ऐसा माना जाता है कि कुमाऊं मंडल की राजनीति अल्मोड़ा और गढ़वाल मंडल की राजनीति श्रीनगर से चलती है। श्रीनगर की वीआईपी सीट राजनीतिक पार्टियों के लिए कितनी खास है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2022 में कांग्रेस-भाजपा ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय पार्टी उक्रांद भी यहां से दिग्गज प्रत्याशी उतारने जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल तो भाजपा से कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के प्रत्याशी होने की संभावना है। उक्रांद से मोहन काला और आम आदमी पार्टी से गजेन्द्र चौहान दावेदारी कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों में इस सीट को हथियाने के लिए अभी से जोर- आजमाइश चल रही है। इसे देखते हुए चुनावी संग्राम काफी रोचक होने के आसार हैं
श्रीनगर को गढ़वाल मंडल का हृदय स्थल कहा जाता है। गढ़वाली भाषा के साहित्यकार ‘श्रीनगरी’ भाषा में रचना करने में इसलिए दिलचस्पी लेते हैं कि यह भाषा संपूर्ण गढ़वाल ही नहीं बल्कि कुमाऊं मंडल के लोगों की समझ में भी आ जाती है। एक समय यहां गढ़ नरेशों की राजधानी हुआ करती थी। सांस्कृतिक दृष्टि से कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा का जो महत्व है, वही गढ़वाल में श्रीनगर का भी है। यहां के प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने यहीं शिव को एक सहस्त्र कमल पुष्प अर्पित किए थे। कमलेश्वर के अलावा श्रीयंत्र एवं कई अन्य मठ एवं मंदिर श्रीनगर की शोभा बढ़ाते हैं। उच्च शिक्षा का श्रीनगर को हब माना जाता है, तो मेडिकल कॉलेज भी यहां है। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान श्रीनगर आंदोलनकारियों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा। यहां श्रीयंत्र टापू से चले आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में रही। इतिहास, संस्कृति, शिक्षा, आंदोलन के साथ ही श्रीनगर की पहचान एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र के तौर पर भी है। गढ़वाल मंडल की राजनीति यहीं से संचालित होती है, यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा, भक्त दर्शन, जगमोहन सिंह नेगी, चंद्रमोहन सिंह नेगी, भुवनचंद्र खण्डूड़ी, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साथ ही तमाम कई ऐसे बड़े नेता हैं जिन्हें श्रीनगर ने हमेशा आकर्षित किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गढ़वाल मंडल ही नहीं, बल्कि कुमाऊं मंडल के लिए भी राजनीतिक माहौल बनाने में यह नगर सक्षम रहा है। इसी को भांपते हुए जहां कांग्रेस ने श्रीनगर का प्रतिनिधित्व कर चुके गणेश गोदियाल को अपने प्रदेश संगठन की कमान सौंपी है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी उत्तराखण्ड में अपनी ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का श्री गणेश इसी श्रीनगर से किया है।
राजनेताओं की प्राथमिकता में श्रीनगर हमेशा रहा, तो यह स्वाभाविक तौर पर वीआईपी सीट हो गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस वीआईपी सीट पर रोमांचक मुकाबला होने के आसार हैं। सभी पार्टियां यहां से अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने जा रही हैं। चुनावी समर के लिए कांग्रेस-भाजपा के साथ ही क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखण्ड क्रांति दल भी निरंतर अपने कार्यक्रम देता आ रहा है। कोई भी दल जोर-आजमाइश की कहीं कोई गुंजाइश बाकी नहीं छोड़ना चाहता। भाजपा की बात करें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पार्टी के बड़े नेताओं ने यहां कमलेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपना चुनावी शंखनाद कर दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में इतिहास दोहराने के लिए बीजेपी ने श्रीनगर गढ़वाल में ‘जन आशीर्वाद रैली’ का आयोजन कर कांग्रेस को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है। दरअसल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल श्रीनगर सीट से ही चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में बीजेपी ने इस सीट को ही अपनी रैली के लिए चुना। बीजेपी के क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने इस रैली के जरिए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के आंतरिक सर्वे में इस बार श्रीनगर में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। ऐसे में पार्टी इस सीट पर विशेष फोकस किए हुए है। धन सिंह रावत भी खुद को 2022 का मजबूत दावेदार और अपनी जीत को पक्का करने की कोशिश में जुटे हैं।
