वर्ष 2017 में जब तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों की स्थापना की, तब से ही उत्तराखण्ड की अधिकतर जनता इसके खिलाफ है। पर्वतीय क्षेत्रों के कई जिलों में लोग वर्षों से इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। जनता का कहना है कि प्राधिकरण मानचित्र स्वीकृत करने के नाम पर ‘खेला’ कर रहे हैं। नैनीताल विकास प्राधिकरण पर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे रहने का आरोप आम जनता लगाती रही है। हल्द्वानी शहर में प्राधिकरण की ऐसी ही एक कारस्तानी सामने आई है। प्राधिकरण ने शहर के बीचांे-बीच दो ऐसे फिलिंग स्टेशन (पेट्रोल पम्पों) को मंजूरी प्रदान कर दी है जो पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) के नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं तो दूसरी तरफ ‘पेसो’ से स्वीकृति पाए एक पेट्रोल पम्प को मानकों का हवाला दे स्वीकृति नहीं दी जा रही है। इस पेट्रोल पम्प को नहीं लगने देने की नीयत से पूर्व में पेट्रोल पम्पों की जांच कराए जाने का आदेश प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने 27 जून, 2024 को दिया जरूर लेकिन उस आदेश पर कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है
अंग्रेजी की एक कहावत है- “What’s good for the goose is good for the gander” इसका शाब्दिक अर्थ है जो नियम एक पर लागू होता है, वही सब पर लागू होना चाहिए। नैनीताल विकास प्राधिकरण के आला अफसर लेकिन नियमों को अंग्रेजी की ही एक दूसरी कहावत-‘Different strokes for different folks’ अर्थात् लोगों के लिए अलग-अलग मापदंड के अनुसार लागू करने में विश्वास रखते हैं। यह स्थापित सत्य है कि दोहरे मापदंड लम्बे समय तक टिकते नहीं और अंततः लोगों का विश्वास व्यवस्था संग दरकने लगता है। हल्द्वानी में केंद्र सरकार की नियामक एजेंसी द्वारा स्वीकृत एक पेट्रोल पम्प को खुलने से रोकना और दो अन्य पेट्रोल पम्पों का नियम विरुद्ध संचालन नैनीताल विकास प्राधिकरण के दोहरे मापदंडों के साथ-साथ उसके आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे होने के आरोपों को सही प्रमाणित करता नजर आता है। इन दोहरे मापदंडों के शिकार गिरीश चंद्र भट्ट पुत्र नित्यानंद भट्ट, निवासी दमुआढुंगा (हल्द्वानी) द्वारा शहर में फिलिंग स्टेशन (पेट्रोल पम्प) के लिए वर्ष 2021 में आवेदन किया गया। अपनी सारी पूंजी लगा देने के बाद भी इनका पेट्रोल पम्प शुरू करने का सपना पूरा नहीं हो सका है। इनके द्वारा मानकों को पूरा करने के लिए पेट्रोल पम्प स्थापित होने से पहले जितनी भी कागजी कार्रवाई की जानी है वह पूरी कर ली है सिर्फ एक जिला विकास प्राधिकरण के द्वारा मानचित्र की स्वीकृति नहीं हो सकी है। इसके लिए इनके द्वारा जिला विकास, प्राधिकारण से अनुमति लेने की अपील की गई।
बोर्ड बैठक में रखा प्रस्ताव: काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस में 27 जून 2024 को हुई जिला विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में गिरीश चंद्र भट्ट को पेट्रोल पम्प की अनुमति दिए जाने और मानचित्र स्वीकृति के सम्बंध में प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव पर बोर्ड द्वारा विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। बोर्ड द्वारा इस प्रकरण को सुनते हुए पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (‘पेसो’) से अनापत्ति प्राप्त कर आगामी बैठक में प्रस्तुत किए जाने का निर्णय लिया गया।
