुलिस की फायरिंग से जिसने अपने बचाव में हवाई फायर किए। फिलहाल दोनों प्रदेशांे की पुलिस आमने- सामने हैे।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा स्टेशन से उत्तराखण्ड के जसपुर में भरतपुर स्थित ब्लॉक प्रमुख गुरतेज सिंह भुल्लर के फार्म हाउस पर इस सूचना पर कि जफर ने वहां शरण ली है छापा मारा। यह क्षेत्र कुंडा थाने के अंतर्गत आता है। 50 हजार रुपए का इनामी खनन माफिया जफर गत् 13 सितंबर को ठाकुरद्वारा एसडीएम परमानंद सिंह और खनन निरीक्षक अशोक कुमार के साथ अवैध रूप से कैद और दुर्व्यवहार के मामले में वांछित था। जफर और उनके सहयोगी उत्तराखण्ड सीमा पार कर गए थे। जिसका पीछा करते हुए मुरादाबाद पुलिस भरतपुर गांव तक पहुंच गई। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस को घेर लिया और पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने की कोशिश की। ग्रामीणों ने पुलिस टीम को बंधक बना लिया और फायरिंग की। बताया जा रहा है कि मुरादाबाद पुलिस की टीम ने खनन माफिया जफर को हिरासत में ले लिया। बाद में स्थानीय लोगों ने जफर को जबरन पुलिस हिरासत से छुड़ा लिया। इस पर विवाद हुआ और मुरादाबाद पुलिस तथा स्थानीय लोगों की तरफ से फायरिंग हुई। जिसमें गुरतेज सिंह भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर (28) को गोली लग गई। जिसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के दौरान गुरप्रीत कौर ने दम तोड़ दिया। इस मामले में मुरादाबाद जिले के ठाकुरद्वारा थाना प्रभारी योगेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर मुख्य अभियुक्त खनन माफिया जफर अली समेत 30 से 35 अज्ञात के खिलाफ करीब 18 संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
जफर अली को शरण देने वालों का आपराधिक इतिहास
गुरतेज सिंह भुल्लर पर 03, उसके भाई सुखविंदर सिंह पर 09, चाचा सतनाम सिंह पर 11 व जगतार सिंह पर 23 मुकदमें दर्ज हैं।
जसपुर के ज्येष्ठ उपप्रमुख की पत्नी की गोली लगने से मौत पर यूपी और उत्तराखण्ड पुलिस के बीच आपसी जंग छिड़ी है। दोनों के दावे और तर्कों के बीच अहम सवाल यह है कि क्या यूपी पुलिस ने उत्तराखण्ड में दाखिल होने की सूचना दी थी? अगर दी थी तो किसे? किसी सक्षम अधिकारी को या फिर थानाध्यक्ष को या फिर किसी और पुलिसकर्मी को? सूत्रों के मुताबिक यूपी पुलिस जब उत्तराखण्ड की सीमा में दाखिल हुई थी तो उनकी टीम के एक सदस्य ने कुंडा पुलिस को अनौपचारिक कॉल की थी। यूपी पुलिस इसका दावा करते हुए अपने पास पुख्ता सबूत होने की भी बात कर रही है। इसी के साथ ही यूपी पुलिस नियम कानूनों का हवाला देते हुए कह रही है कि जब किसी भी प्रदेश की पुलिस किसी आरोपी का पीछा करते हुए दूसरे प्रदेश की सीमा में घुसती है तो ऐसे में परमिशन की जरुरत ही नहीं पड़ती है। इस मामले में उधमसिंह नगर के एसएसपी और कुमाऊं डीआईजी के बयानों में विरोधाभास भी नजर आया है।
