इस बार के विधानसभा चुनाव में उत्तराखण्ड में भाजपा को महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर वोट दिया। इससे पहले हुए चुनाव में उत्तराखण्ड में पांच महिलाएं ही ज्यादा से ज्यादा विधायक बनी हैं। लेकिन इस बार अकेले भाजपा से छह महिला विधायक बनी हैं जिनमें ऋतु खण्डूड़ी एक हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी की पुत्री ऋतु को इस बार भाजपा ने उत्तराखण्ड का पहला विधानसभा अध्यक्ष बनाकर न केवल इतिहास रचा है, बल्कि पार्टी महिला सशक्तिकरण को मजबूती से आगे बढ़ाती हुई दिखी है। इसी के साथ ही पार्टी ने उत्तराखण्ड की महिलाओं को अपने पाले में बनाए रखने के लिए भी रणनीति बनाई हैं। यह रणनीति पार्टी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण होगी। साथ ही ऋतु को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर भाजपा यह संदेश देने में भी कामयाब हुई है, उनके लिए आज भी ‘खण्डूड़ी जरूरी है’।
20 जनवरी को जब भाजपा ने उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी तो उसमें ऋतु खण्डूड़ी का नाम नहीं था। तब कहा गया कि भाजपा के लिए अब खण्डूड़ी जरूरी नहीं रहे। उस समय ऋतु खण्डूड़ी ने सिर्फ इतना ही कहा कि अगर लिस्ट में नाम नहीं आया है तो पार्टी ने उनके लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा। हालांकि 26 जनवरी को जारी की गई दूसरी सूची में उनका टिकट पार्टी ने कोटद्वार से फाइनल कर दिया। जहां से उन्होंने कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह नेगी को 3687 वोटों से हराया। पौड़ी जिले की जिस कोटद्वार सीट से 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए भुवनचंद्र खण्डूड़ी को हार का सामना करना पड़ा था, उसी कोटद्वार सीट पर इस बार ऋतु ने जीत हासिल कर पिता की हार का बदला लिया।
सेना से रिटायर होकर सियासत में आए उनके पिता बीसी खण्डूड़ी पहले सांसद और फिर केंद्र सरकार में मंत्री रहे। उसके बाद 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012 के बीच उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे। 2012 के चुनाव में ‘खंडूरी है जरूरी’ के नारे के बावजूद वह कोटद्वार सीट से सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ चुनाव हार गए थे। यहां से उनका राजनीतिक सफर लगभग समाप्ति की ओर बढ़ चला था। कोटद्वार से चुनाव जीतने के साथ ही उत्तराखण्ड में ऋतु खण्डूड़ी के रूप में महिला मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा शुरू हो गई थी। प्रदेश की महिलाओं ने बकायदा इसके लिए अभियान चलाया। पूर्व में यमकेश्वर का विधायक रहते हुए ऋतु खण्डूड़ी ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई काम किए। यही नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने से काफी पहले ही ऋतु अपने एनजीओ ‘जय दुर्गा सामाजिक कल्याण संस्था’ के जरिए पौड़ी एवं चमोली में शिक्षा और स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में सक्रियता से सेवा कार्योंं में जुटी रही हैं।
इसके अलावा वह पहाड़ों से पलायन रोकने और बेरोजगारी को खत्म करने के अपने एजेंडे पर लगातार कार्य करती रही हैं। अपने विधानसभा के पहले कार्यकाल में जब वह यमकेश्वर की विधायक थी तब उन्होंने क्षेत्र के विकास को प्रमुखता पर रखा। उनके विधानसभा क्षेत्र में सभी महत्वपूर्ण मार्गों पर पुलों का निर्माण हो चुका है और शेष पर निर्माण कार्य जारी है। लोगों को उम्मीद है कि अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी के पदचिन्हों पर चलते हुए ऋतु भी प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी को आज भी सुशासन और अनुशासन के लिए जाना जाता है। उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त शासन का नारा दिया था जिससे प्रभावित होकर 2012 में उनके नेतृत्व पर जनता ने भरोसा जताते हुए भाजपा को सत्ता के मुहाने पर ला खड़ा किया था।