क्या है ‘पेसो’: पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (‘पेसो’) जिसे विस्फोटक विभाग के रूप में भी जाना जाता है। इसका मुख्य कार्य विस्फोटक अधिनियम 1884 और पेट्रोलियम अधिनियम 1934 के तहत सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करना है। पेट्रोल पम्प आदि को लगाने से पूर्व वहां सुरक्षा सम्बंधी नियमों का कितना परिपालन किया जा रहा है यह देखना ‘पेसो’ का काम होता है। ‘पेसो’ की स्थापना 5 अगस्त 1898 को की गई थी। शुरू होने के बाद से ही यह विस्फोटक, गैसों और पेट्रोलियम जैसे खतरनाक पदार्थों की सुरक्षा के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में देश की सेवा कर रहा है।
‘पेसो’ के सेफ्टी मानक: पेट्रोल पम्प आदि की स्थापना से पूर्व ‘पेसो’ द्वारा निर्धारित सेफ्टी मानकांे के अनुपालन में 50 मीटर की दूरी के नियम हैं। प्रस्तावित पेट्रोल पम्प के तीनों ओर (एक ओर सड़क को छोड़कर) बने आवासीय निर्माणों की दूरी 50 मीटर होनी चाहिए। इस तरह पेट्रोल पम्प के 50 मीटर अर्द्धव्यास में आवासीय भवन, स्कूल कॉलेज, अस्पताल (10 बेड से अधिक) के निर्माण नहीं होने चाहिए। हालांकि दूरी के मानकों को 50 मीटर से 30 मीटर तक कम किया जा सकता है।
मानकों की दूरी में मकान: गिरीश चंद्र भट्ट द्वारा जिस पेट्रोल पम्प के लिए स्वीकृति ली जा रही है उसके आस-पास 30 मीटर की परिधि में कई लोगों के मकान निर्मित हैं। जिनमें ललित भट्ट, श्याम भट्, उदय सिंह, बालादत्त जोशी, नंदाबल्लभ बेलवाल, दीपचंद्र विद्यार्थी तथा कांग्रेस नेता दीपक ब्लूटिया के इंस्पिरेशन स्कूल के मैदान का कुछ भाग 30 मीटर की परिधि में आ रहा है। इस चलते ही गिरीश चंद्र भट्ट के पेट्रोल पम्प के लिए मानचित्र स्वीकृत नहीं हो पा रहा है। हालांकि पेट्रोल पम्प के आस-पास अधिकतर मकान भट्ट के परिवार वालों के हैं जिनकेे द्वारा पेट्रोल पम्प स्थापित करने की सहमति लिखित में दी हुई है।
इन विभागों से ली जा चुकी है स्वीकृति: मुख्य अग्निशमन अधिकारी नैनीताल दिनांक 30 जून 2021, उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिनांक 28 जून 2021, अधिशासी अभियंता निर्माण खंड लोक निर्माण विभाग दिनांक 5 जुलाई 2021, सहयुक्त नियोजन कुमाऊं संभागीय खंड नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग दिनांक 6 अगस्त 2021, जिला पूर्ति अधिकारी दिनांक 28 जुलाई 2021, भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई उद्योग निदेशालय दिनांक 1 सितम्बर 2021, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद नैनीताल दिनांक 9 सितम्बर 2021, एवं अधिशासी अभियंता सिचाईं खंड हल्द्वानी दिनांक 6 जनवरी 2022 आदि।
पूर्व में ‘पेसो’ दे चुका है अनापत्ति पत्र: जिला विकास प्राधिकारण नैनीताल द्वारा गिरिश चंद्र भट्ट को ‘पेसो’ से दोबारा अनापत्ति पत्र प्राप्त करने को कहा गया है। जबकि हकीकत यह है कि इस संबंध में भट्ट 6 अक्टूबर 2021 को ही भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (‘पेसो’) से अनापत्ति पत्र प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे में जिला विकास प्राधिकारण की बैठक में पुनः ‘पेसो’ से अनापत्ति पत्र मांगना कई सवाल खड़े करता है।