कुमाऊं के डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि अगर यूपी पुलिस के जवान उत्तराखण्ड में मुजरिम को पकड़ने आने वाले थे तो उन्होंने पहले क्यों नहीं बताया। जबकि उधमसिंह नगर के एसएसपी मंजूनाथ टीसी का कहना है कि हमें मुरादाबाद पुलिस से आपातकालीन सूचना मिली थी कि वे वांछित अपराधी की गिरफ्तारी के लिए आएंगे। लेकिन स्थानीय लोगों के साथ झड़प हुई। दोनों पक्षों ने गोलीबारी की। जब हम पहुंचे तो देखा कि एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। इस मामले में पुलिस को सीसीटीवी से कुछ फुटेज हासिल होने की उम्मीद थी। लेकिन गुरतेज के घर की छत पर लगा सीसीटीवी क्षतिग्रस्त हालत में मिला है और इसकी डीवीआर भी गायब है। गुरतेज के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे भी टूटे मिले है।
अब सवाल उठता है कि आखिर गुरतेज के घर पर लगे कैमरे किसने तोड़े और डीवीआर कहां गई? इसके अलावा गुरतेज के घर के बाहर खड़ा यूपी पुलिस का वाहन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इस पर सवाल यह उठ रहा है कि यदि यूपी पुलिस ने आते ही फायरिंग शुरू कर दी थी तो सीसीटीवी और वाहन कैसे
क्षतिग्रस्त हो गए। बताया यह भी जा रहा है कि ज्येष्ठ उप प्रमुख गुरतेज के लोगों ने ही सीसीटीवी कैमरे क्षतिग्रस्त किए हैं उसके पीछे का कारण इस तथ्य को छिपाना है कि पुलिस की जवाबी कार्रवाई में फायरिंग उनकी तरफ से भी हुई।
बताया जा रहा है कि कुंडा कांड के बाद ग्रामीणों ने यूपी पुलिस के चार पुलिसकर्मियों को स्थानीय पुलिस के हवाले किया था। ग्रामीणों का आरोप था कि यूपी पुलिस के कर्मी नशे में थे। स्थानीय पुलिस ने उन्हें काशीपुर के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा था। यहां यूपी पुलिस पर लगे आरोपों के बाद पुलिस कर्मियों की मेडिकल जांच भी होती। लेकिन इससे पहले ही यूपी पुलिस के कर्मी यहां से भाग निकले। बकायदा भागते हुए उन्होंने जिले की सीमा पर एक पुलिस बैरियर भी तोड़ दिया। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या नशे की मेडिकल जांच की डर से यूपी पुलिस के कर्मी अस्पताल से भागे? मृतका के पति गुरतेज ने भी यूपी पुलिस पर नशे में धुत होने का आरोप लगाया है। यूपी पुलिस पर लगे नशे के आरोपों के बाद यह तथ्य और भी अहम हो जाता है।
कुंडा कांड के चार दिन बाद ही खनन माफिया जफर को यूपी पुलिस ने पाकबाड़ा में हुई एक मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया। जफर ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि 12 सितंबर की रात जसपुर के ज्येष्ठ उप प्रमुख गुरतेज सिंह भुल्लर के मकान की वह दूसरी मंजिल पर पहुंच गया था। पुलिस कर्मियों ने ऊपर जाने की कोशिश की तो महिलाएं सामने आ गई थीं। इसके बाद धक्का-मुक्की शुरू हो गई थी। वहां गोलियां चलीं तो वह वहां से भाग कर दूसरी जगह छिप गया था। अगले दिन रुद्रपुर में पहुंच गया तो नदी किनारे झोपड़ी में रुका हुआ था। उसे लगा कि पत्नी की मौत के बाद भुल्लर भी उसका दुश्मन बन चुका है। वहां उसे अपनी जान को खतरा लगा तो यूपी की ओर रुख कर लिया। इसके बाद वह पाकबाड़ा में पकड़ा गया।
जफर का माफिया सफर