श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र से 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुंदरलाल मंद्रवाल विधायक चुने गए थे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी ब्रजमोहन कोटवाल को 1637 मतों से हराया था। तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी सोेहन लाल मुयाल रहे। चौथे स्थान पर यूकेडी के चमन लाल रहे थे। वर्ष 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ब्रजमोहन कोटवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी सुंदरलाल मंद्रवाल को 3152 मतों से हराकर जीत दर्ज की। 2007 में हुए चुनाव में भाजपा की सरकार सत्ता में काबिज हुई थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने वर्तमान में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत को 5063 मतों से हराकर जीत दर्ज की। तब उत्तराखण्ड में पुनः काग्रेस सत्ता में आई। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के धन सिंह रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को 8698 मतों से हराकर अपनी पुरानी हार का बदला ले लिया। राज्य की सत्ता में भाजपा के काबिज होते ही धन सिंह रावत को मंत्री बना दिया गया। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के लोेगों को धन सिंह रावत के मंत्री बनने के बाद विकास कार्यों की खासी उम्मीद रही। परंतु साल-दर- साल गुजरने के बाद भी क्षेत्र में विकास एक विलुप्त ‘पक्षी’ समान है।
धामी सरकार में स्वास्थ्य महकमा मिलने के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को लेेकर श्रीनगर का बेस चिकित्सालय आज भी मात्र रेफरल सेंटर बना हुआ है। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में 2010 में स्वीकृत एनआईटी को आज तक स्थायी परिसर नहीं मिल पाया है। 2006 में स्वीकृत चौरास मोटर पुल 15 बरस बीतने के बाद भी अधर में लटका है। श्रीनगर में आज तक रोडवेज स्टैण्ड तक नहीं बन पाया। विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर के अंतर्गत आने वाले मोटर मार्गों की खस्ताहाल स्थिति आज भी जस की तस है। विशेषकर ‘डुग्रीपंथ-छांतीखाल मोटर मार्ग’, थलीसैंण क्षेत्र में ‘टिहरी-मुरादाबाद नेशनल’ हाइवे सबसे ज्यादा बदहाल हैं। थलीसैंण ब्लॉक में ऑर्थोपैडिक सर्जन और स्पेशलिस्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। इस क्षेत्र में बिजली आए दिन नदारद रहती है। विकास कार्यों की अनदेखी को लेकर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत को अपने ही विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान कई बार विरोध का सामना तक करना पड़ रहा है।
कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि कांग्रेस पार्टी से निर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा नगरीय क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों का कहीं न कहीं कांग्रेस को लाभ मिल सकता है। फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल अपने कुशल व्यवहार एवं मिलनसार व्यक्तित्व का लाभ उठाने में सफल हो सकते हैं। उत्तराखण्ड क्रांन्ति दल के संभावित उम्मीदवार मोहन काला अपनी तरफ से रैलियों और जनसंपर्क के द्वारा पूरा जोर लगाए हुए हैं। काला उक्रांद के कोषाध्यक्ष हैं। वह लगातार क्षेत्र में कार्यक्रम दे रहे हैं और जनता से सीधा संवाद बना रहे हैं। उनकी सक्रियता कांग्रेस-भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। आम आदमी पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवाद गजेन्द्र चौहान भी अपने हिसाब से प्रयासरत हैं। यह साफ है कि कहीं न कहीं यूकेडी और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के वोट बैंक को बिगाड़कर उनकी राह मुश्किल कर सकते हैं। वोटों का समीकरण बनने और बिगड़ने के चलते भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर होना लाजिमी है।