एक दिन बाद ही लागू हुए ‘पेसो’ के नए नियम: गिरीश चंद्र भट्ट द्वारा ‘पेसो’ से पेट्रोल पम्प के लिए अनापत्ति पत्र प्राप्त करने के लिए 2021 में आवेदन कर दिया था। तब तक ‘पेसो’ के नए नियम लागू नहीं हुए थे। लेकिन जब पेट्रोल पम्प की अनापत्ति पत्र प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी महज प्रमाण पत्र दिया जाना ही बाकी था इसी दौरान 5 अक्टूबर 2021 को भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ‘पेसो’ द्वारा पेट्रोल पम्प स्थापित किए जाने के संबंध में शंसोधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। इसी शासनादेश के बिंदु संख्या-2 के अनुसार आवासीय भवनों की दूरी के मानक 50 मीटर सुनिश्चित किए गए। हालांकि इसके अगले दिन यानी 6 अक्टूबर 2021 को ‘पेसो’ ने भट्ट को अनापत्ति पत्र जारी कर दिया।
‘पेसो’ के नियम लागू होने के बाद 3 पेट्रोल पम्पों को मिली अनुमतिः चौंकाने वाली बात यह है कि 5 अक्टूबर 2021 को जब ‘पेसो’ द्वारा आवासीय भवनों के मानको की दूरी 50 मीटर निर्धारित की गई उसके बाद हल्द्वानी शहर में तीन नए पेट्रोल पम्पों को जिला विकास प्राधिकारण द्वारा उनके मानचित्र पास कर उन्हें स्वीकृति दी गई। ऐसा कर प्राधिकरण द्वारा ‘पेसो’ के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाई गई। शहर में जिन तीन पेट्रोल पम्पों को स्वीकृति दी गई उनमें से एक नगर निगम द्वारा संचालित किया गया है। नैनीताल रोड पर स्थित निगम के इस पेट्रोल पम्प का 11 नवम्बर 2021 को उद्घाटन प्रदेश के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत और नगर निगम के तत्कालीन महापौर जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला ने किया था। नगर निगम द्वारा इस पेट्रोल पम्प का उद्घाटन करते समय दावा किया गया कि इसके द्वारा हल्द्वानी नगर निगम ने आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की बड़ी पहल की है। नगर निगम के अलावा जिन दो लोगों को ‘पेसो’ के दिशा-निर्देश लागू होने के बाद स्वीकृति दी गई उनमें सुभाष गुप्ता और तरूण बंसल के पेट्रोल पम्प भी शामिल हैं।
मानकों को पूरा नहीं करते है पेट्रोल पम्प: ‘दि संडे पोस्ट’ ने हल्द्वानी स्थित उन तीनों पेट्रोल पम्पों का जमीनी सर्वेक्षण किया जो ‘पेसो’ के द्वारा लागू दिशा-निर्देशों के बाद स्थापित हुए हैं। इनमें नैनीताल रोड पर बना नगर निगम का पेट्रोल पम्प तो आवासीय दूरी के मानकों की अवहेलना करता दूर से ही दिखता है। जबकि दूसरा पेट्रोल पम्प सुभाष गुप्ता का है। वह भी दूरी के मानकों पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरता है। दोनों ही पेट्रोल पम्प के नजदीक आवासीय परिसर इस कदर बने हुए हैं कि उन्हें देखकर साफतौर से लग रहा है कि ‘पेसो’ के नियमों की खुलेआम अवहेलना की गई है। तीसरा पेट्रोल पम्प तरुण बंसल का है जो आबादी के मानकों को पूरा करता हुआ नजर आता है।
जब 3 पेट्रोल पम्प को स्वीकृति तो चौथे को क्यों नहीं: 5 सितम्बर 2021 को लागू हुए ‘पेसो’ के दिशा-निर्देशों के विपरीत जाकर जिला विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के बीचों-बीच 3 पेट्रोल पम्पों को स्वीकृति दिए जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं। सबसे पहले सवाल गिरीश चन्द्र भट्ट की तरफ से उठाया गया उन्होंने कुमाऊं आयुक्त और जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल के अध्यक्ष दीपक रावत को इस बाबत 25 मई 2024 को एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने कहा ‘समान प्रकार के प्रकरण में ‘पेसो’ के अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर जिला विकास प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृत करने की अनुमति दी गई है। प्रार्थी को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा डीलर नियुक्त किया गया है। ‘पेसो’ से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पेट्रोल पम्प के निर्माण के लिए अनिवार्य है। उक्त अनिवायर्ता को दृष्टिगत रखते हुए ‘पेसो’ द्वारा 6 अक्टूबर 2021 को ही अनापत्ति पत्र दिया जा चुका है। जबकि इस सम्बंध में अन्य तीन पेट्रोल पम्पों की भांति उन्हें भी पेट्रोल पम्प के निर्माण हेतु ‘पेसो’ द्वारा निर्धारित गाईड लाइन के अनुसार निर्धारित 30 मीटर की दूरी में शिथिलता प्रदान करें।’
कमिश्नर द्वारा तीन पेट्रोल पम्पों की जांच कर नोटिस दिए जाने के दिए निर्देश: 27 जून 2024 को जब बोर्ड बैठक में गिरीश चंद्र भट्ट का यह प्रकरण रखा गया तो उस पर सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल के पदेन अध्यक्ष कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के द्वारा प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया। भट्ट के प्रस्ताव को अस्वीकृत करते हुए कमिश्नर रावत द्वारा निर्णय लिया गया कि पेट्रोल पम्प स्थापना हेतु 5 अक्टूबर 2021 को जारी शासनादेश के उपरांत जितने प्रकरण स्वीकृत किए गए हैं, की जांच कर उन्हें नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही करने के आदेश दिए। साथ ही आगामी बैठक में इसे बोर्ड के संज्ञान में लाने के आदेश दिए। 6 माह का समय बीत जाने के बाद भी कमिश्नर दीपक रावत अपने ही निर्देशों का अनुपालन नहीं करा पाएं हैं और मानकों की धज्जियां उड़ाते पेट्रोल पम्प बेखोफ चल रहे हैं। ऐसे में न केवल प्राधिकरण की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि यह प्रश्न भी खड़ा होता है कि यदि इन पेट्रोल पम्पों के चलते कोई दुर्घटना घटित होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? पेट्रोल पम्प मालिक? प्राधिकरण? या स्वयं कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत?
‘जो भी नियम विरुद्ध है उसके खिलाफ कार्रवाई होगी’
जून 2024 में प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में आपके द्वारा तीन पेट्रोल पम्पों की जांच के आदेश दिए गए थे। लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी उनकी जांच नहीं हुई है, ऐसा क्यों?
आप शायद प्राधिकरण की लास्ट वाली बोर्ड बैठक की बात कर रहे हैं ब्रदर। यह प्राधिकरण का मामला है। जांच हो गई होगी। हालांकि जांच अभी मेरे पास नहीं आई है। मैं जांच के लिए एक बार फिर पेसो को रिवाइंडर करा देता हूं।
यदि मानकों के विपरीत पेट्रोल पम्प स्थापित हैं तो अगर कोई घटना हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? आप, प्राधिकरण या पेट्रोल पम्प मालिक?
मैंने कहा न पेसो ही इनकी सुरक्षा मानकों के लिए जिम्मेदार है। यह देखना होगा कि पेसो द्वारा परमिशन किन परिस्थितियों में दी गई है।
भट्ट के केस में पेट्रोल पम्प मामले में सारे नियम लागू हैं। फिर भी प्राधिकरण की परमिशन क्यों नहीं है, इसका क्या कारण है?
भट्ट जी ही नहीं ब्रदर, हर किसी के केस में सभी तरह के नियम लागू हैं जो भी नियम विरुद्ध होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच आने के बाद ही सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। अगली बोर्ड बैठक में जांच भी सामने रखी जाएगी। उसके बाद फाइनल निर्णय लिया जाएगा।