यूपी के ठाकुरद्वारा निवासी जफर के खिलाफ वर्ष 2005 में मारपीट का केस दर्ज हुआ था। इसके अलावा ठाकुरद्वारा थाने में उस पर दो केस दर्ज हैं। एसडीएम और खनन अधिकारी से मारपीट के मामले में जफर के अलावा उसका एक भाई नबी मोहम्मद भी शामिल था। नबी मोहम्मद पर 50 हजार का इनाम था। सूत्रों के अनुसार उत्तराखण्ड और यूपी बॉर्डर पर खनन के डंपर को पार कराने के लिए जफर और उसके भाई तैयब का नेटवर्क काम करता है। यहां तक कि दोनों के गुर्गे इसके लिए वसूली करते थे। बताया जा रहा है कि इस वसूली का कुछ पैसा उत्तराखण्ड के सफेदपोश नेताओं और कुछ अफसरों तक भी पहुंचता था। डंपर को बॉर्डर पार कराने के लिए 1000 रुपए की वसूली की जाती थी। जफर और तैयब काशीपुर की नदी से खनन कर मुरादाबाद और अमरोहा में अवैध तरीके से तस्करी करते थे। यह दोनों माफिया भाई जब वाहनों में खनन सामग्री लेकर जाते थे तो इनकी हर जगह सेटिंग होती थी। खनन सामग्री तस्करी करके ये माफिया काशीपुर और जसपुर के रास्ते मुरादाबाद ले जाते थे। बताया जा रहा है कि इस रास्ते में उत्तराखण्ड की महुआखेड़ा गंज के साथ ही मंडी पुलिस चौकी और सुर्या पुलिस चौकी भी पड़ती थी। इन माफियाओं ने ऐसी सेटिंग कर रखी थी कि इनके वाहन पुलिस को दक्षिणा देकर आसानी से मुरादाबाद निकल जाते थे। इस काम में उनके साथ सत्ता के करीबी नेताओं के साथ ही अफसरों की मिलीभगत के आरोप भी लगते रहे हैं।
बात अपनी-अपनी
हमारे देश में कानून है और कानून अपना काम करेगा। जरूरत पड़ी तो इस संबंध में यूपी के सीएम और अधिकारियों से भी बात करेंगे।
बलदेव सिंह औलख, कृषि राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश यह कौन सा तरीका है कि किसी दूसरे राज्य की पुलिस सादी वर्दी में आए और किसी के भी घर में घुस जाए? उत्तर प्रदेश पुलिस की यह कार्यवाही अत्यंत ही निंदनीय है। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
पुलिस ने न तो अभियुक्तों का पीछा किया और न ही उन पर केस दर्ज किया है। यह कुंडा पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह है। पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल सकेगा। ऐसे में मामले की सीबीआई जांच जरूरी है।
आदेश चौहान, विधायक जसपुर
मुरादाबाद पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं को लागू करते हुए एफआईआर दर्ज की है। जिसमें दंगा, अपराधी को शरण देना, गिरफ्तारी का विरोध, हत्या का प्रयास, डकैती, लोक सेवक को चोट पहुंचाना और अन्य आपराधिक साजिश शामिल है।
शलभ माथुर, उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मुरादाबाद रेंज
यूपी पुलिस के लोग उधमसिंह नगर पुलिस की अभिरक्षा से भागे हैं। इसकी भी जांच की जा रही है। यह भी शिकायत है कि सूर्या चौकी में जब यूपी पुलिस को रोकने की कोशिश की गई तो वे बैरिकेड तोड़कर भाग गए। यूपी पुलिस से पूछा गया है कि अगर वे मुजरिम को पकड़ने आने वाले थे तो उन्होंने पहले क्यों नहीं बताया।
नीलेश आनंद भरणे, डीआईजी कुमाऊं
कुंडा पुलिस स्टेशन में मृतक के पति की शिकायत पर हत्या और आईपीसी की अन्य संबंधित धाराओं के लिए 12 उत्तर प्रदेश पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हमने काशीपुर इंस्पेक्टर को जांच अधिकारी बना दिया है। जल्द ही जांच के बाद सच सामने आएगा।
मंजूनाथ टी.सी., एसएसपी उधमसिंह नगर