राजनीतिक पार्टियों के लिए श्रीनगर का चुनावी रण इसलिए भी चुनौतीपूर्ण साबित होता है कि यहां अंदाजा लगाना कठिन होता है कि कौन कार्यकर्ता वास्तव में भीतर से किसके साथ है। कई बार ऐसा भी होता है कि कार्यकर्ता किसी खास प्रत्याशी के पोस्टर भी लगाता है, उसके समर्थन में वोट भी मांगता है, लेकिन अपना वोट उस प्रत्याशी को पड़ ही जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं रहती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही दिलचस्प नजारा देखने को मिल रहा है। बहुत से ऐेसे लोग हैं जो कांग्रेस की रैली में भी दिखाई दिए तो भाजपा की रैली में भी थे। यही नहीं उक्रांद की रैली में भी उन्हें देखा गया। ऐसे में श्रीनगर की सियासत को समझना बड़ा मुश्किल होता है।
श्रीनगर के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो प्रदेश की सत्ता की तरह यहां की जनता कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को बारी-बारी से मौका देती रही है। अब देखना यह है कि सत्ता में काबिज भाजपा सरकार श्रीनगर विधानसभा सीट को अपनी झोली में पुनः डालने में सफल होती है या नहीं। अभी तक की स्थिति यही है कि इस बार भाजपा के लिए इस सीट की लड़ाई आसान नहीं है।
श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर जनता नाखुश है जिसमें प्रमुख रूप से बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की समस्या को लेकर जनता को आज भी दो- चार होना पड़ता है। हमारी पार्टी यदि यहां से चुनाव जीतती है तो शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर दिल्ली मॉडल की तर्ज पर कार्य किया जाएगा जिसमें पंचायत स्तर पर चिकित्सालय बनाकर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पलायन एक प्रमुख समस्या है। थलीसैंण क्षेत्र में आलू और माल्टे की खेती अधिक मात्रा में होती है, लेकिन अभी तक वहां इन चीजों की सप्लाई के लिए बाजार उपलब्ध न होने के कारण आलू व माल्टे वहीं सड़ते रहते हैं। उसके लिए हमारे द्वारा योजना तैयार की जाएगी। साथ ही श्रीनगर में खेल प्रेमियों के लिए मैदान न होने से खेल प्रतिभाएं नहीं उभर सकती इसलिए वहां पर मैदान की व्यवस्था की जाएगी। क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
गजेन्द्र चौहान, नेता आम आदमी पार्टी
हम महंगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जा रहे हैं। भाजपा सरकार ने जनता को झूठे सपने दिखाकर जो वादे किये थे, वे उन्हें पूरा करने में सफल नहीं हुए। भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही कर जेल भेजने की बात कही गई थी, लेकिन भाजपा सरकार बताये कि उनके द्वारा अभी तक कितने भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा गया? भाजपा केवल जुमलेबाजी की सरकार है। इनकी गलत नीतियों के चलते जनता आज त्रस्त है। कांग्रेस सरकार के समय में भी कई महामारियां सामने आई जिनका कांग्रेस द्वारा बिना प्रचार किए डटकर सामना किया गया, लेकिन भाजपा सरकार महामारी के इस दौर में भी मात्र अपना प्रचार कर रही है। जनता अब कांग्रेस पार्टी का साथ देकर विकास चाहती है।
गणेश गोदियाल, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस
उत्तराखण्ड क्रांति दल गांव-गांव में भू-कानून के मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जा रहा है। अब लोग इस कानून को लेकर जागरूक होने लगे हैं। लोगों को मूल निवास 1950 की महत्ता भी समझ आ रही है। यदि सशक्त
भू-कानून नहीं बनता है, तो हमारी संस्कृति एवं अस्तित्व को बहुत बड़ा खतरा होने वाला है। सड़कों की दयनीय स्थिति, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल एवं रोजगार के मुद्दे पर जनता में भारी आक्रोश है। लोग अब क्षेत्रीय पार्टी को भाजपा-कांग्रेस का विकल्प बनाना चाहते हैं। सरकार कोरोनाकाल में गांव लौटे युवाओं को रोजगार देने में विफल रही है। जिसके कारण कई युवा फिर से गांव छोड़कर लौटने को विवश हो रहे हैं। यह सरकार की नाकामी है।
मोहन काला, कोषाध्यक्ष उक्रांद